Nagin aur Rahashymayi Duniya - 3 in Hindi Fiction Stories by Neha Hudda books and stories PDF | नागिन और रहस्यमयि दुनिया - 3

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नागिन और रहस्यमयि दुनिया - 3


                     
             क्या देविका भी नागिन है.. 



तपस्या की रात से एक दिन पहले देविका के पिता जी और देविका मंदिर गए थे। देविका के पिताजी को कुछ काम से बाहर जाना था परिवार में केवल देविका और मोहनलाल ही थे। देविका की माँ की मृत्यु देविका के जन्म के कुछ दिन बाद ही हो जाती है। अब देविका को उसके पिता जी ही संभालते हैं। पूर्णिमा की रात से पहले देविका के पिताजी, पंडितजी यानी नागराज को बताते हैं कि उनको कुछ काम से बाहर जाना है और वह देविका को साथ नहीं ले जा सकते। पंडित जी अब मोहन लाल के मित्र हैं और अच्छे इंसान भी तो मोहन लाल ने फैसला किया है कि वह देविका को पंडित जी के पास छोड़कर चले जाएंगे। 💫💕

अगले ही दिन नागराज को अपनी तपस्या भी करनी थी। देविका को संभालने का भार भी उनके सर आ गया। .नागराज ने सोचा कि वे देविका को कमरे के अंदर सुलाकर अपनी तपस्या पूरी कर लेंगे। वैसे भी देविका अभी 5 साल की छोटी बच्ची है अगर वह गलती से कुछ देख भी लेगी तो नागराज उसकी यादाश्त को अपनी शक्तियों से मिटा देंगे। नागराज ने ये सब बाते सोचते हुए देविका को एक - दो दिन के लिए अपने पास रख लिया। मोहन लाल देविका को नागराज के पास छोड़ने के बाद वहा से चले गए। नागराज अब देविका का ख्याल रखने में व्यस्त हो गए। वह दक्ष और देविका को सुलाकर अपनी कल होने वाली तपस्या की तयारी में लग गए। अगले दिन तक नागराज सारी तयारी कर चुके थे और शाम होने का इंतजार करने लगे। धीरे-धीरे शाम हो गई नागराज ने देविका को सुला दिया, जहां वह तपस्या करने वाले थे, वहीं पास के कमरे में उन्होंने देविका को सुला दिया। शाम को नागराज तपस्या में लग गए। उन्हें एक चमकती चीज सामने रखी और उसकी पूजा करने लगे। वह चमकती चीज नागराज की मणि थी जो हर 18 साल में एक बार उनके शरीर से बाहर आती थी। पूजा करने के बाद मणि की शक्तियाँ दोगुनी हो जाती थी। फ़िर से मणि अगले 18 वर्ष के लिए उस इंसान के अंदर चली जाती थी जो उसको पूजा के दिन छूता था। नागराज अपने महल में तपस्या कर रहे थे वहा केवल देविका, नागराज और नागराज का पुत्र दक्ष थे। नागराज ने अपने पुत्र दक्ष को देविका के साथ कमरे में सुला दिया । दक्ष भी अभी केवल 5 साल का है। 🗯💫



नगराज अपनी मणि की पूजा करके उसको एक सुरक्षित स्थान पर रख कर अपनी आंख बंद करके तपस्या करने के लिए तैयार हो जाते हैं। नागराज की आंखें अब तपस्या खत्म होने तक खुलनी नहीं चाहिए, क्योंकि अगर ऐसा हुआ तो उनकी तपस्या अधूरी रह जाएगी और नागमणि की शक्तियां दोगुणी नहीं हो पाएंगी। ऐसा ही हुआ नागराज ने तपस्या के लिए आँखे बंद की और मंत्र जाप करने लगे। जेसे ही उनकी तपस्या पूरी होने ही वाली थी कि अचानक तेज आंधी आई और देविका के कमरे का दरवाजा खुल गया। दरवाजे की आवाज होने की वजह से देविका उठ गई और रोने लगी। देविका रोते रोते कमरे से बाहर आयी तो अचानक उसको एक चमकती चीज सामने रखी दिखाई दी। वह 3 साल की नादान बच्ची यह नहीं समझ पाई कि जिस चीज को वो देख रही है वह कोई साधारण चीज नहीं बाल्की नागराज की मणि थी। देविका धीरे-धीरे उस मणि के पास गई। चमकती हुई चीज को देखकर उसे दोनों हाथो से उठने का प्रयास किआ कुकी वह उसको खिलौना समझ रही थी। जैसे ही देविका ने मणि को हाथ लगाया तो मणि गायब हो गई। देविका मणि को हाथ में उठाते ही बेहोश हो गई। नागराज की आंख खुल गई और वह बहुत ज्यादा घबरा गए, क्योंकि उनकी तपस्या भंग हो गई थी। दक्ष भी अब उठ चुका था और दरवाजे पर खड़ा सब कुछ देख रहा था। नागराज ये सब देख कर बहुत जोर से चिल्लाने लगे और चिल्लाते हुए बोले कि भोलेनाथ ये कैसा अनर्थ हो गया अब मैं अगले 18 साल केवल सांप बनकर रह जाऊंगा, क्योंकि बिना मणि के वह अपनी मर्जी से इंसानी रूप में नहीं आ सकते। अगले 24 घंटे के अंदर नागराज सांप बन जाएंगे और 18 सालो तक केवल इसी रूप में रहेंगे। आखिर मणि देविका के हाथ लगते ही कहां गायब हो गई आपको क्या पता है। 😒😕

चलिए जानते है की मणि कहा गयी 🙃😇🫣

मणि को हाथ लगाने वाले व्यक्ति के अंदर मणि चली जाती थी ऐसा मैं आपको पहले बता चुकी हु । मणि को हाथो में उठते ही मणि देविका के अंदर चली जाती है अब अगले 18 साल देविका के अंदर ये मणि रहेगी। मणि की शक्तियां भी देविका के अंदर ही रहेंगी। बस बस अब आपको पता लग गया होगा देविका की आंखे नीली होने का राज और उसके माथे की चमक?? क्या नहीं?? दरसल मणि की सारी शक्तियां देविका के अंदर होने की वजह से देविका इतनी सुंदर दिखती थी और उसकी आंखों में ज्यादा देर देखने से कोई भी सम्मोहित हो जाता था।।इसलिए ही उसकी आँखों में भी शक्तियाँ होने की वजह से उसकी आँखे नीली और खूबसूरत थी।।आगे की कहानी जानने के लिए जुड़े रहे पॉकेट नॉवेल के साथ ।।।💭💭💕



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