Pyaar Beshumar - 7 in Hindi Fiction Stories by Aarushi Thakur books and stories PDF | प्यार बेशुमार - भाग 7

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प्यार बेशुमार - भाग 7






"काव्या....," ममता जी ने काव्या को चुप करवाते हुए कहा ।
सोनिया ने कहा, "वैसे इसे देख कर लग नहीं रहा की ये तुम्हारी फ्रेंड है । आई मीन लुक at हर कैसे बहन जी टाइप कपड़े पहने है ।"

अब आगे 
" बहन जी, तुम्हे किस एंगेल से बहन जी लग रही है ,, मतलब तुम्हारी तरह इसने छोटे कपड़े  नहीं पहने इसलिए ,, तो लिसेन ये बहन जी नहीं है "   और काव्या अभी और भी बोलने वाली थी की ममता जी ने कहा  जी ने बिच मे कहा , " सोनिया ये कैसे बात कर रही हो ?  " 

"सॉरी आंटी पर मेरा वो मतलब नहीं था , मैं तो जस्ट , अगर आप लोगो को बुरा लगा हो तो सॉरी , "सोनिया ने कहा और अपना खाना खाने लगी।  

वैसे तुम ना कुछ बोला ही मत करो , काव्या ने चिढ़ते हुए कहा और बोली , मोम मेरा हो गया मैं अपने रूम में जा रही हूं और सीरत से कहा , " तू भी रुम मे आ जाना ।  " 

सीरत भी सोनिया को  अभी कुछ बोलना चाहती थी । पर सबके सामने कोई सीन क्रिएट नही करना चाहती थी । ऐसा नहीं था की सीरत सुना ना सके  वो तो बातो बातो मे ऐसा बोलती है की लोगो का दिल होता है क्यों ही मुँह लगाया । पर अफ़सोस  सीरत ने अपनी जुबान पर ताला मार लिया । और चुप चाप   उसने अपना खाना खत्म किया और कहा आंटी अंकल मेरा भी  हो गया  मैं भी चलती हूं तेरे साथ , सीरत ने काव्या की ओर देखा और चेयर से उठ कर काव्या के साथ चल दी । 

नितिन उन दोनो को  जाते हुए देख रहा था ।  डैड मै भी अपने रूम में हूं ।  

अब डाइनिंग एरिया में ममता जी , सुरेश जी और सोनिया ही रह गए थे ।

"बेटा तुम्हे ऐसे नही बोलना चाहिए था । उस बच्ची को बुरा लगा होगा ।", ममता जी ने कहा ।

"आंटी .... मैंने कोन सी गलत बात बोल दी" , सोनिया ने इतराते हुए कहा ।

"जाने दीजिए ममता , आप खाना खाए" , सुरेश जी ने कहा। 

ऊपर काव्या के रूम में , सीरत बेड पर पिलो को पकड़ कर बैठी थी  । और काव्या तब से इधर उधर चकर लगाते हुए सोनिया को कोस रही थी ।

हाउ डेयर टू टॉक लाइक this ? आई कील हर उसकी हिम्मत कैसे हुई मेरी दोस्त से ऐसे बात करने की , काव्या ने गुस्से में कहा ।

"हे, काम डाउन यार , तुझे क्या लगता है मैं उसे जवाब नही दे सकती क्या ? ", सीरत ने उसका हाथ पकर अपने पास बैठते हुए कहा । 

"वही तो तू बोली क्यों नही" , काव्या ने सवाल किया ।

तभी   नितिन ने अंदर आते हुए बोला , " सही कहा काव्या तूने वैसे तो इसकी जुबान कैंची की तरह चलती है और जहां बोलना चाहिए था वहा चुप रही । " 

"आप मेरा मजाक उड़ा रहे है, और रही बात कुछ न कहने की तो मैं सब के सामने सीन क्रिएट नही करना चाहती थी  । नही तो नीचे अंकल आंटी क्या सोचते एक दिन के लिए आई और तमाशा क्रिएट कर दी ", सीरत ने समझाते हुए कहा ।

"पर मुझे गुस्सा आ रहा है क्या करू ? ," काव्या ने गुस्से में उठते हुए कहा । 

"तुम्हे क्यों आ रहा है उसने तो मुझे कहा न" , सीरत ने कहा । 
"बस आ रहा है , मैं अपने लिए कॉफ़ी ले कर आती हूं।  तू पिएगी और भाई आप भी बता दो मुझे" , काव्या ने कहा  ।

"नही मुझे नहीं चाहिए ,"  सीरत ने मना करते हुए कहा ।
"मेरे लिए ले आ ,"  नितिन ने कहा  ।
काव्या वहा से नीचे किचन की ओर आ गई । अब कमरे में नितिन और सीरत ही थे ।
नितिन ने सीरत से कहा , " वैसे तुम्हे अपना इम्प्रेशन अच्छा क्यों रखना था  क्या मै इतना पसंद आगया  की.... । " कह अपनी बात अधूरी छोड़ दी ।
" अरे हटिये,, वो तो मै बस ऐसे ही , "  सीरत  ने काहा ।
" ऐसे ही क्या ? क्या मै अच्छा नही ,, "  नितिन ने सीरत के पास आते हुए कहा ।
" नहीं !, "  सीरत ने जकदम कहा ।
" हं.... क्या ? " फिर खुद को आईने के सामने देखने लगा  और सीरत उसको देखने लगी फिर जोर जोर से हसने लगी ।
" क्या हुआ  अब क्यों हस रही हो ? ", नितिन ने सीरत को देख कर कहा ।
" अरे नहीं आप अच्छे हो ? पर ये नहीं है की आपकी फैमिली को इम्प्रेस करना है  वो भी आपके लिए  कुछ भी आप मजाक अच्छा करते ही वैसे  । मै नहीं चाहती की आपकी फैमिली को लगे की कितनी बत्तमीज लड़की है  बस इसलिए और मेरे लिए बोलने वाली काव्या थी और शायद आप भी...  " , सीरत ने हस्ते हुए कहा । 
नितिन सीरत की इतनी समझदारी भड़ी बाते सुन उसे ही देखे जा रहा था  ।  और करीब आने लगा । सीरत ने नितिन की तरफ देखा जो उसे ही देखते हुए करीब आरहा था तो कहा , " आप मुझे क्यों घूर रहे हो जैसे की मैंने पता नही क्या ही कह दिया  ।" 

"मैं कहा घूर रहा हूँ  । एंड मै ये सोच रहा हु तुम इतनी समझदार कब हुई ," नितिन ने शरारती मुस्कान के साथ कहा और झट से सीरत के हाथ को पकड़ते हुए करीब कर लिया ।

"क्या मतलब है आपका" , सीरत ने अपने हाथ को नितिन के सीने और रख कर घूरते हुए कहा  ।

"सिंपल जब मुझसे मिली तो इतना सुनाया अभी एक दम समझदार , " नितिन ने उसे छेड़ते हुए कहा ।

"यू... आपका मतलब है की मैं समझदार नही" , सीरत ने चिढ़ते हुए कहा ।

नितिन ने हां में गर्दन हिलाया  । सीरत ने उसे धका दिया और बिस्तर पर रखे पिलो को वापस से उठा कर ।  उसी से नितिन को मारने लगी । नितिन ने उसे खुद की ओर अटैक करते हुए देखा तो वहा से भागने लगा । वे दोनो टॉम एंड जैरी की  तरह यहां से  वहा भाग रहे थे । 

सीरत भागते भागते थक गई और वही बेड पर आकर बैठ गई । सीरत हाफ रही थी और नितिन हस रहा था  । और हस्ते हुए ही बोला , " क्या हुआ थक गया बच्चा? " 

सीरत ने घूर के नितिन को देखा और उसके ऊपर वही से बैठे बैठे पिलो फेंका और बोली, " आप अपना बहुत बुरे हो । " जो पिलो ने सीरत ने नितिन पर फेका उसे नितिन ने कैच कर लिया  ।

नितिन ने वापस से उसके ऊपर फेक दिया जो सीधा सीरत के फेस पे लगा। और सीरत मुंह बना कर बैठ गई । 

काव्या दो कप कॉफी ले कर रूम में आई उसने सीरत को बेड पर मुंह फुलाए देखा तो उससे पूछा , " क्या हुआ ? अभी तक तो ठीक थी तू । "

फिर अपने भाई की और देखा  । और इशारे से पूछा ।



प्लीज आप लोग रिव्यूज de दीजिए इससे हौसला मिलेगा  की मैं अच्छा लिख रही हूं , आप लोग रिव्यूज नही देते है  तो बुरा लगता है  । 🙏



आगे जानने के लिए पढ़ते रहिये " प्यार बेशुमार  "
मिलते है अगले भाग मे, 
आज के लिए अलविदा 🙏


~आरुषि ठाकुर ✍️