Bhay ka Kahar - 1 in Hindi Horror Stories by Abhishek Chaturvedi books and stories PDF | भय का कहर.. - भाग 1

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भय का कहर.. - भाग 1

 भय का कहर.....

गॉंव के किनारे पर स्थित एक प्राचीन हवेली थी, जिसे लोग "अन्धकार का किला" कहते थे। यह हवेली घने जंगल के बीचोबीच स्थित थी, जहां दिन में भी सूरज की रोशनी नहीं पहुंचती थी। इस हवेली के बारे में कहा जाता था कि वहां जाने वाला कोई भी व्यक्ति वापस नहीं लौटता। हवेली का इतिहास भी रहस्यमयी था। गांव वाले बताते थे कि सालों पहले यहां एक अमीर जमींदार रहता था, जिसने अपनी हवस और लालच में अनेकों निर्दोष लोगों की बलि दी थी। उनकी आत्माएं अब उस हवेली में भटकती हैं, और वहां किसी भी इंसान के आने पर उसे कभी जीवित नहीं छोड़तीं।

गांव में रहने वाला अर्जुन, एक साहसी और निडर युवक था। उसने कभी भी इन कहानियों पर विश्वास नहीं किया और उन्हें सिर्फ अंधविश्वास समझा। एक दिन, उसने अपने दोस्तों के साथ उस हवेली की जांच करने का फैसला किया। उसके साथ उसके तीन करीबी दोस्त - रोहन, सुनील, और विजय भी थे। वे सब अपने साहस को साबित करने के लिए तैयार थे।

अर्जुन और उसके दोस्त रात के समय हवेली के अंदर घुसे। जैसे ही उन्होंने हवेली के अंदर कदम रखा, दरवाजा अचानक बंद हो गया और चारों ओर घनघोर अंधकार छा गया। हवेली के अंदर की हवा भारी और सर्द थी, मानो वहां कुछ अदृश्य ताकतें घूम रही हों। दोस्तों ने अपनी टॉर्च जलाईं और चारों ओर देखा। हवेली के अंदर की दीवारों पर खून के धब्बे थे, और फर्श पर पुराने, जंग लगे हथियार बिखरे हुए थे।

उन्होंने एक-एक करके हवेली के कमरों की जांच शुरू की। हर कमरा पहले से ज्यादा भयावह था। एक कमरे में एक टूटी हुई कुर्सी पर एक सड़ी-गली लाश मिली, जो शायद सालों से वहां पड़ी थी। दूसरी ओर, एक कमरे की दीवारों पर पुराने, धूल भरे पन्नों से बच्चों की चीखें और रोने की आवाजें सुनाई दे रही थीं, मानो वे कागज के अंदर से जीवित हों। यह देखकर उनके रोंगटे खड़े हो गए। सुनील ने कहा, "हमें यहां से वापस चलना चाहिए। ये जगह हमें मार डालेगी।"

लेकिन अर्जुन ने अपने दोस्तों को समझाया कि यह सब उनके मन का भ्रम है और डर की वजह से वे ऐसा महसूस कर रहे हैं। उन्होंने अपनी जांच जारी रखी और हवेली के सबसे पुराने हिस्से में पहुंचे। इस हिस्से में एक बड़ा, जंग लगा ताला लगा हुआ दरवाजा था। अर्जुन ने ताला तोड़ने की कोशिश की, लेकिन ताला एक अजीब सी आवाज के साथ खुद ही खुल गया। उनके सामने एक गहरा, अंधकारमय कमरा था। कमरे के अंदर एक बड़ा ताबूत था, और ताबूत के चारों ओर काले धागे बंधे हुए थे, जिन पर किसी अज्ञात भाषा में मंत्र लिखे थे।

वे ताबूत के पास पहुंचे, और जैसे ही अर्जुन ने ताबूत का ढक्कन खोला, कमरे में अचानक से ठंडी हवा चलने लगी। ताबूत के अंदर एक कंकाल था, जिसकी आंखों के गड्ढों से खून की धारें बह रही थीं। अचानक, कंकाल ने अपनी आंखें खोलीं और एक खौफनाक आवाज में बोला, "तुमने मुझे क्यों जगाया? अब तुम सब मारे जाओगे!"

कमरे की दीवारों से खून टपकने लगा, और…….


अगले भाग में पढ़ें.....
भय का गह्वर