Wo Daravani Chudel - 4 in Hindi Horror Stories by Tarkeshwer Kumar books and stories PDF | वो डरावनी चुड़ैल - 4

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वो डरावनी चुड़ैल - 4

सब लोग डर गए और बोले तू क्या कर रा हैं यहां तू तो नहीं आने वाला था ना।

वो बोला कोई नहीं बचेगा सबको लेके चली जाऊंगी। और चुड़ैल का रूप में आ गया और गायब हो गया।

सब लोग वापस घर की और भागे। तभी एक आदमी का पैर किसी ने पकड़ लिया और घसीटने लगा..

आदमी चिल्लाने लगा बचाओ बचाओ। लेकिन बाकी के लोग सब डर गए थे और पीछे मुड़ के भी देखने की हिम्मत नही हो रही थी उनकी।

सब भाग रहे थे एक साथ। तभी उन्होंने देखा के जिसे चुड़ैल ने पकड़ लिया था वो उनके दाईं और भाग रहा हैं पर ये क्या उस आदमी का सिर्फ कमर तक का शरीर दाईं और था और हवा में उड़ रहा था।

वहीं बाईं और कमर के नीचे का हिस्सा दौड़ रहा हैं।

मतलब चुड़ैल ने इस आदमी के शरीर के दो हिस्से कर दिया था।

सब चिल्लाने लगे और उस आदमी के शरीर को धक्का मार के आगे निकल गए और अपने घर के पास पहुंचे।

पीछे मुड़ के देखा तो कोई नहीं था। सबकी सांसे तेज थी और पसीने में तर तर थे।

उनके साथ गया वो आदमी अब दुनियां में नहीं रहा था। सबके आंखों में आसूं भी था और एक पछतावा की वो सब उसे बचा नहीं पाए।

वो लोग सीधा उस आदमी के घर गए जिसे चुड़ैल मोड पर मिली थी। सब उसके घर गए तो वो सोया पड़ा था।

सब बोले तुम पार्क में गए थे ना। वो बोला नहीं भाइयों में तो बस भगवान से प्रार्थना कर रहा था की तुम लोग सही सलामत आ जाओ।

पर तुम लोग ऐसा क्यों पूछ रहें हो। सबने बताया की चुड़ैल इस आदमी का रूप धारण कर के पार्क में घूम रहीं थी और उसने उनके एक साथी का कत्ल कर दिया।

वो चौंक गया और बोला के हत्या। पर किसकी हत्या।

सबने कहा के जो सबसे छोटा था हम सबमे जिसे हम प्यार से छुटकू कहते थे वो हमारा बीच में नहीं रहा।

गोलू चौंक गया। गोलू उसी का नाम था जिसे मोड़ पर चुड़ैल ने पकड़ा था। सबने कहा गोलू तुम किस्मत वाले थे जो तुम्हें उस चुड़ैल ने छोड़ दिया।

गोलू रोने लगा। छोटकू के लिए सब रोने लगे।

अगली सुबह छोटकू की लाश को सब लेने गए तो सड़क किनारे पड़ा हुआ था। उसकी शरीर पर कोई निशान नहीं था।पर कमर से दो टुकड़े में बट चुका था।

ऐसा प्रतीत हो रहा था की किसी ने खींच के दो टुकड़ा कर दिया हो।

पूरे शहर में डर का माहौल हावी हो गया था फिर से।सब डर हुए थे।

पहले बच्चे और अब जवान।क्या हो रहा हैं।

फिर से एक सभा बुलाई गई और सबसे उनके विचार मांगे गए।

लेकिन किसी के दिमाग में ये नहीं आ रहा था की उस बुजुर्ग को ढूंढा जाए और उनसे पूछा जाए कि क्या और कैसे किया जाए।

सबके आंखों में डर था और चेहरे उतरे हुए थे।

आगे की कहानी आगे के पार्ट में।

कहानी अच्छी लगी हो और अगला पार्ट चाहिए तो कमेंट करें।

यह कहानी काल्पनिक है इस कहानी को मैंने अपने विचारों से उत्पन्न किया है और अपने हिसाब से बनाया हैं। इसका किसी भी कहानी से कोई लेना- देना नहीं है अगर लेना देना है तो मात्र एक संयोग हैं।