Bairy Priya - 34 in Hindi Love Stories by Wishing books and stories PDF | बैरी पिया.... - 34

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बैरी पिया.... - 34

विला में शिविका का दम घुटने लगा तो वो जोरों से चिल्ला दी और उसकी चीख विला में गूंजने लगी ।


शिविका अपने घुटनों को समेटे दीवार से पीठ टिकाकर बैठ गई । उसका रोना अब सिसकियों में बदल चुका था । उसकी आंखें लाल पड़ चुकी थी पर अभी भी उनसे आंसुओं की बूंदें बहे जा रही थी । ।



शिविका ने अपनी हथेलियों से अपनी गाल से बहते आंसू को साफ किया और हिम्मत करके खड़ी हो गई ।


फिर गैलरी से जुड़े चारों दरवाजों को देखने लगी । । एक-एक करके शिविका चारों दरवाजों के पास गई । । आखिर में 1 दरवाजे के पास आई तो उसने देखा कि उस दरवाजे पर कोई लॉक नहीं था । शिविका ने दरवाजा खोला और अंदर चली गई ।


अंदर आकर शिविका ने देखा तो कमरे में गहरा अंधेरा था । रात का वक़्त था तो बाहर से कोई भी रोशनी नहीं आ रही थी । कुछ लाइट्स के बिंदु शिविका को दिखे तो वो उस ओर चल दी ।


यह लाइट के बिंदु सामने के शहर में जल रही लाइट्स के थे जो शिविका को बड़ी सी ग्लास वॉल से दिखाई दे रहे थे ।


शिविका ग्लास विंडो के नजदीक पहुंचे तो उसे समझ आ गया था कि सामने ग्लास वॉल लगी है । शिविका वॉल पर हाथ रखते हुए लाइट के स्विच को ढूंढने लगी ।


एक स्विच पर उसका हाथ लगा तो शिविका ने स्विच दबा दिया । कमरे में लाल रंग की लाइट जल उठी ।


शिविका ने देखा तो सामने एक बड़ा सा बार कैबिनेट था जिसमे तरह तरह के ड्रिंक्स थे और उसके बगल में smoking area बना हुआ था जहां कुछ सिग्रेट्स ओर हुक्का रखा हुआ था ।


शिविका smoking area की ओर चल दी । फिर वहां पड़े सिगरेट के पैकेट्स्स को देखने लगी । कुछ पुरानी यादें उसकी आंखों के आगे चलने लगी ।



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फ्लैश बैक :


पुलिस की वर्दी पहने एक 23 साल का लड़का नदी के उपर बने पुल पर खड़ा था । और बहती हुई नदी को देखकर सिगरेट सुलगाए जा रहा था ।


शिविका पीछे से आई और उसके गले से हाथ डालकर उसकी पीठ पर लटक गई ।


लड़के ने अपने गले के पास शिविका के हाथों पर हाथ रखते हुए कहा " क्या कर रही हो शिवि..... ?? " ।

बोलते हुए लड़के ने शिविका को पीठ से नीचे उतारा और आगे लाकर अपनी बाहों में गिरा लिया ।

शिविका ने उसके गले में हाथ लपेट लिए ।


शिविका ने लड़के के हाथ से सिगरेट ली और उसे घूरते हुए बोली " नरेन..... " ।


लड़का शिविका की आंखों में देखने लगा ।


( ये है नरेन श्रीवास्तव... । अपने एरिया के SI । Warm beige skin tone और परफेक्ट बॉडी लुक्स वाला स्मार्ट सा लड़का । जिसपर कोई भी लड़की फिदा हो जाए । )


नरेन सिगरेट वापिस लेते हुए " शिविका don't do this.... " ।


शिविका सीधी खड़ी हुई तो नरेन ने उसे लिफ्ट करके पुल के साइड बने पिलर पर बैठा दिया । ।


शिविका " क्यों पीते हो नरेन सर.... " ।


नरेन " आदत है शिविका मैडम... " ।


शिविका " अच्छी नहीं होती... छोड़ दीजिए ना.... " ।


नरेन " नही छूटती है.... बचपन से पीता हूं.. ।"


शिविका " आपके लिए सिगरेट ज्यादा जरूरी है या मैं... ??? "।


नरेन " ये कैसा सवाल है... । तुम्हारा और सिगरेट का क्या कंपेरिजन.... ?? " ।


शिविका जिद्द करते हुए " बताइए ना... " ।


नरेन धुआं बाहर छोड़ते हुए " तुम.... तुम ज्यादाा जरूरी हो.... " ।


शिविका " तो छोड़ दीजिए ना.... वैसे भी क्या मिलता है आपको इससे.... । कलेजाा जलाती है तो नुकसान ही तो करती है.... " । बोलकर शिविका ने उसकी आंखों में देखा ।


नरेन शिविका के पैरों के बीच खड़ा था । शिविका ने उसकी पीठ पर हाथ लपेट लिए और उसके सीने पर सिर रख दिया ।


नरेन ने सिगरेट झाड़ी और फिर एक गश लगाते हुए बोला " अकेलापन जब खलता है तो कोई चीज नहीं भर पाती... । मेरी जिंदगी में कोई नही है शिविका... । तुमसे मिलकर थोड़ा हंसा हूं.. वर्ना हंसी क्या होती है मुझे तो ये भी नहीं पता था.... ।


पर फिर भी कभी कभी ये अकेलापन ना बोहोत खलता है... । दिल जलता है.... बोहोत बोहोत जलता है । और उसके आगे ये सिगरेट की जलन तो कुछ भी नही है । सिगरेट की जलन से कलेजा जलाकर राहत सी मिलती है... । अंदर की जलन को जलाकर शांति मिल जाती है । बल्कि शराब और सिगरेट दोनो ही अंदर आग जलाकर अकेलेपन के दर्द को थोड़ा कम कर देते हैं । कुछ पल को ही सही..... पर भूल जाता हूं.... " ।


शिविका ने महसूस किया कि नरेन कितना अकेला था । शिविका ने नरेन के गाल पर अपने होंठ रख दिए और kiss कर दिया ।


नरेन ने उसे कसकर सीने से लगा लिया और सिगरेट को बुझाकर फेंक दिया ।


और शिविका के कान में बोला " love you DILJANI..... " ।


शिविका ने उसके गले से लगे हुए पूछा " दिलजानी मतलब क्या ?? " ।


नरेन उसके बाल सहलाते हुए " दिलजानी मतलब तुम.... " ।


शिविका " मैं दिलजानी कैसे.... ?? " ।


नरेन " diljani मतलब कोई बोहोत ही खास और बोहोत ही प्यारा.... जो दिल के बोहोत नजदीक हो । और तुम मेरे दिल की जान जो हो... । तो तुम मेरी दिलजानी हो.... " बोलकर नरेन ने उसके माथे पर किस कर दिया । और शिविका के चेहरे पर हाथ रख कर उसे देखने लगा । शिविका मुस्कुराई और नरेन के हाथ पर अपना हाथ रख दिया । फिर वो भी उसकी आंखों में देखने लगी ।


फ्लैश बैक एण्ड ।



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शिविका की आंखों में इस याद के आते ही आसूं तैर आए । और कुछ बूंदें टपक पड़ी ।


शिविका ने पास रखे पैकेट में से एक सिगरेट निकाली और लाइटर उठा कर जला दी । फिर होंठों से लगा ली । उसे पीनी नही आती थी । वो बस धुएं को अपने अंदर लेना चाह रही थी और धुआं अंदर जा भी रहा था लेकिन शिविका को कुछ खास फर्क पड़ नहीं रहा था ।


सिगरेट का धुआं उसके अंदर जल रही आग से ज्यादा नही जला रहा था । शिविका ने सिगरेट दीवार से रगड़कर फेंक दी फिर बार कैबिनेट से एक व्हिस्की की बॉटल और एक ग्लास निकाला । फिर व्हिस्की को ग्लास में भरकर... उसे नीट ही एक सांस में गटक गई ।


उससे भी दिल को राहत नहीं मिली तो शिविका ने एक और ग्लास भर लिया और पी गई । इसी तरह शिविका गिलास पर गिलास पीनेे लगी । उसकी आखों के आगे कुछ चेहरे घूमने लगे । और कानों में आवाज़ें गूंजने लगी " लव यू दिलजनी... तुम मेरी सब कुछ हो.... , मैं नही रहूंगी तो पता नही क्या होगा इसका.. , अरे मेरा बहादुर बच्चा है... , तू हमेशा मुझे मरवाती है.. बहन है या जेलर... , पाखी दी शिवि दी आपको नौकरानी बोल रही है... , We all love you shivi.... " ।


शब्द शिविका के कानों में गूंजने लगे तो शिविका ने कान पर हाथ रख दिए । फिर ग्लास में और ड्रिंक डालने लगी तो बॉटल अब खाली हो चुकी थी । एक पूरी बोतल को शिविका खत्म कर चुकी थी । उसका सिर अब भारी होने लगा था । और सब कुछ धुंधला धुंधला सा दिखाई देने लगा था ।


शिविका ने बॉटल को जोर से जमीन पर पटक दिया । कांच के टूटने की आवाज हुई और फ्लोर पर कांच बिखर गया ।



शिविका की आंखें लाल थी । वो गहरी सांसें लिए जा रही थी । वो एक और बॉटल निकालने लगी कि इतने में किसी के उस ओर आने की आहट शिविका को सुनाई दी ।


शिविका दरवाजे की ओर देखने लगी । संयम दरवाजे के पास खड़ा होकर अंदर देखने लगा । कांच टूटने की आवाज सुनकर वो उस ओर आया था । कुछ पल संयम जेब में हाथ डाले वही खड़ा रहा और शिविका को देखता रहा । संयम को सिगरेट जलने की स्मेल आने लगी । उसने फ्लोर की तरफ देखा तो नीचे कांच टूट कर बिखरा पड़ा था ।


संयम ने शिविका की ओर कदम बढ़ा दिए । शिविका के पास आकर संयम गौर से उसके चेहरे को देखने लगा । शिविका भी बेसुध सी संयम को देखने लगी । फिर अपनी आंखें मलते हुए उसने संयम के सीने को छुआ और फिर उसके चेहरे पर हाथ फेरने लगी ।


संयम बिना किसी प्रतिक्रिया के वैसे ही खड़ा रहा और शिविका की हरकतों को देखने लगा ।


संयम गहरी आवाज में बोला " यहां क्या कर रही हो... ?? " ।


शिविका लड़खड़ाती की आवाज में " हह... अकेलापन खत्म करने आई थी.... पर साला जा ही नहीं रहा... । दे देखो ना... पूरी बोतल खत्म हो गई पर... पर फिर भी मेरे दिमाग से कुछ भी नहीं गया । बल्कि अब तो सब कुछ आंखों के सामने दिखाई दे रहा है और बातें..... बातें भी कानों में गूंज रही है.... । कुछ.. कुछ काम का नही है ये सब... । झूठ बोलते हैं सब... । ये कोई गम नही मिटाता... । बल्कि और भी ज्यादा दिल जलाने का काम करता है... " बोलते हुए शिविका लड़खड़ाकर गिरने को हुई तो संयम ने उसे बाजू से पकड़ लिया ।


शिविका ने उसे hug कर लिया । संयम एक हाथ जेब में डाले और दूसरे हाथ से उसकी बाजू को पकड़े खड़ा रहा ।


शिविका " आप क्यों मेरे साथ हैं... ?? आप क्यों मुझे बचाते हैं... ?? आपको तो मुझसे कोई मतलब भी नहीं है... और आपको तो मुझसे कोई प्यार भी नही है... । तो फिर क्यों.... ?? क्या आप भी अकेले हैं इसलिए मुझे साथ रखा है... ?? " । शिविका ने बोहोत मासूमियत से रूआंसा हुई आवाज में पूछा । संयम कुछ नही बोला ।


शिविका " बोलिए ना..... । "


संयम उसे पकड़कर बाहर ले जाते हुए " चढ़ गई है तुम्हे... चलो सो जाओ.... " ।


शिविका भी उसके पीछे पीछे चल दी । संयम ने लाइट ऑफ की और वहां से बाहर निकलने लगा तो शिविका ने उसेे hug कर लियााा और उसके सीने पर सिर रख दिया । फिर शिविका सिसकने लगी । संयम बिना किसी भाव के उसे देखने लगा ।



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