Bairy Priya - 26 in Hindi Love Stories by Wishing books and stories PDF | बैरी पिया.... - 26

The Author
Featured Books
  • નિતુ - પ્રકરણ 52

    નિતુ : ૫૨ (ધ ગેમ ઇજ ઓન)નિતુ અને કરુણા બંને મળેલા છે કે નહિ એ...

  • ભીતરમન - 57

    પૂજાની વાત સાંભળીને ત્યાં ઉપસ્થિત બધા જ લોકોએ તાળીઓના ગગડાટથ...

  • વિશ્વની ઉત્તમ પ્રેતકથાઓ

    બ્રિટનના એક ગ્રાઉન્ડમાં પ્રતિવર્ષ મૃત સૈનિકો પ્રેત રૂપે પ્રક...

  • ઈર્ષા

    ईर्ष्यी   घृणि  न  संतुष्टः  क्रोधिनो  नित्यशङ्कितः  | परभाग...

  • સિટાડેલ : હની બની

    સિટાડેલ : હની બની- રાકેશ ઠક્કર         નિર્દેશક રાજ એન્ડ ડિક...

Categories
Share

बैरी पिया.... - 26

संयम ने शिविका को गोद में उठाया और गाड़ी में बैठाकर निकल गया ।


दक्ष ने लड़कों को घूरा और फिर बाहर खड़ी गाड़ियों के कांच तोड़कर सड़क पर बिछा दिया और उन लोगों को रस्सी से गाड़ी में बांधकर दक्ष ने गाड़ियां चलवा दी ।


सड़क पर खून ही खून फ़ैल गया । दक्ष ने ये सब देखा पर एक पल को भी पलक नही झपकाई । उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं आए । लड़कों की चीखें उसके कान में पड़ी तो दक्ष गाड़ी लेकर वहां से निकल गया ।


वहीं दूरबीन पकड़ी तनीषा ने जब ये देखा तो उसके हाथ से दूरबीन छूट गई । वह शिविर करने लगी थी । उसी समझ नहीं आ रहा था कि आखिर ये इंसान कौन था जिसने शिविका को हाथ लगाने वालों को इतनी दर्दनाक मौत दी थी ।


और अगर कहीं उन लोगों ने उस इंसान के सामने तनीषा का नाम ले दिया होगा तो वो इंसान तनीषा का क्या हाल करेगा ये बात तनीषा सोचना भी नहीं चाह रही थी । उसने जल्दी से गाड़ी स्टार्ट की और वहां से निकल गई ।



° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° °
° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° °


संयम शिविका को लेकर विला पहुंचा तो शिविका बेहोश हो चुकी थी । संयम ने उसे गोद में उठाया और डॉक्टर के केबिन में ले गया ।


शिविका को काफी चोटें आई थी । उसके चेहरे पर कांच से कट लगे थे , बाजुएं छिल गई थी घुटनें भी छिले हुए थे और हाथ की तो मानो टूट ही गई थी । डॉक्टर ने उसे बैंडेजेस लगाई और कुछ इंजेक्शंस देकर उसके हाथ में प्लास्टर चढ़ा दिया ।


शिविका पूरे टाइम बेहोश ही थी और संयम चेयर पर बैठा सिगरेट सुलगाता हुआ उसे देखे जा रहा था ।
डॉक्टर अपना काम करके चला गया ।


शिविका को कुछ वक्त बाद होश आया तो संयम उसके सामने खड़ा था । संयम ने उसे गोद में उठाया और बाहर डाइनिंग टेबल के पास बैठा दिया ।


सर्वेंट ने आकर सामने एक बाउल में सूप रख दिया ।
शिविका का दांया हाथ फ्रैक्चर था तो वो बाएं हाथ से स्पून पकड़ने लगी । लेकिन वो हाथ भी चोटिल था तो सही से move नहीं हो रहा था ।


संयम ने अपनी चेयर को उसके नजदीक सेट किया और उसके हाथ से स्पून पकड़ा और खुद उसे पिलाने लगा । शिविका हैरान सी उसे देखने लगी । वहीं पीछे खड़ा सर्वेंट भी बोहोत हैरानी से उसे देखे जा रहा था । इस तरह का बिहेव उसने आज से पहले कभी नहीं किया । जेंडर का संयम को कोई फर्क नही था । और वह किसी की भी केयर कभीी नहीं करतााा था ।



हालांकि ये बात अलग थी कि वो लड़कियों पर हाथ नही उठाता था । इसके अलावा कभी कोई उसके साथ ना दिखी और न ही उसने किसी की ऐसे केयर की । तो आखिर शिविका में ऐसा क्या था ?? ।
सर्वेंट जो हमेशा सिर झुकाए खड़े रहते थे वो इस वक्त छुप छुप कर संयम के इस नए स्वभाव को देख रहे थे ।


दक्ष अंदर आया तो संयम को शिविका को सूप पिलाता देख वो भी हैरान हो गया । उसके तेज़ी से बढ़ते कदम अब धीमे चलने लगे ।


" ये SK क्या करने लगे हैं... ?? क्या उन्होंने बेबी सिटिंग का काम शुरू कर दिया है... ?? " दक्ष ने मन में कहा और अंदर आ गया ।


संयम के सामने खड़ा होकर दक्ष बोला " SK वो... सारे.. ल... " दक्ष ने ऐसा कहा ही था कि इतने में संयम ने उसे हाथ दिखाकर रोक दिया ।


दक्ष चुप हो गया । संयम ने शिविका का मुंह साफ किया और उसे लेकर लिफ्ट में चला गया । शिविका चुप चाप उसे देखे जा रही थी । उसे फील हो रहा था जैसे वो संयम के लिए बोहोत स्पेशल हो ।


संयम ने रूम में आकर उसे सोफे पर बिठाया और दवाई खिला दी । शिविका ने भी चुपचाप उसके हाथों से दवाई खा ली ।


शिविका को सोफे पर लिटा कर संयम बाहर निकल गया । शिविका लेते हुए सीलिंग की तरफ देखने लगी ।


" ये कैसे हो सकता है शिवि... आखिर ये राक्षस जेंटलमैन कैसे बन गया... ?? " । शिविका खुद में ही बड़बड़ाने लगी । " ह... कहीं बकरे को हलाल करने से पहले खिलाया पिलाया तो नहीं जा रहा ना... । नई नई... इनको उसकी क्या ही जरूरत.. ये तो जब चाहे तब टपका दें... । तो फिर अभी ऐसा क्यों.. ?? उन लड़कों को मौत देने में तो एक पल को भी नहीं सोचा और मेरी चोटों का इतना खयाल रख रहे हैं कि पूरा मिजाज़ ही बदल गया । " बोलते बोलते शिविका को नींद आ गई ।


संयम जब नीचे गया तो अपने मीटिंग रूम में चला गया । दक्ष पहले से ही वहां पर मौजूद था । दक्ष ने उसे काम अच्छे से हो जाने का बोला । संयम ने सिर हिला दिया ।


दक्ष " और SK जो डील हमने साइन की थी... उसका ट्रांसपोर्टेशन भी शुरू हो गया था । काला सोना यहां से बाहर ले जाने का रास्ता भी देखा हुआ था । अंडरग्राउंग सुरंग से फाटक क्रॉस हो जायेगा... । उसको बनाने के लिए दूसरी पार्टी देख रही है... । और उसके बाद पानी के रास्ते माल़ को बाहर भेज देंगे..... । अपना डिपार्टमेंट पानी वाला है ।


इस बीच अगर कुछ भी गड़बड़ हुई तो अपुन बैक ऑफ कर जायेंगे... । और सामने वाली पार्टी अपने को न फंसाए इसका भी इंतजाम है... । वो फंस जायेंगे लेकिन फिर भी हम सप्लाई पूरी करेंगे... । और बाहर वाली पार्टी को माल़ मिल जायेगा.... " ।


संयम ने पेपर वेट को घुमाते हुए कहा " यही खासियत है दक्ष कि चाहे कुछ भी हो तुम काम नहीं रुकने देते । सारे काम हमारे होते हैं पर कभी नाम नही आता... । तुम बोहोत लकी हो दक्ष.... बोहोत लकी.. हो मेरे लिए... " ।


दक्ष " huh... SK आप हैं तो मैं हूं... । ये luck भी आपका ही है और ये ज़िंदगी भी आपकी ही... । मैं लकी हूं क्योंकि आपके साथ हूं... । और आज आपका जन्मदिन है ये भी मुझे याद है.. । 12 बज चुके हैं और आपका बर्थडे भी शुरू है । तो आप कहें तो मैं कुछ पीने का सामान ले आऊं... ??? " ।


संयम ने उसे देखा और हल्का मुस्कुरा दिया फिर सिर हिला दिया ।


दक्ष दो ब्रांडेड सनसेट रम की बॉटल लेकर आ गया और टेबल पर रख दी । फिर mix करके दो ग्लास में निकाल दी । संयम ने अपने ग्लास से आधे से ज्यादा ड्रिंक दक्ष के ग्लास में डाल दी ।


और एक sip में ड्रिंक खतम कर दी । दक्ष ने देखा तो बोला " ये क्या... आपने तो कुछ पिया ही नहीं... । आप बाकी दिन पी लेते हैं SK लेकिन इस दिन नहीं.... । मैं आज तक नहीं समझा.. । ऐसा क्या... ?? " बोलते हुए दक्ष ने ड्रिंक का ग्लास उठाया और होंठों से लगा लिया ।


" ये जन्मदिन वगैरा मेरी समझ के नहीं है दक्ष.. । एक साल कम हो जाने पर जश्न मनाने में मैं विश्वास नहीं करता... । और कुछ दिन याद ना ही रखे जाएं.. तो बेहतर होता है.... । बुरी चीजें भूल ही जानी चाहिए.. " । संयम ने बोला तो अब तक दक्ष एक ड्रिंक खतम कर चुका था । और एक और ग्लास अपने लिए भर रहा था ।



संयम ने देखा तो उठते हुए बोला " एंजॉय... " ।


" कहां जा रहे हैं SK... ?? कोई इंतजार कर रहा है क्या.... ?? " दक्ष ने पूछा तो संयम रुक गया ।
संयम ने पलटकर देखा तो दक्ष को चढ़ गई थी । संयम बोला " इंतजार कौन करेगा दक्ष... ?? " ।


दक्ष " शादी जो कर ली है आपने... । तो इंतजार तो कोई कर ही रही होगी ना SK... । वर्ना आप इस वक्त अपने रूम की ओर जाएं.... ऐसा तो मैने नहीं देखा । आप तो यहीं अपने बिजनेस की फाइलें देखते पढ़ते और साइन करते दिखाई देते थे । सोते हुए तो आपको कभी देखा ही नहीं..... " ।


संयम उसके पास आया और उसके कंधे पर हाथ रखते हुए बोला " शायद ही तुमसे ज्यादा कोई जानता होगा मुझे.... । पर दक्ष... जब तुम पीते हो तो जुबान ज्यादा चलने लगती है..... । कहीं ऐसा ना हो कि मैं काट दूं... " ।


संयम ने कहा तो दक्ष हंसने लगा और फिर खड़ा होकर उसके गले लगते हुए बोला " SK... दुनिया हो आप मेरी... । मार भी दोगे ना.. तो भी ये दक्ष रावल उफ्फ तक नही करेगा... " ।


संयम ने उसे वापिस से बैठाया और सिर हिलाकर बाहर निकल गया । बाहर खड़े बॉडीगार्ड्स से उसने दक्ष का खयाल रखने का बोला और फिर लिफ्ट में चला गया ।



° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° °
° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° °


कमरे में आकर संयम ने देखा तो शिविका सोई हुई थी और हल्का शिविर कर रही थी । संयम उसके पास गया तो शिविका कुछ बड़बड़ाए जा रही थी ।



संयम ने नजदीक जाकर सुना तो शिविका बोल रही थी " छोड़ो... छोड़ दो... मत करो.... " संयम ने सुना और फिर पीछे हट गया । शायद शिविका आज के इंसीडेंट को सपने में देख रही थी ।


संयम ने उसे अच्छे से कंबल ओढ़ाया और उसका हाथ शिविका के हाथ को टच कर गया । उसके शिविका का हाथ नॉर्मल से ज्यादा गर्म लगा । उसने शिविका का माथा छुआ तो उसे बुखार था ।


संयम ने अपनी जेब से रुमाल निकाला और फिर उसे गीला करके शिविका के माथे पर रख दिया । उसने अभी दूसरी दवाइयां ली थी तो उसे और कोई दवाई नहीं दी जा सकती थी । इसलिए संयम ने ठंडी पट्टी उसके माथे पर लगानी सही समझी.. ।


पट्टी रखकर संयम वाशरूम चला गया और जब बाहर आया तो पट्टी गर्म हो चुकी थी । बुखार बोहोत ज्यादा तेज था और पट्टी भी काफी गर्म हो चुकी थी ।


संयम ने एक और बार उसको ठंडे पानी में डालकर उसके सिर पर रख दिया । फिर बदला तो इस बार वो कम गर्म हुई थी ।


संयम ने रुमाल को बाथरूम में जाकर सूखने रख दिया । और कपड़े बदलकर बाहर आ गया । फिर अपने बेड पर चला गया । कुछ देर करवटें बदलने के बाद भी उसे नींद नहीं आई तो संयम उठकर बैठ गया और शिविका को देखने लगा ।



वो भी करवटें लिए जा रही थी । उसकी बाजू में प्लास्टर होने और चोट लगी होने के कारण उसे करवट बदलने में भी दिक्कत हो रही थी ।


संयम उठा उसके पास गया और उसके माथे को छुआ तो अब बुखार कम था । उसने शिविका के उपर से कंबल हटाया और उसे गोद में उठाकर बेड पर ले आया । ये पहली बार था जब उसने खुद किसी को अपने बेड पर सुलाया हो ।


संयम खुद उसके बगल में आकर लेट गया और उसके सिर को अपनी बाजू पर रखकर उसके करीब चला गया ।


शिविका का फ्रैक्चर्ड हाथ उपर की तरफ था । संयम ने उसके हाथ को आराम से अपने गले में डाला और शिविका को अपनी बाहों में भर लिया ।


कुछ ही देर में उसे भी नींद आ गई ।



° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° °
° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° °

° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° °
° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° ° °