Bairy Priya - 24 in Hindi Love Stories by Wishing books and stories PDF | बैरी पिया.... - 24

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बैरी पिया.... - 24





अगली सुबह :


शिविका उठी तो अपने आप को कंबल से कवर पाया ।


वो उठकर वाशरूम गई और फिर कपड़े लेकर बाथरूम में नहाने चली गई । बाहर आई तो सोफे पर एक बैग रखा हुआ था ।


शिविका ने देखा तो उसमे एक फोन का बॉक्स था । शिविका ने बॉक्स खोला और फोन निकाला । साथ ही एक सिम कार्ड भी रखा हुआ था ।


शिविका ने देखा तो पास ही में एक 5 लाख का चेक भी रखा हुआ था । संयम ने उसे दो कार्ड्स दिए थे । शिविका को उस वक्त ये खयाल ही नहीं था कि कार्ड से एक दिन में 5 लाख नही निकल सकते । लेकिन संयम ये बात जानता था और शायद इसीलिए उसने चेक साइन करके रखा था ।


शिविका ने सिम डालकर फोन ऑन कर दिया । और किसी का नंबर डायल करके फोन लगा दिया ।


सामने से फोन पिकअप हुआ तो शिविका बोली " पैसों का इंतजाम हो गया है.. । इसी नंबर पर अकाउंट नंबर भेज दीजिए... । काम अच्छे से होना चाहिए... मैं पैसे भेजती हूं.... "।


" Good.. । मैं नंबर भेजता हूं... " सामने से आवाज आई और फोन कट गया ।


शिविका बाहर बालकनी में आकर खड़ी हो गई और शहर को देखने लगी । फिर उसने चेक लिया और रूम से बाहर निकल गई ।


लिफ्ट से नीचे आकर शिविका ने देखा तो संयम सामने खड़ा था ।


शिविका ने फोन की ओर देखा और फिर बोली " मुझे बाहर जाना है.... । " ।


संयम " मुझे लगा फोन के लिए थैंक यू बोलोगी... " ।


शिविका " ये मुझे मुफ्त में नहीं मिला है... इसकी कीमत दी है मैने... तो थैंक यू बोलने की जरूरत नहीं है... " ।


शिविका ने बोहोत साफ साफ जवाब दिया था जो उसके निडर स्वभाव को दिखा रहा था । वर्ना संयम के आगे लोगों की जुबान अक्सर लड़खड़ा जाती थी ।


संयम ने सिर टेढ़ा करके उसे देखा और बोला " impressive... । पर बाहर जाने की तुमने कोई कीमत नहीं चुकाई है.. तो तुम कहीं नहीं जा सकती.... " ।

शिविका " मैंने अपनी आजादी दांव पर नहीं लगाई थी..... । तो आप मुझे बाहर जाने से नहीं रोक सकते ।



संयम ने आई रोल की और शिविका को घूरते हुए बोला " पहले भी बता चुका हूं butterfly....... यहां आना और यहां से जाना तुम्हारी मर्जी नहीं है ।


शिविका ने उसे देखा और बिना किसी भाव के बोली " तो आपको जो चाहिए ले लीजिए... । मैं कीमत चुकाने को तैयार हूं... । पर मेरा जाना जरूरी है... । फिक्र मत कीजिए भागूंगी नहीं... " ।


संयम ने उसके चेहरे को देखा तो एक determination उसे साफ दिखाई दिया ।
शिविका की बातों में भी उसे वहीं डिटरमिनेशन साफ महसूस हो रहा था ।


उसकी बात सुन संयम हंस दिया और बोला " भाग सकती भी नहीं... । पकड़ी जाओगी.... " ।


संयम लिफ्ट के अंदर आया और शिविका को अपनी ओर खींच लिया । शिविका उसके सीने से जा लगी । संयम ने उसके खुले बालों को एक तरफ किया और उसकी गर्दन पर होंठ रख दिए । शिविका ने आंखे मूंद ली ।


संयम ने उसकी ड्रेस की जिप खोल दी तो शिविका ने उसकी कमीज को हाथों में कस लिया । संयम ने उसकी ड्रेस को दांतों से पकड़कर उसके कंधे से नीचे
सरका दिया । फिर उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए ।


संयम शिविका के चेहरे को देखने लगा । उसपर कोई भाव नहीं थे । मानो शिविका ने पूरी तरह से खुद को संयम को सौंप दिया था । वो जब चाहे जो मर्जी करे शिविका उसे रोकने वाली नहीं थी ।



संयम बस उसके होंठों पर होंठ टिकाए खड़ा रहा और बड़े गौर से शिविका के चेहरे को देखने लगा । कुछ देर बाद उसने धीरे से शिविका की ड्रेस सही की और उसकी जिप को लगा दिया ।


फिर उसके होंठों से होंठ हटा लिए । शिविका को समझ नही आया अभी क्या हुआ उसे तो लगा संयम उसके साथ कुछ करने लगेगा. लेकिन वो तो पीछे हट गया । शिविका हैरान सी नासमझी से उसे देखने लगी ।


संयम पीछे होकर लिफ्ट की साइड से टिककर खड़ा हो गया । फिर बोला " kiss me... " ।


शिविका आंखें छोटी करके उसे देखने लगी । ये काम तो संयम खुद भी कर ही सकता था ।


शिविका " रोका थोड़ी है... कर लिजिए आप... " ।


संयम " सुना नहीं... । You have to kiss me.... "।


शिविका ने एक झलक उसे देखा और उसकी ओर कदम बढ़ा दिए । शिविका उसके पास आई तो संयम के चेहरे तक उसका चेहरा नहीं पहुंचा... ।


शिविका ने सिर उठाकर उसे देखा और बोली " नीचे झुकिए..... " ।


संयम " why... । तुम्हे kiss करना है तो तुम्हे उपर होना होगा... " ।


शिविका ने गहरी सांस ली और फिर पंजों के बल खड़ी हो गई और संयम के कंधे पर हाथ रख दिए । लेकिन फिर भी वो संयम के चेहरे तक नही पहुंची ।



संयम आराम से जेब में हाथ डाले खड़ा था ।
शिविका उसे घूरने लगी । संयम के चेहरे पर कोई भाव नहीं आया । और ना ही वो थोड़ा सा भी नीचे झुका ।


शिविका पीछे हटने लगी तो संयम ने उसकी कमर पर हाथ रखकर उसे अपने सीने से सटा लिया । शिविका के पैर संयम के पैरों के उपर चले गए ।


" It's a little help.... " बोलकर संयम ने उसकी कमर से हाथ हटा लिया ।


शिविका उसके पैरों पर अच्छे से पांव रखकर पंजे के बल खड़ी हो गई और उसके कंधों पर हाथों को रखकर उसके चेहरे तक पहुंच गई ।


शिविका उसके होंठों पर किस करने ही लगी थी कि इतने में संयम ने गाल आगे कर दिया । शिविका आंखें बड़ी किए उसे देखने लगी । उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि संयम उससे गाल पर kiss मांग रहा है ।


" i have lot of work... Do it fast... " संयम ने कहा तो शिविका को जैसे होश सा आया ।


शिविका ने उसके गाल पर होंठ रखे और हल्के से kiss कर दिया । उस पल में एक बोहोत ही प्यारा सा एहसास शिविका को छू गया । शायद ये पहली बार था जब कुछ प्यार जैसा शिविका को संयम के साथ महसूस हुआ था ।


शिविका उसके पैरों से नीचे उतर गई ।


" You may go now.... " बोलते हुए संयम ने लिफ्ट से बाहर की ओर इशारा कर दिया ।


शिविका बाहर निकल गई और दरवाजे की ओर बढ़ गई । दरवाजे पर पहुंचकर उसने एक बार पलटकर देखा तो संयम जेब में हाथ डाले लिफ्ट में ही खड़ा था और उसी की ओर देखे जा रहा था ।


कुछ सेकेंड्स देखने के बाद शिविका बाहर निकल गई । बाहर आकर देखा तो गाड़ी वहीं खड़ी थी और ड्राइवर बैठा हुआ था ।


शिविका आकर पिछली सीट पर बैठ गई ।


" बैंक चलिए...... " शिविका ने कहा तो ड्राइवर ने कार चला दी ।



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संयम अपने स्टडी रूम में जाकर बैठ गया और सामने टंगी तस्वीरों को घूरने लगा । उसकी आंखें बहुत गहरी थी । सन्नाटे से भरे कमरे में उसकी सांसों की आवाज बहुत साफ साफ सुनाई दे रही थी ।



" ये आग़ाज़ है तबाही का... । वो तबाही जो सब कुछ मिटा देगी । ( हंसते हुए... ) Huh.... । शायद मुझे भी ना छोड़े पर इसका आना बहुत जरूरी है । " बोलते हुए उसने टेबल पर रखा खंजर उठाया और सामने बनी बड़ी सी फोटो पर दे मारा ।



खंजर सीधा जाकर तस्वीर पर बने चेहरे के माथे के बीचों-बीच लगा ।



संयम बहुत डरावने लहजे में हंस दिया । फिर तिरछा मुस्कुरा दिया ।



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बैंक जाकर शिविका ने चेक से अमाउंट withdraw करवाया और भेजे गए अकाउंट में जमा करवा दिया ।


फिर वापिस आने लगी तो रास्ते में जाम लग गया । शिविका फोन में कुछ करने लगी कि इतने में पास की गाड़ी में बैठी तनीषा की नज़र उपर पड़ी । तनीषा ने गुस्से से मुट्ठियां भींच ली । फिर किसी को फोन घुमाकर बोली " i need your help.... " ।


सामने से आवाज आई " anytime.... क्या करना है... " ।


तनीषा ने तिरछा मुस्कुराया और उसे सब समझा दिया ।



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कुछ देर बाद जाम खुला तो शिविका ले ड्राइवर ने गाड़ी वहां से निकाल दी । सुनसान सी सड़क पर से जाते हुए ड्राइवर ने एकदम से गाड़ी रोक दी ।


शिविका बाहर देखने लगी । ड्राइवर ने सामने देखा तो गाड़ी सड़क के बीचों बीच खड़ी थी ।


" क्या हुआ... ?? " शिविका ने पूछा तो ड्राइवर बोला " पता नही मैम... एक गाड़ी खड़ी है... पता नहीं किसने बीच में ही खड़ी कर दी.. । मैं देखकर आता हूं... " ।ड्राइवर ने कहा और नीचे उतरकर आगे की ओर चल दिया ।



गाड़ी के पास पहुंचकर देखा तो अंदर कोई नहीं था । जैसे ही वो पीछे मुड़ा तो किसी ने एक मोटा सा डंडा उसके सिर पर दे मारा... । ड्राइवर चिल्ला दिया ।
शिविका खिड़की से बाहर देखने लगी तो कुछ लड़के ड्राइवर के पास खड़े थे ।


ड्राइवर जमीन पर गिर गया और उसके सिर से खून बहने लगा । शिविका आंखे बड़ी करके सामने देखने लगी ।



यह कौन थे जो सरेआम गुंडागर्दी कर रहे थे और यूं ही ड्राइवर को बिना बात के क्यों मारा था । ।


एक लड़के ने ड्राइवर को एक लात मारी और फिर शिविका की तरफ बढ़ने लगे ।



शिविका को कुछ गड़बड़ होने का एहसास हुआ तो उसने ने जल्दी से गाड़ी को अंदर से लॉक कर दिए और शीशे उपर चढ़ा लिए फिर फोन में संयम का नंबर देखने लगी ।


" अरे कुछ तो save किया होगा ना SK... । " बोलते हुए शिविका की उंगलियां तेजी से फोन पर चल ही रही थी कि इतने में गाड़ी का आगे का शीशा उन लड़कों ने जोर से डंडा मारकर तोड़ दिया । कांच उछल कर शिविका की ओर आए तो उसने अपने चेहरे के आगे हाथ रख दिए । लेकिन फिर भी कुछ कांच उसके चेहरे से लगकर cut लगा चुके थे ।


वहीं उसकी बाजुएं भी स्लीवलेस थी तो उनपर भी कांच से कट लगकर खून निकलने लगा था ।


एक लड़के ने आकर शिविका वाली सीट के कांच पर मारा तो शिविका दूसरी ओर को खिसक गई । उसने जल्दी से गाड़ी को अनलॉक किया और बाहर निकल गई ।


वहीं अपने विला में बैठा संयम शिविका की लोकेशन को देखे जा रहा था । काफी वक्त से उसे रेगिस्तान की बीच सड़क में खड़ा देखकर संयम की आंखें गहरा गई ।


वहीं शिविका जैसे ही गाड़ी से बाहर निकली तो एक लड़का उसके बिल्कुल सामने आकर खड़ा हो गया और उसे देखते हुए अजीब सा हंसकर देखने लगा । फिर उसके दोनो तरफ गाड़ी पर उसने हाथ टिका दिए ।



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