Bairy Priya - 20 in Hindi Love Stories by Wishing books and stories PDF | बैरी पिया.... - 20

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बैरी पिया.... - 20

संयम ने मेन काउंटर पर आकर बिल पे किया तो 30000 का बिल आया था । शिविका ने उसकी ओर हैरानी से देखा । उसने तो बस कुछ ही सामान और ड्रेसेज ली थी फिर इतना बिल कैसे आ गया ।


हालांकि वो पहले ही जानती थी कि वो मॉल काफी costly था ।


संयम शिविका को लेकर बाहर निकल गया । ड्राइवर ने bags गाड़ी में रख दिए थे । संयम ने शिविका को गाड़ी में बैठाया और दूसरी तरफ से आकर खुद गाड़ी में बैठने लगा ।



संयम बैठा ही था और ड्राइवर दरवाजा बंद कर ही रहा था कि इतने में शिविका जल्दी से दरवाजा खोलकर बाहर निकल गई और उसी वक्त एक गाड़ी उसके सामने आकर रूकी । शिविका गाड़ी में बैठ गई और वो गाड़ी वहां से निकल गई ।


ड्राइवर परेशानी से उसे देखने लगा । संयम के चेहरे पर कोई भाव नहीं आए । उसने आंखें बंद की और सिर पीछे सीट से लगा लिया । ड्राइवर ने उसे इस तरह से देखा तो वो घबरा गया । संयम की शांति का मतलब तबाही था ।


ड्राइवर आकर गाड़ी ड्राइव करने लगा ।


उसी वक्त दक्ष का कॉल संयम को आया । संयम ने फोन पिक किया और इयरबड्स से कनेक्ट कर लिया ।


दक्ष " SK वो..... " ।


संयम अजीब सी डरावनी और गहरी आवाज में " track her दक्ष... just track her.... i want her at any cost........ " । बोलते हुए वो अपनी उंगलियां खोलने और बन्द करने लगा ।


सिक्योरिटी हमेशा संयम के आस पास रहती ही थी इसीलिए दक्ष को पता चल गया था कि शिविका अभी भाग गई थी ।


और शिविका की ड्रेस पर एक ट्रैकर लगा हुआ था जिससे संयम को उसकी लोकेशन का पता चल सकता था ।


संयम ने फोन काट दिया ।


दक्ष ने उस गाड़ी के पीछे पहले ही गाडियां दौड़ा दी थी । और अब संयम के कहने पर वो शिविका की लोकेशन भी ट्रैक कर रहा था ।



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शहर से बाहर की ओर निकलती car में बैठी शिविका पीछे देख रही थी तो उनके पीछे की पूरी सड़क खाली थी । शिविका ने राहत की सांस ली ।


शिविका ने अपने बगल में बैठे राठी को देखा । जब वो मॉल में घूम रही थी तो एक लड़के ने उसे आकर एक कागज़ पकड़ाया था जिसमे उसे यहां से दूर ले जाने का एक मौका दिया जाना था ।


और जब वो गाड़ी में बैठी थी तो उसने बैकमीरर से राठी की गाड़ी को देख लिया था जिसमे से राठी से सिर बाहर निकालकर उसे बाहर आने को कहा था ।
उसी के इशारे पर शिविका गाड़ी से निकल गई थी ।
पर शिविका को ये समझ में नहीं आ रहा था कि उस वक्त संयम उसकी गाड़ी के पीछे क्यों नहीं आया ।


शिविका बोली " thank you so much... । आपने मेरी मदद की... " ।


राठी तिरछा मुस्कुराया और बोला " मदद तो तुमने मेरी की है शिविका..... " बोलकर उसने शिविका की गर्दन की तरफ देखा जिसपर ईगल का एक छोटा सा टैटू बना हुआ था । और हाथ पर अंगूठे और इंडेक्स फिंगर के बीच में एक स्टार का टैटू बना हुआ था ।


राठी ने शिविका का हाथ पकड़ लिया । और फिर शिविका के चेहरे की ओर देखते हुए तिरछा मुस्कुरा दिया ।


शिविका को उसका मुस्कुराना कुछ समझ में नहीं आया । तभी अचानक से गाड़ी के आस पास गोलियां चलने की आवाजें आने लगी ।


शिविका ने गाड़ी से बाहर झांकना चाहा तो गोलियां बिल्कुल गाड़ी के दोनो दरवाजों को छूकर गुजर रही थी । राठी के पीछे चल रही राठी के आदमियों की ही गाडियां राठी की गाड़ी को कवर करने लगी ।


शिविका वाली गाड़ी के ड्राइवर ने पूरी स्पीड में गाड़ी दौड़ा दी ।


शिविका ने पीछे मुड़कर शीशे से देखा तो पीछे की दोनो गाडियां अब आग की लपटों में थी । और उनके बीच में से काले रंग की बोहोत से गाडियां तेज़ी से उनकी तरफ आ रही थी । शिविका ने ध्यान से देखा तो सब पर SK का मार्क था ।


शिविका घबरा गई । ना जानेे क्यों उसे पहलेे से ही यकीन सा था कि संयम इतनीीीी आसानी से उसेे भागने नहीं देनेे वाला । और अगर इस बार फिर सेे वो पकड़ी़ी़ी़ी गई तो ना जानेेेे संयम क्या कर दे.... ।


राठी की गाड़ी तेजी से शहर के बॉर्डर से बाहर निकल गई । उसके पीछे ही संयम की गाड़ियां भी बॉर्डर क्रॉस कर गई ।


शूटर्स ने राठी की गाड़ी के उपर फायर किया और चारों टायरस को पंक्चर कर दिया । गाड़ी के गेर और एक्सीलरेटर पूरी तरह से था जिसकी वजह से गाड़ी सड़क पर घसीटने लगी ।


पीछे से आती एक गाड़ी में राठी की गाड़ी को टक्कर मार दी तो गाड़ी गोल गोल घूमते हुए स्किट करने लगी फिर कुछ आगे जाकर डैम से टकरा कर रुक गई । चारों तरफ गाड़ी के गोल गोल घूमने से धूल ही धूल हो गई थी और गाड़ी से भी धुआं निकल रहा था ।


राठी ने जल्दी से शिविका का हाथ पकड़ा और गाड़ी से नीचे उतरकर भागने लगा ।


राठी शिविका को लिए नदी पर बने पुल के उपर भागने लगा । शिविका भी पीछे देखते हुए भागे जा रही थी । तभी ब्रिज के दूसरी ओर से दक्ष कुछ आदमियों के साथ चलते हुए आया । और पिछली तरफ से भी आदमी चले आ रहे थे ।


तभी एक गाड़ी आकर ब्रिज पर रुकी संयम उसमे से बाहर निकला और गाड़ी से टिककर खड़ा हो गया । फिर आंखों के उपर से चश्मा हटाते हुए उसने शिविका को देखा । शिविका को अपनी शादी वाली रात का सीन याद आ गया ।



उस दिन भी उस लड़के से इसी तरीके से अपना चश्मा उतार था और वो भी अंधेरे में कुछ कुछ संयम की तरह ही नज़र आ रहा था । शिविका सोच में पड़ गई । क्या वो संयम ही था.... ??? ।



संयम फिर शिविका और राठी को घूरते हुए उनकी ओर बढ़ा तो राठी ने अपनी कमर के पास छुपाया हुआ चाकू निकाला और शिविका का हाथ पकड़ कर घुमाकर उसकी पीठ को अपने सीने से लगा लिया और उसके गले पर चाकू रख दिया ।


शिविका हैरान सी रह गई । उसे समझ नही आया कि आखिर राठी ये क्या कर रहा है.. ?? ।


राठी ने चाकू की नोक को शिविका की गर्दन से बिल्कुल सटाते हुए कहा " सोच समझकर कदम आगेे बढ़ाना SK.... उर्फ संयम सानियाल खुराना.... । वरना इसकोो जिंदाा नहीं देख पाओगेे । अभी के अभी इसका गला काट दूंगा... " ।


शिविका घबराई हुई सी बोली " ये आप क्या कर रहे हैं.. ?? मेरे गले पर चाकू क्यों रखा है.. ?? उनको मेरे जीने मरने से क्या फर्क पड़ेगा... ?? " ।


शिविका ने कहा तो राठी ने शिविका के हाथ को और कसकर मरोड़ दिया । शिविका की आह निकल गई ।


संयम अपनी जगह पर ही रुक गया और राठी कोो बुरि तरह से घूरने लगा । राठी हंस दिया । दक्ष हैरान सा संयम को देखने लगा । उसे समझ में नहीं आया कि जिसके खून का संयम प्यासा था आखिर उसके सामने होने पर भी कुछ कर क्यों नही रहा । वो दो दिन पहले मिली लड़की को बचाने के लिए राठी के नजदीक जाने से रुक गया ।


संयम जेब में हाथ डाले वहीं खड़ा रहा । उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं थे । अपनी औरे को बरकरार रखते हुए वो शिविका को देखे जा रहा था । शिविका और संयम दोनो ही एक दूसरे की आंखों में देख रहे थे ।



राठी शिविका के गले पर चाकू रखते हुए ब्रिज के दूसरी तरफ को धीरे धीरे चलते हुए जाने लगा ।



" हटो वहां से... सब लाइन में इस तरफ को चलो... और अगर कोई होशियारी की तो ये जिंदा नही बचेगी... " ।



दक्ष आगे जाते हुए बोला " तुझे क्या लगता है... राठी.. तू बच जायेगा क्या.... ?? इसको कब्जे में लेकर तू क्या करना चाहता है.. । तुझे क्या लगता है इसकी जान की परवाह है हमे.. ?? ये हमारे लिए कुछ नहीं है..... " ।



राठी हंसने लग गया और संयम को देखकर बोला " अच्छा तो आओ नजदीक... " ।



दक्ष ने उसकी ओर कदम बढ़ाए तो राठी के हाथ शिविका के गले पर कसे और उसके गले से खून निकलने लगा । उसका गला थोड़ा सा कट गया था ।



संयम ने दक्ष को देखा और बोला " back off daksh.... " । संयम की आवाज बहुत सख्त थी ।



दक्ष रुक गया । इसी के साथ राठी हंसा और शिविका को पकड़कर अपनी ढाल बनाए दूसरी तरफ को निकलने लगा ।



कुछ आगे जाकर शिविका राठी से बोली " आप तो मेरी मदद कर रहे थे ना.. ?? तो आप मुझे क्यों चोट पहुंचा रहे हैं.... " ।



राठी घटिया तरीके से हंसा और बोला " तुम्हारी नही मैं अपनी मदद कर रहा था... जिसका ज़रिया तुम थी । अभी चुपचाप चलती रहो...... " राठी ने बोला ही था और एक पल को उसने शिविका को देखा ही था कि उसकी बाजू में गोली आकर लगी । राठी के हाथ से चाकू छूट गया ।



राठी ने शिविका को अपने सामने खड़ा किया और जल्दी से पुल से नीचे नदी में कूद गया ।



राठी के छलांग लगाते ही दक्ष के ऑर्डर पर शूटर्स ने नदी में गोलियां बरसानी शुरू कर दी । पानी का बहाव बोहोत तेज़ था और पानी भी बोहोत गहरा था । कुछ ही पल की लगातार शूटिंग के बाद पानी के उपर लाल रंग का खून दिखाई देने लगा ।



शिविका आंखें फाड़े पानी को देख रही थी । फायरिंग से उधर धुआं सा हो चुका था ।



शिविका ने कुछ पल नदी में देखा और फिर वहां से भागने लगी । लेकिन एक कदम आगे बढाते ही वो सामने खड़े संयम से टकरा गई ।



शिविका ने संयम की आंखों में देखा तो उसकी आंखें बोहोत सर्द थी । शिविका के रोंगटे खड़े हो गए ।



" तुम आई अपनी मर्जी से थी लेकिन अब जाना तुम्हारी मर्जी नही हो सकता.... । नाकाम कोशिशें करके क्यों अपने मुसीबतें बढ़ा रही हो...... । एक बार जो इधर SK की दुनिया में आ गया वो मर कर ही जाता है... । या तो वफादारी करते हुए पूरी जिंदगी जीकर मरे... या फिर गद्दारी करके या धोका देकर बेमौत मारा जाए.... " ।



शिविका सहमी हुई सी संयम को देखने लगी । अभी कुछ देर पहले जो उस रात वाला औरा उसे संयम का दिखा था वो अब उसे बिलकुल सही लग रहा था । उस रात भी उसने यही आवाज सुनी थी । लेकिन क्या उस रात उसे बचाने वाला इंसान ऐसा भी था ।



संयम ने शिविका का हाथ पकड़ा और गाड़ी की ओर चल दिया । एक और कोशिश में नाकाम होने के बाद शिविका चुप चाप उसके पीछे चल दी ।



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आखिर शिविका के गले पर चाकू देखकर संयम रुक क्यों गया.... ???

क्यों राठी शिविका को संयम के अगेंस्ट इस्तेमाल करना चाहता था.... ??

एक और बार भागने की कोशिश करने की संयम शिविका को क्या सजा देगा ???



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