Devil Ceo's Sweetheart - 48 in Hindi Love Stories by Saloni Agarwal books and stories PDF | डेविल सीईओ की स्वीटहार्ट भाग - 48

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डेविल सीईओ की स्वीटहार्ट भाग - 48

अब आगे,

 

रूही के सगे पिता अमर, अपनी सगी बेटी रूही से पूछ ही रहे थे कि उस ने अपना एग्जामिनेशन फॉर्म भर लिया या नही, मगर रूही तो अपने ही ख्यालो में कही गुम थी कि वो अपना साल बर्बाद होने से केसे बचाए..!

 

अब जब रूही के सगे पिता अमर को लगा कि उन की सगी बेटी रूही उन की बात सुन कर भी अनसुना कर रही थी तो वो अब थोड़ी तेज आवाज में रूही का नाम पुकारने लगे, "रूही..रूही..!"

 

अपना नाम सुन कर रूही एक दम से अपनी बेंच पर से खड़ी हो गईं और वही उस कॉलेज के गार्डन में बैठे हुए स्टूडेंट्स अब रूही और उस के सगे पिता अमर को ही देख रहे थे..!

 

अब रूही ने थोड़ी डरी हुई आवाज में अपने सगे पिता अमर से पूछा, "पापा, आप ने कुछ कहा..?"

 

अपनी सगी बेटी रूही की बात सुन कर अब रूही के सगे पिता अमर ने अपनी सगी बेटी रूही से कहा, "मैने इतनी देर से पूछ रहा हूं कि क्या तुम ने अपना एग्जामिनेशन फॉर्म भर लिया या नही..!"

 

अपने सगे पिता अमर की बात सुन कर अब रूही ने अपना सिर ना मे हिला दिया और वही रूही के सगे पिता अमर ने जब देखा कि रूही ने अपना सिर ना मे हिलाया है..!

 

तो अब रूही के सगे पिता अमर अब अपनी सगी बेटी रूही का पकड़ कर कॉलेज के अंदर ले जाने लगे तो रूही ने अपने सगे पिता अमर को रोकते हुए उन से कहा, "पापा, हम अंदर नही जा सकते है...!"

 

अपनी सगी बेटी रूही की बात सुन कर, अब उस के सगे पिता अमर ने अपनी सगी बेटी रूही से पूछा, "और वो क्यू...?"

 

अपने सगे पिता का सवाल सुन कर, अब रूही ने थोड़ी सी हिम्मत करते हुए अपने सगे पिता अमर से कहा, "पापा, हम अंदर नही जा सकते है क्योंकि उन सर ने बोला है कि कल आकर सारी फॉर्मिलिटी पूरी कर लेना क्योंकि मै एक स्कॉलरशिप स्टूडेंट हु, इसलिए मेरे फॉर्म को भरने के प्रिंसिपल सर के भी साइन चाहिए होते है, जो कि आज कॉलेज नही आए हैं और सर ने बोला है कि वो कल तक आ जायेंगे..!"

 

अपनी सगी बेटी रूही की पूरी बात सुन कर, अब रूही के सगे पिता अमर ने अपनी सगी बेटी रूही का हाथ छोड़ दिया और उस से कहने लगे, "तो सीधा सीधा बोला कर न ऐसे घुमा फिरा कर बोलेगी तो मुझे केसे समझ में आएगा..!"

 

अब रूही ने अपने सगे पिता अमर की बात सुन कर कुछ नही कहा, तो अब रूही के सगे पिता अमर ने अपनी सगी बेटी रूही से कहा, "तो चल तुझे घर छोड़ देता हूं फिर मुझे अपने काम पर भी तो जाना है...!"

 

अपने सगे पिता अमर की बात सुन कर रूही ने अपना सिर हां मे हिला दिया और अपने सगे पिता अमर के साथ जाने लगी..!

 

रूही कुछ ही दूर तक चली ही थी कि रूही को अपना नाम फिर से सुनाई पड़ा तो रूही देखने के लिए पीछे मुड़ गई कि कौन उस को आवाज दे रहा है तो अचानक से एक लड़की ने आकर रूही को कस कर अपने गले से लगा लिया..!

 

और रूही से कहने लगी, "क्या यार, इतने दिनो बाद तो कॉलेज आई है और उस मे भी अपने इकलौती दोस्त से बिना मिले ही जा रही है, केसे दोस्त है तू..!"

 

उस लड़की की बात सुन कर अब रूही के सगे पिता अमर रूही को ही देख रहे थे तो रूही ने अपने सगे पिता अमर से अपनी इकलौती दोस्त को मिलवाते हुए कहा, "पापा ये मेरी इकलौती दोस्त "खुशी" है...!"

 

रूही के इंट्रोडक्शन के बाद, रूही की इकलौती दोस्त खुशी ने अपनी सब से अच्छी दोस्त रूही के सगे पिता अमर को देख कर अपने दोनो हाथ जोड़ कर उन से नमस्ते किया..!

 

जिसे देख कर रूही के सगे पिता अमर को बड़ी खुशी हो रही थी कि उन की सगी बेटी रूही की कितनी अच्छी और संस्कारी दोस्त है..!

 

अब रूही की इकलौती दोस्त खुशी ने अपनी सब से अच्छी दोस्त रूही के सगे पिता अमर से कहा, "अंकल, अगर आप बुरा न माने तो आप रूही को यही कॉलेज में छोड़ कर जा सकते है, वो क्या है ना कि अब हमारे एग्जाम आने वाले है तो फिर अब कब समय मिल पाएगा हम दोनो को मिलने का इसलिए बस आज के लिए हम दोनो थोड़ा सा टाइम स्पेंड कर ले तो आप को कोई परेशानी तो नहीं होगी न हो तो...!"

 

रूही की इकलौती दोस्त खुशी की बात सुन कर अब रूही के सगे पिता अमर कुछ कहते उस से पहले ही रूही की इकलौती दोस्त खुशी ने एक बार फिर से कहा, "और आप चिंता मत करिए मैं, रूही को खुद इस के घर पर छोड़ कर जाऊंगी...!"

 

रूही की इकलौती दोस्त खुशी की बात सुन कर, अब की बार रूही के सगे पिता अमर ने अपनी सगी बेटी रूही की इकलौती दोस्त खुशी से कहा, "हां क्यू नही बेटा और ये भी कोई पूछने की बात है...!"

 

अब रूही के सगे पिता अमर ने अपनी सगी बेटी रूही से कहा, "तो अब तुम शाम तक अपनी दोस्त के साथ घर पहुंच जाना, ठीक है...!"

 

अपने सगे पिता अमर की बात सुन कर, रूही ने अपना सिर हां मे हिला दिया और रूही के सगे पिता अमर रूही के कॉलेज से अपने काम यानी राजवीर के विला के लिए निकल गए..!

 

To be Continued......

 

हेलो रीडर्स, यह मेरी पहली नोवेल है। कृपया इसे अपनी लाइब्रेरी में जोड़ें, मेरी प्रोफाइल को फॉलो करे और कमेंट्स, रिव्यू और रेटिंग के साथ मुझे अपना सपोर्ट दे। अधिक जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरी पहली नोवेल "डेविल सीईओ की स्वीटहार्ट" और अगला भाग केवल "मातृभारती" पर।