Sparsh - The Crime - 1 in Hindi Crime Stories by सीमा कपूर books and stories PDF | स्पर्श - The Crime - भाग 1

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स्पर्श - The Crime - भाग 1

ये कहानी दो नो जवान युवक युवती की है 

मोंटी और सुलेखा जो एक दूसरे से प्यार करते थे,पर प्यार में कब हद पार हो गई पता नहीं चला।

जवान ख़ून और जोश में दोने बहक गए,

कुछ दिन बत गए,

सुलेखा की तबीयत बिगड़ने लगी जब डॉक्टर को दिखाया तो पता चला वो मां बनने वाली हैं,

ये बात उसे परेशान करने लगी उसने मोंटी को सब बात मिलकर बताई,पर मोंटी ने बच्चा गिरने की बात कर दी,साथ में कह दिया खर्ऐभी मैं कर दूंगा।

पर सुलेखा ने शादी का दबाव डाला

लेकिन मोंटी ना माना, कुछ दिन और बीत गए मोंटी ने सुलेखा से कहा बच्चा गिराया के नहीं,

सुलेखा ने मना कर दिया,और वह शादी करने का दबाव डालने लगी, दूसरी तरफ मोंटी भी शादी ना करने किस बात पर कायम रहा,

एक दिन दोनों में शादी की बात को लेकर झगड़ा हो गया, 

सुलेखा ने कहां जब शादी नहीं करनी थी तो प्यार क्यों किया और उसके बाद ये बच्चा

मोंटी ने पलट कर जवाब दिया हम दोनों ने अपनी शारीरिक जरूरतों को पूरा किया पर इसमें अगर बच्चा आया तो यार इसे गिरा दो, 

हम दोनों बिना शादी किए साथ रह सकते हैं ज़िन्दगी के मज़े भी ले सकते हैं,

मेरी बात सुन इस बच्चे को गिरा दो 

तभी सुलेखा ने कहा ये हमारे प्यार कि निशानी हैं मोंटी 

मोंटी ने कहा प्यार कैसा यार है चलो माना प्यार भी था पर ये रूकावट क्यों प्यार तो आज भी करता हूं , ज़्यादा देर मत करो इसे हम दोनों कि ज़िन्दगी से बाहर करो।

सुलेखा ने कहा शादी नहीं करना चाहते ना तो मैं तुम्हें घर पहुंच जाऊंगी ,

मोंटी ने कहा अच्छा तो तुम्हारी सुनेगा कौन,यार तुम इस छोटी सी बात का बतंगड़ क्यों बना रही हों।

हम दोनों ही मस्ती कर रहे थे और मस्ती मस्ती में ये हो गया और मस्ती हम फ़िर से कर सकते हैं,बस तुम इसे खत्म करो।

सुलेखा ने कहा शादी क्यों नहीं करना चाहते ,प्यार हैं मस्ती भी करनी हैं तो शादी क्यों नहीं।

मोंटी ने कहा तुम चाहती हो ना शादी करूं,तो करूंगा वादा रहा पर पहले इसे लाइफ़ से बाहर करो ,यार अभी में करियर बनाना चाहता हूं, बच्चों-वच्चो के बारे में नहीं सोच सकता ।

सुलेखा ने कहा तो ठीक हैं, शारीरिक जरूरतों से पहले सोच लेते तब याद नहीं आए।

मोंटी ने गुस्से में कहा तुम समझ क्यों नहीं रही , क्या बच्चा-बच्चा की रट लगाए रखी हैं,                             शादी भी करूंगा बच्चे भी तब हो जाएंगे पर अभी नहीं।

मै बार‌बार नहीं कहूंगा यार सुलेखा समझा कर हो गई गलती मज़े मज़े में और अब क्यों मुसीबत अपने साथ साथ मेरे गले में डाल रही हो।

ऐसा करते हैं कल चलते हैं हम दोनों अस्पताल डाक्टर से कह कर अबोर्शन करा देते हैं, मेरी जान मैं प्यार करता हूं तुमसे, वादा रहा शादी भी जल्द होगी इस बार कहना मान लो , पहले मैं अपने घर वालों से बात कर उन्हें मना लूं , जब वो मान जाएंगे तब तुम अपने घर वालों को बता कर लेना।

खुलेखा ने कहा ठीक हैं पर सच कहूं तो मुझे मां बनने का स्पर्श जो मेहसूस हो रहा हैं न वो किसी स्वर्ग जैसा हैं, मोंटी क्या हम इसे इस दुनिया में। ला नहीं सकते, पेर को अपने छुते हुए ये स्पर्श जो अपने हाथों से अपने हर एक अंग से महसूस हो रहा हैं वह मां कि ममता हैं, काश मैं तुम्हें इस स्पर्श को भी मेहसूस करवा पाती।

क्रमशः