The last lesson in Hindi Motivational Stories by Vikas rajput books and stories PDF | अंतिम पाठ

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अंतिम पाठ

फ्रेंच नाम का एक लड़का था उसे समय पाठशाला के लिए देरी से रवाना हुआ । वह अपने फ्रांसीसी भाषा के अध्यापक M Hamel से डरता था । वह विद्यार्थियों से participles के बारे में प्रश्न पूछने वाला था । लेकिन फ्रेंच उनके बारे में कुछ भी नहीं जानता था। इसलिए उसे झिड़की खाने का डर था। पहले तो उसने दूर भाग जाने की बात सोची। लेकिन मौसम गर्म और बहुत चमकीला था इसलिए उसने दूसरा ही फैसला लिया। वह शीघ्र ही पाठशाला के लिए रवाना हुआ। स्कूल के रास्ते में फ्रेंच टाउन हॉल के पास से गुजरा। वहां उसने बुलेटिन बोर्ड के सामने लोगों की एक भारी भीड़ देखी। पिछले दो सालों से इसी बुलेटिन बोर्ड से लोगों को खबरें मिला करती थी। प्राय: स्कूल के प्रारंभ होते समय काफी शोर शराब हुआ करता था। लेकिन उस दिन स्कूल मैं सब कुछ शांत था। कहानीकार (फ्रेंच) अपनी कक्षा के कमरे में सबके सामने अंदर गया। वह बहुत ही भयभीत था । लेकिन कुछ भी घटित नहीं हुआ।  M Hamel ने उसे देखा उसने विनम्रता से इस अपनी सीट लेने के लिए कहा। M Hamel फ्रांसीसी भाषा का अध्यापक अपने सर्वोत्तम कपड़ों में था। सारी पाठशाला बहुत ही विचित्र और शांतक्षप्रतीत हो रही थी। वर्णन कर्ता कक्षा की पिछली बैंजो पर गांव के बुजुर्गों को शांत रूप से बैठे देखा। M Hamel अपनी कुर्सी पर बैठा और गंभीर तथा विनम्र आवाज में बोलना शुरू किया। उसने बताया कि आज का पाठ उसका आखिरी पाठ है। बर्लिन से आदेश आया है की Alsace और lllarrain के स्कूलों में अब केवल जर्मन भाषा ही पढ़ाई जाएगी। वह फ्रेंच भाषा का उनका अंतिम पाठ था। वह चाहता था कि बच्चे उसे पर पूरा ध्यान दें। कथाकार में फ्रेंच भाषा के प्रति अचानक प्रेम उमड़ पड़ा। उसे यह सोचकर बड़ा दुख हुआ कि उसे अब फ्रांसीसी भाषा नहीं सीखनी है। वह अपनी पस्तकों को कभी पसंद नहीं करता था। अब तो वह M Hamel को भी पसंद करने लगा था। मैं उसकी डंडे के बारे में सब कुछ भूल गया था। अब उसके पाठ सुनाने की बारी थी , लेकिन वह परेशान हो गया। लेकिन M Hamel ने उसे कुछ नहीं कहा। 

M Hamel ने चिंता जताई कि Alsace के लोग फ्रांसीसी भाषा को महत्व नहीं देते। वह अपनी देसी वो भाषा को सीखने में कोई रचि नहीं रखते। लेकिन फ्रांसीसी भाषा संसार की सभी भाषाओं में सबसे ज्यादा सुंदर है। यह सबसे अधिक स्पष्ट और तार्किक है। लोगों को इसे कभी नहीं भूलना चाहिए। ऐसा पतीत होता था जैसे जाने से पहले M Hamel उन्हें वह सब कुछ देना चाहता था जो वह जानता था। अचानक गिरजाघर की घड़ी ने 12 बजाए। पर्शियन सिपाहियों की तुरहियों की ध्वनि खिड़की से सुनाई दी। M Hamel खड़ा हो गया। उसका चेहरा विवर्ण था और व्यथित था। वह कुछ बोलना चाहता था, लेकिन किसी चीज ने उसे अवरुद्ध कर दिया। वह कुछ भी नहीं बोल सका। तब वह श्यामपट्ट की ओर मुड़ा। उसने एक चौक का टुकड़ा उठाया और बड़े अक्षरों में उसने लिखा " फ्रांस अमर रहे"। फिर उसने हाथ से इशारा करते हुए कहा--" स्कूल को भंग किया जाता है-- आप जा सकते हैं "। 

इस कहानी में एक अध्यापक का अपने भाषा के प्रति प्यार था।