Sapno ka Shubh ashubh fal - 26 in Hindi Astrology by Captain Dharnidhar books and stories PDF | सपनो का शुभ अशुभ फल - भाग 26

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सपनो का शुभ अशुभ फल - भाग 26

सपने - 

विशेष—इन नौ प्रकार के स्वप्नों में मंत्रज और देव ये स्वप्न सत्य होते हैं। आरम्भ के ६ प्रकार के स्वप्न प्राय: निष्फल होते हैं। अशुभ के आने पर व्यक्ति स्वप्न के पश्चात् जागकर सो जावे तो अशुभ स्वप्न का फल नष्ट हो जाता है। यदि स्वप्न के पश्चात् पुन: शुभ स्वप्न दिखाई पड़े तो अशुभ फल नष्ट होकर शुभ फल की प्राप्ति होती है। अशुभ फल के दिखलाई पड़ने पर जगकर णमोकार मंत्र का जाप करना चाहिये। यदि अशुभ स्वप्न के पश्चात् शुभ स्वप्न आवे तो दुष्ट स्वप्न की शांति के उपाय की आवश्यकता नहीं है। स्वप्न के सम्बन्ध में आचार्य भद्रबाहु कहते हैं कि बुद्धिमान् व्यक्ति को गुरु के समक्ष शुभ—अशुभ स्वप्नों का कथन करना चाहिये किन्तु अशुभ स्वप्नों को गुरु के अतिरिक्त अन्य व्यक्ति के समक्ष कभी भी प्रकाशित नहीं करना चाहिये।

सर्वप्रथम यहाँ वात—पित्त—कफ प्रकृति वाला व्यक्ति किस प्रकार के स्वप्न विशेषरूप से देखता है उसे क्रमश: बताते हैं—

(१) गिरना, तैरना, सवारी पर चढ़ना, पर्वत पर चढ़ना, वृक्ष, प्रासाद (महल) पर चढ़ना आदि को वात प्रकृति वाला व्यक्ति देखता है।

(२) रक्त पीत पदार्थ, अग्नि संस्कार से युक्त पदार्थ, स्वर्ण के आभूषण उपकरण आदि को पित्त प्रकृति वाला देखता है।

(३) जल—जल से उत्पन्न पदार्थ धान्य, पत्र सहित कमल, मणि मोती प्रवाल आदि को स्वप्न में कफ प्रकृति वाला व्यक्ति देखता है।स्वप्नफल

(१) जो िंसह, व्याघ्र, गाय, बैल, घोड़ा और मनुष्य से युक्त होकर रथ पर चढ़कर गमन करते हुए देखता है वह राजा या शासक होता है।

(२) श्रेष्ठ हाथी पर चढ़कर महल या समुद्र में प्रवेश करते हुए स्वप्न देखता है, वह नीच शासक होता है।

(३) जो श्वेत हाथी पर नदी या नदी के तट पर भात का भोजन करता हुआ स्वप्न में देखता है वह शीघ्र शासक होता है।

(४) जो व्यक्ति प्रासाद, भूमि या सवारी पर आरूढ़ हो सोने या चाँदी के बर्तनों में स्नान, भोजन, पान आदि की क्रियायें करता हुआ स्वप्न में देखे उसे राज्य की प्राप्ति होती है।

(५) जो राजा स्वप्न में श्वेत वर्ण के मल मूत्र आदि को इधर—उधर फेंकता है वह राज्य, काल को शीघ्र प्राप्त होता है।

(६) जो व्यक्ति स्वप्न में जहाँ तहाँ स्थित होकर जीभ को नखों से खुरचता दीखे व लालवर्ण की झील में स्थित होता हुआ देखे वह व्यक्ति नीच होते हुए भी राजा या शासक होता है।

(७) जो व्यक्ति स्वप्न में वन, पर्वत, अरण्य युक्त पृथ्वी सहित समुद्र के जल को भुजाओं द्वारा पार करता हुआ देखे, वह व्यक्ति राज्य प्राप्त करता है।

(८) जो राजा स्वप्न में सिर कटा हुआ या तलवार के द्वारा छेदित हुआ देखता है उसे सहस्रों का लाभ तथा प्रचुर भोग प्राप्त होता है।

(९) जो व्यक्ति स्वप्न में धनुष पर बाण चढ़ाना, धनुष का स्फालन करना, प्रत्यंचा को समेटना आदि देखता है वह अर्थ लाभ करता है। युद्ध में जय व शत्रु का वध होता है।

(१०) जो व्यक्ति सिर पर पर्वत, घर, खण्डहर तथा दीप्तिमान पदार्थों को देखता है वह स्वस्थ होकर भूमि का उपभोग करता है।

(११) जो स्वप्न में मृतिका के हाथी पर समुद्र को पार करता हुआ देखे और उसी स्थिति में जाग जावे तो वह शीघ्र ही पृथ्वी का स्वामी होता है। जो व्यक्ति शस्त्रों द्वारा शत्रुओं को परास्त कर पृथ्वी और पर्वतों को अपने आधीन कर लेना देखता है अथवा जो शुभ पर्वतों पर अपने को आरोहण करता देखता है वह राज्याभिषेक को प्राप्त होता है।

(१२) जो व्यक्ति स्वप्न में हाथी, गाय, सवारी, धन, लक्ष्मी, कामदेव, अलंकार और आभूषणों से युक्त पुरुष का दर्शन करता है उसके भाग्य की वृद्धि होती है। जो स्वप्न में अपने शरीर की नसों से गांव को वेष्टित करते देखे, वह मण्डलाधिप होता है।

(१३) जो स्वप्न में तालाब स्थित पात्र में रखी खीर को निश्चित हो खाते देखता है वह चक्रवर्ती राजा होता है।

(१४) यदि स्वप्न में कोई धन धान्य से युक्त हो राज, राजपुत्र या चोर होना अपने को देखे तो राज्य की अभिवृद्धि होती हैं।