Mr. and Mrs Mahi - film review in Hindi Film Reviews by S Sinha books and stories PDF | Mr. and Mrs Mahi - फिल्म समीक्षा

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Mr. and Mrs Mahi - फिल्म समीक्षा

 

                                                     फिल्म समीक्षा - Mr. and Mrs Mahi 


“ Mr and Mrs Mahi “  हिंदी भाषा की एक फिल्म है जो इसी वर्ष मई महीने  में रिलीज हुई है  . निखिल मेहरोत्रा और शरण शर्मा द्वारा लिखित पटकथा का निर्देशन  शरण शर्मा ने किया है जबकि इसके मुख्य निर्माता करण जौहर और zee studios हैं  . 


कहानी - फिल्म परिवार , रोमांस और स्पोर्ट्स के मिले जुले बैकग्राउंड पर है  .  फिल्म के नायक महेंद्र अग्रवाल  ( राजकुमार राव ) हैं  . महेंद्र को क्रिकेट से बहुत लगाव था पर वह चाह कर भी क्रिकेट में सफल नहीं हो पाता है  . उसके पिता हरदयाल अग्रवाल ( कुमुद मिश्रा )  का जयपुर में स्पोर्ट्स गुड्स की दुकान है  . वे एक सख्त पिता हैं और  बेटे से कहते हैं कि अगर तुम नेशनल लेवल  क्रिकेटर नहीं बन सकते हो तो क्रिकेट छोड़ कर अपना बिजनेस संभालो  . महेंद्र के पिता अपना फोटो विश्व के मशहूर क्रिकेटर्स के बीच लगा कर गर्व महसूस करते हैं  .   दूसरी तरफ फिल्म की नायिका महिमा शर्मा  (जाह्नवी कपूर ) का मन क्रिकेट खेल जगत  में जाना चाहता है पर पिता के दबाव  में उसे मेडिकल  की पढ़ाई करनी पड़ती है और डॉक्टर बनती है  . महेंद्र और महिमा की शादी  होती है , एक अरेंज्ड मैरेज  . महिमा को सभी माहि नाम से पुकारते हैं  . फिल्म का भारत के मशहूर भूतपूर्व  “ कैप्टन कूल माहि “ यानी महेंद्र सिंह धोनी से कोई लेना देना नहीं है पर धोनी की मनपसंद 7 नंबर की जर्सी फिल्म के किरदार पहने दिखते हैं  . 


महिमा और महेंद्र के विचार काफी मिलते हैं  . महिमा पति को क्रिकेट में वापस लाने का प्रयास करती है पर उसे सफलता नहीं मिलती है  . दूसरी तरफ इस दौरान  जब महेंद्र ने महिमा को चौके छक्के लगाते देखा तब उसने महसूस किया कि महिमा की रूचि क्रिकेट में है और साथ ही उस में क्रिकेटर बनने की भरपूर प्रतिभा भी है  . महेंद्र  पर पत्नी को मशहूर क्रिकेट खिलाड़ी बनाने का जुनून सवार होता है  . शुरू में वह स्वयं पत्नी को कोच करता है  .  इस चक्कर में महिमा की डॉक्टर की नौकरी  भी चली जाती है  . पति पत्नी में कुछ नोकझोंक ,   संघर्ष ,और उतार चढ़ाव आते हैं  . रिश्ते में वे कभी रोमांटिक  , कभी इमोशनल  , कभी तकरार तो कभी परफेक्ट कपल  नजर आते हैं  .  अंत में  महिमा देश में एक बेहतरीन क्रिकेट खिलाड़ी  बन कर उभरती है जिस पर परिवार में सभी को गर्व महसूस होना स्वाभाविक है  .  


हालांकि महेंद्र या महिमा को वास्तविक जीवन में क्रिकेट से कुछ लेना देना नहीं है फिर भी पर्दे  पर वे  अपना किरदार भलीभांति निभाने में सफल रहे हैं  . जहाँ एक तरफ पिता के रोल में कुमुद मिश्रा सख्त नजर आते हैं दूसरी तरफ माँ के रोल में गीता अग्रवाल ( ज़रीना वहाब ) उस कड़वाहट पर मरहम लगाती दिखती हैं  . कोच शुक्ला के रोल में राजेश शर्मा भी सफल रहे हैं  . हालांकि फिल्म की कहानी , अभिनय या निर्देशन किसी एक को भी अत्यधिक आकर्षक नहीं कहा जा सकता  है पर इन सभी पहलुओं में फिल्म को  औसत से बहुत  ऊपर रखा  जा सकता  है  . कहानी भी आमतौर की लीक की फिल्मों से कुछ अलग है  .  आमतौर पर हमारे यहाँ स्पोर्ट्स पर आधारित फिल्मों को ज्यादा तवज्जो नहीं दी जाती  है इसलिए यह फिल्म भी बॉक्स ऑफिस पर कुछ ख़ास नहीं कर पायी है  . फिर भी ऐसी फिल्मों के निर्माण को प्रोत्साहन मिले इसके लिए फिल्म देखने योग्य है  . 


विशाल मिश्रा , तनिष्क बागची और जानी के कुछ गाने ‘ रोया जब तू  … “ और “ अगर तुम हो “ अच्छे हैं  . थियेटर में प्रदर्शन के बाद दर्शकों के लिए यह मूवी अब OTT Netflix पर उपलब्ध है  . 


मूल्यांकन - जहाँ तक फिल्म के मूल्यांकन का प्रश्न है निजी तौर पर यह मूवी  10 में 6.5  अंक डिजर्व करती है  . 


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