Look, the flowers have wilted in Hindi Anything by DINESH KUMAR KEER books and stories PDF | देखो फूल रूठ गए

Featured Books
  • રેડ સુરત - 6

    વનિતા વિશ્રામ   “રાજકોટનો મેળો” એવા ટાઇટલ સાથે મોટું હોર્ડીં...

  • નારદ પુરાણ - ભાગ 61

    સનત્કુમાર બોલ્યા, “પ્રણવ (ૐ), હૃદય (નમ: ) વિષ્ણુ શબ્દ તથા સુ...

  • લગ્ન ને હું!

    'મમ્મી હું કોઈની સાથે પણ લગ્ન કરવાના મૂડમાં નથી, મેં નક્...

  • સોલમેટસ - 10

    આરવને પોલીસ સ્ટેશન જવા માટે ફોન આવે છે. બધા વિચારો ખંખેરી અન...

  • It's a Boy

    સખત રડવાનાં અવાજ સાથે આંખ ખુલી.અરે! આ તો મારો જ રડવા નો અવાજ...

Categories
Share

देखो फूल रूठ गए

1.
जिस राह पर अब हम हैं,
घर तुम्हारा पीछे छूट गया,
शीशे का महल था,
शब्द कंकरों से,
छन से टूट गया...

2.
बाज़ार का हुस्न भी कुछ कम नहीं,
रंगो और साजो सामान से भरा है,
अपनी ही कहानी कहता है,
और चमक भरता है आंखों में,
ये बाज़ार,
बहुत से अरमानों से हरा है...

3.
आंखें भी कमाल करती हैं,
मिल जाए किसी से,
तो बवाल करती हैं...

4.
मैं मरने से पहले,
जी लेना चाहती हूं,

अनकही बातें कुछ,
कह लेना चाहती हूं,

शिकवा, शिकायत,
तो होती ही रही,

अब सब उलझने,
सुलझा लेना चाहती हूं...

5.
खूबसूरत ग़ज़ल है वो,
जिसे गुनगुनाना, एक हुनर है,

सुकून का सागर है,
वो ग़ज़ल है, तो सहर है,

क़िताब में ना लिखी गई,
ना अपनाई गई किसी महफ़िल में,
ना जाने वो हुनर वाला किधर है,

खुद को ही गुनगुना लेती है,
और सुन लेती है खुद को ही,
वो ग़ज़ल ख़ुद में ही चारों प्रहर है...

6.
नवरात्रि का पावन पर्व आया है,
मां ने अपने बच्चों के लिए बिछौना बिछाया है,
अपनी ममता लेकर मां आई हैं,
भक्तों के मन को आराम दिलाया है,
दिल में मां के जगह अपार,
सब कुछ दिया उसे,
जिसने दिल से जयकारा लगाया है,
नौ दिन मेरी मां आई हैं घर मेरे,
नौ दिन घर में दिया मां के नाम का जलाया है,
मेरी मां का पर्व आया है,
मेरी मैया का पर्व आया है...

7.
मुझे फूल ना बोलो,
देखो फूल रूठ गए,
मुझे जो उसने कह दिया फूल,
देखो कैसे फूलों के दिल टूट गए...

8.
कांटे हैं तो क्या हुआ,
गुलाब तो कांटों में ही खिला करते हैं,
सपनों का भी काम बहुत ज़रूरी है,
क्यूंकि, कुछ अपने सिर्फ़ ख़्वाबों में ही मिला करते हैं...

9.
आज रंग का खुमार है,
हर तरफ़ बेशुमार है,
चढ़ा मुझ पे भी बुखार है,
रंगो से मुझे प्यार है,
आज दिन है रंगीन,
आज होली का त्योहार है...

10.
तू मेरे दिल का आखिरी डर था,
अब कोई मुझे हरा नहीं सकता,
हार गए जो ये बाज़ी अब हम,
तेरे बाद,
प्यार की बाज़ी हमें कोई,
जिता नहीं सकता...

11.
हक़ीक़त से वाबस्ता है मेरा,
ज़मीन से, ज़मीनी रिश्ता है मेरा,
वक्त का इंतज़ार कर रही हूं,
आने वाला जो वक्त है,
वो वक्त है मेरा...

12.
अनसुलझा सा ये सफ़र है,
बड़ी डगमगाई सी डगर है,
हर बात हाज़िर है!
हूं नम फ़िर भी
ना जाने क्यूं,
हर बात में मगर हैं...

13.
किसी से उधार लेना,
तो प्यार, सम्मान, परवाह लेना,
जब समय आए लौटाने का,
दो गुना करके, तब लौटा देना...

14.
गुलाबों के गुलिस्तां को,
एक गुलाब से क्या काम,

जब हो गए फूलों की,
दुनियां के,
तो अब किताबों में रहने का क्या काम!

15.
कभी कहीं मिलो तो,
हमसे मुंह मोड़ लेना,
क्यूंकि!

आंखें हमारी आज भी वही बोलती हैं,
जिन्हें देख कर, तुमने जानना चाहा था कुछ,
राज़ आज भी वही खोलती हैं...

16.
मैंने अक्सर देखा है तुम्हें मेरे साथ
मगर तुम्हारे साथ ख़ुद को नहीं देखा...

17.
मेरे दायरे सीमित हैं,
जो ख़ुद से शुरू होकर,
खत्म होते हैं ख़ुद पर ही,

दोनों जहां भी काफ़ी कहां,
जो निसार दूं मैं ख़ुद पर ही,

जो प्यारा होगा सबसे वो,
चला जायेगा दूर ज़रूर,
अपने को ही चाह कर,
पास रहूं मैं ख़ुद के ही,

ना कोई दंभ,
ना ही अकड़ किसी की,
बात करना पसंद मुझे,
आईने सी बनकर अक्सर,
बात करूं मैं ख़ुद से ही...

18.
संभल जाऊं या,
बिखर जाऊं,
जो भी हो,
बस संवर जाऊं...

19.
संभावनाओं का सफ़र है ज़िंदगी,
आकांक्षाओं का भंवर है ज़िंदगी,
कुछ देर ठहर जाने में कोई हर्ज़ तो नहीं,
ठहराव में ही तो बच्चे सी जवां है ज़िंदगी...