पच्चीसवीं रात
वह एक टैक्सी ड्राइवर था वह टैक्सी उसके मरहूम (मृतक) पिता की थी और उसकी मालिक उसकी विधवा माँ थी। वह इस लायक़ तो नहीं था कि गाड़ी उसके हवाले की जाती लेकिन भाई-बहनों में सबसे बड़ा था। अगर उस पर भरोसा ना किया जाता जिम्मेदारियों का बोझ उनके कन्धों पर ना डाला जाता तो उसका बिगड़ जाना निश्चित था। लेकिन पहले महीने में उसने खुद को नालायक और बेकार साबित कर दिया जब उसने अपनी मां को टैक्सी की कमाई के बदले कर्ज की एक सूची थमा दी। बिना टूटे महीनों तक चलने वाली टैक्सी ने एक ही महीने में कई बार वर्कशॉप जाकर रिकॉर्ड तोड़ दिया। जिसकी सारी ज़िम्मेदारी अजमल पर ही लागू होती थी।
माँ ने जैसे तैसे उसके बाप की जमापूँजी से वर्कशॉप का कर्ज़ चुकाया, लेकिन चाबी भी उससे वापस ले ली और सबसे छोटे बेटे अकमल को सौंप दी। जिस पर उसने गुस्से में आकर अपने भाई को मारा। बीच में मां आई तो उसे भी दो-तीन हाथ जमा दिये और घर से निकल गया। माँ के कदमों के नीचे जन्नत है। उसने अपनी जन्नत ख़ुद ही खो दी और दर-दर ठोकरें खाने लगा। वह जिस जिस के पास भी गया उसको दुत्कार दिया गया। उस पर लानत की गई। मानो जन्नत के मुंह फेरते ही दुनिया वालों ने भी उससे मुँह फेर लिया। मजबूरन वह बसों में कंडक्टरी करने लगा।और अपने एक दोस्त के वर्कशॉप में रात बिताने लगा। इन घटनाओं ने उनके दिमाग को उलटा कर दिया था। वह अपने कार्यों को सही और दूसरों के व्यवहार को ग़लत मानने लगा। उसके भीतर की बदले की विचित्र चिंगारियां सुलगने लगीं। वह इस बात के पीछे पड़ गया कि कोई ऐसा जादू सीखेगा जिससे वह अपने ऊपर अत्याचार करने वालों को जलाकर राख कर देगा। बैठे-बैठे वह दौलत को अपने पास बुला लेगा। और इसी तलाश में वह एक आमिल (तांत्रिक) के द्वार पर पहुंच गया।
तांत्रिक नासिर बंगाली, अवैध रूप से बांग्लादेश से कोलकाता भाग आया था और यहाँ पहुँचने पर तांत्रिक बन गया था। वह बंगाल के एक ऐसे उस्ताद जादूगर का चेला बन गया जो बंगाल का नंबर वन जादूगर कहलाता था। जादू और टोना -टोटका का माहिर माना जाता था। अपने गुरु की भाँति उसने कुछ मंत्र कंठस्थ कर लिए थे जिससे वह किसी की भी आँखों में आँख डालकर उसे अपने वश में कर लेता था जो एक बार उसके जाल में फंसता था वह फिर मुश्किल से ही निकल पाता था।
पहली बार सामने आने पर अजमल भी उसका भक्त बन गया। नासिर बंगाली के घुटने तब तक पकड़े रहा जब तक उसने उसे जादू सिखाने की हामी ना भर ली। नासिर बंगाली ने रौबदार स्वर में उससे कहा - "होम तोमारा कोम कर देगा। लेकिन होमारा एक शर्त है।"
अजमल ने उसके सामने हाथ जोड़ते हुए कहा। - "आमिल जी! आप जो भी कहेंगे मैं करने के लिए तैयार हूं, ”उसने बिना झिझके धाराप्रवाह कहा।
"तोम को हमारे लिए एक सुंदर मोहिला प्राप्त करनी होगी।।"
मोहिला शब्द उनके लिए नया था। उसने चिंतित होकर पूछा। "यह मोहिला क्या है? क्या किसी चिड़िया का कोई नाम है या जानवर का नाम है ?"
आमिल दहाड़ा। "मोहिला का मतलब है कुंवारी लोरकी। हमारे लिये कुंवारी लोरकी (लड़की) लेकर आएगा तो होम तोम को दूसरों को मोरने (मारने) का तंत्र सिखाएगा। दौलत लाने का तंत्र बोताएगा।"
वह आमिल के चेहरे को देखकर सोचने लगा। वास्तव में आमिल नासिर बंगाली ने घाट घाट का पानी पिया था। वह रोज कई चेहरे देखता और उन्हें पढ़ता था उसके सामने अजमल की स्थिति बहुत ही मामूली थी।
उसने विचारों में खोया हुआ देख कर कहा था। "क्या बोत है तुम किधर गुम हो गया------?"
उसने चौंक कर कहा। "क------क ---कुछ नहीं! तुम्हारे मुँह से लड़की का नाम सुनते ही मुझे लड़कियों की याद आ गई थी। मेरी वर्कशॉप के सामने, जहाँ मैं रात बिताता हूँ, एक टूटे-फूटे घर में एक विधवा रहती है। उसकी दो बेटियाँ हैं, दोनों सुंदर हैं। उसकी छोटी बेटी मुझे पसन्द करती है, मेरी तरफ इशारा करती है, मैं भी उसे चाहता हूं मगर----"
"मोगर क्या?"
"उसकी बड़ी बहन बहुत सख्त है, लोग कहते हैं कि उस पर किसी छाया का प्रभाव है, इसलिए खूबसूरत होने के बावजूद उसका रिश्ता कहीं से नहीं आता। एक दो रिश्ते आए भी उसे पसंद करके भी गए लेकिन अगले ही दिन लड़के की मौत हो गई। हर कोई सोचता है कि उसे छाया ने मार दिया।
आमिल ने कहा। "तोम बे फिकर हो जाओ। उसको होमारे पास लेकर आओ। हम उसकी छाया को जला कर भस्म कर देंगे।"
उसने कहा। “आमिल जी! यह बहुत मुश्किल काम है उसके घर में दाखिल होने के लिए उसकी मां से बात करने के लिए मुझे उसके घर के अंदर जाना होगा और उस लड़की को अपने जाल में फांसने के लिए आपको मेरे साथ चलना होगा।"
आमिल ने सोचते हुए कहा। "चलो तो आज ही तेरा रिश्ता लेकर उसके घर चलते हैं। तोम उसके साथ सादी बनाने के लिए तैयार है?"
अजमल ने जवाब दिया। - "आमिल जी न तो मेरे पास नौकरी है और न ही रहने का ठिकाना ऐसे में-------" वह अपनी बात पूरी भी नहीं कर पाया था कि आमिल ने हाथ उठाकर उसे बोलने के लिए मना किया और आंखें बंद कर लीं और फिर कुछ देर बाद खोलकर प्रसन्न स्वर में कहा।
"हो गया तोमारा काम।"
अजमल ने भी आश्चर्य से पूछा। "वह कैसे आमिल जी?"
"मेरी एक भक्तन है जो कल ही हमारे पास आई थी। उसे एक पति-पत्नी की जरूरत है, तो तोम को नौकरी भी मिल जाएगा और रहने के लिये क्वार्टर भी। बस अब मुझे अपनी ससुराल ले चल।"
जब वह विधवा के घर पहुंचा, तो दोपहर ढल चुकी थी। आमिल ने एक बड़े के रूप में अजमल के रिश्ते के बारे में बात की। जब सभी मामले तय हो गए। आने वाले शुक्रवार को शादी की तारीख पड़ गई तो मिठाई मंगवाई गई। मिठाई खाते खाते आमिल एकदम से रुक गया। हाथ में पकड़ा हुआ लड्डू वापस थाली में रखता हुआ विधवा महिला से बोला।
"लो बहन होम को इस घर में एक परछाई के होने का पता चल रहा है।"
उस औरत ने चौंक कर पहले आमिल को देखा फिर अजमल देखने लगीं। अजमल ने कहा। "अम्मी जी हमारे आमिल जी बहुत पहुंचे हुए हैंं जहां भी कोई भूत हो या प्रेत की छाया होती है उन्हें तुरंत पता चल जाता है। मैंने लोगों के मुंह से सुना है, लेकिन आज बाबा जी ने साबित कर दिया। अगर सच में ऐसी कोई बात है तो बाबा जी से कह दें यह पूरे घर का प्रबंध कर देंगे।"
जब तक वह बोल रहा था तांत्रिक ने अपनी आँखें बंद कर ली थीं और होठों से कुछ बुदबुदा रहा था। अजमल के रुकते ही उसने विचित्र स्वर में कहा। "परछाई घर पर नहीं है किसी इंसान पर है इस घर में जो जो रहता है उसे हमारे सामने ले आओ----- अभी पोता चल जाएगा।"
औरत वैसे ही इन मामलों में हमेशा डरपोक होती है और विधवा होने के बाद वह और भी डरपोक और कमजोर दिल की हो जाती है और तुरंत घबरा जाती है। वह अपनी दोनों बेटियों को तांत्रिक के सामने नहीं लाना चाहती थी, लेकिन तांत्रिक ने उसे इतना डरा दिया कि उसने घबरा कर दोनों बेटियों के नाम पुकारे। बतूल, नजमा यहाँ आओ।
वे दोनों ही मां की आज्ञाकारी थीं एक आवाज़ पर दौड़ी चली आईं। उनके पहुंचते ही तांत्रिक ने गरजते स्वर में कहा। "दोनों जोमिन (जमीन) पर बैठ जाओ।"
बेटियों ने माँ की ओर देखा। माँ ने बैठने का इशारा किया। वे दोनों सिर पर दुपट्टा बाँध कर बैठ गईं। तांत्रिक कुछ पढ़ता हुआ बारी-बारी से उन दोनों पर फूंक मारने लगा। चार-पांच बार फूंक मारकर आंखें बंद कर उनके सामने बैठ गया और फिर बोलने लगा। "कंबख्त होमारा नोम तांत्रिक नासिर बोंगाली है। होम तोमसे बोलता है, मोहिला को छोड़ कर चला जा। नहीं तो तोमारा सत्यानास कर देगा।" उसने अपनी आखें खोल दीं और बात करना जारी रखा।
"होमारी आँखों में झांक।"
दोनों बहनों ने एक साथ अपना झुका हुआ सिर उठाया और फिर एक-दूसरे को देखा और आंखों ही आखों में इशारा करने के बाद छोटी बहन उठकर चली गई। बड़ी ने अपनी आँखें तांत्रिक की आँखों में डाल दीं। दोनों एक दूसरे को घूरने लगे।
कुछ ही पलों में तांत्रिक हार गया। अपनी पलकें झपकाता हुआ बोला।
"लो बहन, इस लोरकी का पूरा इलाज करवाना पड़ेगा। इसको मेरे घर पर ले आना या अजमल के साथ भेज देना।"
विधवा बोली, "हाँ, ले आऊँगी, लेकिन बतूल की शादी के बाद।
अजमल और बतूल की शादी हो गई। तीन चार दिन तक अजमल अपनी नई नौकरी और नई नवेली दुल्हन के नशे में चूर रहा उसे आमिल के पास जाने का मौका ही नहीं मिला। पांचवे दिन आमिल खुद उनके सर्वेंट क्वार्टर में पहुंच गया और उस पर बरस पड़ा कि वह नजमा के इलाज में जानबूझकर देर कर रहा है। अगर उसे कुछ हो गया। वह मर गई तो वह उसे भी मार डालेगा। और उसकी पत्नी से अलग कर के उसे धीमी आवाज में समझाया कि वह अमावस्या से पहले ही अपनी क्रिया शुरू कर दे, अन्यथा वह कभी भी अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पाएगा।
छठे दिन नजमा अपनी मां के साथ बहन को घर ले जाने को आई। उसी दिन यह भी तय हो गया कि नजमा का इलाज अमावस्या की शुरुआत के साथ शुरू होगा। नजमा ने अपनी बहन की आंखों में झांकते हुए हल्की सी मुस्कान के साथ हामी भर दी। और फिर दोनों मां बेटी बतूल को लेकर अपने घर चली गई।
जिस दिन पत्नी मायके गई उस दिन अजमल साधना करने का सामान खरीद कर तांत्रिक के पास पहुंच गया। जिसमें शराब की एक खाली बोतल, मिट्टी का एक बर्तन, प्लास्टिक के दस- बारह छोटे गुड्डे, अगरबत्तियों और मोमबत्तियों के पैकेट थे। तांत्रिक ने विधि बताने से पहले उसने अपने पास से पानी की एक बोतल देते हुए कहा कि ये चालीस मुर्दों को नहलाया हुआ पानी है इस पानी से अच्छी तरह इस बोतल को धो ले। इसके बाद विधि बताते हुए कहा कि चालीस दिनों तक इसे हर रात बारह से दो बजे तक एक मंत्र का जाप करना है और इसे पढ़कर उसे शराब की बोतल का ढक्कन उठा कर फूंकना है। कमरे में सिर्फ एक मोमबत्ती जलानी है और अगरबत्तियां जलानी हैं और उसे यह भी बताया कि अगर वह बीच में डर गया और मंत्र गड़बड़ हो गया तो उसका जिम्मेदार वह खुद होगा। वह पागल हो सकता है और मर भी सकता है।
जैसा कि अजमल के दिमाग पर भूत सवार था, उसे न तो अपने पागल होने की परवाह थी और न ही खुद की मौत की। दूसरों को मारने के नशे में वह हर स्थिति के लिए तैयार था।
पहली रात को उसे पहला अनुभव हुआ जब मंत्र पढ़ते-पढ़ते मोमबत्ती की लौ भड़कने लगी और फिर बुझ गई। कमरे में घुप्प अँधेरा हो गया। अजीब सी आवाजें गूंजने लगीं। जैसे बहुत से लोग एक साथ रो रहे हों और तभी अचानक कोई उसके कंधों पर सवार हो गया। वह मन्त्र जपते हुए उठना चाहता था। लेकिन बोझ इतना अधिक था कि उठना संभव नहीं था, वह जोर-जोर से मंत्र पढ़ने लगा।
जैसे ही उसने चालीसवीं बार मंत्र का जाप किया। उस पर से बोझ गायब हो गया। वह डर के मारे पसीने पसीने हो गया। बड़ी हिम्मत करके फिर से मोमबत्ती जला कर कमरे में आया और शराब की एक बोतल उठाई और उसका ढक्कन खोल दिया। उसमें फूंक मार कर बंद कर दिया।
दूसरे कमरे में विधवा और नजमा दूर बैठी थी, तांत्रिक नजमा के पास था। वह होठों से कुछ पढ़ रहा था और पढ़ते-पढ़ते उसने नजमा के चेहरे पर फूंक मार दी।
नजमा ने अपनी बंद आँखें खोलीं, तांत्रिक ने तुरंत अपनी आँखें उसकी आँखों में डाल दीं और फिर विचित्र स्वर में बोलने लगा। "होम जानता है कि तोम कौन है।"
नजमा ने भी आवाज भारी कर ली और बोली। "मेरा नाम नजम अल हदी है। मैं भी तुझे अच्छी तरह जानता हूं, इसलिए मेरा पीछा छोड़ दे वर्ना मैं तुझे उल्टा कर दूंगा। तेरे पास जादुई शक्तियां हैं और मेरे पास मेरी प्रेत शक्तियां हैं।"
तांत्रिक ने झुंझला कर गुस्से से कहा। "होमारे साथ ड्रामा कोर रहा है। सीधी तोरा इस लोरकी को छोर दे।" इतना कहकर वह जोर-जोर से मंत्र पढ़ने लगा। और नजमा ज़ोर ज़ोर से हंसने लगी।
आमिल और अजमल की साधना एक हफ्ते तक ऐसे ही चली, दूसरा हफ्ता शुरू होते ही उनकी साधना में एक जादुई प्रभाव दिखने लगा। अजमल दुरात्माओं से लड़ने का आदी हो गया और नजमा तांत्रिक के लिए खिलौना बन गई। और धीरे-धीरे उसकी सुंदरता फीकी पड़ने लगी और उसका मोटा शरीर सिकुड़ने लगा। विधवा को चिंता हुई तो तांत्रिक ने उसे समझाते हुए कहा कि नजमा का प्रेत मुश्किलों से जा रहा है। इससे पूरी तरह मुक्त होने पर फिर से रिकवरी शुरू हो जाएगी। लेकिन कुछ और दिनों के बाद वह बिस्तर से लग गई और फिर साधना शुरू होने से पच्चीसवें दिन उसकी मृत्यु हो गई। विधवा माँ और बहन ने तांत्रिक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करा दी क्योंकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट से साबित हुआ कि तांत्रिक ने लगातार बाईस दिनों तक नजमा का बलात्कार किया था और अपने काले जादू से उसे बहरा और गूंगा बना दिया था। बतूल ने थानेदार को बताया कि नजमा वास्तव में तांत्रिक बंगाली से बदला लेना चाहती थी क्योंकि उसने उसकी बचपन की सहेली को बर्बाद कर दिया था और उसके ससुराल वालों के कहने पर अपने काले जादू से उसकी सहेली का दिमाग उल्टा कर दिया था कि एक दिन उसने खुद पर मिट्टी का तेल छिड़क कर आग लगा ली थी।
जब नजमा को पता चला कि अजमल भी उसी तांत्रिक का चेला है, तो उसने अजमल को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए कहा। अजमल भी अपने घर से ठोकर मार कर निकाल दिया गया था और हमारे बाप की मौत के बाद हमारे ख़ानदान ने भी हमें ठुकरा दिया था हमसे सारे संबंध तोड़ दिये थे क्योंकि मेरा बाप अय्याश आदमी था लड़कियों की दलाली करता था इसलिये मेरे लिए अजमल जैसा ही रिश्ता मिल सकता था और मेरी बहन तांत्रिक तक पहुंच सकी थी लेकिन अफसोस मेरी बहन इसके जादुई प्रभाव से वशीभूत हो गई लेकिन मुझे पूरा भरोसा है कि मरने के बाद भी वह अपना बदला लेगी। वह अपनी सहेली का बदला लेगी। क्योंकि अब वह शरीर की कैद से छूट चुकी है।
बतूल का बयान तांत्रिक के लिये चैलेंज था। थाने में बंद होने के बावजूद उसने नजमा के प्रेत की काट करने के लिए लाकअप में ही प्रबंध कर लिया था। उसके लिए उसने थानेदार को कुछ पैसे भी दिए थे सिपाहियों को भी खुश किया था।
पच्चीसवीं रात शुरू हो चुकी थी और हवालात में कोई नहीं था। तांत्रिक अकेला बैठा था। उसके सामने अगरबत्तियां जल रही थीं और बकरी के खून से भरी शराब की खाली बोतल पड़ी थी।
थाने के लॉकअप की सभी बत्तियाँ बंद कर दी गईं तो तांत्रिक ने मोमबत्ती जलाई, उसका लॉकअप प्रकाशित हो उठा, उसने अपनी आँखें बंद कर लीं और जोर-जोर से पढ़ने लगा। दूसरे लॉकअप में बंद कैदी भी उठ बैठे और आमिल को देखने लगे। जो संतरी पहरे पर थे वह भी टहलने के बजाय एक जगह रुक गए और लॉकअप की ओर देखने लगे। उनको उत्सुकता थीकि अब क्या होने वाला है?
देखते ही देखते आमिल उठ खड़ा हुआ और मंत्र पढ़ने की बजाय गंदी ग़दी गालियाँ बकने लगा। सभी समझ गए कि जिसके लिए उसने मंत्र पढ़ा था वह आत्मा या परछाई आ गई थी सिर्फ़ उसे दिखाई दे रही थी।
नजमा ने मर्दानी आवाज में कहा। "ऐ आमिल! मैं जो चाहता था वह नजमा के प्यार में न कर सका, तुमने कर दिखाया। तुमने उसे मार कर मेरे पास ला दिया। यह मेरे लिए खुशी की बात है। लेकिन मुझे अफसोस है इस एहसान का बदला कुछ अच्छा नहीं दे सकता क्योंकि तू इंसान कहलाने के लायक नहीं है तू इंसान के रूप में शैतान है शैतान जो अल्लाह के लिए अवज्ञाकारी है, मैं निश्चित रूप से आग से बना हूं लेकिन मैं अवज्ञाकारी नहीं हूं जहां इंसान का ज़िक्र आता है वहां मेरा नाम भी लिया जाता है।"
आमिल ने कहा। "तुम कोई भी हो। होमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता, हम तोमको मार देगा।"
तांत्रिक की जादू से प्रभावित देखने वाली आँखें उसे देख रही थीं। उसे सुन रही थीं, लेकिन दूसरा कोई और उसे देख नहीं पाया। एक क़ैदी ने चीख कर कहा। "साला आमिल पागल हो गया है, इसे पागलखाने में ठूंस दो।''
आमिल ने गुस्से से इधर-उधर देखा उसी वक्त नजमा के जिन्न ने उसकी गर्दन अपने शिकंजे में पकड़ ली और जमीन से चार-पांच फुट ऊपर उठाकर जमीन पर छोड़ दिया। वह अपने ही सामान पर गिर पड़ा। बोतल टूट गई, बकरी का खून उसके कपड़ों पर लग गया और फर्श पर बिखर गया। उसने सोचा कि बोतल टूट गई और उसके कूल्हे में घुस गई है और खून उसका था। उसने डर के मारे चीख़ना शुरू कर दिया। "होम को--- होम को बचाओ।"
लेकिन दरवाज़ा खोलकर अंदर आने की किसी की हिम्मत नहीं थी। क़ैदी, सिपाही भी डरे हुए थे और डरी हुई आँखों से आमिल की दशा देख रहे थे वह बुरी तरह पिट रहा था मार खा रहा था और आख़िर नजमा के जिन्न ने उसके खुले मुँह में हाथ डाला, और अपनी जीभ गुद्दी से खींच कर बाहर निकाल दी। आमिल और बकरे का ख़ून आपस में मिक्स हो गया और वह बेतरतीब ढंग से फर्श पर गिर गया और छटपटाने लगा और शरीर बेजान हो गया।
आमिल के गिरफ्तार होते ही अजमल भी छिप गया। लेकिन उसने अपना चिल्ला जारी रखा। आमिल की मृत्यु के समय, वह एक बर्फ के कारख़ाने में था जहाँ टूटे हुए बर्फ के साँचे रखे हुए वह उनके बीच मोमबत्ती और अगरबत्ती जलाए बैठा हुआ था। यह कारख़ाना उसके एक दोस्त का था।
पच्चीसवीं रात के दो बज चुके थे। वह एकटक मोमबत्ती की लौ को देख रहा था और मंत्र जाप किया जा रहा था। उसने चौबीस दिनों में मोमबत्ती की लौ पर अधिकार कर लिया था, और अब वह न तो भड़़कती थी और न ही बुझती थी चालीस मर्द उसे साफ़ दिखाई देने लगे थे वह मोमबत्ती के सामने परवानों की भांति मंडराते रहते।
अचानक, उनमें इकतालीसवाँ अस्तित्व प्रकट हुआ। इस रूह (आत्मा) को देखकर वह दंग रह गया। मन्त्र, जपती जीभ रुक गई एकाएक उसके मुंह से निकला। "तुम?"
केवल एक क्षण ऐसा होता है जब मनुष्य की सांस रुक जाती है और वह आत्मा में विलीन हो जाता है। एक ही क्षण होता है जब जुबान से कुछ निकलता है और वह पूरा हो जाता है। केवल एक क्षण होता है जब मुजरिम मौन होता है और गिरफ्त में आ जाता है।
वह भी पकड़ा गया। चालीस आदमियों की कराहती आत्माओं ने उस पर आक्रमण कर दिया। उन्होंने उसे पकड़ लिया और अपनी ओर खींच लिया। उसके शरीर की बोटियाँ नोचने लगीं, वह चिल्लाने लगा और वह अपने आमिल को मदद के लिए पुकारने लगा, लेकिन वह पहले ही मर चुका था। अब केवल उन दोनों का आमना-सामना रह गया था। ऐसे समय में नजमा के जिन्न ने अपने हाथ पांव चलाने शुरू कर दिये और देखते ही देखते चालीस रूहें वहां से चली गईं।
अब वहां सिर्फ वह दोनों आमने सामने रह गए। उसने अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा दिये।
"मुझे माफ़ कर दो नजमा, मैं तुम्हारी अपराधी हूँ।"
नजमा के जिन्न ने उसका हाथ पकड़ा और उसे अपनी ओर खींचते हुए कहा। "कमीने! मैंने तुम्हें जीने के लिए नहीं बचाया। तुझे मरना है।"
वह हकलाया। "म---म--मैं तुम्हारी बहन का पति हूं। क्या तुम मुझे मार डालोगी और अपनी बहन को विधवा करोगी?" नजमा के जिन्न ने उसका कॉलर पकड़कर पूरी ताकत से छत की ओर फेंक दिया। वह छत से टकराया और फिर नीचे आ गया। नजमा के जिन्न ने कहा। "मैं नजमा नहीं, मैं उसका आशिक़ जिन्न हूँ, तू नजमा की बहन का आशिक है मेरा नहीं, तू मेरी नजमा का कातिल है तूने उसकी मासूमियत उसकी इज़्ज़त एक दरिंदे के हाथों ख़त्म करवा दी। उनकी सुंदरता धूमिल कर दी। जिसे छूने से मैं खुद को रोक लेता था। उसे एक शैतान ने छुआ था और इसका जिम्मेदार तू है। मैं उस शैतान को शैतान की मौत मार कर आ रहा हूं अब तेरी बारी है।"
इतना कहकर उसने अजमल को उठा लिया और बक्सों पर पटकने लगा। बर्फ का शोर इतना तेज था कि किसी को पता नहीं चल रहा था कि अंदर अजमल के साथ क्या हो रहा है। उन्हें उस वक्त पता चला जब एक सांचे में से बर्फ की सिल बाहर निकली। तोड़ा तो सिल के अंदर अजमल की लाश जमी हुई थी। वह भी बर्फ के साथ बर्फ बन गया था। पच्चीसवीं रात ख़त्म हो चुकी थी।
समाप्त