my body smells good in Hindi Anything by DINESH KUMAR KEER books and stories PDF | तन मेरा महका है

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तन मेरा महका है

1.
तन मेरा महका है जब - जब ख़्याल तुम्हारा महका है,

इत्र से भला क्या काम मुझे अब तुम्हारा जिक्र ऐसा है...!!

2.
निहार रहे हैं तुम्हें बिना पलक झपकाये,

क्या पता तुमसे कब नजर मिल जाये...!!

3.
हिचकियों पे अपनी हँसी आयी है...

उफ्फ

हमारी याद उसे आज दिन मे भी आयी है...!!

4.
गहने, कंगन, झुमके, के बिना भी में मुझे सजा सकता हैं

वो शायर हैं अपने लफ्जों से ही दुल्हन बना सकता हैं!!

5.
सज़दा तुझे करूँ तो काफिर कहेंगे लोग,

ये कौन सोचता है तुझे देखने के बाद।।

6.
हर वक्त शायरी नहीं होती जनाब...!!

कभी - कभी बेकरारी भी बयाँ हो जाती है...!!

7.
तुमसे जुड़े हर अहसास मेरे लिए
बहुत खास होते हैं...
क्योकि उन अहसासों में...
हम बिल्कुल तेरे पास होते हैं...

8.
वो चांद है उसको हम अपना बनना नही चाहते है

मगर उसको देखने का एक भी मौका गवाना नही चाहते

9.
झूठे को फ़क़त बहाने से मतलब है,
भूखे को सिर्फ़ खाने से मतलब है...

मुफ़लिस को मतलब है बस सरमाये से,
महबूब को मोहब्बत पाने से मतलब है...

10.
दिल को बेचैन सा करती हैं य़े हिचकियां...

शाम होते ही तुम मुझे यू ना सोचा करो...!!

11.
सुना था मुहब्बत ज़रूरी है शायर के लिए...!!

ये जानकर हम तुमसे मुहब्बत कर बैठे...!!

12.
पूरी ना हो सकी जो
उन ख्वाहिशों में...
तेरा नाम भी शामिल है

13.
सुकून गिरवी है उसके पास,
मोहब्बत क़र्ज़ ली थी जिससे...!!

14.
हम भी मौजूद थे,
तकदीर के दरवाजे पे...
लोग दौलत पर गिरे,
हमने तुझे मांग लिया

15.
खुल जाता है तेरी यादों का बाज़ार
सरेआम...
और इसी रौनक में
गुज़र जाती है मेरी शाम ।

16.
जर्रे - जर्रे में मोहब्बत थी
हर लम्हा लाजवाब था...

सुबह आँख खुली तो पाया कि
महज़ इक हसीन ख्वाब था…!

17.
आईने आंख में चुभते हैं...
बिस्तर से मैं कतराती हूँ!!
इक याद बसर करती है...
मैं सांस नही ले पाती हूँ।।
इक शख्श के हाथ है सबकुछ...
मेरा खिलना और मुरझाना भी,
रोते है तो रात उजड़ जाती है,
हँसतें हैं वो तो मैं जी जाती हूँ।।
उसकी तस्वीरें हैं दिलकश बड़ी...
बातें करती हैं मुझसे,
सुनने में यही आया के मेरा ही है वो,
क्या करूँ के कुछ जज्बाती हूँ।।

18.
चिराग खुशियों के
कब से बुझाए बैठे हैं...
कब दीदार होगी उनसे
हम आश लगाए बैठे हैं...

हमें मौत आएगी
उनकी ही बाहों में...

हम मौत से ये
सर्त लगाए बैठे हैं...

19.
आज भी तेरे लिए वक़्त खर्च करती हूँ मैं,

फेसबुक पर आती हूँ, और तुझे सर्च करती हूँ मैं

20.
इस धरा पर ये घटना हर बार हुई है...

वो राधा बनके भी तड़पी है...
वो सीता बनके भी रोई है...

21.
हमने नही रखी किसी और से उम्मिद तेरे सिवा...

बस एक तू ही बहुत है हमें उम्रभर तडपाने के लिये...!!

22.
मरने के नाम से जो रखते थे मुंह पे उंगलियां

अफ़सोस वही लोग मेरे दिल के कातिल निकले...

23.
सुनो जान...
जब मुख मोड़ लेगी सुंदरता मुझसे,
झुर्रियां ले लेंगी, डिंपल्स की जगह,
तुम मेरे माथे पर लगा कर एक बिंदी,
मेरा माथा चूम लेना...
बहार आ जाएगी।

24.
चलिए,
बेवजह बातों से कुछ
मीठी मीठी बातों का
आग़ाज़ करते हैं...!!

कहिए
आप हमें कितना याद करते हैं...!!

25.
किसी की जुस्तजू की हमने

तुम चाहो आवारगी कह लो इसे...