ways to meet in Hindi Anything by DINESH KUMAR KEER books and stories PDF | मिलने की राहें

Featured Books
  • انکہی محبت

    ️ نورِ حیاتحصہ اول: الماس… خاموش محبت کا آئینہکالج کی پہلی ص...

  • شور

    شاعری کا سفر شاعری کے سفر میں شاعر چاند ستاروں سے آگے نکل گی...

  • Murda Khat

    صبح کے پانچ بج رہے تھے۔ سفید دیوار پر لگی گھڑی کی سوئیاں تھک...

  • پاپا کی سیٹی

    پاپا کی سیٹییہ کہانی میں نے اُس لمحے شروع کی تھی،جب ایک ورکش...

  • Khak O Khwab

    خاک و خواب"(خواب جو خاک میں ملے، اور خاک سے جنم لینے والی نئ...

Categories
Share

मिलने की राहें

1.
किस पर कितना विश्वास बता दूं,
कौन आम कौन खास बता दूं
चोरी और बेईमानी का पैसा
आता नहीं कभी रास बता दूं
पतझड़ सा लगता ये जीवन
कैसे भला मधुमास बता दूं
कब बढ़ जाती प्यार में दूरी
होता नहीं अहसास बता दूं
मिलते ही कुर्सी सब के वादे,
ले लेंगे संन्यास बता दूं
खून चूस कर मजदूरों का,
रखता वो उपवास बता दूं
पहने हुए जो सफेद लिबास
काला उनका इतिहास बता दूं
इंसानियत का इस दुनियां से
हो गया स्वर्गवास बता दूं
जनता की परवाह किसे भला
सत्ता के सब दास बता दूं
बिछड़ कर मुझसे वो भी कितना
रहता होगा उदास बता दूं
2.
भूलकर सारे गम मुस्कुराओ तो जरा
जिंदगी से भी हाथ मिलाओ तो जरा

छोड़कर साज़ अब ये उदासी भरा
गीत खुशी का कोई सुनाओ तो जरा

लौट आएंगे वापस सब रूठे हुए
उनको आवाज देकर बुलाओ तो जरा

नफरतों का ये सूरज भी ढल जाएगा
तुम दिए प्यार के जलाओ तो जरा

दुश्मनों से शिकायत ना रहेगी जरा
दोस्तों को कभी आजमाओ तो जरा

मौसम खुशियों का फिर चला आएगा
हाले दिल खुलकर सुनाओ तो जरा

3.
उदास सी ये शाम बहुत है
दर्द में मगर आराम बहुत है
चर्चे उनके हैं खास बड़े ही
किस्से हमारे आम बहुत है
खरीद लिए हैं सस्ते में गम
खुशियों के तो दाम बहुत है
इक्के पान के करें भला क्या,
हुक्म के यहां गुलाम बहुत है
सुर्खियां झूठ खूब बटोरे
सच्चाई हुई गुमनाम बहुत है।
मंजिल मिली है बेशक लेकिन
करने हासिल मुकाम बहुत है।
नफरत जीत रही है जंग
मुहब्बत पर इल्जाम बहुत है।
सबक मिला ये नजदीकी से
दूर से दुआ सलाम बहुत है।
इस दुनियां का जो रखवाला,
जुबां पर उसका नाम बहुत है
4.
किस्सा बड़ा अजब हुआ,
कोई ना जाने कब हुआ
हम हमसे ही हुए जुदा,
तुमसे मिलना जब हुआ

दिल डूबा तेरी चाहत में
तेरा इश्क तलब हुआ

मुहब्बत मेरी बनी इबादत
ए यार मेरे तू रब हुआ
कदम जरा से बहके बहके,
लहजा बे-अदब हुआ
हुई ज़िन्दगी मुकम्मल सी
अब जीने का सबब हुआ
इश्क रवायत, इश्क आदत,
इश्क मेरा मजहब हुआ
5.
कहानी दिल की सुनानी भी हैं
कुछ बातें बेशक छुपानी भी हैं

होठों पे जिसके जितनी हंसी हैं
उसकी आंखों में उतना पानी भी हैं

जख्म ताजा मिले हैं बेशक मगर
कुछ टीस शामिल पुरानी भी हैं

मिली कामयाबी ना खैरात में
खाक दर-दर की हमने छानी भी हैं

शमां ए मोहब्बत जलाने से पहले
आग ये नफरतों की बुझानी भी हैं

नहीं मौत इतनी भी आसान मगर
मुश्किल तो ये जिंदगानी भी हैं

दिलों में सभी को करना है शामिल
जगह दिल में सभी के बनानी भी हैं

6.
हादसों से संभल जरा,
कभी अकेला चल जरा

मुसीबतें ये टल जाएंगी
ढूंढ ले इनका हल जरा

खुद में ही डूबा है क्यूं
'मैं' से आगे निकल जरा

अपनेपन का हाथ बढ़ा
कर छोटी सी पहल जरा

होंगी रोशन राहें सारी
दीपक बनकर जल जरा

दुनियां बदलने से पहले
अपनी तकदीर बदल जरा

अंधियारी काली रातों में
सूरज बनकर निकल जरा

7.
बस इतनी हम पर रखना इनायत
ये यादें, ये किस्से रखना सलामत

कर दिया दिल हमने तेरे हवाले
छुपा कर मेरी ये रखना अमानत
बिछड़ कर भी ना बिछड़ना कभी
ख्वाबों में आने की रखना आदत
सलवटें उम्र की ना नजर आएंगी
बचपन की जिन्दा रखना शरारत
ना रखना गिला तुम हमसे ज़रा भी
ना दिल में रखना शिकवे शिकायत
हर सांस की है इल्तिज़ा बस यही
उम्र भर बस यूं ही रखना मोहब्बत