Golden future of Hindi on social media in Hindi Magazine by Yashwant Kothari books and stories PDF | सोशल मिडिया पर हिन्दी का सुनहरा भविष्य

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सोशल मिडिया पर हिन्दी का सुनहरा भविष्य

यशवंत कोठारी

सोशल मीडिया पर हिंसी व् हिंदी सहिय बड़ी तेजी से पैर पसार रहा है.

वास्तव में पिछले कुछ वर्षो में इन्टरनेट पर हिन्दी ने अपनी जगह सुरक्षित कर ली है और हिन्दी व अन्य भारतीय भाषाओं में प्रचुर कार्य इन्टरनेट पर हो रहा है। बंगाली, तेलगू, मराठी, तमिल आदि भाषाओं का भी तेजी से विकास हो रहा है जो भारतीय भाषाओं के सुखद भविष्य के प्रति आश्वस्त करता है। इसी क्रम में हिन्दी की लोकप्रियता का प्रसार करने के लिए सीडेक पुणे ने श्रुत लेखन राजभाषा नामक साफ्टवेयर बनाया है। इसकी मदद से हिन्दी बोलकर लिखी जा सकती है। इस साफ्टवेयर के द्वारा वे लोग भी हिन्दी मे लिख सकते है जो देवनागरी लिपि नहीं जानते इस साफ्टवेयर के प्रयोग में हिन्दी टाइपिंग की जानकारी आवश्यक नहीं है। अंग्रेजी से तत्काल अनुवाद हुतु मंत्र नामक साफ्टवेयर भी सीडेक ने विकसित किया है। नेट पर हिन्दी के विकास की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है। भारत में करीब तीन करोड़ लेाग नेट का उपयोग करते है। लगभग पच्चीस प्रतिशत लोग इन्टरनेट पर हिन्दी की सामग्री ढूंढते है, या उपलब्ध कराते है। चालीस प्रतिशत लोग भारतीय भाषाओं के लिए सर्च करते है। हिन्दी में सर्च इजंन रफ्तार डॉटकॉम अच्छा कार्य करता है। गूगल ने भी हिन्दी व भारतीय भाषाओं में काम करना शुरू कर दिया है। हिन्दी में ई-मेल भेजने का प्रचलन तेजी से बढ़ रहा है। हिन्दी के आलेख समाचार, टिप्पणियां, सम्पादक के नाम पत्र आदि इन्टरनेट के द्वारा भेजे जा रहे है। और पत्रों द्वारा प्रयुक्त किये जा रहे है, लगभग हर पत्र में ई-मेल से भेजी सामग्री स्थान पा रही है।

 हिन्दी के विकास में ब्लाग्स का योगदान भी काफी महत्वपूर्ण है। इतना सब होने के बावजूद हिन्दी विश्व की उन दस भाषाओं में शामिल नहीं है जो नेट पर सर्वाधिक प्रयुक्त होती है। धीरे धीरे हिन्दी नेट पर अपनी जड़े जमा रही है। ब्लाग्स सब के लिए खुले हुए है ये एक चौपाल की तरह है। हिन्दी में लगभग 1100 बलाग्स है। जिन्हें पढ़ा जाता है, और अपने विचार भी प्रस्तुत किये जाते है। 

 इन्टरनेट पर हिन्दी के विकास में दैनिक पत्रों के नेट संस्करणों का भी महत्वपूर्ण योगदान हैं इन के अलावा मासिक व अन्य पत्रिकाएं भी नेट पर पढ़ी जा सकती है, डाउन लोड की जा सकती है, प्रिंट की जा सकती है, और अपने मित्रों को निःशुल्क प्रेषित की जा सकती है। इस क्षेत्र में अभी भी काफी कुछ किया जाना है। बड़े दैनिक पत्रों की वेबसाइट तो ठीक ठाक काम करती है, मगर छोटे अखबार नेट का खर्च वहन नहीं कर पाते। इसी प्रकार प्रिंट मीडिया की पत्रिकाओं के संस्करण नेट पर उपलब्ध हे।लेकिन नेट पर लधु पत्रिकाऐं कम हैं। जो है, उनकी भी आर्थिक सीमाएं है, लेकिन नेट पर ई-पत्रिकाएं तेजी से बढ़ रही है। उनमे पठनीय सामग्री भी आ रही है। नेट पर पत्रिका निःशुल्क उपलब्ध होती है, प्रिंन्टिंग , सरकुलेशन का खर्चा नहीं आता है, रजिस्ट्रेशन का भी कोई चक्कर नहीं हे। लेकिन नेट पर ई-पत्रिकाएं अभी अपनी शैशव अवस्था में ही है। तथा 50-60 वर्ष पहले प्रिंट मीडिया की जो स्थिति थी लगभग वहीं स्थिति आज नेट पर पत्रिकाओं की है। लेकिन यह भविष्य का माध्यम है, खर्चा कम है, कागज बिलकुल नहीं लगता है। अतः इस माध्यम में हिन्दी की पत्रिकाओं के सम्पादक पत्रकार, लेखक विकसित होगें औार हिन्दी में काम कर सकेंगें। तहलका डॉट कॉम इसका एक श्रेष्ठ उदाहरण है।

 नेट पर हिन्दी में तकनीकी विषयों की सामग्री की भी बड़ी आवश्यकता है। विज्ञान, स्वास्थ्य, अभियांत्रिकी, फाइनेंस, मैनेजमेंट आदि विषयों के लेखकों की बडी आवश्यकता है। ऑन लाइन सम्पादकों की भी जरूरत है।

 नेट पर कविता, कहानी, समीक्षा, व्यंग्य, यहां तक कि पूरे उपन्यास उपलब्ध है और सब कुछ निशुल्क पढ़ा, सुना, देखा, जा सकता है। मित्रों को भेजा जा सकता है।

 नेट पर विशिष्ट लेखकों की सम्पूर्ण रचनाएं भी उपलब्ध होने लग गयी हे।

 लेकिन नेट की अपनी सीमाएं है। सबसे बड़ी सीमा सम्पूर्ण उपकरणों की आवश्यकता है। फिर नेट कनेक्शन वह टेलीफोन कनेक्शन, गति की सीमाएं है। मगर तमाम सीमाओं के बावजूद इन्टरनेट पर हिन्दी का भविष्य उज्जवल है। और आने वाले समय में यह माध्यम प्रिंट व ऑडियो-वीडियो मीडिया के लिए एक बडी चुनौती बनकर उभरेगा। 

 

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यशवन्त कोठारी

86,लक्ष्मी नगर ब्रहमपुरी बाहर,जयपुर-302002

फोनः-09414461207