Hotel Haunted - 51 in Hindi Horror Stories by Prem Rathod books and stories PDF | हॉंटेल होन्टेड - भाग - 51

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 51

मेरे दरवाजा खोलते ही ड्राइवर अंदर आ गया,उसने अपने शरीर पर एक कंबल ओढ़ा हुआ था फिर भी उसने अपने दोनो हाथो अपने शरीर से लपेटकर रखा था,जिससे बाहर की ठंड का एहसास किया जा सकता था।
"अगर आप सबको बुरा ना लगे तो क्या अंदर रात गुजर सकता हूं क्योंकि बाहर बहुत ठंड है।"
"अरे उसमे पूछने की क्या जरूरत है?" उसके अंदर आते ही मैंने कुछ पल बहार देखा जहां ठंडी हवाओं के साथ-साथ कोहरे ने अपने अंदर पूरी जगह को घेरा हुआ था, जिसकी वजह से ज्यादा कुछ दिखाई नहीं दे रहा था इसलिए मैंने दरवाजे को बंध कर दिया।
"मुकेश ऐसे कोई नॉक करता है क्या?तुमने हम सबको डरा ही दिया था।" तुमने मिस ने मुकेश को थोड़ा डांटते हुए कहा।
“सॉरी मैडम,पर ठंड की वजह से बाहर एक पल के लिए भी खड़ा रहना मुश्किल है।"मुकेश ने कपकपाते हुए कहा "It's Okay, बैठ जाओ" मिस के कहते ही मुकेश आग के पास जाकर कोने में दीवार के सहारे बैठ गया।
“तो श्रेयस तुम क्या कह रहे थे?क्या तुम्हें सच मैं लगता है कि यहां कोई भूत है?"मिस ने मेरे बैठते ही मुझसे सवाल किया।
"नहीं मिस. मैने यह नही कहा की यह कोई भूत है मेरे कहने का मतलब यह है की यह कुछ तो गड़बड़ है जिससे हम नजरअंदाज नहीं कर सकते।"
"Wow शाबाश मिस्टर Watcher, क्या ख़ूब पहचाना है आपने, कमाल कर दिया यार तूने तो, कुछ ही घंटो मैं इतना सब कुछ समझ लिया, तू तो महान है।" भाई ने एक बार फिर मुझे ताना मारते हुए रूखी आवाज़ में कहा,"तेरे पास कोई proof है कि यहां कोई रहता है? चाहे वो इंसान हो या कोई भूत" भाई ने मुझे घूरते हुए कहा तो मैंने बस ना में सर हिला दिया, क्योंकि मैंने जो भी कहा वो सिर्फ मेरा अनुमान था जो मेने यहां आकर नोटिस किया था।
"Then You Just Forget About All, इतना सोचने की जरूरत नहीं है, तुम्हें पता है तुम्हारे जैसे लोगो की यही problem है कि तुम किसी चीज से खुश नहीं रहते और ना ही किसी को खुश देख सकते हो, हर वक्त कोई न कोई बात को लेकर हमेशा तमाशा खड़ा कर देते जो जैसे इस दुनिया का सारा knowledge तुम्हारे पास ही हो।"

"हर्ष..." आंशिका ने हर्ष को घूरते हुए कहा, क्योंकि वो समझ गई थी कि हर्ष क्या कहना चाहता है,यह सुनकर अभी ट्रिश आगे बढ़ी थी की तभी मैंने उसका हाथ पकड़ लिया,जिससे वो मुझे घूरने लगी तो मैंने सर हिलाकर मना किया और वो अपनी जगह पर वापस बैठ गईं, भाई के मुँह से पहली बार नहीं था जो मैंने यह सब सुना था, मैंने कुछ नहीं कहा और चुप-चाप ऐसे ही बैठा रहा, सब मुझे देख रहे थे इस उम्मीद में कि मैं क्या कहूंगा पर मैने कोई रिएक्शन नहीं दिया। इन सब हालातो को देखकर निशा अभी कुछ कहने ही वाली थी तभी विवेक ने उसका हाथ पकड़ लिया और गुस्से में देखते हुए अपना सर ना मैं हिलाने लगा।


"मुझे लगता है कि हमें जाकर थोड़ा आराम कर लेना चाहिए।" मिस ने हालात को समझे हुए खामोशी को तोड़ा, उनकी बात सुनकर सब अपनी-अपनी जगह से खड़े हो गए, हर्ष श्रेयस को गुस्से में घूरते हुए चला गया, सब अपने-अपने रूम की तरफ जा रहे थे, मैं वहीं खड़ा कुछ सोच रहा था कि तभी मिस मेरे पास आई।
"श्रेयस" उनकी आवाज सुन में अपनी सोच से बाहर आया और उन्हें देखने लगा,"yess मिस "
"श्रेयस में तुम्हारी बातो को समझ सकती हूं पर शायद तुम इस जगह के बारे मैं ज्यादा ही सोच रहे हो या फिर तुम Comfortable फील नहीं कर पा रहे इसलिए तुम्हे ऐसा लग रहा है, कई बार थकान की वजह से भी हमे ऐसा लगता है इसलिए कुछ देर जाकर सो जाओ तो सुबह तुमको बेहतर महसूस होगा।" मिस ने मेरे कंधे पे हाथ रखते हुए कहा तो मेने बदले में हल्का मुस्कराते हुए हां में सर हिलाया," गुड नाइट" मिस को मेने गुड नाइट कहा और वो चली गई।

"शायद मिस की बात सही हैं, में कुछ ज्यादा ही सोच रहा हूँ "सोचते हुए में भी अपने कमरे की तरफ़ बढ़ा कि तभी मेरा ध्यान मुकेश पर गया तो वो अपनी आंखें बंद करके वही फर्श पर लेटा हुआ था,शायद वो भी थकान की वजह से सो गया था,मेरे दिमाग मैं अभी कुछ सवाल घूम रहे थे पर मैंने सोचा सुबह पूछ लूंगा, जैसे ही मेरा ध्यान उसकी तरफ गया तो उनसे अपनी आंखें खोली उसकी आंखो मैं देखकर मैं चौंक गया क्योंकी उसकी आँखे लाल तरंगों से भर्री हुई थी।

"क्या हुआ सर?" उसने अपनी भारी आवाज़ में कहा, उसकी आँखों को देख और उसकी आवाज़ सुन में समझ आ गया कि ये बहुत गहरी नींद से उठा है इसलिए इसकी यह हालत है।
"कुछ नहीं, ये लो टॉर्च रात में शायद काम आ जाए।"इतना कहकर मैंने उसके हाथ मै टॉर्च पकड़ा दी।
"सर एक बात पूछूं आपसे?" मुकेश की आवाज सुनकर में रुक गया और मुड़ के उसे देखने लगेगा।
" हां पूछो"
"सर आपको नहीं लगता इस जगह पर किसी ओर जगह के मुकाबले कुछ ज्यादा ही ठंड है।" उसने कंबल को पकड़ते हुए कहा।
"हा यह तो तुमने ठीक कहा, वैसे मुकेश तुम इस जगह के बारे में कुछ जानते हो?"
"कुछ नही जानता सर और ना ही कभी इस जगह के बारे मैं कुछ सुना है।"
"वैसे यह जगह शहर से कितनी दूर है?"
"यही कोई 3 घंटे का रास्ता होगा सर।"
“हम्म करीब 100km, मतलब शहर से उतनी भी दूर नहीं है फिर भी किसी को यहाँ के बारे मैं नहीं पता।"मेने बेहद हल्की आवाज़ में अपने आप से ही कहा।
"कुछ कहा सर आपने?" मुकेश के सवाल से मैंने ना मैं सर हिलाया, "तुम अब सो जाओ" इतना कह के में वहां से अपने कमरे की तरफ बढ़ गया, अगर यह जगह शहर से ज्यादा दूर नहीं है तो फिर इस जगह पर कोई भी आ - जा सकता है और वैसे भी यह जगह तो Tourist place है तो फिर किसी को भी इस जगह के बारे मैं पूरी जानकारी कैसे नही है?इतना सोचता ही अपने कमरे में पहुंच गया और बिस्तर पर बैठ गया, अभी भी दिमाग में सभी बाते घूम रही थी तभी मेरी नज़र बेड की साइड टेबल पे पड़ी जहाँ पे रखी माँ की फोटो फ्रेम उल्टी पड़ी थी, मैंने उसे उठाया दिया और बिस्तर पर लेट गया, थकान से शरीर टूट रहा था और दिमाग में चल रही बातों से पूरा बदन भारी हो गया था इसलिए बिस्तर पर लेटे हुए कब मेरी आंखें बंद होने गई मुझे पता ही नहीं चला।



दुसरी तरफ...

"तूने मुझे नीचे बोलने से क्यों रोका?" निशा गुस्से से विवेक को देख रही थी।
"तो क्या तुझे ऐसे ही बकवास करने देता, पागल तो नहीं हो गई थी तू?क्या कहती तू नीचे कि जो जटका तूने मेहसूस किया वो कुछ ओर था जिसने तेरी इन गोरी बाहों पर यह घाव दे दिया।"विवेक ने गुस्से में निशा का हाथ पकड़ते हुए कहा जिस पर एक गहरा घाव लगा हुआ था,विवेक के इस तरह हाथ पकड़ ने से उसके चेहरे पर दर्दं की एक लकीर बन गई।
"Bullshit"कहते हुए निशा ने अपना हाथ छुड़ा लिया।
"हां तो वही सब बता देती क्या पता शायद श्रेयस सही कह रहा हो यहां सच मैं कोई बुरी आत्मा हो सकती है,मेरे कहने की वजह हम सही सलामत घर तो पहुंच जाते।"
"और वापस जाकर क्या करेगे?" विवेक गुस्से मै निशा की तरफ बढ़ा,"मेरी बात कान खोलकर सुन ले जब तक हमारा काम पूरा नहीं हो जाता हम कही नही जाने वाले समझी?"
"तू कोन होता है मुझे order देने वाला?"कहकर निशा ने हल्के से विवेक को धक्का दे दिया।विवेक अभी गुस्से मै उसके पास ही जाने वाला था तभी आर्यन उन दोनो के बीच मैं आ गया।
"Wooow...calm down guys,Just chill"
"यार मैने तुझे पहले ही कहा था की इस साथ मैं लेने से कोई फायदा नही होने वाला,मुझे पता था की ये यह आकर ऐसा ही कुछ सीन create कर देगी।"
"तू कोन होता है मुझे यह लाने वाला भूल मत अगर मैं तुझे इस जगह के बारे मैं नहीं बताती तो आज तू यहां नही खड़ा होता,So you owe me"निशा ने अपने तेवर दिखाते हुए कहा जिसे देखकर विवेक उसे गुस्से से देखने लगा।
"Guys बच्चों की तरह behave करना बंध करो मत भूलो हम यह किसी मक़सद से आए है जो सब तक वो पूरा नहीं हो जाता तब तक किसी को भी हम पर शक नहीं होना चाहिए....So,Be mature."


दूसरे कमरे में

हर्ष बेड पर बैठे हुए अपना फ़ोन इधर उधर घुमा रहा था,"Come on यार...आजा" उसकी नजर सिग्नल वाले हिस्से में चिपकी हुई थी लेकिन अभी भी 'नॉट इन सर्विस' दिख रहा था।
"तूने आज सही नहीं किया यार" अविनाश साइड में बैठा उसकी तरफ देखते हुए बोला।
"तुझे तो वैसे भी कुछ सही नही लगता तो चुप रह।"
“तू समझा नहीं मैं क्या कहना चाहता हूँ, हमें सबको सच बताना चाहिए था।"
"अबे क्या बताना चाहिए था,देख बिना बात के दिमाग की खोपड़ी मत घुमा वरना मैं तुझे भूत बनाकर तेरी खोपड़ी इस दीवार पर टांग दूंगा।" हर्ष ने अविनाश की बात को मजाक मैं उड़ते हुए कहा, हर्ष को इस तरह देख अविनाश का गुस्सा आसमान में पहुंच गया, वो अपनी जगह से उठा, हर्ष के हाथ से फोन छीनकर बेड पर फेंक दिया और उसे collar से पकड़ते हुए कहा,"तू मेरी सुन रहा है या फिर मैं अपने तरीके से समाजाऊं" अविनाश का इस तरह गुस्से मै देखकर वो हल्का सा चौक गया।
"अरे मेरे भाई, तू तो नाराज हो गया, अब मेरा collar छोड़ ऐसे कोई करता है क्या?"
"Now Better, पर हमें सबको बता देना चाहिए कि हमें टॉर्च हमे किचन मैं नहीं मिली थी बल्कि यह खुद floor पर रोल करते हुए हमारे पास आई थी।" हर्ष के चेहरे पर आई मुस्कान अविनाश के बातों से गायब हो गई।
"मेरी बात ध्यान से सुन ले अवि,आखिरी बार समझा रहा हूं, हमें टॉर्च कैसे मिली ये बात किसी को नहीं पाता चलनी चाहिए खास कर श्रेयस को, तू समझ रहा है ना कि मैं क्या कह रहा हूं? Don't Spoil this thing to anyone"हर्ष ने कड़क टोन मैं अपनी बात कही।
“But Why Dammit, हो सकता है श्रेयस और मिलन जो कह रहे हो वो सही हो, और अगर ऐसा है तो हमारे पास अभी भी वक्त है यहाँ से निकलने के लिए।"
"देख मैने कब कहा कि हम नहीं बताएंगे,पर पहले मेरा काम खत्म हो जाने दे उसके बाद सबका जो decision होगा वो मुझे मंजूर है,तू नहीं चाहता तेरा भाई अपने काम में सफल हो?"हर्ष ने अविनाश के कंधे पर हाथ रखकर कहा क्योंकि किसी को बातों में किस तरह उलझा जाता है ये हर्ष से बेहतर कोई नहीं जानता था।
" ठीक है, तेरे लिए कुछ भी लेकिन इसके बदले में मेरी शर्त है,यहां पर इतनी सर्दी है तो गरम करने का जुगाड़ भी तुझे ही करना होगा।" अविनाश की बात सुनकर हाथ समझ गया ही वो क्या कह रहा है।
"Don't Worry Dude, समझ ले हो गया"
कहानी जितनी सुलझी हुई लगी है उतनी है नही क्योंकि सब लोग अपनी खुदगर्जी के लिए इस बात को दबा रहे है पर उनकी यह गलती आगे जाकर कितनी दर्दनाक साबित होने वाली थी यह उन सबको नही पता था।
श्रेयस गहरी नींद में सो चुका था लेकिन वो नहीं जानता था कि यहां गहरी नींद में मीठे सपने नहीं दिखते, वो आंखें मूंदे सब चीज़ों से बेखबर सोया हुआ था की तभी साइड पे रखी फोटो फ्रेम फिर गिर गई," थप्प्प्प.... " इस शांति भरे महोल में ये आवाज किसी बम की तरह गूंज उठी,कानो में आवाज पड़ते ही मेरी नींद टूट गई और मेने अपनी आंखें खोल के इधर उधर देखा तो कुछ नहीं था, बिल्कुल सन्नाटा छाया हुआ था तभी मेरी नजर side पे रखे frame पर गई,मैने उसे सीने से लगाया और सोने की कोशिश करने लगा,कुछ देर तक करवटे बदलता रहा लेकिन ना जाने क्यूँ नींद आँखों से दूर हो चुकी थी, आखिर मैं थककर में अपनी जगह से उठा, बैग में से जैकेट निकाली और टॉर्च उठा के रूम से बाहर निकल गया।


कमरे से बाहर निकलकर देखा तो पूरा कॉरिडोर एक गहरे सन्नाटे के साथ अँधेरे में डूबा हुआ था, मैंने टॉर्च ऑन की और दोनो तरफ देखते हुए आगे बढ़ने लगा, दिमाग में अभी भी एक अजीब सी कश्मकश चल रही थी,इस हल्की रोशनी की मदद से मैं आगे बढ़ने लगा,"ठकक....ठककक" पैरो में पहने shoes की आवाज इस सन्नाटे में गूंजते हुए दूर तक जा रही थी,जिससे यह पता चलता था की यह कॉरिडोर आखिर कितना लंबा है जहां तक मेरी नजर पहुंच रही थी मेरे दोनों साइड सिर्फ दीवारें थी, दीवारों को देखकर मेरे दिमाग मैं बस एक ही बात चल रही थी कि आखिर क्यों इतने लंबे कॉरिडोर बनाए हुए है,ऐसे ही चलते हुए मैं दूसरी मंजिल पर पहुंच गया,बाहर की धुंध बंध खिड़की से हल्की सी अंदर आ रही थी,तभी उस धुंध की परछाई मैं मुझे वहा कोई खड़ा हुआ दिखाई दिया,मैने टॉर्च उसकी तरफ की तो उसकी रोशनी वहा तक नहीं पहुंच रहे थी, मैं उसका पीछा करने के लिए आगे बढ़ा तभी मुझे मेरे कंधो पे किसी के हाथों का स्पर्श मेहसूस हुआ जिसकी वजह से मैं हड़बड़ाते हुए पीछे मुड़ गया।
"श्रेयस......" कानो में जब जानी पहचानी आवाज पड़ी तो मैंने टॉर्च उसकी तरफ की तो पाया की ट्रिश अपने हाथों से अपने चेहरे को छुपाए खड़ी है।
"ट्रिश तू.....यहां??!" अपनी सांसों को शांत करते हुए मेने पूछा।
"यहां मतलब, मैं कुछ समझी नहीं?"
"मतलब,तू मेरा पीछा करते हुए यहां क्यों आ गई?"मेरे दिमाग मैं अभी भी वही परछाई घूम रही थी।
"श्रेयस,Are you Okay? ट्रिश ने मेरे कंधे पे हाथ रखा,"तुम कबसे यही पर खड़े हो तो मैं तुम्हारा पीछे कैसे करूंगी?"ट्रिश के इतना कहते ही मेरा दिमाग सुन सा हो गया, मेने तुरंत अपनी नजरें आसपास घुमाई तो देखा में अपने कमरे से थोड़ी ही दूर 1st floor की रेलिंग के पास खड़ा था,"ये कैसे हो सकता है?अभी तो में दूसरे floor के कॉरिडोर में चल रहा था।"मैं खुद से ही पूछने लगा।
"श्रेयस,calm down मैं तुम्हारी बात समझती हूं" ट्रिश ने मेरे चेहरे को पकड़ के अपनी तरफ घुमाया।
"नहीं ट्रिश तुम मेरी बात को समझो में अभी कुछ देर पहले उठा, नींद नहीं आ रही थी तो सोचा कि थोड़ा बाहर घूम आऊं इसलिए मैं चलते हुए दुसरे floor पर पहुंच गया,वहा पहोचकर देखा तो कोई खिड़की के पास खड़ा था...." मैने बैचेनी भरे लफ्जों मैं कह दिया,इतना कहते हुए मेरी सांसे भारी हो गई थी।


"श्रेयस...."ट्रिश ने चिल्लाते हुए कहा, "तुम कहीं नहीं चल रहे थे,जबसे मैं यहां आई हूं तुम सामने की ओर टॉर्च करके चलते हुए आगे बढ़ रहे थे मैंने तुम्हे कितनी आवाज लगाई लेकिन तुम मेरी बात सुन ही नही रहे थे,तब मैंने देखा की तुम एक बिल्ली का पीछा कर रहे हो तो मुझे तुम्हे रोकना पड़ा अगर तुम थोड़ी देर ऐसे ही चलते तो सीधा उपर से नीचे गिर जाते।" उसने मेरे चेहरे को सहलाते हुए बेहद आराम से कहा, उसकी बात सुन मुझे समझ नहीं आया कि मेरे साथ कुछ मिनट पहले क्या हुआ? मैने नीचे देखा तो हम 18-19 feet उपर खड़े थे, यह देखकर मैंने अपने सर पर हाथ रख दिया,"तुम्हें नींद की सख्त जरूरत है, आओ"इतना कहकर ट्रिश ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे कमरे में ले गई,उसने मुझे बेड पर लिटा दिया और मेरे बगल मैं बैठ गई।
"Trish,This place is driving me Crazy, I'm gonna fed up with this place"मेरी बात सुनकर वो मेरी आंखो मैं कुछ पल देखती रही,"श्रेयस तुम्हे कुछ नही होगा ,बस उन चीजों के बारे में ज्यादा मत सोचो।"इतना कहते हुए वो मेरे बालो मैं अपना हाथ फेरने लगी,उसने मेरे शरीर पे रजाई दाल दी और मेरा पास बैठ गई,उसके ऐसा करने से एक अलग ही सुकून मिला, पता नही क्यों आज इतने दिनो बाद ऐसा लग रहा था जैसे मेरा कोई अपना मेरे साथ हो इसलिए मैने उसका हाथ पकड़कर अपने चेहरे से लगा दिया,मेरे आंख से निकलते आंसू की एक बूंद उसके नर्म हाथो पर आ गई,जिसे उसने मेरे आंख से पोंछ दिया,ना जाने क्या जादू हुआ दिमाग से हर परछाई गायब हो गई, उसके हाथ के स्पर्श ने मेरे दिमाग के सारे बोझ को उतार दिया, मेरी आंखें बंद हो गई और मै गहरी नींद में चला गया।


दूसरी तरफ हॉल मैं बंध पड़ी घड़ी अचानक से चल पड़ी,जो रात के 3 बजे का टाइम दिखा रही थी,उसकी दोनो सुइयां मिली और उसकी आवाज हॉल में सो रहे मुकेश के कानो मैं पड़ी, कानो मैं यह आवाज पड़ते ही दिमाग ने उसकी आँखों को खोल दिया,जागते ही उसने अपनी आसपास देखा जहां जलती हुई लकड़ियों की वजह से हल्की सी रोशनी बनीं हुई थी,जो काफी हद तक जल चुकी थी,आंख खुलते ही मुकेश ने एक लंबी सी अंगड़ाई ली और फिर उबासी लेते हुए आंखें बंद करके सोने की कोशिश करने लगा लेकिन शायद उसके नसीब मैं नींद नहीं थी क्योंकी तभी उसके कानो मैं किसके फुसफुसाने की आवाज पड़ी जिससे उसकी आंख फिर खुल गई,"कौन हैं??!"बोलते हुए वो बैठ गया पर किसी ने जवाब नही दिया,इसलिए वो फिर लेट गया,जैसे ही उसकी आंख बंध हुई फिर वही आहट हुई,"अबे चुप हो जाओ नहीं तो जान से मार दूंगा।" बिलखते हुए वो फिर चिल्लाया जिसकी वजह से उसकी आवाज हॉल मैं गुंज उठी।


वो बेड पे बैठा सामने की ओर देख रहा था पर इस बार किसी और चीज की अब आई जैसे बहुत सारे कीड़े उड़ रहे हो,उनके टकराने की वजह से अजीब सी आवाज आ रही थी,"क्या मुसीबत है" टॉर्च जला के वो आवाज की दिशा में चल पड़ा, वो आवाज का पीछा करते हुए नीचे हॉल में घुमता रहा,उसे अंधेरे में रास्ते का पता नहीं चला और चलते हुए कॉरिडोर मैं आगे बढ़ गया,उसके साथ भी वही चीज हुई जितना वो उसके पास जाता वो आवाज उतनी ही दूर से आती हुई मेहसूस हो रहे थी।चलते हुए अँधेरे में धड़कते दिल के साथ मुकेश के माथे पे पसीने की बूंदे उभर आई थी,"एक बार यह आवाज करने वाला मिल जाए तो छोडूंगा नहीं, साले ने मेरी नींद खराब कर दी"बिलबिलाते हुए मुकेश रोशनी से अच्छे से इधर उधर देखते हुए आगे रहा था कि तभी उसकी नज़र सामने अटक गई,उसने सामने देखा तो एक औरत उसकी तरफ पीठ करके खड़ी हुई थी जिसके पास से यह आवाज आ रही थी।


मुकेश ने उसे jenny समझ लिया इसलिए उसने कहा,"मैडम आप यहां क्या कर रही हैं?"मुकेश सामने की तरफ से जवाब का इंतजार करता रहा लेकिन उसने कुछ नहीं कहा," मैडम" कहते हुए वो थोड़ा आगे बढ़ा तभी उसके कानो मैं उस औरत के फुसफुसाने की आवाज पड़ी,"मैडम आप ठीक तो है ना?"तेज़ धड़कन के साथ जैसे ही वो उस औरत के सामने पहुंचा उसकी रूह कांप उठी।उसका चेहरा आधा जला हुआ था और दूसरी तरह से आधा सड़ चूका था जिसे कीड़े खा रहे थे,उसके चेहरे से खून रिसते हुए नीचे गिर रहा था और देखते ही देखते वो जल्दी हुई चमड़ी की परत चेहरे से उतरती हुई नीचे गिर गई,ऐसा मंजर देखकर जैसे उसकी आत्मा उसके शरीर से अलग हो गई वो जोर से चीखा और भागने की कोशिश करने लगा पर तभी उसका balance बिगड़ा और उसका सर पीछे किसी नुकीली चीज़ से टकरा गया,"आआहहह...." कराहते हुए उसने अपना हाथ आगे किया तो उसका हाथ खून से सना हुआ था,दर्द की वजह से उसकी आंखे बंध हों गई,कुछ देर बाद उसने अपने पास देखा तो वहां कोई नही खड़ा था,यह देखकर वो हिम्मत करके उठा और तेज़ी से ऊपर के floor की ओर भागने लगा,वो तेजी से सीढ़िया चढ़ते जा रहा था,उसके दोनो तरफ बंध कमरे ओर सामने लंबा कॉरिडोर था,कुछ देर तक वो ऐसे ही भागते रहा आखिरकार वो थक कर दीवार का सहारा लेकर खड़ा हो गया तभी उसने सामने की खिड़की के पास देखा तो उसे कोई खड़ा हुआ दिखाई दिया वो जैसे ही बोलता उससे पहले ही वो खिड़की के बाहर कूद गया,मुकेश ने तुरंत खिड़की के बाहर देखा तो वो अभी रिजॉर्ट के सबसे उपर के floor मैं खड़ा हुआ था और उसे नीचे कोई दिखाई नहीं दिया तभी उसे अपने गर्दन पर किसी के सांसों की गर्मी महसूस हुई,उसने जैसे ही पीछे मुड़कर देखा तो वो उसके चेहरे के बिलकुल नजदीक खड़ी उसकी आंखो मैं देख रही थी।घबराहट की वजह से उसका पैर फिसला और वो नीचे गिर गया,जमीन पर गिरने के साथ उसका सर वहा पड़े पत्थर से इतनी जोर से टकराया की वो पत्थर भी crack हो गया।


'फाटट....' पत्थर से सर के टकराते ही सर के फूटने की आवाज़ निकली और मुकेश का सर दो हिस्सो में बट गया,उसके साथ ही उसका दिमाग,नसे और आंखे बाहर आ गई,उसके शरीर का पिछला हिस्सा जमीन पर गिरने की वजह से उसके कमर की हड्डी के साथ,अतडिया और कुछ मांसपेशियां शरीर की फाड़ते हुए बाहर आ गई।ठंडी हवा में पड़े मुकेश के शरीर से निकलते खून को मिट्टी सोख रही थी तभी एक कीड़ा आकर मुकेश के शरीर पर आकर बैठ गया और उसके शरीर के मांस को खाने लगा,एक,दो ऐसे करते उसके शरीर पर उन कीड़ों की जैसे चादर जम गई और चिथड़ो मैं बटे मुकेश के शरीर को नोच-नोच कर खाने लगे,कुछ ही पल मैं अब बस वहा उसके शरीर की हड्डियां और उसके फटे हुए कपड़े ही बचे थे, वहा जमीन मैं कुछ हलचल शुरू हो गई वो हड्डियां जमीन मैं समा गई और हवा के झोंकों ने उसकें फटे हुए कपड़ो को अपने साथ जंगल मैं उड़ाकर ले गया।एक बार फिर इस जगह पर मौत के उस अजीब से खेल की शुरुआत हो चुकी थी जिसकी भनक अंदर सो रहे किसी को भी नही थी,अब आगे कौन इसका शिकार बनेगा यह तो आनेवाला वक्त ही बतायेगा।



To be Continued......