Pauranik Kathaye - 25 in Hindi Mythological Stories by Devaki Ďěvjěěţ Singh books and stories PDF | पौराणिक कथाये - 25 - रंगों के त्यौहार में भंग

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पौराणिक कथाये - 25 - रंगों के त्यौहार में भंग

रंगों का त्यौहार होली बहुत ही पावन पर्व है। यह त्यौहार प्रेम सौहार्द का प्रतीक है।

होली के दिन पुरुष, स्त्री, बड़े, बच्चे सभी एकजुट होकर रंगों से खेलते हैं।
इस दिन पूरा समाज होली के सतरंगी रंग में रंग जाता है।
इस दिन सभी एक दूसरे के गले मिलते हैं।होली की शुभकामनाएं देते हैं। भिन्न भिन्न प्रकार की स्वादिष्ट व्यंजनों का सेवन करते हैं।

तो वहीं कुछ पुरुष वर्ग शराब का सेवन कर रंग में भंग डाल देते हैं ।
नशे की हालत में महिलाओं से बदतमीजी करते हैं , कुछ तो खुद ढंग से चल भी नहीं पाते हैं।
ऐसे लोग होली के मस्त माहौल को ख़राब करते हैं।

कुछ ऐसा ही किया हमारे वरुण ने -

होली के दिन वरुण और उसका परिवार बहुत ही खुश था। उसने अपने बच्चों पत्नी दोस्तों के साथ होली का त्यौहार खूब धूमधाम से मनाया।
खूब नाच गाना मस्ती की विभिन्न प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजनों का आनंद लिया।

दोपहर के बाद वह अपने एक मित्र के साथ दूर के दोस्तों के साथ होली खेलने के लिए स्कूटर से निकल गया।
वहां पर दोस्तों के साथ खूब धमाल किया और शराब का सेवन किया।
3 बजे के करीब वह अपने मित्र के घर से अपने घर के लिए निकला।
उस वक़्त वह नशे की हालत में था। वह स्कूटर भी ढंग से नहीं चला पा रहा था।

वह और उसका मित्र दोनों ही नशे की हालत में थे। उन्होंने हेल्मेट तक नहीं पहना था।
स्कूटर चलाते हुए किसी तरह मैन हाईवे तक पहुंच गए थे। मैन हाईवे पर कुछ दूर चले ही थे कि उनका बैलेंस बिगड़ गया और वो एक ट्रक से टकरा गए।

पीछे बैठे व्यक्ति को तो मामूली सी खरोंचे आई। लेकिन वरुण की तो ऑन द स्पॉट मौत हो गई।

लोगों ने किसी तरह उनके परिवार को फोन किया और इस दुःखद घटना की जानकारी दी।

पत्नी का तो रो रो कर बुरा हाल था। वे हर साल होली पर अपनी पत्नी के लिए सोलह श्रंगार का सामन लाते थे। होली के दिन वरुण की पत्नी और बच्चों ने वहीं नए कपड़े पहने थे।

वरुण की पत्नी बहुत रो रही थी कह रही थी कि मैं हमेशा शराब के लिए उन्हें मना करती थी।आज के दिन भी मैंने उन्हें शराब के लिए मना किया था।
दोपहर तक तो उन्होंने शराब छुआ भी नहीं था। पर दोस्तों के साथ जाकर शराब पी लिया और ये सब हो गया।

"इस शराब ने तो मेरे जीवन का हर रंग छीन कर मुझे बेरंग कर दिया"।

वरुण के तीन बच्चे थे तीनों ही छोटे थे।बड़ा बेटा 12 कक्षा में पढ़ता था।
बच्चों का भी रो रो कर बुरा हाल था।

होली के दिन जहां पूरा वातावरण सतरंगी खुशियों के रंग में रंगा हुआ था ।अब वहां ग़म के बादल छा गए थे।
वरुण के पत्नी बच्चों ने किसी तरह अपने पिता /पति के पार्थिव शरीर को सफ़ेद कफ़न में लपेटा।

वरुण की शराब की चाहत ने पीछे पूरे परिवार को रोता बिलखता छोड दिया। परिवार की सारी खुशियों को रंग विहीन कर होली के त्यौहार में रंग में भंग डाल दिया। अपने चारों ओर मातम का माहौल फैला दिया।

दोस्तों आप सबसे निवेदन है कि होली के पावन पर्व पर मदिरापान से दूरी बनाए रखें। और अपने परिवार की महता को समझें।

✍🌹देवकी सिंह 🌹