When the ant soured the elephant's teeth. in Hindi Short Stories by Anand Saxena books and stories PDF | जब चींटी ने हाथी के दांत खट्टे कर दिए।

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जब चींटी ने हाथी के दांत खट्टे कर दिए।

जब चीटी ने हाथी के दाँत खट्टे कर दिये ।
बात द्वितीय विश्व युद्ध की है जब रूस के शासक स्टालिन ऊंचाइयों पर थे । बड़े शक्तिशाली़ विख्यात व प्रतिष्ठित थे फिनलैन्ड बहुत छोटा सा नवोदित राष्ट्र था पर स्वाभिमान से भरपूर । स्टालिन को उसके प्राकृतिक संपदा का लालच था ،उन्होंने फिनलैंड के सामने उससे निकिल कोबाल्ट आदि धातुओं के धातुओं के उत्पादन का अधिकांश भाग भाग रूस को देने की माँग रखी स्वाभिमानी फिनलैंड स्पष्ट मना कर दिया । जिससे नाराज होकर रूस ने 30 नवंबर 1939 को फिनलैंड पर आक्रमण कर दिया । फिनलैंड वाले इस प्रत्याशित आक्रमण के लिए तैयार थे उन्होंने फिनलैंड की रक्षा का भार 78 वर्षीय अनुभवी रिटायर्ड फौजी को दिया । उसने फिनलैंड के लगभग एक लाख लोगों को खाली कर पीछे बुलवा लिया और उस क्षेत्र का सभी खाद्य सामग्री आदि हटा दी गई जिससे शत्रु सेना को कोई मदद ना मिल सके फिर पहाड़ी क्षेत्र में अपनी मशीन गने फिटकर ली । अब रूस के सैनिक 2 -2.5 मील आसानी से मैदान में मशीन गनों की मार में आ गए जिसमें फिनलैंड वालो उन्हे भून डाला । रात्रि में छापेमारी कर उनकी रसीद काटते जिससे उनकी सेना का बुरा हाल हो गया पर रूस के पास तो विशाल सेना थी वह झौकता ही गया । ब्रिटेन फ्रांस में फिनलैंड की बहुत तारीफ की मदद का आश्वासन दिया पर मदद नहीं की । यह युद्ध मध्य मार्च तक चला जिसमें रूस के लगभग 1.25 To2.5 लाख सैनिक मरे पर फिनलैंड हताहत मात्र कुछ है हजार सैनिक ही थे। इतिहासकारों का सैनिकों की संख्या के संबंध में अलग-अलग मत हैं पर मोटा अनुमान यही है । कहते हैं मार्च महीने में जब स्वीडन से मदद आने वाली थी उसके पूर्व फिनलैंड वालों ने रूस से संधि कर ली और उसकी मांगों का कुछ इसका स्वीकार कर लिया । इससे यह तो सिद्ध हो गया फिनलैंड वाले अच्छे रणनीतिकार हैं और तत्कालीन रूस की सेना असंगठित संसाधन विहीन ।
इतिहासकार इस युद्ध को Winter War कहते हैं ।यह कहानी द्वितीय महायुद्ध की भले ही पर आज भी प्रासंगिक है । वर्तमान में रुस अत्यंत शक्तिशाली है परंतु डेढ़ साल से ऊपर समय बीतने पर भी वह यूक्रेन पर विजय ने प्राप्त कर सका यह अपने आप में बड़ी उपलब्धि है । यूक्रेन के द्वारा दुनिया के सर्वोत्तम साधन संपन्न देश को इस तरीके से झेलना और बराबरी से उनके सैनिक ठिकानों पर आक्रमण करना अपने आप में उपलब्धि है यद्यपि यूक्रेन को अमेरिका आदि देशों से सैन्य सहायता प्राप्त हो रही है तो रूस को भी ईरान जैसे शक्तिशालियों की मदद शामिल है जिसमें नॉर्थ कोरिया भी है ।
यह तो ही राष्ट्रों की बात सामान्य जनमानस के लिए भी यह एक बड़ी सीख है की कभी भी किसी शक्तिशाली से किसी समस्या पर यदि उलझन आ जाए तो घबराना नहीं चाहिए वरन शांतिपूर्वक समस्या के के हाल पर विचार करना बहुत जरूरी है जिसमें अपने स्ट्रांग और वीक पॉइंट्स और प्रतिपक्षी के कमजोर पॉइंट्स और स्ट्रांग पॉइंट्स दोनों पर विचार किया जाना जरूरी है तभी कोई रणनीति सही ढंग से बनाई जा सकेगी और उसका क्रियान्वयन सावधानी होने पर सफलता प्रदान करेगा ।