Rishta Chiththi ka - 2 in Hindi Letter by Preeti books and stories PDF | रिश्ता चिट्ठी का - 2

The Author
Featured Books
  • నిరుపమ - 10

    నిరుపమ (కొన్నిరహస్యాలు ఎప్పటికీ రహస్యాలుగానే ఉండిపోతే మంచిది...

  • మనసిచ్చి చూడు - 9

                         మనసిచ్చి చూడు - 09 సమీరా ఉలిక్కిపడి చూస...

  • అరె ఏమైందీ? - 23

    అరె ఏమైందీ? హాట్ హాట్ రొమాంటిక్ థ్రిల్లర్ కొట్ర శివ రామ కృష్...

  • నిరుపమ - 9

    నిరుపమ (కొన్నిరహస్యాలు ఎప్పటికీ రహస్యాలుగానే ఉండిపోతే మంచిది...

  • మనసిచ్చి చూడు - 8

                     మనసిచ్చి చూడు - 08మీరు టెన్షన్ పడాల్సిన అవస...

Categories
Share

रिश्ता चिट्ठी का - 2

प्रोफेसर!

तबियत आज कुछ ठीक नहीं थी सुबह से, लेकिन किसी से कहा नहीं, परेशान हो जाते सब। लेकिन आपको नहीं बताती तो मैं परेशान रहती। वहां नहीं बताया, डांट ना पड़े इसलिए यहाँ बता रही। जब तक चिट्ठी मिलेगी तब तक मैं भली चंगी सी हो जाउंगी। ना ना घबराने जैसी बीमारी नहीं है, फिलहाल नहीं।

आज दूसरी बार ऐसा हुआ, पहली बार उस रात की अगली सुबह हुआ था। आज दूसरी मर्तबा हुआ, मैं अपना नाम भूल गयी।

कितना कुछ झेलते, बर्दाश्त करने के कारण, दिमाग़ ने खुद की पहचान ही भूलना बेहतर समझ लिया है शायद। ये साल जाते जाते आने वाले समय में कुछ बड़ा होने की आशंका देकर जा रहा या सबकुछ गड़बड़ हो उससे पहले सब ठीक करने का आखिरी मौका।

अब जाके कैसे खुद के लिए जीया जाता है सीखा, तो खुद को ही भूलने की बीमारी गले लग पड़ी! वैसे कुछ होने नहीं वाला लेकिन एक डर सा दिल में बैठने को है। अभी अभी तो आपका हाँथ थामा है यहाँ, इतनी जल्दी नहीं छोड़ना चाहती।

अब लग रहा, अच्छा ही किया जो इन चिट्ठीयों का रिश्ता जोड़ लिया आपसे! भगवान ना करें सब भूल भी गयी तो इन्हें पढ़ कर इतना तो समझ आ ही जायेगा की कोई तो ऐसा शख्स आया था मेरी भी ज़िन्दगी में जिसने मतलब का रिश्ता नहीं रखा मुझसे इस मतलबी लोगों से भरी दुनिया में!

चिट्ठी मिलने के बाद, पढ़ने के बाद भी इसका ज़िक्र वहां ना करियेगा, प्लीज़। मैं कमज़ोर नहीं पड़ना चाहती आपके सामने। अब तो धीरे धीरे जीवन पटरी पर आ रहा, तो अब कुछ ख़राब नहीं होगा, यही सोच इस वक़्त मुझे संभाले हुए है।

अभी तो मैंने जीना शुरू किया है, अभी तो मैंने अपनी तकलीफ के बादलों को अपनी उम्मीद की हवाओं से काफूर किया है।

अच्छा ये सब छोड़िये, अम्मा की बात तो बताना भूल गयी आपको। आने तो वो दे नहीं रही थी, खाना खिलाने के बाद भी। मुझे मम्मी को फ़ोन करके बुलाना पड़ गया था। बहाना सुनेंगे तो हंसी आ जाएगी!! " रात बहुत हो गयी है, आके ले चलो "!!
अम्मा जैसे इतनी चिंतित हो उठी थी, बाबा को परेशान कर दिया था उन्होंने, बिटिया को छोड़ आओ, बैठे हो!! अकेले कैसे जाएगी रात में!!! बाबा भी अपनी छड़ी लेके खड़े हुए ही थे कि मम्मी आ गईं। हम उनके घर से निकले और चल दिए, लेकिन अम्मा बाहर खड़ी रहीं और आवाज़ देती रहीं " दुल्हन (मम्मी को पुकारने के लिए ) बाबा पीछे पीछे ही हैं... तुम लोग अंदर चले जाना, बाबा छोड़ के आ जायेंगे.... "।

अम्मा बाबा के रूप में ईश्वर ने जैसे अपने होने का विश्वास दिलाया। अपनी दुनिया की ख़ूबसूरती की एक झलक दिखाई, बुराई लाख चाहे, अच्छाई से पार नहीं पा सकती!!!

आज समय था तो दो चिट्ठीयां लिख दी हैं। एक ही बार में सब क्यों नहीं लिखा ये सवाल आ तो जायेगा मन में आपके, तो आ जाये, मैं कुछ नहीं कर सकती उसका!!

आपकी
Dr T!
(30/12/2022)

( चाय में अदरक और काली मिर्च दोनों पसंद हैं मुझे!! ठण्ड का ख्याल रखते हुए चाय बनाना सीखीयेगा )