Mayavi Emperor Suryasing - Ch 2 - 1 in Hindi Fiction Stories by Vishnu Dabhi books and stories PDF | मायावी सम्राट सूर्यसिंग - चेप्टर 2 - भाग 1

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मायावी सम्राट सूर्यसिंग - चेप्टर 2 - भाग 1

नमस्कार दोस्तों......................................

आप ने देखा की chapter:- 1 के अंत में सूर्यसिंग के बाद उनका बेटा अमरसिंग सूर्यगढ़ का नया सम्राट बनता है । तब उसकी उमर सोला या सतरा साल की होगी, उसे जादुई शक्तियां मिलने से वो काफी शक्तिशाली हो गया था। लेकिन उस पर बलदेव भानु की नजर पड जाती है और वो अपनी पूरी सेना लेकर सूर्यगढ़ पर चढ़ाई कर देता है। उन दो महा शक्तिशाली राजा ओ के बीच भयंकर युद्ध हुआ और उसमे बलदेव भानु जीत जाता है और अमरसिंग हार जाता है।
बलदेव भानु बहुत ही क्रूर और दयाहीन शासक था। उसने अमरसिंग को काल-कोटरी में बंध कर दिया। पर अमरसिंग भी कोई कम नहीं था। उसने अपनी शक्तियों से कई बार कोटरी को तोड़ दिया और भाग निकला पर हर बार पकड़ा जाता था।
बलदेव भानु ने अपने चारो ओर के सियासतो से लड़ाईया करके अपना एक विशाल साम्राज्य खड़ा कर दिया। लेकिन वो चाए कितनी ही बार अपने राज्य का नाम बदल ले पर वो राज्य सिर्फ सूर्यगढ़ के नाम से ही जाना जाता था। सूर्यगढ़ के स्थान बिंदु पर बलदेव भानु का दरबार बनाया गया था। वहा पर उसका इतना कहेर बरसा की वहा की काफी जनता बलदेव भानु के प्रकोप और डर से वहा से जंगलों की ओर हिजरत कर गए थे। जंगलों में छुप छुप कर रहने लगे थे।
जंगलों में बसेरा करने वाली प्रजाति ने अपना नाम बदल कर गोमटा आदिवासी कर दिया। ताकि अगर वहा पर कोई राजकीय सैनिक आ कर पूछताछ करे तो उसको पता ना चले की ये सूर्यगढ़ की भागी हुई जनता है।
जब बलदेव भानु को पता चलता है की उनके राज्य की काफी जनता ने हिजरत की है तो बलदेव भानु ने अपनी आधी से ज्यादा सैन्य को उस लोगो को पकडकर वापस लाने के लिए भेज दिया। सूर्यगढ़ की सीमा बहुत विस्तार में फैली हुई थी इस लिए हिजरत कर के भागने वालो में से काफी लोग पकड़े गए, बहुत सारे मारे भी गए। लेकिन कुछ लोग वहा से निकलने में कामियाब रहे थे, वो लोग जंगलों को अपना आश्रय बना दिया। सूर्यगढ़ के सैनिकों ने बहुत सारे जंगलों में जा कर तलास की लेकिन वहा से उनको कोई नही मिला क्योंकि वहा पर जंगलों की मात्र बहुत होने से लोग पूरे जंगल में छुप गए थे इसलिए सैनिकों को वहा से खाली हाथ लौट ना पड़ा।
जो भी कोई पकड़ा गया था उनको सूर्यगढ़ के चोखट पर इकट्ठा किया गया। और वहा पर उनको जंजीरों से बांध दिया गया। हर रोज वहा पर स्वयं बलदेव भानु आता था और अपने सैनिकों से कहकर उन पकड़े गए लोगो पर बहुत जुल्म किया करता था और सब से एक ही सवाल करता था की "बाकी के लोग कहा गए ?"
वो सब लोग खामोश रह कर जुल्म और अत्याचारों को सहन कर लेते थे लेकिन कोई किसी के बारे में कुछ भी नही बताता था। बहुत लोगो पर कोड़े मारे जाते थे,कुछ लोगो को लोहे से बनी बड़े बड़े खंभों के साथ टकराया जाता था, काफी लोगो को दौड़ते हुए बैलो के बीच में बांध दिया जाता था ताकि दौड़ते हुए बैल उसको सिंग से मार सके। ऐसे तो बहुत तरीको से बलदेव भानु कैदीओ पर जुल्म करवाता था।
ऐसे ही थोड़े दिन के बाद बलदेव भानु का जन्म दिन आने वाला था। बलदेव भानु ने अपने राज्य में एलान कर दिया की आज से जस्न के दिन शुरू कर दो। पूर्णिमा के दिन बलदेव भानु का जन्म दिन आया। दरबार भरा बैठा था। बाहर से बड़े बड़े राज्यों के राजा - महाराजा और नवाब ,वजीर , बादशाह जैसे लोग उनके जन्म दिन की बधाई देने के लिए वहा पर पधारे हुए थे। जन्मदिन के मौके पर बलदेव भानु ने अपने दरबार में एलान करवाया की आज से कोई भी प्रजाजन या दरबार के दरबारी लोग उनको महाराज भानु नही बल्कि महाराजा देव के नाम से संबोधित करेंगे। ये सुन कर सबको बहुत अच्छा लगा की महाराज प्रतिष्ठा और मान - सम्मान की अधिक महत्व देते हैं।
पूरे सूर्यगढ़ में जगह जगह पर बड़े बड़े जस्न हुए और महाराज देव के नाम के नारे लगने लगे, वो नारे इतने बुलंद थे की दूर जंगलों में बस ने वाले उन लोगो के कान तक वो स्वर पहुंच गए जो बहुत समय पहले वहा से भाग कर जंगलों में बसेरा करने लगे थे।
गोमटा आदिवासी लोगो ने अपना एक नया सरदार बनाया था जिसका नाम विकु था जो बहुत ही ताकतवर और चालक था। विकू ने वो स्वर सुने और उसने भुंगल को फुक दिया । जिससे सब लोग एक जगा पर एकत्र हुए। सब ने एक सभा का आयोजन किया।
विकू ने आक्रोश से कहा:- "आज उस कामिने का तीसरा जन्मदिन आ गया लेकिन हमने अपने साथियों के उनके बंधन से अभी तक आजाद नही करवाया, और तो और हमारे महाराज अमरसिंग भी उसके कैद में बंधे हुए हैं"
सरदार का साथी धरमा बोला:- अरे हम करे तो करे क्या उस कमिने बलदेव ने द्वार से लेकर कैदखाने तक कड़ी सुरक्षा व्यवस्था शुद्रढ कर रखी है और हमे ये तक नहीं पता की द्वार के भीतर उसने कोनसी नई जाल बिछाय रखी है,।
सब एक साथ बोले :- हम जान कुरबान कर देंगे लेकिन अपने महाराज अमरसिंग और अपने साथियों को जल्द से जल्द उस हैवान के बंधन से मुक्त कर लेंगे।
विकू ने अपनी तलवार को ऊंचे करके जोर से बोला
:- "तुम हमे साथ दो हम तुम न्याय दिलाएंगे"
सब ने अपने ईस्टदेव सूर्य का नारा बोला। उस नारे के गूंज से पूरा जंगल गूंज उठा।




.............................. क्रमश........................................