The Author Swati Follow Current Read जिम्मेवारी By Swati Hindi Short Stories Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books बकासुराचे नख - भाग १ बकासुराचे नख भाग१मी माझ्या वस्तुसहांग्रालयात शांतपणे बसलो हो... निवडणूक निकालाच्या निमित्याने आज निवडणूक निकालाच्या दिवशी *आज तेवीस तारीख. कोण न... आर्या... ( भाग ५ ) श्वेता पहाटे सहा ला उठते . आर्या आणि अनुराग छान गाढ झोप... तुझी माझी रेशीमगाठ..... भाग 2 रुद्र अणि श्रेयाचच लग्न झालं होत.... लग्नाला आलेल्या सर्व पा... नियती - भाग 34 भाग 34बाबाराव....."हे आईचं मंगळसूत्र आहे... तिची फार पूर्वीप... Categories Short Stories Spiritual Stories Fiction Stories Motivational Stories Classic Stories Children Stories Comedy stories Magazine Poems Travel stories Women Focused Drama Love Stories Detective stories Moral Stories Adventure Stories Human Science Philosophy Health Biography Cooking Recipe Letter Horror Stories Film Reviews Mythological Stories Book Reviews Thriller Science-Fiction Business Sports Animals Astrology Science Anything Crime Stories Share जिम्मेवारी (2) 1.2k 3.3k जिंदगी ने ऐसी मोड़ पे लाकर खड़ा कर दिया है जहां से आगे जाने का रास्ता पता नही है और पीछे जा नही सकती । जैसे तैसे करके यहां तक तो आ गई लेकिन इससे आगे का सफर कैसे करू कुछ समझ नहीं आ रही । मैं पीछे रह गई हूं या ये दुनिया ही आगे चली गईं , सारे अपने कहां खो गए कुछ पता नही है पैसे के चक्कर में सब कुछ छूट गया है , घर परिवार दोस्त रिश्तेदार सबकुछ ।पैसे तो मैने बहुत कमा लिया लेकिन जो रिश्ते पीछे रह गए उन्हे कैसे कमाऊ , आज मुझे अकेलेपन का एहसास हो रहा है ऐसा लग रहा है मैं जिंदा रह कर भी क्या करू कोई नही है मेरे पास जिसके साथ मिलकल मैं अपना खुशी बांटू ऐसा कोई भी नही है जिसके साथ मैं अपना गम बांटू । जो अपनापन अपने देश में अपने गांव में है वो विदेश की मिट्टी में मिलना असंभव है ।लोग अपने को छोर कर कहीं दूर देश में तो चले जाते है लेकिन जब उन्हें अकेलापन सताता तो उनको याद अपनी मां ही आती है अपनी बहन ही आती है , चंद पैसों के लिए कोई भी ना जाए दूर अपनी फैमिली को छोर कर , पिता की तबियत खराब है लेकिन मैं बस पैसे ही भेज सकती हूं और क्या कर सकती मै इतने दूर से ।मां का खयाल रखने के लिए मेरी एक छोटी बहन हैं पिताजी की देखभाल मां करती है , साल में एक दो बार ही आना जाना हो पाता है , पढ़ाई भी करनी है पैसे भी कमाने है ये सब मैनेज करना है , कभी कभी जिंदगी से बहुत थक जाती हूं जीने की इच्छा नहीं होती तभी सामने मां बाबूजी और बहन का चेहरा आ जाता है , सच में बहुत मुस्किल है घर की जिम्मेवारी उठाना कितना कुछ सहना पड़ता है अपनी फैमिली के लिए । बाबूजी अगर बूढ़े हो जाए तो घर कौन संभाले मुझे ये जिम्मेवारी लेनी ही थी । मैं अपने परिवार को ऐसे भूखे नही देख सकती थी ,अपने पिता को मरते हुए नही देख सकती थी । बचपन में जब पिताजी काम पे जाते थे तो हम दोनो बहनों के लिए हमेशा कुछ खाने को तो कुछ खेलने को जरूर लेट थे ,चाहे हालात जैसे भी हो , कभी भी खाली हाथ घर नहीं आते थे ।तो जब अभी मेरे पापा को मेरी जरूरत है तो मैं कैसे उनका साथ दु कैसे उनकी मदद करू ।बस पैसे तो भेज रही हू लेकिन क्या उनको मेरी जरूरत नहीं पड़ती होगी मैं घर कैसे जाऊं , अगर घर चली गई तो पैसे कहां से आयेंगे। मैं क्या करू कहां जाऊं । किससे बोलूं ये सब कोई नही है जो मेरा दुख समझे । अपने मां बाप से अच्छा इस पूरी दुनिया के कोई नही है ,कोई हो भी नाही सकता ।पूरी दुनिया में भगवान ने सिर्फ मां बाप को ही ऐसा क्यों बनाया है जिसकी जगह कोई नही ले सकता कोई भी नहीं ।स्वाती Download Our App