unsolicited blessings in Hindi Short Stories by Rakesh Rakesh books and stories PDF | बिन मांगी दुआ

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बिन मांगी दुआ

राम सेवक दो दिन बाद घर वापस आता है तो उसकी पत्नी लाजवंती राम सेवक से बहुत झगड़ा करती है राम सेवक भी उसकी जली कटी बातें चुपचाप सुनता रहता है क्योंकि इन दिनों राम सेवक अपने घर के सारे जरूरी काम छोड़ कर अपने बचपन के मित्र सत्यनारायण की बेटी की शादी की भाग दौड़ में व्यस्त था और अपनी जवान बेटी की शादी की उसे कोई चिंता नहीं थी, ऐसी सोच उसकी पत्नी लाजवंती की थी।

उसकी पत्नी की भी गलती नहीं थी क्योंकि उसे पता था कि बेटी रात दिन जवान हो रही है और हमारे पास उसकी शादी के लिए एक फूटी कौड़ी भी नहीं है।

लेकिन ऐसा नहीं था राम सेवक को अपनी बेटी की शादी की चिंता रात दिन सताती थी।

इसलिए मेहनत मजदूरी करके वह जो भी पैसे कमाता था उन पैसों में से घर खर्च के पैसे निकाल कर बाकी पैसे अपनी बेटी की शादी के लिए बैंक में जमा कर देता था लेकिन अब तक इतने पैसे जमा नहीं हो पाए थे कि वह अपनी बेटी की मामूली से मामूली शादी भी कर पाए।

राम सेवक के दोनों बेटे बहुत छोटे थे उनसे भी उसे बेटी की शादी की दस वर्ष से पहले मदद की कोई उम्मीद नहीं थी।

सुबह राम सेवक सत्य नारायण के घर जाने से पहले अपनी बीवी बच्चों से कहता है कि "शाम को सत्य नारायण की बेटी की बारात आएगी तुम सब तैयार होकर समय से सत्य नारायण के घर पहुंच जाना।"

और अपनी बीवी को समझाते हुए कहता है कि "मैं अपनी बेटी समझ कर सत्य नारायण की बेटी की शादी में भाग दौड़ कर रहा हूं।"

सत्य नारायण की बेटी की बाद बरात आने के बाद जब राम सेवक अपनी पत्नी के साथ खाना खाता है, तो राम सेवक की पत्नी की आंखों से आंसू बहने लगते हैं क्योंकि उसे पता था कि हमारे घर की आर्थिक स्थिति इतनी ज्यादा खराब है कि हम इतनी धूमधाम से क्या अगर हम मंदिर में भी शादी करेंगे तो भी हम जेवर कुछ कपड़े नहीं खरीद पाएंगे और ना ही कुछ लोगों को भी खाना खिला पाएंगे।

राम सेवक की पत्नी इस सोच में डूबी हुई थी तो इतने में सत्य नारायण और उसकी पत्नी राम सेवक के पास आकर कहते हैं कि "हमारी बेटी ने पड़ोस के उसे लड़के के साथ मंदिर में शादी कर ली है जिसके प्रेम में वह एक वर्ष से पागल थी, अब अगर बारात बिना दुल्हन के वापस लौट जाएगी तो मेरे परिवार की बदनामी के साथ-साथ मेरी छोटी बेटी से भी कोई शादी नहीं करेगा, इसलिए आप दोनों पति-पत्नी से हाथ जोड़कर प्रार्थना है कि आप अपनी बेटी की शादी इस दूल्हे से कर दे।"

सत्य नारायण और उसकी पत्नी की यह बात सुनकर राम सेवक और उसकी पत्नी बहुत खुश हो जाते हैं।

और फिर राम सेवक सत्य नारायण से कहता है कि "मैं एक शर्त पर अपनी बेटी की शादी इस दूल्हे से करूंगा तुमने जो बेटी की शादी में पैसे खर्च किए हैं मैं वह पैसे कर्ज समझ कर धीरे-धीरे वापस लौटाऊंगा और अगर मैं नहीं लौटा पाया तो मेरे बेटे तुम्हारे पैसे लौटाएगा अगर वह भी नहीं वापस लौटा पाएं तो उनके बेटे तुम्हारे पैसे लौटाएगा।"

राम सेवक की यह बात सुनकर सत्य नारायण बहुत खुश हो जाता है। सत्य नारायण राम सेवक दूल्हे और दूल्हे के पिता को सारी सच्चाई बता देते हैं, दूल्हे का पिता और दूल्हा उनसे कहता है कि "अच्छा हुआ शादी से पहले ही यह घटना घट गई है, नहीं तो शादी के बाद हमारी बहुत बदनामी हो जाती।"

बेटी की शादी होने के बाद राम सेवक और उसकी पत्नी आपस में कहते हैं कि "ईश्वर ने हमारी बिन मांगी दुआ कबूल कर ली है।"