Gagan - 9 in Hindi Biography by Kishanlal Sharma books and stories PDF | गगन--तुम ही तुम हो मेरे जीवन मे - 9

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गगन--तुम ही तुम हो मेरे जीवन मे - 9

और मेरे बहनोई,साले सब कुंवर कलेवे में बैठे थे।
रिश्ता 21 महीने पहले हुआ था।मेरा गांव और ससुराल ज्यादा दूर नही थी। मेरे श्वसुर भी बांदीकुई आते रहते थे।हमारे गांव के कई लोग भी उनसे मिलते रहते थे।न जाने कैसे यह बात वहाँ तक पहुंच गई थी कि मैं बहुत गुस्से बाज हूँ।और यह बात मेरी मंगेतर और अब पत्नी जिसके साथ फेरे ले चुका था।के कानों तक भी पहुंच चुकी थी।इसलिय रिश्ता होने पर मेरे श्वसुर आगे के बेटी के जीवन को लेकर आशंकित भी थे।
उन दिनों में दहेज में मोटर साईकल या कार का चलन नही था।मिडिल क्लास की इतनी हैसियत भी नही थी।दहेज भी पहले आज की तरह मांगा नही जाता था।लड़की के माता पिता की सोच जैसे पहले थी,वैसी ही आज भी है।हर मा बाप अपनी बेटी की शादी अपनी हैसियत से बढ़ कर करना चाहता है।लड़के वालों की तरफ से भी पहले दहेज जैसे आज कल मांगते है वैसे नही मांगते थे।रिश्ता होने का मतलब आपसी प्रेम था।
लेकिन फिर भी कुंवर कलेवे पर बहुत से दूल्हे कुंवर कलेवे पर अकड़ जाते और कोई विशेष मांग रख देते थे।कोई ऐसी चीज मांग लेते जिसे लड़की वालों को चाहे अनचाहे पूरा करना पड़ता था।मेरे श्वसुर भी शायद आसनकित थे।
खैर सब बैठ चुके थे।मुझे यानी दूल्हे का इनतजार था।मैं आते ही बोला,"बैठे कैसे ही खा नही रहे।"
और मैने खाना शुरू कर दिया।तब बाद में मेरे श्वसुर आये और बोले,"कुंवर कलेवे में साईकिल दे रहे है।"उनकी बात सुनकर मैं बोला,"रखी रहने दो।"
मतलब किसी तरह की मांग हमने नही की थी।अब यहाँ मैं साइकिल की बात भी स्पष्ट कर दूं।मुझे कोई भी वाहन नही चलाना नही आता है।सायकिल भी नही।आज तक मे पैदल या अन्य वाहन से जाता हूँ।कभी कभी पत्नी टोकती है,"कुछ चलाना सिख लिया होता तो वाहन का ििनतजार नही करना पड़ता।और उसके बाद अन्य रस्मे पूरी हुई थी।ट्रेन से बारात विदा हो गयी।
मुझे,पत्नी के साथ पूजा के कमरे में ले जाया गया।सास ने कुछ रस्मे पूरी की थी।फिर एक गिलास में से हमे पानी पीने को कहा फिर बेटी को गिलास देते हुए बोली,"बेटी इसी में से पीले अब तो पत्नी बन गयी हो।पति का झूठा पीने में कोई बुराई नही है।"
हमे यानी दूल्हा दुल्हन के लिए जीप की गई थी।
पहले दुल्हन के साथ जब वह पहली बार आती तो उसकी छोटी बहन खास या चचेरी जो भी हो आती थी।हमारे यहाँ भी अनुमान था कि कोई साथ आएगी।लेकिन मेरी पत्नी के कोई चाचा,ताऊ नही था और उसके पांच भाई थे,लेकिन बहन नही थी।और किसी दूर की रिश्ते में से किसी को भेजा नही गया।मतलब वह अकेली आयी थी।जीप में मेरे बड़े ताऊजी जो रेलवे से रिटायर थे और मेरे बहनोई आदि आये थे।मैं और पत्नी पीछे बैठे थे।
हम चाचा ताऊ के मिलाकर 14 भाई और 8 बहने है।मेरी शादी हुई उससे पहले5 बहनों की शादी हो चुकी थी।
खान भांकरी से बसवा का रास्ता बांदीकुई होकर हैं।बांदीकुई में ताऊजी का घर स्टेशन के पास ही है और इसी के पास सड़क है।मैं और पत्नी आमने सामने बैठे थे।25 जून भयंकर गर्मी का मौसम और जीप ताऊजी के घर के पास पहुंची थी।ताऊजी उतर गए और ताई पानी लेकर बहु को देखने आयी थी।
"पानी पियोगी?"
मैने घूंघट में बैठी पत्नी से पूछा था।उसने मना कर दिया