Horror in Hindi Horror Stories by Stylish Aishwarya books and stories PDF | दादा ठाकुर की शैतान हवेली

Featured Books
Categories
Share

दादा ठाकुर की शैतान हवेली

रात के समय कार धक्के खाते हुए रुक गई और उमसे आरव उसमे निचे उतरा और घडी देखी. उस वक़्त रात के ठीक 09:00 बज रहे थे, फिर उसने कार का बोनेट खोला और उसे ठीक करने की कोशिश करने लगा, लेकिन गाडी स्टार्ट नहीं हो रही थी.


आराव ने मोबाइल से मदत मंगवानी चाही, पर उसमे नेटवर्क का नमो निशान नहीं था, फिर उसने गाडी की पिछली सिट पर सोई हुई. अपनी  पत्नी मिताली को आवाज दी…मिताली …अरे.. ओ मिताली.. उठो जल्दी से, हमे आजकी रात किसी गेस्ट हाउस या होटल  में बितानी होगी.  


क्योंकि गाडी खराब हो गई है और अब मैकेनिक के बिना ठीक नहीं होगी. हमेशा की तरह मिताली नींद में ही बड बडा ते हुई उठी. आरव तुमसे एक काम ढंग से नहीं होता. कब से बोल रही हूँ, ये तुम्हारी पुराणी खटारा बेचकर कमसे कम एक सेकेंडहैंड कार ले लो.

जवाब में अराव बोला खरीद लेंगे माता रानी, अब अपना बैग उठाव और चलो कही रात गुजारने का जुगाड करते है, फिर दोनों जंगल की कच्ची सडक छोडके मेन हाईवे पर आ गए. उसी वक्त उन्हें  जंगल में दूर कही से  भेडियो के रोने की आवाजे आने लगी.

वो भेडियो आवाजे उस काली रातको और भी डरावना बना रही थी. दोनों लगभग आधा घंटा चलते रहे पर उन्हें ना कोइ लिफ्ट मिली और ना कोइ होटल. मिताली बोली आरव तुम्हारे बेवकूफ दोस्त मिंटू ने ये कौनसे वीराने में फार्म हाउस ख़रीद रखा है. इस बात पर आरव कुछ कहता उससे पहले ही, आसमान में जबरदस्त बिजली कडकी, उस आवाज से डरी हुई मिताली आरव के सिने से लिपट गई.


उसवक्त आरव के चेहरे पर एक मुसकान चमक गई थी. तेज बारिश के आसार नजर आने लगे थे, तभी चलेते-चलते बिजली की चम-चमाती तेज रौशनी में उन्हें एक पुराणी हवेली दिखाई दी. वह दोनों तेजी से दौडते-दौडते उस हवेली के नजदीक पहुचे. हवेली गेट पर उन्हें कोइ वाचमन नजर नहीं आया.


इसलिए वह दोनों गेट खोलकर हवेली के मुख्य दरवाजे के पास पहुचे. दरवाजे पर डोर बेल के नाम पर एक पुराणी रस्सी किसी साप की तरह लटक रही थी. उस रस्सी को आरव ने दो तीन बार खिंचा लकिन अंदर से किसी भी घंटी की आवाज नहीं आयी, फिर मिताली ने दरवाजे पर खट-खटाने के लिए अपना हात आगे बढा ही रही थी

उससे पहले ही अंदर से एक भारी आवाज आयी “अंदर आजाव दरवाजा खुला है”. उन्हें दोनों को यह बात अजीब लगी, क्योंकि अंदर से किसी भी घंटी की आवाज नहीं आयी थी और नहीं उन दोनों ने कोई आवाज की थी.

फिर वह दोनों दरवाजा खोल कर अंदर गए. दरवाजे के ठीक सामने झूले पर बैठकर एक आदमी शाही अंदाज में सिगार पी रहा था. उन्हें देखते ही आरव  बोला सर हम यहा से कुछ ही किलो मीटर दूर हमारे दोस्त का फार्म हाउस देखने जा रहे थे, पर बीच रस्ते में हमारी कार खराब हो गई.


और मदत बुलाने के लिए मोबाइल में नेटवर्क  भी नहीं है.क्या हम आपके फोन से एक कॉल कर सकते है. झूले पर बैठे उस आदमी के चहरे पर कोइ भाव नहीं था. उसने कहा जरुर कीजिये. टेलीफोन ऊपर के आखरी कमरे में है.


आरव ने उन्हें पहले परिचय देना उचित समझा, उसने कहा मेरा नाम आरव है और ये है मेरी पत्नी मिताली. जवाब में वह आदमी बोला मेरा नाम दादा ठाकुर है, मैं इस हवेली का मालिक हूँ. आरव और मिताली हवेली की शान देखते ही रहे थे, की उनकी नजर दादा ठाकुर के पीछे वाली दिवार की सबसे बडी  फोटो फ्रेम पर पडी.

जो खाली थी और पूरे घर में तस्वीरे ही तस्वीरे थी. उन सब में एक बात समान थी की किसी भी तस्वीर में कोई भी हंस नहीं रहा था. सभी तस्वीरे बिलकुल भी भावना हीन थी, फिर आरव और मिताली दोनों उपरी मंजिल पर गए और आखरी कमरे में जाकर लैंडलाइन से  अपने दोस्त मिंटू को कॉल करने लगे.

बहुत बार कोशिश करने पर भी फोन नहीं लग रहा था.  तभी मिताली की नज़र उस दीवार पर पड़ी वहा और एक फोटो फ्रेम टंगी थी. उसमे भी  कोइ तस्वीर नहि थि. सिर्फ खाली फ्रेम. 


उन्हें यह  बात थोड़ी अजीब लगी. फिर  दोनों निचे गए और दादाठाकुर से  बोले आपके लैंडलाइन से फोने नहीं लग रहा है. दादाठाकुर बोले की  यहाँ की फ़ोन लाइन में  हमेशा गड़बड़ी रहती है. दुबारा से प्रयास करे. या फिर चाहे तो आज की रात आप दोनों यही रुक जाइये.

मिताली और अराव कमरे में जाकर फिर कॉल लगाने की कोशिश करने लगे. पर सब बेकार आख़िर में दोनों ने रात को वही रुकने का निर्णय लिया. बेड पर लेटते ही दोनों की आँख लग गई.  रात के  ठीक 1:30 बजे आरव  की नींद अचानक से खुल गई.

और वह  एक बार फिरसे अपने दोस्त को फोने लगने लगा. लेकिन उसवक्त  फ़ोन पूरी तरह डेड था. हाथ से फोन निचे रखते हुए. अराव की नज़र दिवार पर गई. और सामने का नजारा देखकर उसके चेहरे पर से  हवाइयाँ उड़ गई.

क्योंकि कुछ घंटो पहले देखी हुई. खाली फ्रेम में अब  उन दोनों की तस्वीर थी. और उसके निचे लिखी थी. उनके मौत की तारीख. उसने मितालि को उठाया और उसे  तस्वीर दिखाई. वह  बोली यहाँ  कुछ तो गड-बड है. आरव हमें अभी के अभी यहाँ से  बाहर निकलना होगा. फिर दोनों ने वहां से सरपट दौड़ लगाई.

सीढियों से वह दोनों तेजी से निचे उतरने लगे. पर उतरते वक्त  सीढियों पर उन्हें 4 पैरो की जगह 6 पैरो आवाज आ रही थी. अब वह दोनों काफ़ी डर चुके थे. कुछ भी करके उन्हें बस दरवाज़ा खोलके बाहर भागना था. पर दरवाजे के पास पहुचने के बाद जब  दोनों ने उसे खोलने की कोशिश की.

पर  उनकी कोशिश नाकाम रही क्योंकि दरवाज़ा किसीने बाहर से बंद करदिया था. और अब  वह दोनों उस भुतहा हवेली में क़ैद हो चुके थे. आरव और मिताली दरवाज़ा पिट रहे थे. मदत के लिए चिल्ला रहे थे. उसी वक़्त बदकिस्मती से बिजली चली गई और मौत ने अँधेरे की चादर से सबकुछ ढक लिया.

और चारो तरफ़ शमसान का सन्नाटा फैल गया. मिताली  अपने  कांपते  हाथो से मोबाइल टॉर्च चालु करने लगी.  जैसे ही उसने टोर्च चालूकी की उसकी रौशनी सबसे पहले सामने वाली उस बडी से  फोटो फ्रेम पर पड़ी. जिसे फ्रेम को आते वक्त  दोनों ने खाली (बिना तस्वीर की) देखा था. 

उस खाली फोटो फ्रेम में अब झूले पर बैठे दादाठाकुर की तस्वीर शैतानी मुस्कान दे रहे थे. और अगले ही पल दादाठाकुर तस्वीर से धिरे-धिरे गायब होने लगे. और उसके निचे रखा हुआ झुला बिना हवाके ही झूलने लगा.

उस भयानक मंज़र को देखकर  मिताली की घिग्घी बैठ गई. और आरव बस बेसुद देखता ही रहा. कुछ ही पलो  में मोबाइल भी स्विच ऑफ हो गया.  अबतक उजाले में मिताली और आरव को वहाँपर एक दुसरे के सांसो की ही आवाज़ आ रहीथी.

पर अब अँधेरे में उन्हें  और कई सारे लोगों के सांसो की आवाज़ सुनाई देने लगी. एक-एक करके सभी आवाजे नज़दीक आ रही थी. और कुछ ही पलो में  दर्द भरी चीख के साथ.

उन दोनों की तस्वीर भी बाकि तस्वीरों के साथ हवेली की दीवार पर टंग गई. और दादा ठाकुर झूले पर बैठके सिगार पिते हुए. किसी और मेहमान का इंतज़ार करने लगे.