Yadon ke karwan me - 11 in Hindi Poems by Dr Yogendra Kumar Pandey books and stories PDF | यादों के कारवां में - भाग 11

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यादों के कारवां में - भाग 11






32 थाम लो हाथ बढ़कर

हे ईश्वर!

थाम लो मेरा हाथ बढ़कर

और

मैं जानता हूं कि

स्वयं द्वारा थामा गया हाथ

आप कभी नहीं छोड़ते,

और

आप देते हैं मजबूती उन हाथों को,

जो संकटों में थामते हैं

किसी का हाथ,

और

जो आते हैं मेरे जीवन में भी

थामने मेरा हाथ,

तुम्हारा प्रतिनिधि बनकर

किसी भी रूप में।

डॉ. योगेंद्र कुमार पांडेय


33 चाय या कॉफी साथ साथी के

प्रेम से पिलाई गई

चाय या कॉफी में

आ जाता है स्वाद अमृत सा,

जब साथ मिल बैठते हैं

दोस्त,प्रिय,सखा,मित्र,संग साथ

अन्यथा,

वही चाय और कॉफी हो जाती है,

बेस्वाद

जो रखी जाए सामने बेमन से,

इसीलिए,

स्वाद नहीं होता चाय या कॉफी में,

जायका होता है,

मित्रता में

इसलिए,

बराबरीपन की चाय और कॉफी में,

होती है ताज़गी,स्वाद और अपनापन।


डा.योगेंद्र


34 तुम्हारा आखिरी खत

खत लिखा जाता है तब,

जब होती हैं दूरियां

पर जहां,

सोशल मीडिया के रीड स्टेटस से भी

कम समय में

ह्रदय तक पहुंच जाए,हृदय की मौन भाषा,

वहां थम जाता है सिलसिला,

चिट्ठियों की बाट जोहने का,

क्योंकि;

तब बिना कुछ लिखे ही,

पहुंच जाती है पाती

और,बिना मिले ही पढ़ ली जाती है पाती

प्रिय की भावनाओं की,

इसलिए,

डरता हूं खत लिखने से अब आगे प्रिय,

कि इक दिन

गर हो जाए बंद

आना तुम्हारा खत अचानक,

और तब इससे तुम्हारा पिछला खत ही

न बन जाए प्रिय,

मुझे लिखा तुम्हारा आखिरी खत,

और,

संपर्क टूटने पर तुमसे

(मेरी अस्ति से तुम्हारा खो जाना)

तब छिन न जाए मुझसे,

तेरे पवित्र प्रेम के,मेरे;सिर्फ मेरे

उस एक क्षण की

दैवीय अनुभूति,जिसमें दिखा था,

मेरे आराध्य

राधिके जी और कृष्ण जी

के संयुक्त,चिरप्रवाहित,शाश्वत,आत्मिक प्रेम की एक झलक

का करोड़वां अंश,

इसीलिए संभाल रखा है

उस खत को मैंने,

अपनी प्रिय किताब के पन्नों के बीच

जीवन भर रखे जाने वाले

सूख चुके सुर्ख गुलाब की तरह। -योगेंद्र ©

डॉ. योगेंद्र कुमार पांडेय

35 चाय और तेरा इंतजार

चाय के प्याले में

समाई होती है

चीनी की मिठास

चाय पत्ती की ताज़गी

दूध की पौष्टिकता

और यह बनता है सुगंधित

चाय बनाने वाले के मनोयोग से

और जब शाम को

मित्र मिल बैठते हैं साथ

तो यह चाय बन जाता है

दुनिया का सबसे स्वादिष्ट,ऊर्जादायक पेय

और इसमें

तब स्वाद आ जाता है

अपनेपन का

और

तब बातों का सिलसिला चल पड़ता है,

ऐसे में

न चाय के प्याले से घूंट समाप्त होती है

ना पूरी होती हैं

मित्रों से ही कही जा पाने वाली बातें

और

मंगाए जाते हैं बार - बार

थोड़ी-थोड़ी देर में चाय के प्याले

और

मुस्कुराते चांद तथा

आंख मींचते तारों के बीच

गहरा जाती है रात

चाय पीते - पीते ही।

36 भाई बहनों का प्यार

रेशम के धागों में समाया,भाई बहनों का प्यार,

भाई की कलाई पे राखी,है सबसे बड़ा उपहार।

रेशम की नाजुक डोर है ये,बंधन बड़ा मजबूत,

प्रेम के ऐसे ही बंधन में,बंधें हम और ये संसार।


ऐसा रक्षा सूत्र हो विस्तृत,बांधे सबको ये धागा,

राखी पर अभिनंदन,सरहद के रक्षक वीरों का।

बहन ही क्यों रक्षा सबकी,हो इस श्रेष्ठ भारत में,

सूनी हो न कलाई किसी की,देखें इस राखी में।

37 पहला कॉल

पहला कॉल

और

आखिरी कॉल जैसी गिनती

वहां नहीं होती

जहां हृदय से हृदय के तार जुड़े होते हैं

जब बिना कॉल आए ही

ह्रदय पढ़ लेता है संदेसा

प्रिय का,

और तब

संदेसे के आखर बिखर जाते हैं

पूरे परिवेश और इसके कण-कण में

प्रेम के अगणित फूल

और

इसके विविध रंग बनकर,

इसीलिए

प्रिय का हर स्मरण बन जाता है

सीधे हॉटलाइन से होने वाले

फोन के पहले कॉल के समान ही रोमांचक, अविस्मरणीय।

(मातृभारती के पाठकों के लिए मौलिक कविताओं का संग्रह, जो प्रेम के विविध रंगों पर आधारित है)