Me and my feelings - 75 in Hindi Poems by Darshita Babubhai Shah books and stories PDF | में और मेरे अहसास - 75

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में और मेरे अहसास - 75


प्यार खो चुका है जरा ढूंढ के लाओ l
दुनिया ही उजड़ चुकी है देखो आओ ll

चैन ओ सुकून दो ही ले गया जाने वाला l
सखी सात दरिया पार जाना पडे जाओ ll

जिंदगी जीने का मकसद देदो हमदर्द l
दिल मुराद पूरी करके लाखो दुआ पाओ ll

वादियों में लहरादो बुलंद आवाज़ आज l
वापिस बुलाने गीत सुरीला कोई गाओ ll

परिंदे की तरह दूर आसमान में उड़ो ना l
लौट के आ जाओ इतना भी ना सताओ ll
१-३-२०२३


तमन्नाएँ मुझे आजाद कर दो l
सखी उम्मीदों आबाद कर दो ll

अरसा होगा चैन से जीए हुए l
नई सुबह का आगाज़ कर दो ll

घूंट घूंट के जी रहे हैं कबसे l
दिन रात को आराम कर दो ll

चैनऔसुकून की साँस ले सके l
जिंदगी को आसान कर दो ll

लगातार दर्द से बेहाल हो चुके l
जंजीरों से आमान कर दो ll
२-३-२०२३

अपने दम पर जिये जा रहा हूं l
जाम खुशी के पिये जा रहा हूं ll

अपनों के बीच हुई दीवार तोड़ के l
टूटे रिस्तों को सिये जा रहा हूं ll

नई सुबह नया सवेरा ले आएगी  l
दिल को हौसला दिये जा रहा हूं ll

खुशियों की फुलझड़ी लहराके l
रोज रोज दुआएं लिये जा रहा हूं ll

वो बचपन के दोस्तों की बातेँ l
रात दिन याद किये जा रहा हूं ll
३-३-२०२३

रोज रोज तन्हा जी ले मरने को l
कुछ नहीं रहा अब करने को ll

कितने नादां हो, दुनिया के डर से l
छोड़ दिया ताउम्र आहें भरने को ll

ये दुनिया वाले हैं जनाब पैर खिचेंगे l
और तैयार बैठे हैं हौसला हरने को ll

सुन थोड़ा सा आराम भी किया कर l
रात कह रहीं हैं नींद में सरने को ll

यहां तो सब दोस्त और यार है l
बताओ कौन कहता है डरने को ll
५-३-२०२३

दुनिया में पहचान अपने दम पर पाई है l
शौहरत, इज्जत अपने दम पर कमाई है ll

खुशियों से दामन भर देना चाहते हैं तो l
महंगी सौगातें अपने दम पर दिलाई है ll

कोई और होता टूटकर बिखर गया होता l
किस्मत से धूल अपने दम पर उड़ाई है ll

पालकर जुनून मुहब्बत का दीवाने हो गये l
फूलों की जाजम अपने दम पर बिछाई है ll

रफ्ता रफ्ता जोड़कर रखा है अपनों को l
घर पर रोशनी अपने दम पर सजाई है ll
५-३-२०२३

तोहफ़ा ख़ुशियों का पाया है l
सखी दूर परदेश से आया है ll

मुद्दतों के बाद साथ अपने l
सजना का सन्देशा लाया है ll

उसके आने के सजदे में आज l
फिझाने सुमधुर गीत गाया है ll

खुशी नाच ले, गा ले, झूम ले l
राहगुज़र में खुदा का साया है ll

बहारों ने अंगड़ाई सी ली है और l
देख मौसम खुशनुमा छाया है ll
६-३-२०२३

चलो आज कुछ नया लिखा जाए l
कयामत तलक उसे पढ़ा जाए ll

बारवर हो गई है जिंदगी की शाम l
थोड़ा खुली फ़िज़ाओं में मिला जाए ll

पर्दा उठाओ जानेमन जाम आँखों से l
सरे आम महफिल में पिया जाए ll

क़ल्ब-ए-नासुबूर की पुकार सुन कर l
बिना डरे खुल के अब जिया जाए ll

खुदा की इनायत है मुहब्बत सनम l
रूह से रूह को मिला दिया जाए ll
७-३-२०२३

जो जी चाहिए कहिए l
बस जान ना लीजिए ll

जाम को छोड़ दें आज l
बस आँखों से पीजिए ll

मरहम की जरूरत है l
बस बर्फ सा थीजिए ll

थोड़ा सा वक़्त सखी l
बस दिल से दीजिए ll

ज़माने से हम निपटेंगे l
बस आप प्यार कीजिए ll
८-३-२०२३

सब कुछ खोया, सब कुछ पाया l
बारहा हर लम्हा दिल को समजाया ll

जो कुछ पाया है, सबसे बेहतर है ll
दिलासा देकर दिल को बहलाया ll

मुरादें पालो, एक दिन पूरी होगी ही l
चौला खुशी का दिल को पहनाया ll


सब्र कर थोड़ा, वक़्त का इंतजार कर l
प्यार को निभा दिल को धमकाया ll

तन्हाई को खूबसूरत बनाने के लिए l
प्यार के जाम से दिल को नहलाया ll
९-३-२०२३

अगले पल का पता नहीं है, वादा ना करना कोई l
साँसों का भरोसा नहीं है, पल पल ना मरना कोई ll
१०-३-२०२३

जी भर के जी लो, जिंदगी अनमोल होती है l
बिना घमंड जी लो, सादगी अनमोल होती है ll

जबतक साँस चलती, तबतक मोल होती है l
पूरे मन से कर लो, बंदगी अनमोल होती है ll

दिल फेंक दिल्लगी, दिल बहलाने के लिए l
थोड़े वक्त की , नाराजगी अनमोल होती है ll

दो दिन ख्वाइशों में गूजर गये दो इंतजार में l
खुशियां पाने की, तिश्नगी अनमोल होती है ll

सखी महफिल में यार दोस्तों के साथ की हुई l
पाक तमन्ना की, आवारगी अनमोल होती है ll 
११-३-२०२३

ताउम्र ख़ुशी के मायने ढूंढते रहे l
दूसरों की नजरों से नापते रहे ll

जो भी मिली अच्छी मिली है l
आधी अधूरी पूरी तोलते रहे ll

दिल की जलन को मिटाने के लिए l
जाम में खुद का लहू घोलते रहे ll

जी भरके दीदार करने को सखी l
पलकों का दरवाजा खोलते रहे ll

परेशानियाँ कम  करने के वास्ते l
बदनामी के डरसे राह मोड़ते रहे ll

जिंदगी के दस्तूर निभाने को l
बार बार जिगर को टटोलते रहे ll

जो चाहते रहे वो मिला नहीं सो l
बारहा गली बदल के लौटते रहे ll
१२-३-२०२३
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

हौसलों के साथ राही चल चला चल l
हिम्मत ना हार राही चल चला चल ll

डरने की कोई बात नहीं है सुन प्यारे l
पकड़ा हैं हाथ राही चल चला चल ll

मंजिल की और ग़र नज़र रखेगा l
कटेगी यूँ रात राही चल चला चल ll

अपने ही अपनों के दुश्मन हैं यहाँ l
खुदा के पास राही चल चला चल ll

शायद होश में लड़खड़ा जाए कदम l
पीकर जाम राही चल चला चल ll
१२-३-२०२३

आज फिर दीदार जो जाए तो बात बन जाए l
एक बार मिलने वो आए तो बात बन जाए ll


सखी जी भरके देखने की आरज़ू पूरी हो  l
दिल सुकूं ओ आराम पाए तो बात बन जाए ll

कई दिनों की ख्वाहिश है,रूबरू आमनेसामने l
बैठकर आज साथ खाए तो बात बन जाए ll
१४-३-२०२३

फोन पर क्या हुई बात य़ह मत पूछो l
सखी कैसे काटी रात य़ह मत पूछो ll

इंतजार के मारे दम निकलना बाकी है l
कितनी आई होगी याद य़ह मत पूछो ll

मुहब्बत में हर पल रंग बदलते देखा है l
कैसे निभाया होगा साथ य़ह मत पूछो ll

दुनिया की भीड़ में खो जाने के डर से l
क्यूँ पकड़े रखा है हाथ य़ह मत पूछो ll

जूथ बोलना नहीं, सच बता नहीं सकते l
कहा जा रहे हैं आज य़ह मत पूछो ll
१५-३-२०२३