आज मै आपको एक राजा के बताने जा रहा हु। जो भारत देश में मुई थी। जिसे हम कभी सोने की चिड़िया कहते थे। लेकिन अंग्रेज लोगो ने हम आरा सारा सोना भारत से लुटकर अपने देश ले गये | लेकिन अभी भी भारत के कई हिस्सों में प्राचीन समय का बहुत सा खजाना गड़ा हुआ है। जिसे चोरी हो जाने के डर से जमीन में गाड़ देते थे। और उनकी मौत के बाद वो सोना-चांदी कही धरती के गर्भ में गड़ा हुआ रहेता था।
ऐसा ही एक घटना मध्य प्रदेश के दांगड जिले के डौंडिया खेड़ा गांव में हो रही है। जहा के एक आदमी को एक आत्मा ने बताया की इस हवेली के नीचे सोना-चांदी गडा हुआ है। तो उसने अपनी सरकार को बताया की एक राजा की आत्मा ने मुझको बताया कि जमीन में गडा 10,000 टन सोने का रहस्य उसने मुझे बताया।
जो आज के सोने के रेट के हिसाब से इसकी कीमत तो 200 अरब रुपये के लगभग होगी । कौन थे राजा राम बक्ष ? कहा से आया है यह सोना ? कैसे मौत हुई राजा की ? आइये इन सारे पहलुओ पर प्रकाश डाले के लिए इतिहासकार चंद्रकांत तिवारी के अनुसार क्रांतिकारी शूरवीर राजा ने सन् 1857 की क्रान्ति के दौरान अंग्रेजों को जला दिया था । वह कौन थे और कब से वह इस किले में रह रहे थे। ये किसी को स्पष्ट मालूम नहीं था।
यहां के इतिहासकारों की माने तो 4 जून 1856 की क्रान्ति में डिलेश्वर मंदिर में छिपे बारह अंग्रेज को जिन्दा जला दिया था। इसमें जनरल डीलाफौस भी मौजूद थे। कहा जाता है कि राजा चंडिका देवी के बहुत बड़े भक्त थे। वह रोजाना सुबह मां चंडिका के दर्शन करने के बाद ही सिंघासन पर बैठते थे।
लोगों के अनुसार राजा पूजा करने के बाद अपने गले में एक फूलो की माला जरुर पहनते थे। यही वजह है कि अंग्रेजो को जिन्दा जलाने की सजा के रूप में फांसी की सजा सुनाई गयी. और उनको फांसी पर लटकाया गया । तो उन्हें कुछ नहीं हुआ।
इस तरह तीन बार उनको फांसी दी गयी मगर राजा को कुछ नहीं हुआ।तब राजा राव राम बक्स सिंह ने अपने गले में पड़े फूल की माला को उतार कर फेंका और यमुना से अपनी आगोश में लेने की प्रार्थना की।
उसके बाद जब अंग्रेजो ने उनको फांसी पर लटकाया। तब उनके प्राण शारीर से निकल गए थे । और उस इंसान को को जिस आत्मा ने बताया था । वो आत्मा वही होगी । इसके बाद उस आदमी को थोड़ा बहुत रुपिया मिला और सारा खजाना सरकार को मिल गया।
जैसे ही ऐसा लग रहा था कि भूत उन सभी को नष्ट कर देगा, जादूगर ने अपने लोगों के लिए राजा के प्यार का आह्वान किया। उसने राजा को उन सभी अच्छे कामों की याद दिलाई जो उसने जीवन में किए थे और जितने लोगों की उसने मदद की थी।
धीरे-धीरे राजा का भूत शांत होने लगा। उसकी आँखें कम उग्र हो गईं, और उसकी विशेषताएं नरम हो गईं। अंत में, एक बड़ी आह के साथ, राजा का भूत पतली हवा में गायब हो गया।
जब सलाहकारों और सलाहकारों ने राजा के बिस्तर की ओर रुख किया, तो उन्होंने पाया कि वह अपने कोमा से जाग गया था। वह कमजोर और भटका हुआ था, लेकिन वह जीवित था। उस दिन से, राजा एक बदला हुआ आदमी था। वह दयालु और अधिक दयालु हो गया, और उसने निष्पक्ष और न्यायपूर्ण हाथ से शासन किया।