Love by ️️Duty Singham Series 3 - Part 32 in Hindi Love Stories by Poonam Sharma books and stories PDF | Love by ️️Duty Singham Series 3 - Part 32

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Love by ️️Duty Singham Series 3 - Part 32

“मेरे साथ ही रहो, स्वीटहार्ट, नही तो तुम खो जाओगे।” एक औरत बड़े ही प्यार से उस बच्चे को देख रही थी।

“ओके, मम्मा।”

“यह मंदिर सुंदर है ना, राणा?“

“यह बहुत बड़ा है, क्या यह सारे लोग यहीं रहते हैं?“

वोह औरत उस बच्चे की मासूमियत पर मुस्कुरा गाए। “यह यहाँ भगवान से मिलने आए हैं।”

“मुझे भी भगवान से मिलना है, अभी।”

“तुम्हे डैडी का इंतज़ार करना होगा, वोह अभी अपने दोस्तों से बात कर रहे हैं।”

वोह बच्चा अपने पापा को इधर उधर देखने लगा और उसे वोह थोड़ी दूरी पर बैठे दिखाई दिए किसी के साथ गहरी बातचीत करते हुए।

“मैं अभी डैडी को बुला कर ले कर आता हूं।” वोह बच्चा पलटा पर रुक गया जब उसने देखा की उसकी मॉम नीचे ज़मीन पर गिर पड़ी थी।

“मॉम!“ डरा हुआ वो बच्चा वोह नज़ारा देख रहा था जब एक नकाबपोश आदमी ने उसकी मॉम के पेट में चाकू घोंप दिया था।

“भाग, राणा!“ वोह औरत ज़ोर से चिल्लाई, पर वोह बच्चा हैरानी से सब देख रहा था की उसकी माँ कैसे उस नकाबपोश से लड़ रही थी।

फिर एक मौका लगने पर, उस औरत ने नकाबपोश के चेहरे से नकाब हटा दिया और उस नकाबपोश को खतरनाक आँखें धमकाते हुए उस बच्चे की ओर देखने लगी। डरावनी सा एक पुराना निशान बना हुआ था उस नकाबपोश के एक आँख के आसपास जिस से वोह बच्चा डर से थरथरा गया।

वोह बच्चा अपनी जगह पर ही खड़ा रहा, और फिर एक तेज़ आवाज़ हुई और आग की लपटों ने उस औरत के शरीर को घेर लिया।

“राणा!“ यह आवाज़ भी जानी पहचानी थी।

नील की आँखें झटके से खुली और वोह बड़ी बड़ी और घबराई हुई आँखों में देखने लगा। नर्मदा उसके ऊपर झुकी हुई थी और अपना हाथ उसके चेहरे पर फेरा रही थी। “मैं यहीं हूं, तुम ठीक हो?“

बिना एक शब्द कहे, नील ने उसे अपनी बाहों में ले लिया। नर्मदा को अपने गाल पर नील के सीने में धड़कते हुए दिल की धड़कन सुनाई दे रही थी, और नील का शरीर ठंडा पर पसीना बहा रहा था।

“मुझसे बात करो,” नर्मदा ने बहुत प्यार से रिक्वेस्ट करते हुए कहा और महसूस किया की नील के शरीर में एक सिहरन दौड़ गई।

उसने धीरे से अपना चेहरा ऊपर किया ताकी वोह उसे देख सके। नील कहीं खोया हुआ लग रहा था, नर्मदा उसकी सांसों को पढ़ पा रही थी। वोह उस रात में एक दूसरे को महसूस करने के बाद उसकी बाहों में सुकून से सो गई थी और तब उसकी नींद खुली जब नील नींद में अजीब तरह से हिल रहा था।

वोह धीरे धीरे उसके हल्के गीले बालों में अपनी उंगलियां फेरने लगी। वोह जानती थी की उसे जल्दबाजी नहीं करनी है क्योंकि उसे विश्वास था की नील उसे बता देगा।

“नर्मदा.... मुझे नही पता क्यूं पर जबसे पहली बार मैंने तुम्हे देखा था, तब से मुझे यह सपने आ रहें हैं.....यह भयानक सपने।”

“तुम्हे क्या दिखता है?“ नर्मदा बहुत मुश्किल से अपनी आवाज़ को शांत किए हुए थी।

“मुझे....... मुझे एक औरत दिखती है अपने बच्चे के साथ।” नील की आवाज़ बोलते बोलते धीरे होने लगी।

“कौन है वोह औरत? तुम पहचानते हो उसे?“

“हर बार वोह औरत दिखती है और हर बार आखरी में उसे चोट लग जाती है।”

“क्या वोह तुम्हारी माँ है?“ काफी देर की चुप्पी के बाद नर्मदा ने पूछा।

“मुझे नही पता। मैने कभी अपनी माँ को नही देखा।”

“नील....तुम्हे सबसे पहले क्या याद आता है?“

नील ने ना में सिर हिलाया जैसे उसे कुछ भी याद नहीं हो। “चर्च, पर...मुझे याद है सपने में औरत मुझे हिंदू धर्म की लगती है, पर मैं सबकुछ एक साथ जोड़ नही पा रहा।”

“मेरे बारे में क्या जिस से तुम्हे उस औरत और बच्चे के बारे में याद दिलाता है?“

“मुझे नही पता.... मुझे यह भी नही पता की तुम्हारी वजह से ही मुझे....“ नील बोलते बोलते रुक गया और बिस्तर पर बैठ गया।

उसने नर्मदा के पैरों से चादर हटाई जिससे उसके पैरों में बंधे सोने की पायल दिख सके। वोह धीरे से उस पर अपनी उंगलियां फेरने लगा। “क्या तुम यह हमेशा पहनती हो?“

“हाँ, मेरे पास यह काफी समय से है। यह हमारे खानदान की विरासत है।” नर्मदा के चेहरे पर अस्पष्ट से भाव थे, उसे लग रहा था कुछ तो गड़बड़ है।

“और तुम्हे क्या दिखता है?“

“मुझे एक आदमी दिखता है जो उस औरत को नुकसान पहुँचा रहा था। उसने मास्क पहना हुआ था..... नही, एक कपड़े से अपना चेहरा ढका हुआ था, और उसके चेहरे पर एक पुराना निशान भी था।”

“क्या तुम इनमे से किसी को भी पहचानते हो? वोह बच्चा....कितने साल का था वोह बच्चा?“

“मुझे नही पता, छोटा सा था,” नील ने धीरे से जवाब दिया।

“क्या वो बात कर सकता था?“

नील ने धीरे से हाँ में सिर हिलाया।

“जो भी तुम्हे यह दिखता है उसमे कॉमन क्या है?“

नर्मदा नील की खुली पीठ पर अपने हाथ फेरने लगी क्योंकि नील बैड पर उल्टा लेट कर नर्मदा के पैरों में बंधी पायल को निहार रहा था। उसके होंठ पायल से काफी करीब थे।

“वोह औरत और वोह बच्चा। और हर बार अंत में उस औरत को चोट लगना।” नील ने कराहते हुए कहा और नर्मदा के पंजे को अपने से सटा लिया।

“चलो वापिस सो जाते हैं, हम कल सुबह इस बारे में बात करेंगे।” नर्मदा ने रिक्वेस्ट करते हुए कहा, वोह देख रही थी अपने पैरों पर नील के सिर को रखे हुए।

नील ने अपनी नज़रे ऊपर की ओर नर्मदा की ओर देखा जैसे उस के दिमाग में अभी अभी कुछ आया हो। “तुम जानती हो की एक आदमी है जो मुझे किसी चीज की याद दिलाता है,पर मैं नही जानता की क्या, और उस आदमी को सिंघम संरक्षण कर रहे हैं।”

“सिंघम्स? इसलिए तुम मुझसे कल रात देव सिंघम के बारे में पूछ रहे थे?“ नर्मदा उठ कर बैठ गई थी और अपने ऊपर चादर को अच्छे से लपेट लिया था।

“हाँ।”

“कौन है वोह आदमी? कैसे मिले तुम उससे?“ नर्मदा ने पीछे होकर बिस्तर के सिरहाने से टेक लगा लिया था।

“वोह मेरा शिकार था, और जब मैं उसे शूट करने वाला था तब मैने उसका टैटू पहचान लिया था। फिर मैंने उसे ऐसे शूट किया की वोह मरे नही और उम्मीद कर रहा था की जोए उसे ले जायेगा, पर..... जोए के पहुंचने से पहले कोई और पहुँच गया। मुझे आज पता चला की वोह आदमी सिंगम्स के साथ है।”

“यह जोए कौन है?“

“डीआईजी का बेटा।”

“वोह तुम्हारा भाई है,” नर्मदा ने उसे करेक्ट किया।

“नही.....उसने अपना बाप मेरी वजह से खोया।”

“तुम ही हो एक जो इस तरह से सोचता है... ओह, वोह टैटू कैसा दिखता था?“

नील ने अपनी आँखें बंद कर ली मानो पैटर्न याद करने की कोशिश कर रहा हो।
“वोह एक ऐसा टैटू था जो कान के पीछे से होते हुए गर्दन पर नीचे की ओर जा रहा था। वोह एक धनुष की तरह था और उसके आस पास भी कुछ पैटर्न जैसा था।

“हो ही नही सकता,” नर्मदा की कांपती सी आवाज़ सुनाई पड़ी।

“क्या?“ नील को नर्मदा में कुछ अलग महसूस हुआ।

नर्मदा बैड से उठ खड़ी हुई और चादर से लड़खड़ाती हुई टेबल से पैन और पेपर ले आई। उसने नील के सामने वोह पेपर और पैन रखा।

“बनाओ इसमें, एक रफ सी पिक्चर, जो भी समझ आता है।”

नील ने धीरे से नर्मदा से पेन लिए और धीरे से पेपर पर धनुष का पिक्चर बनाने लगा। उसने एक लाइन धनुष के बीच में से खींची और बाहर की तरफ लंबी कर दी और नर्मदा की तेज़ सांस लेने की आवाज़ सुनी। नर्मदा ने उससे पेन लिया और पैटर्न पूरा किया।

“क्या यही था?“

नील हैरानी से उसे देख रहा था।

“हाँ, यही था।

“नील, तुम इस पैटर्न को कैसे जानते हो? यह तो सौ साल से भी ज्यादा पुराना सेनानियों का लॉयल्टी मार्क है।” नर्मदा ने डगमगाती हुई आवाज़ में कहा।








***
कहानी अगले भाग में अभी जारी रहेगी...
❣️❣️❣️