Chudel - Invitation of Jungle - 4 in Hindi Mythological Stories by Parveen Negi books and stories PDF | चुड़ैल -इनविटेशन ऑफ जंगल - भाग 4

Featured Books
  • સંઘર્ષ - પ્રકરણ 20

    સિંહાસન સિરીઝ સિદ્ધાર્થ છાયા Disclaimer: સિંહાસન સિરીઝની તમા...

  • પિતા

    માઁ આપણને જન્મ આપે છે,આપણુ જતન કરે છે,પરિવાર નું ધ્યાન રાખે...

  • રહસ્ય,રહસ્ય અને રહસ્ય

    આપણને હંમેશા રહસ્ય ગમતું હોય છે કારણકે તેમાં એવું તત્વ હોય છ...

  • હાસ્યના લાભ

    હાસ્યના લાભ- રાકેશ ઠક્કર હાસ્યના લાભ જ લાભ છે. તેનાથી ક્યારે...

  • સંઘર્ષ જિંદગીનો

                સંઘર્ષ જિંદગીનો        પાત્ર અજય, અમિત, અર્ચના,...

Categories
Share

चुड़ैल -इनविटेशन ऑफ जंगल - भाग 4

कहानी का भाग 4

मेनका जो मकान मालिक गोपाल राम की बेटी थी ,इस वक्त अपने सामने बैठे भोजन कर रहे विष्णु और शंकर के डरे हुए चेहरे को देख कर बड़ी जोर से हंस पड़ी थी, क्योंकि उसने चुड़ैल का जिक्र कर दिया था।

मेनका अपने मुंह पर हाथ रखते हुए ,"अरे तुम दोनों तो बहुत डरपोक हो, चुड़ैल का नाम सुनकर ही कांपने लगे हो,,, अरे पहलवानों,,, लोग इस मौके का फायदा उठाकर उस जंगल वाली चुड़ैल से मिलने चले जाते हैं और दौलत मांगते हैं'',,,,

विष्णु,,' पर बदले में उन्हें मौत भी तो मिलती है'',,

मेनका ,,"हां यह तो है पर फिर भी कई सिरफिरे वहां जाते रहते हैं"',

अब राजू दोबारा वहां पहुंचा था ,''चलो बुआ जी पापा बुला रहे हैं आपको बुलाने मुझे आना पड़ा"",

मेनका ,,""अच्छा मैं चलती हूं ",और फिर राजू के साथ वहां से चली गई थी।

विष्णु और शंकर अपना भोजन में व्यस्त हो गए थे, पर इन दोनों के मस्तिक में कहीं ना कहीं अब वह जंगल वाली चुड़ैल ही चल रही थी।

फिर खाना पीना खाकर यह दोनों अपने-अपने बिस्तर पर लेट गए थे और दिन भर की थकान ने इन्हें देखते ही देखते गहरी नींद में पहुंचा दिया था।

भयानक ऊंचे वृक्षों झाड़ियों लताओं से घिरा हुवा जंगल, जहां इस वक्त भयानक सन्नाटा पसरा हुआ था, जीव जंतु तो छोड़िए कीड़े मकोड़ों तक की आवाज गूंज नहीं रही थी, जोकि गूंजनी चाहिए थी।

इस वक्त 2 जोड़ी पैर तेजी से भागते हुए इस जंगल में प्रवेश कर गए थे, और इन दोनों जोड़ी पैरों ने जंगल के सन्नाटे को भंग कर दिया था।

विष्णु चिल्लाते हुए ,,""भाग शंकर उस तरफ चुड़ैल उस तरफ से आ रही है",

शंकर जिसके चेहरे पर घबराहट हद से ज्यादा थी ,'"आज हम नहीं बचेंगे भाई यह चुड़ैल हमें नहीं छोड़ेगी",।

विष्णु अपनी बड़ी हुई सांसो को थामते हुए अब शंकर को लेकर एक पेड़ के पीछे छुप गया था।,"" हम यहां से निकल कर वापस जाएंगे हम इतनी आसानी से नहीं मरने वाले हैं',

अब इन दोनों को बड़ी जोर से धरती हिलने का आभास होने लगा था ,और इसकी वजह थी, चुड़ैल के भारी-भरकम कदम ,,जो इनके पास आ रहे थे

चुड़ैल की भयानक आवाज अब इनके कानो में पड़ने लगी थी और उसके कदमों की आहट धीरे-धीरे इन दोनों की तरफ की बढ़ रही थी।

शंकर और विष्णु दोनों के ही चेहरे पसीने से तरबतर हो गए थे ,उन्होंने अपनी सांसों तक को धीमा कर लिया था, ताकि चुड़ैल को इनके सांस लेने की आवाज भी सुनाई ना दे।

चुड़ैल घने जंगल के बीच में बिल्कुल हाथी की तरह विकराल नजर आ रही थी, उसने अपनी लाल दहकती हुई आंखों से चारों तरफ देखा था और फिर एक पेड़ को तने से पकड़कर जड़ से उखाड़ दिया था।

उसकी अब कर्कश आवाज इन दोनों के कानों में पड़ने लगी थी, "'मेरे हाथों से बचकर नहीं जा पाओगे मेरे सवालों के जवाब जो नहीं दे पाता है ,उसे मरना होता है, तुम भी मरोगे बच कर नहीं जा पाओगे इस जंगल से बाहर"",,

शंकर हकलाते हुवे,,'" मैंने कहा था ना भाई जंगल में जाना बेकार है अब देखो मौत हमारे सिर पर है अब हमें कोई नहीं बचा पाएगा",

विष्णु उसे शांत करते हुए ,"चुप रहो वह हमारी बात सुन लेगी",

पर अब देर हो चुकी थी चुड़ैल जिसके कान हाथी की तरह बड़े बड़े थे ,उसके कानों में इनकी धीमी आवाज चली गई थी।

और अब अगले ही पल में वह विशाल पेड़ तिनके की तरह हवा में उखड़ गया था जिसके पीछे विष्णु और शंकर छुपे हुए थे।

चुड़ैल ने अब अपना बड़ा सा मुंह खोला था और इन दोनों को खाने के लिए आगे बढ़ गई थी।

शंकर अब एकदम से अपनी जान को संकट में देखकर चिल्ला उठा था।

विष्णु उसकी चीख सुनकर अब एकदम से चारपाई से उछल कर खड़ा हो गया था ,और उसने लाइट जला दी थी।

शंकर भय से बड़ी जोर से कांप रहा था,।

विष्णु ,,"अबे क्या हुआ",, और उसे दिलासा देने लगा था फिर उसने तेजी से पानी की बोतल से गिलास में पानी डाला था और उसे शंकर को दिया था।

शंकर अभी भी बेहद वहम में था, उसने एक ही सांस में पानी का गिलास खाली कर दिया था।

विष्णु ,,""क्या हुआ क्या कोई भयानक सपना देख लिया था"",,

शंकर अब विष्णु के चेहरे को देखने लगा था और फिर चेहरे पर हल्की सी मुस्कान ला कर वापस बिस्तर पर लेट गया था ,,,'"बाप रे ,,इतना भयानक सपना,, अच्छा है कि मैं घर पर हूं ,मुझे तो लगा था मैं जंगल में हूं तेरे साथ,,""।

विष्णु यह बात सुनकर हंसने लगा था,,"" क्या कह रहा है भाई, कैसा जंगल ",,और फिर एकदम से ,""अरे कहीं तुझे उस चुड़ैल का सपना तो नहीं आ गया जिसके बारे में कल हम बात कर रहे थे,"""

शंकर अपने माथे के पसीने को अपने बाजू से साफ करते हुए ,,"हां उसी का सपना आया था ,,क्या बताऊं अभी तक मुझे याद है मैंने क्या देखा,,""

विष्णु अब थोड़ा सा उत्साहित हो गया था ,,""अच्छा तुझे सपना याद है चल बता क्या देखा ,कही हम उस चुड़ैल के सवालों का जवाब देकर अमीर तो नहीं बन गए"",,

शंकर ,,"अबे कैसी बात कर रहा है,, कहां के अमीर ,,बल्कि सपने में वह चुड़ैल हम दोनों को खा गई थी,""",

विष्णु अब यह बात सुनकर थोड़ा डर गया था ,""साले सपना भी देखा तो ऐसा,,, कुछ ढंग का सपना देख लेता,"", और फिर उठकर अपनी चारपाई पर लेटा था।

शंकर सपने को याद करने की मुद्रा में ,,"""क्या बताऊं यार ,बहुत भयानक सपना था ,,मैंने उस चुड़ैल को देखा किसी बड़े पेड़ की तरह वह विशाल नजर आ रही थी, उसका भयानक चेहरा और उसकी वह लाला आंखें ,,अभी तक मुझे नजर आ रही हैं,,"""

विष्णु ,,"अच्छा-अच्छा भूल जा ,,सपना ही था ,,कौन सा हम उस जंगल में जा रहे हैं ,,तू भी पता नहीं क्या क्या देखता रहता है,,"""

शंकर अब टेबल पर रखे अपने मोबाइल को उठाता है और उसमें टाइम देखने लगता है,,,""अरे यार 5:00 बज गए हैं यह तो सुबह का सपना है"" और फिर से चेहरे पर डर का भाव ले आता है।

विष्णु झल्लाते हुए ,,""तो तेरे कहने का और सोचने का मतलब क्या है,,,,,, सुबह का सपना है तो क्या सच ही होगा,"",,,

शंकर के चेहरे पर दोबारा पसीना आ गया था ,,,"""हां यार ,,,सभी यही कहते हैं,,""

क्रमशः

क्या वाकई में सपना सच होने वाला है,, क्या यह दोनों किसी बड़ी मुसीबत में फंसने वाले हैं ,,जानने के लिए बने रहें इस हॉरर के साथ,,,