Pehchan - 24 in Hindi Fiction Stories by Preeti Pragnaya Swain books and stories PDF | पेहचान - 24 - तुम्हे किससे डर है ?

Featured Books
  • NICE TO MEET YOU - 6

    NICE TO MEET YOU                                 પ્રકરણ - 6 ...

  • ગદરો

    અંતરની ઓથથી...​ગામડું એટલે માત્ર ધૂળિયા રસ્તા, લીલાં ખેતર કે...

  • અલખની ડાયરીનું રહસ્ય - ભાગ 16

    અલખની ડાયરીનું રહસ્ય-રાકેશ ઠક્કરપ્રકરણ ૧૬          માયાવતીના...

  • લાગણીનો સેતુ - 5

    રાત્રે ઘરે આવીને, તે ફરી તેના મૌન ફ્લેટમાં એકલો હતો. જૂની યા...

  • સફર

    * [| *વિચારોનું વૃંદાવન* |] *                               ...

Categories
Share

पेहचान - 24 - तुम्हे किससे डर है ?

अच्छा एक काम करें क्या .?

अभिमन्यु बोला क्या ?

पीहू बोली ये ड्रामा एसे ही चलने दे क्या ?

अभिमन्यु बोला तुम पागल हो गई हो क्या ? क्या बोल रही हो , मेरे अपनो का हालत वैसे ही खराब है मेरी ये मौत की खबर सुन उपर से तुम बोल रही हो की ये सब एसे चलने दें ! What rubbish ... तुमने सायद किसी अपने को नही खोया है इसलिए ऐसी बात कर रही हो ।

पीहू बोली तुम फिर गुस्सा हुए अरे मेरी बात को समझने की कोशिश तो करो .... देखो तुम business tycoon हो तो जाहिर सी बात है तुम्हारे दुश्मन भी होंगे पर इस बात को एसे नज़र अंदाज करना सही नहीं है ... कभी कभी इसकी भारी कीमत भी चुकानी पड़ सकती है ... इसलिए बोल रहि हूं मेरा साथ दो ताकि हम उसे पकड़ सके जो इन सब के पीछे है !

अभिमन्यु को अब थोड़ी थोड़ी बात समझमे आने लगी तो वो बोला देखो मैं तुम्हें सिर्फ 5 min दे रहा हूं तुम अपना प्लान मुझे सुनाओ अगर अच्छा लगा तो ठीक है वरना मैं ऑफिस ही जाऊंगा ....

पीहू बोली ठीक है और बोलना शुरू की देखो अभी ये न्यूज चारो तरफ फैली हुई है तुम मर चुके हो तो बस इस बात को थोड़े दिन के लिए तुम सच मानलो ..... उसके बाद दूसरा काम यह जानना की इसके पीछे का मकसद या फायदा क्या है .... वो अगर हम न्यूज को एनालाइज करेंगे तो पता चल जायेगा .....अब तीसरा काम की इसके पीछे कौन है ,देखो एसे हम शक के बुनियाद पर सोचेंगे तो बहुत निकलेंगे तो उससे अच्छी बात ये होगी की हम वेट करेंगे और आखिर में जिसको सबसे ज्यादा फायदा हो रहा होगा वही इनसब के पीछे होगा ...... और आखिर में तुम्हारे हाथ में है तुम उसे छोड़ दोगे या सजा दोगे !

अभिमन्यु सारी बातें सुनने के बाद बोला तुम जैसी हो तुम्हारी सोच भी वैसी है........ आधी अधूरी....

पीहू बोली मतलब .....

अभिमन्यु बोला तुम्हारी पहली बात तो सही है दूसरी बात भी काफी हद तक सही है पर तीसरी बात हो ही नहीं सकती ...

पीहू पूछी क्यों ?

अभिमन्यु बोला तुम जानती नहीं हो लोगों को लोग यहां मगरमच्छ के आंसू भी रोते है , अपने चेहरे पर एक मुक्खोटा पहने हुई रहते है भला तुम कैसे जान पाओगी कौन अच्छा है कौन बुरा ......
प्लान तो अच्छा था पर पूरी तरह से कंप्लीट नही होगा और क्या पता हम एसे चुप चाप बैठे हुए अपनी बारी का इंतजार कर रहे होंगे और वहां कोई सचमे मेरी कम्पनी ले जायेगा ...... न रे बाबा न मैं कोई रिस्क नहीं ले सकता । बोलकर गाड़ी चलाना शुरू कर दीया उसकी बात सुनकर पीहू भी थोड़ी सोच में पड़ गई , फिर कुछ सोचने के बाद फिर से बोली मेरा प्लान सक्सेसफुल भी होगा और तुम्हारी कंपनी भी कहीं नहीं जाएगी !

अभिमन्यु बोला तुम भी न कुछ भी बोलती हो ?

पीहू बोली तुम न सचमे गधे हो , और एक गुस्से भरी आवाज़ में बोलि ....... वो तुम्हारी कंपनी है !कोई हलवे का कटोरा नहीं , की कोई आया और लेगाया और इतना बड़ा एंपायर है उसे लेने के लिए किसी में उतनी हिम्मत भी होनी चाहिए ।अच्छा एक बात बताओ................ तुम्हें किससे डर है मेरा मतलब की क्या कोई ऐसा है जिसको देखके तुम्हे लगता है की वो तुम्हारी कंपनी को टेकओवर कर सकता है ।

अभिमन्यु गाड़ी रोकते हुए बोला तुम मुझसे ये सब क्यों पूछ रहि हो ?

पीहू बोली देखो जितना पूछ रहि हूं उतना बताओ बाकी सब मैं बाद में बोलूंगी और नहीं बोलना चाहते as you wish में और कुछ नहीं बोलूंगी .......

अभिमन्यु कुछ सोचा और फीर थोड़ा रुकते हुए बोला , तुम उसे जानती हो .......... वो............ अर्जुन !

पीहू बोली अच्छा ठीक है बोलकर map में एक जगह लोकेट की और अभिमन्यु से बोली इस जगह पर चलो ....

अभिमन्यु को पता नही क्यों पर पीहू की बात मानना सही लगा तो वो उसके बताए हुए जगह पर जाने लगा ..... करीब 30 min बाद वो लोग एक पहाड़ी के टॉप पर जा रुके ।