Sapne - 39 in Hindi Fiction Stories by सीमा बी. books and stories PDF | सपने - (भाग-39)

Featured Books
  • خواہش

    محبت کی چادر جوان کلیاں محبت کی چادر میں لپٹی ہوئی نکلی ہیں۔...

  • Akhir Kun

                  Hello dear readers please follow me on Instagr...

  • وقت

    وقت برف کا گھنا بادل جلد ہی منتشر ہو جائے گا۔ سورج یہاں نہیں...

  • افسوس باب 1

    افسوسپیش لفظ:زندگی کے سفر میں بعض لمحے ایسے آتے ہیں جو ایک پ...

  • کیا آپ جھانک رہے ہیں؟

    مجھے نہیں معلوم کیوں   پتہ نہیں ان دنوں حکومت کیوں پریش...

Categories
Share

सपने - (भाग-39)

सपने.......(भाग-39)

आदित्य का जाना आस्था को अच्छा तो नहीं लग रहा था, पर काम जरूरी था तो रोकना भी ठीक नहीं था.....रात को नवीन आया तो उसने बताया, "वो एक हफ्ते के लिए घर जा रहा है.....काफी दिनों से जाना नहीं हुआ और आने वाले दिनों में कुछ शोज थे उसके अलग अलग शहरो में,तो वो और बिजी होने से पहले अपनी माँ और बहन से मिलने जा रहा था".......! पहले आदित्य और अब नवीन भी जा रहा था तो आस्था और मायूस हो गयी.....
"क्या यार इतने दिनो बाद मैं फ्री हुई हूँ तो तुम सब बिजी हो गए हो.....? मैं अकेली रह गयी", उसने नवीन से कहा तो नवीन बोला, "तुम चलना चाहो तो मेरे साथ चलो मेरे शहर"! "नहीं अभी नहीं जा सकती, नचिकेत बोल रहा था कि कुछ इंटरव्यू वगैरह होना है हमारी टीम का तो अभी नहीं जा सकती मुंबई छोड़ कर.....एक बार ये सब हो जाए तो फिर सोचती हूँ", आस्था की उदासी से नवीन को बुरा लग रहा था वो बोला, "घर पर आने का फोन कर दिया है तो दोनो को मेरा इंतजार होगा.....नहीं तो मैं रूक जाता"! "अरे नहीं नवीन तुम घर जाओ और मिल कर आओ! मैं मैनेज कर लूँगी फिर एक ही तो हफ्ते की बात है.....फिर श्रीकांत और सोफिया भी वापिस आने वाले हैं......."! नवीन की बात सुन कर आस्था ने कहा। अगले दिन नवीन भी चला गया.......आस्था थोड़ी उदास तो हो गयी थी, पर उसके लिए सब अपना काम छोड़ कर तो बैठ नहीं सकते....ये वो समझती थी। राजशेखर से तो आने वाले दिनों में मुलाकात रात को ही होनी थी, क्योंकि सुबह को वो जल्दी ही निकल जाता है.......विजय को आदित्य ने एक दूसरी जगह जॉब पर रखवा दिया था तो सविता ताई अब रात का खाना बना कर शाम को 6 बजे ही चली जाती थी और सुबह टाइम से आ जाती थी.....रात का खाना जब खाना होता था तो माइक्रोवेव में गरम करके खा लेते थे.......। अगले दो दिन तो बोरियत में बीते पर तीसरे दिन आस्था ने सविता ताई को बाहर चलने के लिए मना लिया.......दोनो ने बाहर जा कर चाट वगैरह खायी और थोड़ी बहुत घर के सामान की शॉपिंग करके वापिस आ गए.......घर आ कर फोन चेक किया तो नचिकेत का मैसेज था, "कल अरूणा दी के घर सुबह 11 बजे पहुँच जाना.......तुम्हारा इंटरव्यू है"। आस्था सुबह के लिए रात को सब तैयारी करके सोयी थी ।
सुबह वो टाइम से तैयार हो गयी, राजशेखर ने रात को ही कह दिया था कि, "वो दोनो एक ही कैब कर लेंगे......रास्ते में वो उसे छोड़ कर ऑफिस चला जाएगा"!आस्था ने सविता ताई को भी कह दिया था कि वो काम खत्म करके टाइम से चली जाए......रात के लिए बस कोई सब्जी बना जाना...चपाती मैं सेक लूँगी। पहली बार इंटरव्यू था तो आस्था बहुत ज्यादा नर्वस हो रही थी, टाइम से पहले ही वो अरूणा दी के घर पहुँच गयी.......। "दी मैं नर्वस हूँ, कैसे क्या पूछेगें? मुझे कैसे जवाब देने चाहिएँ....आप कुछ टिप्स मुझे दीजिए न"! "डोंटवरी आस्था, ये बस नार्मल बातों की तरह ही है...कुछ पर्सनल सवाल पूछेगें और कुछ प्रोफेशनल बस समझदारी से जवाब देने हैं...फिर नचिकेत भी आ रहा है....वो सब संभाल लेगा..."! अभी वो लोग बातें ही कर रहे थे कि नचिकेत आ गया....और पीछे पीछे इंचरव्यू लेने वाले भी......एक लड़की थी और एक फोटोग्राफर । कॉफी पीते पीते वो जर्नलिस्ट जिसका नाम नीरा था वो आस्था और नचिकेत से सवाल जवाब कर रही थी, जहाँ आस्था रूक जाती वहाँ नचिकेत बात को पूरा कर रहा था, जो उनके बीच की आपसी समझ और तालमेल दिखा रहा था। आस्था थोड़ी रिलैक्स हो गयी थी.....नचिकेत जैसे सपोर्ट कर रहा था आस्था को वो जर्नलिस्ट की तीखी नजरो से छिपा नही और उसने एक सवाल दाग ही दिया, "नचिकेत जी आप और आस्था जी 2 प्ले कर चुके हैं, तो उससे आप दोनो की स्ट्रांग बांडिग दिख रही है तो ये बांडिग प्रोफेशनल ही है या पर्सनल भी ? दोनो एक साथ बोले, "प्रोफेशनल", जिसे सुन कर फोटोग्राफर और नीरा दोनो मुस्कुरा दिए तो आस्था और नचिकेत भी हँस दिए तो माहौल हल्का हो गया.......। बाकी टीम का इंटरव्यू वो अगले दिन करने वाली थी स्टूडियों में ही...... नीरा ने बताया कि "ये इंटरव्यू उनकी मैगजीन में आएगा......ये आपका पहला इंटरव्यू है प्लीज मेरी मैगजीन आने से पहले आप किसी और को इंटरव्यू मत दीजिएगा "! "ठीक है नीरा पर आपकी मैगजीन में हमारा इंटरव्यू इसी मंथ की मैगजीन में ही आएगा ना 15Th को"! "जी सर"! नीरा की बात सुनकर नचिकेत ने कहा "ठीक है, 15 के बाद ही किसी और का इंटरव्यू शैड्यूल होगा, ये प्रॉमिस है"। नचिकेत के प्रॉमिस करने पर नीरा ने खुशी खुशी दोनो से हाथ मिलाया और चली गयी।
आस्था तो इंटरव्यू के बाद वापिस आने वाली थी, पर अरूणा दी ने उसे लंच के लिए रोक लिया.......आस्था मना नहीं कर पायी, वैसे भी तो घर में अकेले ही रहना था तो वो रूक गयी....। लंच के दौरान अरूणा दी आस्था से बातें करती रही, उसने आस्था में कुछ बदलाव महसूस किया.....पर कहा कुछ नही।
लंच के बाद आस्था कैब से घर चली गयी। वहाँ से चलने से पहले उसने नचिकेत से पूछ लिया था कि," अभी कुछ दिन काम नही है तो मैं घर चली जाऊँ? मेरी फ्रैंड की शादी भी है तो वो भी अटैंड कर लूँगी"! "हाँ जरूर जाओ, मैं भी नेकस्ट वीक कुछ दिनो के लिए बाहर जा रहा हूँ तो आ कर देखते हैं कि कब शुरू करना है"। आस्था ने राहत की सांस ली, कुछ दिन आराम करने को मिलेगा...। फ्लैट पर पहुँच कर उसे बहुत अकेला सा लग रहा था। कपड़े चेंज करके अपने लिए चाय बना कर टी.वी. चला कर बैठ गयी......तभी उसके फोन की घंटी बजी उसने फोन पर नाम देखा तो भाई का फोन था......उसने हैलो बोला तो उधर से आवाज आयी, " आस्थू तेरे प्ले की फोटो न्यूज पेपर में आयी है.....पापा भी बहुत खुश हो रहे हैं, तेरी तारीफ पढ़ कर"! आस्था सुन कर खुश हो गयी, "कब के न्यूज पेपर में आयी है"? अरे आज के पेपर में, मै और पापा सुबह जल्दी निकल गए थे तो पढ नहीं पाए...अभी आ कर पढ़ा है"। पीछे से पापा, मम्मी और भाभी की आवाजें आ रही थीं।
सब से बात करके आस्था का मूड भी अच्छा हो गया.......अभी फोन रखा ही था कि फोन कि घंटी एक बार फिर बज गयी.....इस बार तो उसकी उम्मीद से परे एक नाम मोबाइल पर दिख रहा था....वो था शादी का नंबर 2 उम्मीदवार शेखर जी जिन्हें बड़े प्यार से दोस्ती की मीठी डोज देकर शादी के लिए न करवा कर ही तो NSD आने की लाइन क्लियर हुई थी......आस्था ने झिझकते हुए फोन उठाया तो उसने भी उसे बधाई दी और बोला, " चाचा जी का फोन आया था उन्होंने ही बताया कि तूने जिस लड़की के लिए मना किया देख वो कितनी फेमस हो रही है"। आस्था उसकी बात सुन कर मुस्कुरा दी और बोली, " हाँ शेखर जी अंकल ठीक कह रहे हैं अगर आप मेरी हेल्प नहीं करते तो मैं यहाँ तक नहीं पहुँच पाती...थैंक्यू सो मच"! शेखर ने 2-4 मिनट बात करके फोन रख दिया और रखने से पहले उसने बताया उसकी शादी पिछले महीने ही हुई है.....लड़की टीचर है। अब बधाई देने की बारी आस्था की थी.....। शेखर ने कहा, "जब घर आओ तो बताना हम मिलेंगे"......! आस्था ने भी मिलने के लिए हाँ कह कर फोन रख दिया....।
क्रमश: