The Author Akash Gupta Follow Current Read हीर रांझा की एक अधूरी प्रेम कहानी - 7 By Akash Gupta Hindi Short Stories Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books DEEP THINKER Index – Deep Thinker Preface Why This Book Exists The Differ... Bound by Love - 1 “Aditi, go and try this one!”“I think it’ll look amazing on... Triangle Ufo Abduction Triangle UFO Incident It was a cool autumn night in 1997 whe... FROM AUTUMN TO SPRING - 1 It was fall, September 2018 — the beginning of the second se... Split Personality - 113 Split Personality A romantic, paranormal and psychological t... Categories Short Stories Spiritual Stories Fiction Stories Motivational Stories Classic Stories Children Stories Comedy stories Magazine Poems Travel stories Women Focused Drama Love Stories Detective stories Moral Stories Adventure Stories Human Science Philosophy Health Biography Cooking Recipe Letter Horror Stories Film Reviews Mythological Stories Book Reviews Thriller Science-Fiction Business Sports Animals Astrology Science Anything Crime Stories Novel by Akash Gupta in Hindi Love Stories Total Episodes : 7 Share हीर रांझा की एक अधूरी प्रेम कहानी - 7 (140) 5.3k 11k 1 "हीर ने जैसे ही रांझे के बारे में पिता चूचक से बात की। वह हीर को रांझा से अलग ले जाकर मुस्कुराते हुए बोले- ‘बेटी, कौन है यह बंदा और कब आया है? यह तो बदन से इतना कोमल दिख रहा है कि छू दो तो लाली पड़ जाए। यह भैंसो की देखभाल का काम नहीं कर पाएगा। यह तो खाते-पीते घर का लग रहा है। यह खुद को भैंसों का मालिक समझ लेगा और हमारा नौकर बनकर नहीं रहेगा। उसके चेहरे पर खुदा का नूर है। क्यों न हम उसे भेड़ों की देखभाल करने का काम दें।’हीर पिता की बात सुनकर बोली, ‘हां अब्बू, रांझा अच्छे खानदान से है। वह तख्त हजारा के चौधरी का बेटा है। वह हीरा है जो मुझे मिला है।’चूचक बोले, ‘वह तो मासूम लड़का है जो आंखों से बुद्धिमान और देखने में विनम्र लग आ रहा है। लेकिन वह इतना उदास क्यों है और उसने घर क्यों छोड़ा? वह अपने अंदर कोई झूठ तो नहीं छिपा रहा?’पिता के अंदर रांझा के बारे शक देखकर हीर ने उसकी जमकर तारीफ शुरू कर दी। ‘अब्बू, वह इतना पढ़ा-लिखा है कि अफलातून (प्लेटो) को भी हरा दे। वह भरी सभा में बेधड़क बोल सकता है और हजारों मामलों पर फैसला सुना सकता है। वह नदी में भैंसों को पार करा सकता है और चोरी होने पर उसे खोजकर ला सकता है। वह जान लगाकर काम करेगा। वह इस देश में हजारों में एक है जहां ज्यादातर काम करने वाले चोर हैं और अच्छे लोग कम ही हैं। वह हर हालत में अपना कर्तव्य निभाना जानता है।’बेटी की बात सुनकर प्यार से चूचक बोले,’तुम तो बहुत जोश से उसकी वकालत कर रही हो। देखते हैं यह लड़का कैसा निकलता है? तुम्हारी बात हमें मंजूर है। हम इसके हवाले अपने भैंसों को करते हैं लेकिन उससे यह बोल दो कि भैंसों को संभालना आसान काम नहीं है।’हीर अपने मां के पास गई और बोली, ‘मां, हम सब बहुत दिनों से जिस मुश्किल को झेल रहे थे, वह अब आसान हो गई है। अब हमारे जानवर मालिक के बिना नहीं रहेंगे और वह जंगल में रास्ता नहीं भटकेंगे। एक जाट को मैं अपनी मीठी बातों से बहलाकर, मनाकर लाई हूं। वह दिल का हीरा है। वह हमारे जानवरों का सही से देखभाल करेगा।’इसके बाद हीर रांझा के पास आई और प्यार से उसे समझाते हुए सारी बातें बताईं। गांव के लड़के रांझा को देखकर हंसने लगे और उससे कहने लगे, ‘अब तुमको जिंदगी भर दूध और मलाई खाकर जीना पड़ेगा।’इस पर हीर रांझे से बोली, ‘तुम इन लड़कों की कड़वी बातों का बुरा मत मानना। मैं तुम्हारे लिए मीठी रोटियां, मक्खन और चीनी लाया करूंगी। जंगल में भैंसों को ले जाना और खुदा पर यकीं रखना। मैं अपनी दासियों के साथ हमेशा तुम्हारे साथ रहूंगी।’""खुदा के करम से जंगल में चारों तरफ इस मौसम में घास ही घास थे। भैंसे इस तरह से कतार बनाकर चल पड़ीं जैसे लगा कि जमीन पर काला सांप रेंग रहा हो और रांझा अब उनका मालिक बनकर साथ चल रहा था।रांझा ने खुदा का नाम लिया और जंगल में भैंसों को लेकर घुसा। धूप में चलते हुए रांझा गर्मी से बेहाल था और बहुत परेशान था। इस परेशानी की घड़ी में उसकी मुलाकात पांच पीरों (साधु) से हुई।पीरों ने परेशान रांझा को दिलासा देते हुए कहा, ‘बच्चे, भैंसों का दूध पीओ और अपने मन से सारी उदासी को निकाल फेंको। खुदा सब कुछ ठीक कर देगा।’रांझा बोला, ‘मैं बहुत मुश्किल में हूं। मुझे मेरी हीर दिला दिला दो। उसकी मुहब्बत की आग मुझे जलाकर खाक बना रही है।’पीरों ने रांझे से कहा, ‘बच्चे, तुम्हारी हर आरजू पूरी होगी। तुम्हारा तीर निशाने पर जाकर लगेगा और तुम्हारी कश्ती को किनारा मिलेगा। हीर को खुदा ने तुम्हारे लिए बनाया है। मेरे बच्चे, जब कभी परेशानी में रहना, तुम हमें याद करना। घबराना मत, तुम्हारा कोई कुछ भी बिगाड़ नहीं पाएगा।’पीरों की बात सुनकर रांझा की परेशानी दूर हो गई। वह भैंसों को जंगल में हांकता रहा। भैंसे भी उसके साथ रहकर खुश दिख रही थीं और जोर-जोर से बोलकर इस बात को बता रही थी।"THE END ‹ Previous Chapterहीर रांझा की एक अधूरी प्रेम कहानी - 6 Download Our App