Apang - 51 in Hindi Fiction Stories by Pranava Bharti books and stories PDF | अपंग - 51

Featured Books
  • અસવાર - ભાગ 3

    ભાગ ૩: પીંજરામાં પૂરો સિંહસમય: મે, ૨૦૦૦ (અકસ્માતના એક વર્ષ પ...

  • NICE TO MEET YOU - 6

    NICE TO MEET YOU                                 પ્રકરણ - 6 ...

  • ગદરો

    અંતરની ઓથથી...​ગામડું એટલે માત્ર ધૂળિયા રસ્તા, લીલાં ખેતર કે...

  • અલખની ડાયરીનું રહસ્ય - ભાગ 16

    અલખની ડાયરીનું રહસ્ય-રાકેશ ઠક્કરપ્રકરણ ૧૬          માયાવતીના...

  • લાગણીનો સેતુ - 5

    રાત્રે ઘરે આવીને, તે ફરી તેના મૌન ફ્લેટમાં એકલો હતો. જૂની યા...

Categories
Share

अपंग - 51

51

------------

कोई किसी का इतना ख्याल कैसे रख सकता है ? भानु के मन में बार-बार ये बात आती और उसके दिल की धड़कन तेज़ हो जाती । सच तो यह था कि उसे खुद से ही डर लगने लगा था । 

वह चुपचाप रिचार्ड की बातें सुन रही थी । ऑफ़िस जाना शुरु कर चुकी थी । बेटे की तो कोई चिंता थी ही नहीं उसे। नैनी जो थी । वह भी इतनी पर्फेक्ट ! वह तो ताउम्र अपने बच्चे को इतनी लक्ज़री में नहीं पाल सकती थी !

इतना क्यों और कैसे ? उसके मन में प्रश्न गहराता जा रहा था । कभी मन कहता कि उसके खुद के पास ही तो है उसका उत्तर फिर ? इतनी अनमनी क्यों हो जाती है आखिर? कुछ बेनामी रिश्ते इतने पॉवरफ़ुल होते हैं, इतने स्ट्रॉंग कि उनके कुछ उत्तर दिए ही नहीं जा सकते । उन रिश्तों को केवल, भावनाओं, संवेदनाओं से ही महसूस किया जा सकता है। ये बेनामी रिश्ते जितने बिना आकार होते हैं, उतने ही गहरे होते हैं। 

भानु ने अपने चेहरे पर आए पसीने को ऐसे ही हाथ से पोंछ लिया । 

"डेफिनेटली समथिंग इज़ रॉंग ---क्या हुआ भानु ?" रिचार्ड ने उसका हाथ पकड़ा और वह जैसे सिहर उठी । कहीं कुछ तो था जो उसके शरीर में कम्पन भर रहा था । 

"कुछ गलत किया क्या मैंने ? क्यों परेशान हो ?" रिचार्ड सोफ़े पर उसके पास खिसक आया था । 

"नहीं, ऐसा कुछ नहीं है लेकिन ---मेरी वजह से तुमने राजेश को दूसरी ब्रांच में भेज दिया इसका कोई इफ़ेक्ट नहीं होगा उस पर ?" वह धीरे से बोली । 

"मतलब...उसके ऊपर इफ़ैक्ट क्या होगा, इसकी चिंता भी तुम्हें ही करनी है?"दो मिनट वह चुप हो गया जैसे कोई सन्नाटा सा पसर गया उनके बीच। दूसरे कमरे से बच्चे के साथ जैनी के हँसने की धीमी सी आवाज़ आ रही थी...बस..। 

"देखो भानुमति --ही इज़ योर हज़्बेंड, हैज़ लीगल राइट ऑन यू --कभी ऑफ़िस में किसी दिन वह तुमसे --" वह फिर चुप हो गया और भानु के पीले पड़े हुए चेहरे पर उसने अपनी निगाहें चिपका दीं । 

रिचार्ड पहली बार भानु के इतनी पास बैठा था कि उनकी साँसें एक-दूसरे से टकरा रही थीं । 

"ओ --यस --फ़र्म की रेप्युटेशन भी तो देखनी है । " भानु ने धड़कते दिल से टूटे फूटे शब्दों में कहा । उसकी धड़कनें जैसे सप्तम पर जाने के लिए उछल रही थीं । इतना केयरिंग कोई कैसे हो सकता है ?

" तुम्हारी रेप्युटेशन का ख़्याल नहीं है क्या मुझे ?" रिचार्ड ने कहा और फिर अचानक ही सोफ़े पर उसने कुछ दूरी बना ली । 

भानु ने उसकी ओर देखा और न जाने क्यों उसकी आँखों में आँसू भर आए । 

"यू मस्ट बी फ़ीलिंग लोनली -- तुम कहीं बाहर क्यों नहीं जातीं ?" रिचार्ड न जाने क्यों उसके सामने वाले सोफ़े पर जा बैठा और उसने उसकी आँखों में आँखें डाल दीं |

"नो--नॉट एट ऑल ---" भानु ने बड़े संभलकर धड़कते दिल से उत्तर दिया। 

"राजेश को मिस करते हो ?" अचानक रिचार्ड को क्या हो रहा था ?

"नो, नॉट एट ऑल ---"भानु ने एक झटके से बल्टंटली कहा जैसे कोई बड़ी गलत बात कह दी हो रिचार्ड ने। 

"क्यों ? " रिचार्ड सब कुछ जानते हुए भी उससे सिली क़्वेश्चन पूछ रहा था । भानु ने अपनी पनीली आँखों पर एक बार हाथ फिराया और उसे घूरा, क्या नहीं जानता 'क्यों?'

"यू आर वेरी इंटेलीजेंट भानु, मैं जब भी कुछ पूछता हूँ तुम बड़ी होशियारी से बात टाल जाती हो !" रिचार्ड ने उसकी आँखों में फिर से झाँका । 

यह क्या हो रहा था ? जो हो रहा था, पहली बार हो रहा था । कुछ अलग सा ही अनुभव था यह ! उसका दिल लगातार ज़ोर-ज़ोर से धड़कता ही रहा । 

"तुम्हें लगता है, तुम्हें लेट गो करती हूँ ?" भानु ने पूछा। 

"नो, आई डोंट मीन दिस बट तुमको अपना टाइम यूटिलाइज़ करना चाहिए। यू हैव एवरीथिंग। यू हैव योर कार, यू मस्ट गो फ़ॉर ए लॉन्ग ड्राइव---" रिचार्ड ने शायद वैसे ही कह दिया |

"करती तो हूँ, जाती तो हूँ गाड़ी में --ऑफ़िस --" भानु ने भी वैसे ही उत्तर दे दिया जैसे रिचार्ड ने पूछा था । 

जब दो लोग बैठते हैं तब आपस में बातें तो होती ही हैं, कई बार कुछ बातें ऎसी भी मुँह से निकल जाती हैं जिनका कोई अर्थ भी नहीं होता, अर्थहीन बातें ! क्या बात करे ?

व्हाइ दे डोंट शेयर देयर लव टु ईच-अदर...शायद दोनों के ही मन में यही चल रहा था लेकिन....

"ऑफ़िस जाना, घूमना होता है क्या ? घूमने जाया करो, पुनीत को भी घुमाओ । उसे भी अच्छा लगेगा । " रिचार्ड ने कहा । 

"ओहो ! ये कहो तुम्हारा घूमने जाने का मन है ---"। फिर बोली ;

"अच्छा, एक बात बताओ, राजेश सब कुछ जानता है न ? वह ऑब्जेक्ट नहीं करता कि उसकी पत्नी से तुम्हारी इतनी दोस्ती है ----!"

"नो..नो..वह नहीं कर सकता --" वह जल्दी से बोला । 

"जानते हो, हमारे भारत के पति कितने पज़्ज़ेसिव होते हैं -वह भी तो इंडियन हज़्बेंड है । " भानु ने कहा । 

"यस, आई नो --पर वे पति होते हैं, हज़बैंड्स !टू टेक केयर लव एंड ...दे आर नॉट मीरअली---" वह चुप हो गया फिर बोला..

"लीव यार ! यू विल बी इन पेन ---" रिचार्ड ने अपनी बात पूरी की । 

क्यों है इसको मेरी पीड़ा की चिंता?

"मैं नहीं, तुम दुखी हो रहे हो --" और उस दिन की बात वहीं पर रुक गई |