Udaan-2 - 2 in Hindi Motivational Stories by ArUu books and stories PDF | उड़ान - चेप्टर 2 - पार्ट 2

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उड़ान - चेप्टर 2 - पार्ट 2

आज कॉलेज से ट्रीप जा रही थी। सब बहुत खुश थे। काव्या ने हल्के नीले रंग का सूट पहना हुआ था। बहुत खूबसूरत लग रही थी वह सूट में पर चेहरे की उदासी वह छुपा नहीं पा रही थी। कॉलेज की बसे चल पड़ी अपने गंतव्य की ओर...काव्या विनी के पास बैठी थी वही रूद्र निशि के बगल में बैठा था। काव्या की नजरे रह रह के व्हाइट शर्ट पहन बैठे रूद्र की तरफ चली जाती जिसे वह बड़ी समझदारी से बस की खिड़की की तरफ मोड़ देती।
बस में पीहु की फरमाइश पर अंतराक्षरी का प्रोग्राम बना। जो काफी देर तक चलता रहा। जब किसी को कुछ गाना नहीं सूझा तो इतनी देर से खामोश बैठी काव्या ने तान छेड़ दी
" ये आंखे देख कर हम सारी दुनिया भूल जाते है "
गाते गाते काव्या ने रूद्र को अनायास ही देखा तो रूद्र पहले से उसकी तरफ एक प्यारी सी मुस्कान लिए देख रहा था जिसे देख काव्या बहुत खुश हुई पर अगले ही पल उसने उसी भाव से निशि को देखा तो काव्या के स्वर वही रूक गए। इतनी देर में बस भी रुक गई। पहाड़ और नदियों के बीच की खूबसूरती में सब खड़े थे। वाकई में नजारा बड़ा ही प्यारा था। प्रकृति की सुंदरता देखते ही बनती थी। एक दम शांत जगह बस पक्षियों की आवाज सुनने को मिल रही थी। उन्हीं सुंदर वादियों के बीच कॉलेज प्रशासन ने एक सुंदर सा होटल बुक किया था जिसमे सभी के लिए अलग अलग रूम्स का इंतजाम किया गया था। खाना खा कर सब निकल पड़े पर्वत की सबसे ऊंची चोटी पर चढ़ाई करने। काव्या प्रकृति के बीच खुद को काफ़ी सज्ज महसूस कर रही थी। सच में प्रकृति के पास सारे दर्दों की दवा होती है। विनी और पीहु काव्या को कड़ी टक्कर दे रहे थे वह दोनों उससे आगे जाने की कोशिश कर रहे थे परंतु काव्या अब अपने पहले वाले रूप में आ चुकी थी। वह उनके इरादों पर पानी फेरती नज़र आ रही थी। पीहु ने ऊपरी गुस्से में कहा "क्या यार काव्या कभी तो हम गरीबो का भी सोच लिया कर।" काव्या खिल खिला के हंस दी। बहुत टाइम बाद काव्या को हसते देख विनी के चेहरे पर सुकून आ गया।
सबने शिखा पर पहुंचने में ऐड़ी चोटी का जोर लगा दिया पर सबसे पहली चढाई तो काव्या ने ही की। वह आज बहुत खुश थी। शायद इतने दिनों के गम आज फीके से पड़ गए थे।
बड़ी ही खुबसूरती से प्रकृति ने सुंदर रंग अपने अंदर भरे है जिसे देख उदास मन भी खिल खिला उठे। शाम होने पर ट्रुथ और डेयर का गेम खेला गया। और 11 बजे तक सब अपने रूम में जा कर सो गए।
काव्या दिन भर खुश थी पर रात होने पर बेचैनी ने उसे घेर लिया। नींद आज भी उससे कोसों दूर थी। वह अपने रूम से बाहर निकल होटल के सामने बने पार्क में टहलने के लिए आ गई। कुछ दूर जाने पर उसकी नज़र वहा बैठे रूद्र पर पड़ी। वह अकेला नहीं था वहा। कुछ और लड़के लड़कियां बैठे थे वहा। शराब की बोटल उनके हाथ में थी। काव्या उनको देख अपने रूम में लौट आयी। उसने रूद्र को शराब पीते कभी नहीं देखा था पर आज वह निशि के साथ बैठा शराब पी रहा था। रूद्र को इस तरह बर्बाद होते देख वह बहुत दुखी थी।उसने सोचा जरूर ऐसी कोई बात है जिसे रूद्र उससे छुपा रहा है।शायद वह भी उससे दूर रह कर खुश नही है। कोई बात तो जरूर है...कुछ भी हो कल सुबह होते ही वह रूद्र से बात करेगी। सोचते सोचते भारी मन के साथ वह सो गई।
सुबह सबसे पहले उठ कर वह रूद्र के कमरे की तरफ गई। उसने सोचा अभी तक रूद्र उठा नहीं होगा पर वक्त देखा तो सुबह के 9 बज रहे थे। शायद कल की थकान की वजह से उसकी आंखे नही खुली। या शायद सब ही थक कर सो रहे है।
"रूद्र उठ गया होगा क्या" मन ही मन उसने सोचा और उसके रूम का दरवाजा खटखटा दिया।
जब 15 मिनट बाद दरवाजा खुला तो सामने निशि खड़ी थी। वह अपने कपड़े सही कर रही थी मानो उसने जल्दबाजी मे कपड़े पहने हो।
काव्या उसे देख थोड़ा दुखी हुई पर उसने अपने भाव निशि से छुपाते हुए कड़क आवाज में पूछा ...रूद्र कहा है?
"सो रहा है अंदर...चल के देख लो...थक गया था...सोया नहीं ना रात भर शायद नशे में उसे होश ही नहीं रहा की वह..." अपनी बात अधूरी छोड़ वह अपने बालों से खेलने लगी। उसने जिस अंदाज में ये बात कही ये सुन
काव्या को चक्कर से आने लगे।उसका मन शक और अनहोनी से भर गया। उसे लगा जैसे एक ही पल में उसका सिर भारी हो गया है
वह अगले ही पल वहा से चल दी।
बिना किसी को बताएं सामान पैक कर वह अकेले ही ट्रीप अधूरी छोड़ कर अपने घर की तरफ निकल पड़ी।
रास्ते भर में उसकी आंखों से आंसू बहते रहे । अभी तक वह सोचती रही की रूद्र उसकी किसी बात से नाराज़ है पर आज जो उसने अपनी आंखों से देखा उसे देख उसे यकीन हो चला था की रूद्र का जी सच में उससे भर गया है। दिमाग कुछ और कहता तो दिल आज भी ये मानने को तैयार नहीं था की उसका रूद्र इस तरह से उसे धोखा दे सकता है।
वही जब विनी को काव्या अपने रूम में नहीं मिली तो उसने काव्या को फोन मिलाया। काव्या ने अपनी आंखों की नमी और दिल के दर्द को छुपाते हुए उससे कहा कि वो ठीक है बस घर में रीतू दीदी की तबीयत खराब है इसलिए वह बिना किसी को कुछ कहे निकल गई।
विनी को पता था की कुछ ऐसी बात जरूर है जिसे काव्या उससे छुपा रही है। इतने दिन वह रूद्र और काव्या के बीच की दूरियों को मामूली समझ रही थी पर आज काव्या का इस तरह चले जाना बहुत अजीब लगा।
ट्रीप खत्म हो गई थी पर काव्या बुरी तरह से टूट चुकी थी।
उसकी आंखों के आंसू सूखने का नाम नही ले रहे थे।
वह बस अपने कमरे में सोई रहती।
जब कुछ दिन वह कॉलेज नहीं गई तो कॉलेज की साइकोलॉजी की टीचर नेहा उसके घर आ गई।
नेहा मेएम शुरू से काव्या को बहुत प्रोत्साहित करती थी पर उसके पिछले दिनों के बर्ताव से वह भी हैरान थी।इतनी खूशमीजाज लडकी का अचानक यूह गुम हो जाना उन्हे अच्छा नहीं लगा।
जब काव्या कॉलेज नहीं आई तो उन्होंने ही काव्या से मिलने का मन बना लिया। उम्र में वह कोई 42साल की महिला होगी और रंग रूप भी ठीक था। पहले वह मुफ्त में अनाथ आश्रम के बच्चो का ट्रीटमेंट करती थी पर पिछले 6 महीनो से वह काव्या की कॉलेज में एज ए साइकोलॉजी टीचर पढ़ा रही थी । वह काव्या से काफी प्रभावित थी। बस इसलिए काव्या के कॉलेज ना आने पर वह खुद उससे मिलने घर आ गई।
वह सीधा रीतू दीदी से पूछ कर काव्या के रूम में चली आई थी। सुबह के 11 बजे थे। काव्या सो रही थी। उन्होंने समझ लिया की काव्या रात को देर से सोई है। उन्होंने काव्या का बिखरा सामान सही किया और उसके पास बैठ गई।
कुछ देर वो काव्या को निहारती रही। जब काव्या की आंख खुली तो नेहा मैम को अपने सामने पाया। काव्या की ऐसी हालत देख नेहा मैम की आंखों में अनायास ही आंसू आ गए। उन्होंने काव्या को गले से लगा लिया। काव्या जाने कितने टाइम से इतने स्नेह भरे स्पर्श से वंचित रही थी। वह भी उनसे गले लग रोने लगी। काव्या की आंखे अंदर धस गई थी मानो कितनी ही रात से वह सोई नहीं थी। चेहरा भी मुरझा गया था। हमेशा हंसने वाली काव्या के चेहरे पे इतनी उदासी देख नेहा मैम उससे इसका कारण जानना चाहा तो काव्या ने टाल दिया।
नेहा मैम ने भी उसे ज्यादा फोर्स नही किया और जल्दी ठीक हो कर कॉलेज आने का कह कर चल दी।
नेहा मैम को जाते देख काव्या को जाने क्यों ऐसा लगा जैसे वह उन्हें बरसो से जानती है...एक अपनापन महसूस किया उसने आज नेहा मैम के साथ...आखिर क्या वजह थी इसकी
कौन थी नेहा
और क्या था रूद्र के इस बिहेवियर की वजह
जानने के लिए पढ़ते रहिए
उड़ान
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