Revenge: A Romance Singham Series - Series 1 Chapter 6 in Hindi Fiction Stories by Poonam Sharma books and stories PDF | Revenge: A Romance Singham Series - Series 1 Chapter 6

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Revenge: A Romance Singham Series - Series 1 Chapter 6

अनिका घुटने मोड़ कर अपने हाथों से उसे बांध कर उसमे अपना मुंह छुपा कर बिस्तर पर बैठी थी। एक घंटा बीत चुका था उसे वोह सच जाने, वोह कठिन सच। सब कुछ हकीकत में रहा रहा था। पर वोह दिल से चाहती थी की यह सब सपना बन जाए और वोह तुरंत ही इस बुरे सपने से बाहर आ जाए।

उसका फोन भी नही मिल रहा था और इस कमरे में कोई लैंडलाइन या कंप्यूटर भी नही था। वोह पूरी तरीके से बाहरी दुनिया से कट चुकी थी सिर्फ और सिर्फ उसकी बुआ की वजह से।

मैं ऐसे खाली नहीं बैठ सकती। मुझे किसी की मदद लेनी चाहिए ना की अपने ऊपर दया कर अपने आप को यूहीं इनके हवाले छोड़ दूं।

तभी दरवाज़े पर खटखट की आवाज़ हुई और अनिका अपने विचारों से बाहर आई पर उसने कोई जवाब नही दिया। वोह जानती थी की दरवाज़े पर उसकी बुआ या सबिता तो बिलकुल नहीं है क्योंकि वोह अंदर आने से पहले दरवाज़ा नही खटखटाएंगे, वोह तोह सीधा घुस जायेंगे।

"मैडम, मैं आपके लिए खाना लाई हूं।" एक नर्म सी आवाज़ आई दरवाज़े के बाहर से।

शायद यह नौकरानी मेरी मदद कर पाए।

"अंदर आ जाओ!"

एक नौकरानी एक ट्रॉली सरकती हुई अंदर आई। उस ट्रॉली पर चांदी के कुछ बर्तन ढके हुए रखे थे। और खाने की खुशबू इतनी अच्छी थी की अनिका का पेट भी गुड़गुड़ करने लगा खुशबू महसूस कर के। वोह बहुत घबराई हुई थी की अभी खाने के बारे में सोच भी नही पा रही थी।

"आपको कुछ और चाहिए, मैडम।" उस नौकरानी ने मीठी सी आवाज़ में पूछा।

"हां। एक फोन।"

उस नौकरानी की आंखे झुक गई। "मुझे माफ कर दीजिए, मैडम। पर हमे कहा गया है की आपको बाहरी किसी भी इंसान से बात नही करने दिया जाए और ना ही हम में से कोई यहां से जाने में आपकी मदद करेगा।"

अनिका उस पर चिल्लाना चाहती थी, अपना गुस्सा निकालना चाहती थी। लेकिन वोह जानती थी की यह सिर्फ अपने मालिक के ऑर्डर्स ही तो फॉलो कर रही है।

वोह नही जानती थी की किसकी मदद ले। वोह सिर्फ सबिता को जानती थी। जबकि सबिता बिलकुल ठंडी और बिना चेहरे पर कोई भाव लाए उसे दिखी थी। पर असल बात तोह यह थी की दोनो कजिन थी, उनका खून का रिश्ता था और एक लड़की होने के नाते क्या वोह दूसरी लड़की और वोह भी, उसकी बहन, की मदद करेगी।?

"सबिता कहां है? मुझे उससे बात करनी है।"

वोह नौकरानी डरी हुई दिखने लगी और उसने कोई जवाब नही दिया।

"तुमने कहा था की मैं इस घर से बाहर किसी से बात नही कर सकती। सबिता तोह यहीं रहती है ना। मुझे उस से बात करनी है। तोह बताओ कहां है वोह।"

नौकरानी ने असमंजस में अपने होंठ दांतों के नीचे दबा दिए। "सबिता मैडम.....बिज़ी हैं।"

"कहां है वोह? नही तोह मैं जा कर उसे ढूंढती हूं।"

"वोह नीचे......." नौकरानी बोलते बोलते रुक गई। डर से वोह कांपने लगी। "मु.... मुझे नही पता मैडम की वोह कहां हैं।"

अनिका को उस नौकरानी की बात पर ज्यादा भरोसा नहीं था पर वोह उस नौकरानी से ज्यादा पूछ ताछ नही कर सकती थी। "थैंक्स। अभी के लिए इतना काफी है। शायद मैं उससे बाद में बात करूं जब वोह आयेगी मेरे पास।"

उस नौकरानी ने अपना सिर हिला दिया और जल्दी से कमरे से बाहर चली गई और दरवाज़ा बंद करने की क्लिक की आवाज़ आई। जैसे ही उस नौकरानी की कदमों की आहट धुंधली पड़ने लगी तोह अनिका बैड से उतर गई और दरवाज़े की तरफ दौड़ी। उसने नॉब घुमाया और लक्किली दरवाज़ा बाहर से लॉक नही था। उसकी बुआ ने उसे इस कमरे में बंद किया था ताकी वोह यहां से भाग न सके।

उसने धीरे से दरवाज़ा खोला तोह देखा की बाहर हॉल में कोई नही था। वोह धीरे धीरे बाहर आई, उसके नंगे पैर कोई आवाज़ नही कर रहे थे। और घर की मुख्य सीढ़ी, जो की नीचे बड़े से लिविंग रूम में पहुंचती थी, से नीचे उतरने के बजाय वोह आगे बढ़ने लगी जब तक की उसे दूसरी नीचे उतरती सीढियां नही दिखी। वोह उन सीढ़ियों से नीचे उतरने लगी और सबसे नीचे पहुंच कर वोह जगह उसे बेसमेंट जैसी लगी। वोह बड़ा सा हॉल था और बहुत हल्की रोशनी थी वहां। जैसे ही वोह थोड़ा आगे बड़ी उसे किसी आदमी की धीमी सी हाफ्ने की आवाज़ और पानी की छपाक की आवाज़ सुनाई पड़ी।

क्या इधर बाथरूम है? वोह श्योर नही थी क्योंकि उसे किसी आदमी के साथ साथ किसी औरत की भी आवाज़ आ रही थी जो की काफी हद तक उसकी कजिन के जैसी थी। उसका दिल जोरों से धड़क उठा जैसे ही वोह आगे बढ़ने लगी। और फिर वोह एक दरवाज़े के पास जा कर रुकी जहां से उसे वोह आवाज़ें साफ साफ सुनाई पड़ रही थी। एक गहरी सांस ले कर उसने दरवाज़ा धीरे से खोला।

चार आदमी और सबिता वहां खड़े थे, दरवाज़े की तरफ पीठ किए हुए। वोह कुछ देख रहे थे। नही, वोह किसी को देख रहे थे। वोह उसे देख रहे थे जो हांफ रहा था और खास भी रहा था।

"और।" जैसे ही सबिता ने ऑर्डर दिया उनमें से एक आदमी ने पानी से भरी बाल्टी उठा ली। जैसे ही वोह आदमी बाल्टी उठाने के लिए थोड़ा हटा, अनिका को एक आदमी कुर्सी से बंधा हुआ दिखा। फिर सबिता के आदमी ने वोह बाल्टी का सारा पानी उस कुर्सी से बंधे आदमी के सिर पर उड़ेल दिया। जल्दी ही वोह आदमी और हांफने लगा और रोते रोते बोला, "प्लीज़ रुक जाओ!!"

"तोह फिर मुझे नाम बताओ।" सबिता ने नरमी पूछा।

"क.....करुणाकर रेड्डी। प्लीज रुक जाओ। अब और नही! प्लीज नही!" वोह कुर्सी से बंधा आदमी रोते रोते गिरगिड़ाया।

सबिता ने अपना हाथ उठाया और यह इशारा दिया, उस आदमी को जो हाथ में दूसरी बाल्टी लिए खड़ा था, की रुक जाओ।

"प..... प्लीज़, मुझे माफ करदो। मुझे एक आखरी चांस देदो।" उस आदमी का रोना और बढ़ गया था जबकि पानी का टॉर्चर रुक चुका था।

"तुम जानते हो की मैं कभी किसी को दूसरा मौका नहीं देती। तुमने गलती की है तो अब तुम्हे मरना होगा।" सबिता ने शांति से कहा।

एक आदमी ने सबिता के हाथ में कुछ दिया। जब हल्की रोशनी में वोह कैसे भी करके उसे थोड़ा देख पाई तोह पता चला की वोह एक गन थी। डर से अनिका की सांसे अटक गई और थर थर कांपने लगी।

"प्लीज!" वोह आदमी अभी भी गिरगिड़ा रहा था। "मेरा एक परिवार है। मेरी पत्नी मां बनने वाली है। ब....बस एक और मौका दे दो।"

सबिता की सांसे तेज़ चलने लगी की सबको सुनाई पड़ रही थी। और फिर एक नही, दो नही बल्कि लगातार गोलियां उस आदमी के सीने में दाग दी जब तक वोह बेजान सा कुर्सी पर नही पड़ गया।

उसने वोह गन अपने आदमी को वापिस दी और कहा, "यह सब साफ करो और तैयार हो जाओ। हमे एक घंटे में मंदिर के लिए निकलना है।"

इन चारों आदमियों सबिता के ऑर्डर को सुन कर हां में सिर हिला दिया। दो आदमी मिलकर मरे हुए आदमी की लाश को प्लास्टिक के बैग में डाल कर पैक करने लगे और दूसरे दो आदमी बिखरा खून साफ करने लगे।

अनिका के गले में अटकी आवाज़ आखिर कार निकल ही गई और वो ज़ोर से चीख पड़ी। अनिका ने वही सबिता से थोड़ी दूरी पर उल्टी कर दी क्योंकि उसने सुबह से कुछ खाया नही था इसलिए उल्टी में ज्यादा कुछ निकला नही। उसे किसी के कदमों की आहट अपने नजदीक आती सुनाई पड़ी। उसने अपनी नज़रे उठा कर देखा तोह उसे खून से सनी अपनी कजिन की शर्ट और ट्राउजर दिखी।

"तु....तुमने उसे मार दिया! तुमने एक आदमी को मार दिया। कैसे कर सकती हो तुम? कैसे....." सबिता ने अनिका की बांह पकड़ी और उसे सीधा खड़ा कर दिया और उसे तक तक झंगोरती रही जब तक की वोह होश में न आ जाए। फिर बस अनिका का रोना ही सुनाई दे रहा था।

"तुम्हे कैसे पता मैं यहां हूं?" सबिता ने पूछा।

"तुमने एक आदमी को मार दिया। तुमने जान बूझ कर किसी की जान ले ली।" अनिका ने फुसफुसाते हुए कहा। उसका रोना अभी भी चालू था।

सबिता की आंखे सख्त होने लगी। "यह पहली बार नही था और ना ही आखरी बार है। तोह चुप हो जाओ और वापिस अपने कमरे में चली जाओ। नीचे तभी आना जब बुलाया जाए। जाओ!"

अनिका का शरीर अभी भी सदमे से कांप रहा था। वोह भागती हुई सीढियां चढ़ने लगी। उसे याद नही था की उसका कमरा कहां है। वोह इधर उधर देखती हुई आखिर अपने कमरे तक पहुंची और जल्दी से अंदर चली गई। इसने अंदर से दरवाज़ा बंद कर लिया।

वोह दृश्य उसकी आंखो के सामने बार बार घूम रहा था। एस्पेशियली वोह सीन जब वोह आदमी अपनी जिंदगी के लिए और अपनी प्रेगनेंट पत्नी के लिए गिरगिडा रहा था।

उसकी कजिन एक बेरहम जानवर थी! जिसने एक आदमी की जान ले ली।

अनिका बेबसी महसूस करते हुए बस रोए जा रही थी। वोह एक जाल में फस चुकी थी जहां कोई भागने में उसकी मदद नहीं करने वाला था।







*****
कहानी अभी जारी है..
❣️❣️❣️