Apanag - 13 in Hindi Fiction Stories by Pranava Bharti books and stories PDF | अपंग - 13

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अपंग - 13

13 ---

रिचार्ड उसकी ओर बेहद आकर्षित था, वह अच्छी प्रकार जानती थी | राज चाहता था कि उसकी पत्नी रिचार्ड से मित्रता कर ले जिससे उसको कम्पनी में और भी बढ़िया पोज़ीशन मिल जाए | उसे तो रिचार्ड की बगल में हर दूसरे दिन नया चेहरा दिखाई देता था लेकिन उसने महसूस किया था कि उसकी पत्नी की ओर रिचार्ड कुछ अधिक ही आकर्षित है |

क्या कमी थी रिचार्ड को ? एक से एक खूबसूरत उसकी हमबिस्तर बनने को तैयार रहती लेकिन यह भानुमति थी, एक भारतीय स्त्री ! जिसका अपना चरित्र था, अपनी सोच थी और था अपना ही निर्णय ! यदि वह भारत से सब सुख-सुविधाओं को छोड़कर, माता-पिता को छोड़कर, सारे सुखों को तिलांजलि देकर उसके साथ विदेश आ सकती थी जिससे उसने प्यार किया था तो अपनी भावी संतान के लिए वह और कुछ कदम भी उठा सकती थी, ठोस कदम !

रिचार्ड अक्सर भानु को फ़ोन करता रहता, उसकी रुचियों के बारे में बात करता रहता, वह उत्तर भी देती लेकिन रिचार्ड ने कभी भी उससे कोई छोटी बात नहीं की थी | बड़ी शालीनता और भद्रता से बात करता वह भानु से !

उस दिन राजेश अकड़ता हुआ निकल गया, भानु अभी बैड पर ही पड़ी थी और अपने भविष्य के लिए ताने-बाने बुन रही थी कि एपार्टमेंट पर किसी ने नॉक किया |

'कौन हो सकता है?' भानु सोचते हुए, आँसू व मुख पौंछते हुए मुख्य द्वार तक पहुँची |एपार्टमेंट का दरवाज़ा खुला ही था | अभी कुछ देर पहले ही तो राज दरवाज़ा भड़भड़ाते हुए बाहर निकला था |

"यस ---" भानुमति ने पूछा |

" मि, रिचार्ड ---" सिंहद्वार से उत्तर आया |

भानु गुमसुम सी दरवाज़े पर खड़े रिचार्ड को घूर रही थी |

"वोंट यू लैट मी इन ?" एपार्टमेंट के सिंहद्वार से वह पूछ रहा था |

आख़िर, राज की अनुपस्थिति में यह क्यों आया होगा ? फ़ोन पर रुचियों के बारे में चर्चा करना और बात है और इस तरह घर में ही चले आना और बात है |

"मे आई कम इन ?" द्वार पर खड़े बिना निमंत्रण के आए अतिथि ने फिर से पूछा |

"ओ ! सॉरी, कम इन ----" वह उसके आगे से हट गई |

रिचार्ड अंदर आ गया, पीछे-पीछे वह भी आ गई थी |

"प्लीज़ !" भानु ने रिचार्ड को सोफ़े पर बैठने का इशारा किया और अब दोनों आमने-सामने सोफ़े पर थे |

शायद रिचार्ड कुछ कहने का प्रयास कर रहा था लेकिन संभवत: उसे शब्द खोजने पड़ रहे थे |

" समथिंग इम्पॉर्टेन्ट ?" भानु ने ही बात शुरु की |

"जस्ट आइ वॉन्टेड टू टॉक टू यू ---" कहकर वह मुस्कुरा दिया |

भानु ने देखा और महसूस भी किया रिचार्ड की हँसी बड़ी सरल, सहज, निश्छल सी थी |वह कहीं से भी ऐसा आदमी नहीं लगता था जैसा उसके बारे में सुना गया था | फिर भी एक संकोच तो था ही भानु के मन में | इस प्रकार से किसी अजनबी के साथ अकेले बैठने की आख़िर क्या ज़रुरत थी ? वैसे वह जानती थी रिचार्ड को लेकिन सवाल यह बहुत बड़ा था कि आखिर पहचानती कितना थी ?

"व्हाट वुड यू लाइक टू हैव?" अपनी भारतीय परम्परा के अनुसार तो अतिथि देवो भय होता है | उसे कुछ तो ऑफ़र करना ही था उसे |

"इफ़ यू हैव चिल्ड बीयर--- ? "रिचार्ड ने संभ्रांत सलीके से पूछा |

"श्योर ---" भानु अंदर चली गई |

"प्लीज़ टेक फ़ॉर यू टू ---वी कैन टॉक ----" शायद वह सोच रहा था, वह कैसे बात शुरू करेगा और भानु संकोच में थी |

मिनटों में वह दो बीयर लेकर आ गई और रिचार्ड के सामने पड़ी सेन्ट्रल टेबल पर रख दीं | खुद भी वह उसके सामने वाले सोफ़े पर बैठ गई थी |

इतने दिनों में यह पहली बार था कि वह किसी बाहर के आदमी के साथ इस प्रकार बात करने बैठी थी जिसके बारे में वह जानती थी कि वह उसका बहुत बड़ा फ़ैन था लेकिन उससे न जाने क्या-क्या कहा था उसके पति नामक जीवधारी ने जिससे उसे वितृष्णा होती| आज वह उसके सामने अकेली थी, देख लेते हैं इस बंदे को भी, उसने मन में सोचा |

भानु रिचार्ड के सामने प्रतीक्षा करते हुए बैठी सोचती रही कि आखिर वह कहना क्या चाहता है ?

"चीयर्स फॉर योर हेल्थ सेक ----" रिचार्ड ने अपन बीयर-मैग उठाकर कहा |

भानुमति धीमे से मुस्कुरा भर दी | यहाँ आकर क्या बीयर तो वह राज के साथ भारत में ही एन्जॉय करने लगी थी | सो, उसे रिचार्ड के साथ बीयर पीने में कोई आपत्ति नहीं थी | हाँ, अक़्सर वह पार्टियों में यह कहकर मना कर देती कि वह नहीं पीती है |

ऐसा नहीं है कि रिचार्ड भानु को हर समय ही खराब लगता था, उसे राज ने इतना खराब बनाकर उसकी तस्वीर खींची थी कि भानु उसके बारे में कोई सकारात्मक बात सोच ही नहीं पाती थी |

"भानुमति ! एम आइ सच ए बैड पर्सन ?" रिचार्ड ने भानु से यह सवाल पूछा और भानु की बीयर की सिप उसके गले में ही उछल गई, उसे ज़बरदस्त खाँसी उठ गई थी |

भानु की कल्पना से परे था कि रिचार्ड इस प्रकार का कोई प्रश्न उसके सामने रख सकता था ?

" आर यू ओके ?"

"ओ --यस ---" भानु ने अपनी खांसी पर कंट्रोल करते हुए उत्तर दिया |

रिचार्ड ने इतनी मासूमियत से उससे यह बात पूछी थी कि भानु को समझ ही नहीं आ रहा था कि क्या उत्तर दे !

"नो---व्हाई आर यूं आस्किंग मी ---यू आर ए फ़ाइन पर्सन ---" भानु ने अपना गला खँखारते हुए कहा |

कुछ तो कहना ही था उसे | वैसे भी आज वह बड़ी ही अजीब सी मन:स्थिति में बैठी थी |

"दैन व्हाई आर यू नॉट कम्फ़र्टेबल इन माय पार्टीज़ --यू इवन डोंट मिक्स अप विद पीपल एन्ड नॉट इवन विद मी ?"

" मि. रिचर्ड, प्लीज़ डोंट टेक इट अदरवाइज़, आइ एम नॉट कम्फ़र्टेबल विद दीज़ पार्टीज़ एंड ---" भानु ने दिल की बात स्पष्ट रूप से कह दी |

"एन्ड --व्हाट भानुमति --कैन वी बी फ्रैंड्स ---?"उसने फटाक से उसकी ओर प्रश्न उछाल दिया |

' आ गया न अपनी असलियत पर ---' भानु ने सोचा | कैसे फ्रैंड्स ? मैं इसके एक साधारण से एम्प्लॉई की बीबी हूँ | इसकी इतनी हिम्मत तो तभी हो सकती है न जब मेरे पति ने इसके सामने मुझे परोसने की पेशकश की हो !राज के लिए उसके मन में और भी घृणा पैदा होने लगी |

"प्लीज़ भानु, लैट मी नो--कैन वी बी फ्रैंड्स ?"उसने अपनी बात फिर से दोहरा दी |

"मि. रिचार्ड, आइ हैव रिगार्ड्स फ़ॉर यू---" उसने धीरे से कहा | आखिर पति के बॉस को यह तो कह नहीं सकती थी कि वहाँ से निकल जाए | यह घर भी उसका ही दिया हुआ था | और भी तो इतने एम्प्लॉइज़ थे उसकी कंपनी में, भानु पर ही क्यों उसकी नज़र थी ? इसीलिए न कि उसका पति पंगु था |

"भानुमति ! आई लाइक यू बिकॉज़ ऑफ़ योर कल्चर योर पैशन फॉर द इंडियन कल्चर एन्ड म्युज़िक, योर टैलेंट्स ----एंड सो मैनी अदर क्वालिटीज़ यू हैव ---"

भानु का दिमाग़ घूमने लगा, रिचार्ड अपनी रौ में बोले जा रहा था ;

"सम हाऊ आइ नो एबाउट योर कल्चर वैरी डीपली, यू मस्ट बी क्वैश्चनिंग हाऊ ? विल टैल यू समडे ---आइ हैव स्पेशल अट्रैक्शन फॉर इंडियन कल्चर एन्ड आर्ट | पीपल कमिंग फ्रॉम इंडिया ऑल्वेज़ चेंज देयर लाइव्स --एज़ सो मैनी माय एम्प्लॉइज़ लाइक ओर हज़्बेंड, रुक, जीनत एंड मैनी अदर्स ---आइ वॉन्ट टू मैरी ए कल्चर्ड इंडियन लेडी लाइक यू ----" वह चुप हो गया और भानु के चेहरे पर अपनी दृष्टि

घुमाने लगा | भानु असहज हुई जा रही थी |

"आइ थिंक वी कैन बी गुड़ फ्रैंड्स ---थिंक ऑफ़ माइ प्रपोज़ल ----"

वह उठकर खड़ा हो गया, उसने भानु के कंधे को हौले से फ्रैंडली स्पर्श किया और बाय कहकर बाहर की ओर निकल गया |

ये सब क्या हो रहा था ? भानु वहीं बैठी रह गई | उसके निकल जाने के बाद वह जैसे होश में आई |