Baal Kathaye - 1 in Hindi Adventure Stories by Akshika Aggarwal books and stories PDF | बाल कथाएं - 1 - मन की सुंदरता

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बाल कथाएं - 1 - मन की सुंदरता

मन की सुंदरता
एक बार की बात है एक पेड़ पर दो पंछी रहते थे। कोयल "कोकिला" और सफेद कबूतर "गौरे" कोकिला बहोत परोपकारी और दयालु पक्षी थी वह बहोत सुरीला गाती थी और सबकी मदद करने को तैयार रहती थी। खास कर गौरे की पर वह सफेद कबूतर अपनी खूबसूरती पर बहोत घमंड करता था। वहकभी भी कोकिला को भाव नही देता था वह हमेशा कोकिला से दूर रहता था। उसको नीचा दिखाता था। उसको लगता था कि सफेद रंग के पक्षी ही सर्वश्रेष्ठ होते है उसकी खूबसूरत लाल आंखे और सफेद रंग सबको आकर्षित जो करती थी। अपनी सुंदरता के आगे उसे कोकिला की हृदय की सुंदरता नही दिखाई देती थी। सभी पक्षी उसे बहोत समझाया करते वह किसी की बात नही सुनता था। उसको जो ठीक लगता वह वो ही करता था एक दिन कोकिला अपनी अवाज़ सुबह सूर्य देवता को प्रसन्न कर रही थी जंगल की हवा में सुरों की रानी के सुरों की खुशबू पूरी तरह फ़ैल चुकी थी के तभी गौरे चिंख पड़ा वो बोला "क्या ये बेसुरी आवाज में शोर मचा रही हो?एक तो तुम जैसी काली कोयल के साथ मुझे एक पेड़ पर रहना पड़ रहा है ऊपर से यह शोर! बंद करो यह सब।"कोकिला को एभ सुन कर बहोत दुख हुआ वह जल्दी से उड़कर दूसरे पेड़ की डाल पर जा बैठी। वह सबसे छुपकर रो रही थी की वहाँ एक तोता "भुव: " आ बैठा । भुवः बोला "कोकिला बहन तुम चिंता मत करो एक दिन इसको अपनी गलती का एहसास होगा। भुवः ने जाकर सारी बात पंछी राज मोर को बताई। पंछी राज ने सब पक्षियों को सूचना दी अगले दिन सुबह गाने की स्पर्द्धा रखी जायेगी जो भी यह प्रतियोगिता जीतेगा उसे नए नवेले पेड़ पर घोसला बनाने का मौका दिया जाएगा। लग भग सभी पक्षियों ने इसमें भाग लिया गोरे ने भी लिया प्रतियोगिता शुरू हुई जैसे ही गोरे ने गाना शुरू किया। वैसे ही सभी पक्षियों ने उसका मजाक उड़ाना शुरू कर दिया। एक तोता बोला "हे प्रभु मेरे तो कान फट गए बंद करो ये गाना।" एक कौवा बोला" गौरे भैया जितने तुम गौरे हो उतनी ही आवाज तुम्हारी काली है। भगवान के लिये फिर कभी मत गाना" और एक गौरेया बोली" बन्द करो ये गाना इस से पहले सब ही फूल मुरझा जाएं"। सब ही पक्षी एक सुर में बोले "बन्द बंद करो" यह सुन कर गोरे की आंख में आंसू आ गए। यह सब कोकिला से देखा नही गया वह सब को चुप कराते हुए बोली "चुप रहो तुम सब मेरे गौरे भाई बहोत अच्छे है बहोत अच्छा गाते है। खबर दार अगर मेरे गौरे भाई को कुछ कहा तो।!" गोरे से कोकिला मीठे सुर में बोली "गौरे भाई तुम इनकी चिंता मत करो ये सब नादान है। इन्हें सुर की समझ कहाँ?आप गाओ मैं सुनूंगी"। यह सुनकर गौरे की आंख में पछतावे के आंसू थे। गोरे कोकिला को गले लगा कर बोला "मुझे माफ़ करदो बहन में तुम्हें आज तक रंग से आकता रहा तुम अपने रँग से कहीं ज्यादा सुंदर हो आज तक जितना बूरा भला मैंने तुमसे कहा है। उसके लिए मुझे माफ़ करदो आज के बाद मै तुम्हें बुरा भला नही कहूँगा हम दोनों हमेशा साथ रहेंगे हर मुश्किल समय मे एक दूसरे का साथ देंगे।" यह सुन कोकिला अपने गौरे भाई के गले लग गईं। उस दिन के बाद वह दोनो हँसी खुशी साथ रहने लगे। इस कहानी से हमे यह शिक्षा मिलती है कि तन के सुंदर होने से ज्यादा महत्वपूर्ण है मन का सुंदर होना।
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