The Author Captain Dharnidhar Follow Current Read डोगी का प्रेम - 3 - मन की बात कैसे प्रगट करते हैं? By Captain Dharnidhar Hindi Animals Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books बकासुराचे नख - भाग १ बकासुराचे नख भाग१मी माझ्या वस्तुसहांग्रालयात शांतपणे बसलो हो... निवडणूक निकालाच्या निमित्याने आज निवडणूक निकालाच्या दिवशी *आज तेवीस तारीख. कोण न... आर्या... ( भाग ५ ) श्वेता पहाटे सहा ला उठते . आर्या आणि अनुराग छान गाढ झोप... तुझी माझी रेशीमगाठ..... भाग 2 रुद्र अणि श्रेयाचच लग्न झालं होत.... लग्नाला आलेल्या सर्व पा... नियती - भाग 34 भाग 34बाबाराव....."हे आईचं मंगळसूत्र आहे... तिची फार पूर्वीप... Categories Short Stories Spiritual Stories Fiction Stories Motivational Stories Classic Stories Children Stories Comedy stories Magazine Poems Travel stories Women Focused Drama Love Stories Detective stories Moral Stories Adventure Stories Human Science Philosophy Health Biography Cooking Recipe Letter Horror Stories Film Reviews Mythological Stories Book Reviews Thriller Science-Fiction Business Sports Animals Astrology Science Anything Crime Stories Novel by Captain Dharnidhar in Hindi Animals Total Episodes : 8 Share डोगी का प्रेम - 3 - मन की बात कैसे प्रगट करते हैं? (10) 4.1k 7.9k 1 श्वानों में बहुत समझ होती है वे साथ रहते रहते अपनी इच्छा प्रगट करने के तरीके खुद ढूंढ लेते हैं । भगवान ने इंसानों की तरह उन्हें भाषा बोलने की क्षमता तो नही दी किन्तु वे हमारी भाषा बहुत अच्छे से समझ ने लगते हैं । वे अपनी चाहत भी प्रगट करते हैं जैसे जैसे इनकी उम्र बढ़ती है इनकी समझ भी बढती जाती है । हम भी उनके इशारों को समझने लग जाते हैं । जब हम उनसे पूछते हैं तो वे इशारा हां का किसी न किसी रूप मे प्रगट कर देते हैं जैसे हम अपने छोटे बच्चों से बात करते हैं जिनने बोलना भी नही सीखा हों वे अपनी मन की बात कोई इशारा करके समझाते है । अतः एक बात तो सिद्ध हो जाती है कि इंसान हो चाहे कोई पशु या जानवर पहले वे समझना सीखते हैं । फिर वे पालक को अपने मन की बात इशारों मे या भौंक कर हिनहिना कर चिंघाड़ कर रम्भा कर मिमिया कर अपनी बोली से व्यक्त करते हैं । हमने बहुत सी ऐसी कहानियां सुनी है जिसमें मनुष्य पशु पक्षियों की भाषा समझता है । कैकेयी के पिता पशु पक्षी की भाषा समझते थे, मुनियो की कथाएं भी आती है जिसमे पशु पक्षियो से बात करते हुए बताया गया है । दरअसल यह मनोविज्ञान ही हो सकता है जिससे पालक या पशु पक्षी प्रेमी इनके साथ रहते रहते इनकी हरकतो से बोली से मनोभाव समझ जाते है । जैसे इंसानो मे बुद्धि किसी मे अधिक होती है किसी मे कम ठीक इसी तरह श्वानों मे समझ का फर्क होता है। श्वानों की नस्ल तो बहुत है इनमे टॉप टेन मे जो श्वान आते हैं उनमें लेब्रा नंबर वन पर आता है ।चेरी की समझ एक दिन बिटिया चेरी को शाम को पार्क के चारों ओर चक्कर कटवा रही थी बिटिया ने चेरी से कहा कि अब घर चलो यह कह कर उसकी रस्सी खैंची किन्तु चेरी टस से मस नही हुई तो बेटी ने कहा यह लास्ट चक्कर है एक चक्कर फिर कटवा दिया फिर उसे घर लाने के लिए प्रयास किया किन्तु वह नही आरही थी तो बेटी बोली तेरे को पापा लायेंगे घुमाने अभी तो चलो चेरी थोड़ी देर ताकती रही फिर साथ साथ घर आ गयी ।हम सब निश्चिन्त थे कि चेरी भी घूम आयी है । अब हम सब खाना खाने लगे चेरी मुझे ही ताके जा रही थी । मैने पूछा ओर खाएगी क्या तो तुरंत पूंछ हिलाने लगी पत्नी बोली अभी तो खायी है फिर तैयार हो गयी इसका पेट भरा है अब मत देना इसे ।मै खाना खाकर उठा मुंह हाथ धोकर सोफे पर जा बैठा । चेरी मुझे देख रही थी और पूंछ हिलाये जा रही थी । मैने उसे फिर खाना देना चाहा पर उसने नही खाया मै फिर सोफे पर बैठ गया । अब चेरी पूंछ हिलाने के साथ साथ ऊ..ऊ भी किये जा रही थी । जब मेरा ध्यान उससे हटा तो वह भौंकने लगी अपनी गर्दन बाहर दरवाजे की तरफ झटकने लगी । मैने सोचा शायद ठीक से फ्रेस नही हुई है मैने पूछा सूसू पोटी ?? यह सुनते ही वह उछलने लगी । मै फिर से लेकर गया कयी चक्कर लग वाये किंतु सूसू पोटी कुछ भी नही किया मै उसे वापस घर ले आया वह सहर्ष आ गयी । मुझे बेटी ने बताया कि यह आ नही रही थी मैने कहा था कि पापा लेकर आयेंगे तब यह आई थी मुझे क्या पता था यह इतना याद रखती है । फिर तो कयी बार बेटी उसे कह देती घूमा घूमी करेगी जा पापा लेकर जायेंगे । वह उसी वक्त झांकने लग जाती मै मना करता नही नही मै नही ले जाऊंगा यही लेकर जायेगी किन्तु वह बेटी के पीछे न पड़कर मेरे पीछे घूमने लग जाती । हम पूछते चेरी नहायेगी क्या ? तो इसे अनसुना कर देती जैसे उसने सुना ही नही फिर कहते चलो तो देखती पर टस से मस नही होती उसे खींचते तो वह बैठ जाती । क्रमशः -- ‹ Previous Chapterडोगी का प्रेम - 2 - चेहरे का भाव पढ लेते हैं श्वान › Next Chapter डोगी का प्रेम - 4 - श्वानों के संकेत क्या बताते हैं ? Download Our App