Redimed Swarg - 15 in Hindi Detective stories by S Bhagyam Sharma books and stories PDF | रेडीमेड स्वर्ग - 15

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रेडीमेड स्वर्ग - 15

अध्याय 15

12:00 बजे।

हॉल के सोफे पर बैठे रंजीता के पास में खड़े दामू दोनों परेशान थे।

"क्या है रे..... इनको गए डेढ़ घंटा हो गया। रुपयों को रखकर आने में इतनी देर....?"

"रास्ते में गाड़ी ने कुछ परेशानी कर दी होगी ?"

"अरे दामू...! तू... बाइक लेकर जाकर एक बार देख कर आ....?"

"और दस मिनट देखते हैं।"

समय 12:10 ।

दामू ने बाइक की चाबी को लिया।

"दीदी.... मैं जाकर देख कर आता हूं...."

रंजीता घबराए हुए सिर हिला दिया - दामू जल्दी-जल्दी बाहर आकर पोर्टिको में खड़ी बाइक को लेकर चल दिया।

12:30 बजे धर्मआणि के रोड पर था। फूड कॉरपोरेशन इंडिया वेयरहाउस दिखाई दिया -

बाइक को बंद किया।

आश्चर्य में पड़ गया।

अंधेरे में सुंदरेसन की कार दिखाई दी।

"कार अभी तक खड़ी है...?"

बाइक को स्टैंड पर खड़ी करके - अंदर जाकर देखा कोई नहीं।

कोई नहीं।

परेशान हो - दामू इधर-उधर निगाहों को दौड़ाया। उसकी छाती धक-धक करने लगी!

निस्तब्धता थी।

तेज हवा चल रही थी।

"सीमेंट का पाइप...?" कहां निगाहों को दूर करता हुआ चलता गया। आधे मिनट के चलते ही सीमेंट का पाइप दिखाई दिया।

"जीजा जी नहीं हैं ?"

"कहां चले गए होंगे ?"

और 10 कदम चला - जल्दी से खड़ा हुआ।

निगाहें फैल गई।

नीचे - एक आकृति उल्टी पड़ी हुई।

"यह कौन...?"

पास जाकर उस आकृति को झुक कर देखा। अंधेरे में भी आकृति को पहचान गया।

"जीजा जी...!"

आवाज देते हुए उन्हें घुमाया ।

सुंदरेशन जमे हुए खून में प्राण त्याग दिए थे।