Nafrat se bandha hua pyaar - 34 in Hindi Love Stories by Poonam Sharma books and stories PDF | नफरत से बंधा हुआ प्यार? - 34

Featured Books
  • અસવાર - ભાગ 3

    ભાગ ૩: પીંજરામાં પૂરો સિંહસમય: મે, ૨૦૦૦ (અકસ્માતના એક વર્ષ પ...

  • NICE TO MEET YOU - 6

    NICE TO MEET YOU                                 પ્રકરણ - 6 ...

  • ગદરો

    અંતરની ઓથથી...​ગામડું એટલે માત્ર ધૂળિયા રસ્તા, લીલાં ખેતર કે...

  • અલખની ડાયરીનું રહસ્ય - ભાગ 16

    અલખની ડાયરીનું રહસ્ય-રાકેશ ઠક્કરપ્રકરણ ૧૬          માયાવતીના...

  • લાગણીનો સેતુ - 5

    રાત્રે ઘરે આવીને, તે ફરી તેના મૌન ફ્લેટમાં એકલો હતો. જૂની યા...

Categories
Share

नफरत से बंधा हुआ प्यार? - 34

देव सबिता के वापिस आने का इंतजार कर रहा था। उसे पता था की वोह इस रिश्ते में गहराई से और तेज़ी से बढ़ रहा है उसके लिए। भागने से पहले सबिता ने भी कहीं न कहीं देव की फीलिंग्स को भांप लिया था। पर देव अपनी फीलिंग्स से लड़ते लड़ते थक गया था।

वोह ठीक तरह से समझ नही पा रहा था की वोह इन एहसासों को क्या कहे।
फॉलिंग इन लव?

नही। प्यार नही हो सकता। प्यार होने में तोह वक्त लगता है।

वोह बिखर रहा था। जो भी वोह महसूस कर रहा था वोह उसे सबिता को और भी ज्यादा पाने की चाहत को बढ़ावा दे रहे थे।

"देव!" देव को किसी की आवाज़ सुनाई पड़ी।
उसने पलट कर देखा एक लड़की भागती हुई उसके पास आ रही थी। उसे वोह जानी पहचानी लगी लेकिन उसे याद नही आया की वोह कौन है। उसे लगा की यह पक्का कोई सोशलिटीज है जो उसे कहीं दिखी हो जब भी वोह सिटी जाता था हाई प्रोफाइल की पार्टी में।

"यस?" देव ने आराम से पूछा।

"देव! प्लीज मेरे साथ आओ," उस लड़की ने कहा। वोह बहुत डरी हुई लग रही थी। "टिया! वोह लड़की टिया को मार ही देगी!"

देव ने उसकी बात सुन कर अपनी भौंहे सिकोड़ ली। फिर कुछ खटका उसे और वोह तुरंत उठ खड़ा हुआ। देव उस लड़की के पीछे लेडीज़ वाशरूम की तरफ जाने लगा।

जो सामने का नज़ारा उसने देखा वोह एकदम चौक सा गया।

सबिता ने अपना जवाहरात से जड़ा हुआ चाकू टिया माथुर के गाल पर रखा हुआ था। टिया ज़मीन पर घुटनो के बल सिर झुकाए हुए थी और रोते रोते लगातार सबिता से माफी मांग रही थी।

"आई एम सॉरी। आई एम सॉरी। प्लीज, मुझे माफ करदो। मुझे कुछ मत करो।" टिया गिरगड़ाते हुए कह रही थी।

देव आगे बढ़ा।

टिया माथुर ने उसे आता हुआ देख लिया। वोह और ज़ोर से रोने लगी।

"देव! मुझे बचा लो। यह औरत......." टिया बोलते बोलते चुप हो गई जब उसकी नज़रे सबिता की नज़रों से मिली।
"मेरी मदद करो, देव," उसने फिर फुसफुसाते हुए कहा।

देव ने अपनी एक बांह सबिता की कमर पर डाल दिया और उसके गाल पर प्यार पर चूम लिया।
"बेबी, क्या हुआ?" देव ने सबिता से पूछा।

"कुछ नही," सबिता ने यूहीं कहा अपनी कैजुअल टोन में। "मैं बस यहां फ्रेश हो रही थी जब तुम्हारी गर्लफ्रेंड ने मुझे बीच में डिस्टर्ब कर दिया और कुछ बकवास करने लगी की तुम मुझे यूज कर रहे हो। वोह बस वहीं चुप नही हुई। जब मैने उसकी बात पर रिएक्ट नही किया और उसे नज़रंदाज़ कर दिया तोह वोह मेरी इंसल्ट करने लगी।"

देव ने नीचे टिया की तरफ देखा। जब से देव उस रेस्टोरेंट में आया था पहले से बैठी हुई टिया की नज़र उसी पर थी।
"जैसा की तुम देख रही हो, मेरी गर्लफ्रेंड थोड़ी पजेसिव है। उसे बिलकुल भी पसंद नही की कोई अपने आप को मेरी गर्लफ्रेंड कहे।"

टिया फिर फुसफुसाने लगी। सबिता ने धीरे से अपना चाकू हटा लिया।

"अगर तुम मुझे देव के चारों ओर एक किलोमीटर की दूरी पर भी दिखी न तोह अगली बार मैं तुम्हे सिर्फ डराऊंगी नही, बल्कि तुम्हारा हुलिया ऐसा बिगडूंगी की दुनिया का सबसे बड़ा प्लास्टिक सर्जन भी तुम्हारा चेहरा ठीक नही कर पायेगा। समझी तुम?" सबिता ने भले ही धीरे से कहा लेकिन उसकी आवाज़ ऐसी थी की सामने वाले को खतरे का आभास हो जाए।

टिया और ज़ोर से रोने लगी। "मैं कभी देव से बात नहीं करूंगी और उसके इर्द गिर्द भी नही भटकूंगी। प्लीज! आई एम सॉरी। आई एम सो सॉरी। मेरा चेहरे को कुछ मत करना!"

देव सबिता पर मुस्कुराया। "लैट्स गो, बेबी। हमारा डिनर ठंडा हो रहा है।"

सबिता ने चाकू अपनी जगह वापिस रखा और उसके साथ बाहर चली गई। उसने रुककर उस तरफ देखा जहां वोह दूसरी लड़की खड़ी थी दीवार से टिक कर।
"अगर मुझे कभी पता चला की तुम तुम्हारी फ्रेंड मिल कर मेरे और देव के बारे में कोई अफवा फैला रही हो, मैं तुम्हे कहीं से भी ढूंढ निकालूंगी और फिर तुम्हारा क्या हाल होगा तुम सोच भी नही सकती। समझी?"

वोह लड़की ना में ज़ोर ज़ोर से सिर हिलाने लगी। और डर से और ज्यादा कांपने लगी।

देव और सबिता वापिस अपनी टेबल पर आए। सबिता के लिए देव चेयर खींची। जब वोह बैठ गई तब देव भी बैठ गया।
"फक, डेट्स वास सो हॉट," देव ने कहा। "मुझसे तो इंतजार ही नही हो रहा की आज रात कब मैं तुम्हे वापिस अपने पेंटहाउस ले कर जाऊं। तुम मुझे वैसे ही चाकू की नोक पर धमकायो जब तुम मुझ पर सवारी करो।"

सबिता ने खाना शुरू करने से पहले अपनी थाईज पर नैपकिन बिछाया और फिर खाना शुरू कर दिया।
"तुम्हारी भी बड़ी अजीब फरमाइशें होती हैं, सिंघम," सबिता ने मुस्कुराते हुए कहा।

देव भी हंस दिया। "जब बात तुम्हारी आती है, तोह मुझे लगता है की जो भी तुम करती हो वोह हॉट ही होता है।"

सबिता धीरे से हंसने लगी।
"सो?" देव ने पूछा। "तुम काफी पजेसिव हो मेरे लिए?"

"यह तुमने कहा था। मैने नहीं। मुझे बस अच्छा नही लगा जब उसने मेरे बालों के बारे में कुछ कहा। मुझे मेरे बाल बहुत पसंद हैं।"

देव ज़ोर से हसने लगा। "मुझे भी तुम्हारे खूबसूरत लंबे बाल बहुत पसंद है। खासकर वोह गुलाब की खुशबू। इतनी पसंद है की जब भी मैं कहीं गुलाब की खुशबू महसूस करता हूं, तोह तुम्हारी याद आ जाती है। और कई बार तोह मुझे शर्मिंदा होना पड़ता है, यू नो, मेरा उसपर कंट्रोल ही नही रहता।"

सबिता हसने लगी।
फिर वोह अपने प्रोजेक्ट और अपने लोगों के बारे में बात करने लगे। देव ने महसूस किया की अब वोह सबिता प्रजापति के लोगों से भी नफरत नही करता था। वोह अब उसके लोगों के बराबर ही थे। जिन्हे उस हत्याकांड के बाद एक जैसे ही मुश्किलों और कठनाइयों का सामना करना पड़ा था।

थोड़ी ही देर में उनका डिनर खतम हुआ और वोह दोनो देव के पेंटहाउस के लिए निकल गए। जहां उसने जबरदस्ती अपनी फरमाइश सबिता से मनवा ही ली।

****

सबिता उस पेंटहाउस की बेडरूम की खिड़की से बाहर तारों को निहार रही थी। तभी देव ने आकर उसे पीछे से अपनी बाहों में भर लिया। सबिता को उसके सीने की गरमाहट अपने पीठ पर महसूस होने लगी। उन दोनो की टांगे भी आपस में मिली हुई थी जैसे वोह अपने शरीर का हर अंग एक दूसरे से जोड़े रखना चाहते हो।

अब वोह उसके प्यार से गले लगाने के खिलाफ नही जाती थी। देव आखिर सही था। सबिता को उसका प्यार से गले लगाना अच्छा लगने लगा था। सबिता ने महसूस किया देव हल्का सा हिला फिर उसे अपने कंधे पर देव के होंटों का स्पर्श महसूस होने लगा।

"तुम क्या सोच रही हो?" देव ने पूछा।

"कुछ नही।" सबिता ने जवाब दिया।
"तुम अपना बताओ? तुम कभी ऐसे चुप तोह नही रहते?" सबिता ने मुस्कुराते हुए पूछा।

देव ने सबिता का हाथ पकड़ लिया। उसकी उंगलियों में अपनी उंगली फसा कर उसने कहा, "मैं तुम्हे समझने की कोशिश कर रहा हूं।"

"ओह? तोह किसी नतीजे पर पहुंचे?

"बहुत सारे," देव ने सबिता के कान को चूमते हुए जवाब दिया। "उनमें से एक..... तुम्हारे जैसा पूरी दुनिया कोई दूसरा नहीं है। और मैं वोह लकी इंसान हूं जिसे तुम्हे अपनी बाहों में भरने का मौका मिला है।"

यह सुनते ही सबिता की धड़कने तेज़ हो गई। "तुम्हे मुझे बहलाने की जरूरत नहीं है, सिंघम," सबिता ने धीरे से कहा। "मैं पहले से ही तुम्हारे साथ बिस्तर पर हूं।"

जैसे ही सबिता के मुंह से वोह शब्द निकले, देव पीछे हट गया और सबिता की पीठ देव की गरमाहट को मिस करने लगी। अगले ही पल देव ने सबिता को खींच कर बैड पर लेटा दिया। देव उसके ऊपर लेट गया और उसे पूरा ढक दिया। उसके चेहरे कोई शरारत नही थी बल्कि गंभीरता थी। "मैं ऐसा नहीं हूं जो चीप सी लाइन बोल कर तुम्हे इंप्रेस करूं, सबिता। मैने जो भी कहा वोह सच है।"

सबिता ने अपना सिर उठाया और देव को देखने लगी। वोह अपने अंदर पनप रहे इस नए एहसास को दबाने की कोशिश कर रही थी।
"यह सिर्फ तुम्हारा अट्रैक्शन बोल रहा है, सिंघम। हम दोनो इतने दिनो से साथ है, तुम मुझे चैलेंज के तरह ले रहे हो जिसे हासिल करना ही मकसद है। मैं बस तुम्हारे लिए एक मज़ेदार खिलौना हूं। जैसे ही तुम बोर होने लगोगे, तुम अपनी जिंदगी में वापिस......"

देव ने उसे अपनी बात पूरी नहीं करने दी। उसने अपने होंठों से उसके होंठ जब्त कर लिए। वोह उसे डोमिनांट और पजेसिव वे में किस करने लगा, जब तक की उसे वैसा रिस्पॉन्स नही मिलने लगा जैसा वोह चाहता है।

कुछ देर बाद वोह उससे अलग हुआ। "अट्रैक्शन...,चैलेंज..., यह वर्ड्स बहुत छोटे है यह बताने के लिए जो मैं तुम्हारे बारे में महसूस करता हूं," देव ने कहा। "हां! मैं मानता हूं की मैं जब भी तुम्हे देखता हूं तोह, तुम्हे पूरी तरह से पाने की इच्छा होती है। मैं तुम्हारी रूह को छूना चाहता हूं, तुम्हारी जिंदगी का हिस्सा बनना चाहता हूं, जब मैं तुम्हे मेरे पास आते हुए देखता हूं तोह मैं यह जानता हूं की वोह खुशी मेरी वजह से है।"

देव फिर झुका और किस करना शुरू कर दिया। इस बार वोह प्यार से शिद्दत से उसे किस कर रहा था। "बाद में, मुझे एहसास हुआ की जितना तुम्हारा खूबसूरत चेहरा देख कर मैं खुश होता हूं, उतना ही अब मुझे खुश होती है जब तुम मुझे देख कर मुस्कुराती हो।"

सबिता की दिल की धड़कन तेज़ हो गई। उसके शरीर एक अनकहे एहसास से कांपने सा लगा। "यह सब हमारे बीच नहीं होना चाहिए, सिंघम।"

"पता है मुझे। लेकिन यह एहसास मैं पहले ही महसूस करने लगा हूं।"

सबिता का दिल जोरों से शोर कर रहा था। उसे अपने अंदर से आवाज़ महसूस होने लगी, जो चिल्ला चिल्ला कर सबिता से के रही थी, बोल दे सबिता बोल दे की तू भी वोही महसूस करने लगी है जो वोह तेरे लिए महसूस कर रहा है। पर सबिता ने कुछ नही कहा।

देव ऐसे ही उसे नज़दीक से निहार रहा था। "मैने देखा है, पता है तुम्हे।" देव ने धीरे से कहा।

"देखा है, किसे?"

देव ने गहरी सांस ली। "हमारे पेरेंट्स को।"

सबिता बस देव को देख रही थी जैसे पूरी तरीके से चौंक गई हो।

"तुम्हारे पापा की डेडबॉडी मेरी मां की डेडबॉड के पैरों के पास ही थी।" देव ने कहा। "वोह दृश्य मेरी आंखों में छपा हुआ है। मुझे तुम्हारे पापा से नफरत है क्योंकि उनकी वजह से मेरी मां नही रही और वोही नफरत बाद में लंबे समय तक तुम पर ट्रांसफर हो गई।"
देव सबिता की आंखों में गहराई से देख रहा था, "लेकिन अब नही।"

"तुम मुझे यह सब क्यों बता रहे हो?" सबिता ने धीरे से पूछा।

"क्योंकि मैं जानता हूं की आज रात तुम मुझे ये याद दिलाने की कोशिश करेगी की तुम मेरी मां के हत्यारे की बेटी हो। मैं तुम्हे यह बताना चाहता हूं की इससे कोई फर्क नहीं पड़ता की मैं तुम्हारे बारे में क्या महसूस करता हूं।"

सबिता चुप थी। वोह समझने की कोशिश कर रही थी जो भी अभी देव ने कहा। वोह यह जानती थी की उसने भी देव को माफ कर दिया था जो भी बीते सालों में देव ने उसके साथ किया था। पर फिर भी वोह कोई चांस नहीं लेना चाहती थी जब बात किसी की परवाह करने की हो। क्योंकि परवाह करना कमज़ोरी की निशानी है। और लोग आसानी से तुम्हारी कमज़ोरी का फायदा उठा लेते हैं।

देव उसे उम्मीद की नज़रों से देख रहा था। सबिता जानती थी की देव उसे क्या सुनना चाहता है की वोह भी उसके लिए कुछ महसूस करती है। पर इसके बदले उसने कहा, "मुझे देर हो रही है। मुझे जाना होगा।"

देव उसकी बात सुनकर बिलकुल भी निराश नही हुआ जैसा की सबिता सोच रही थी। देव दुबारा उसे किस करने लगा लेकिन इस बार डीप, इंटेंस किस। उनके पैरों की उंगलियां आपस में रगड़ रही थी, एक दूसरे के पैरों में हरकत कर रही थी।

उन दोनो का शरीर एक दूसरे से बेहद करीब था। सबिता ने महसूस किया देव ने उसे अंदर तक छू लिया हो। एक अजीब सा जादू वोह महसूस करती थी जब भी वोह देव के साथ होती थी। उसे ऐसा लगता था जैसे की एक अनदेखी डोर से दोनो बंधे हुए हैं।

उसे एहसास ही नही हुआ की कब ये डोर मजबूत होती चली गई।

उसे पता था की उसे ये डोर जल्द ही काटनी पड़ेगी, इससे पहले की बहुत देर हो जाए और वोह उससे अनंत काल के लिए बंध जाए।







______________
(पढ़ने के लिए धन्यवाद)
🙏