छठी से चौथी शताब्दी ईसा पूर्व में मगध (आधुनिक बिहार) सबसे शक्तिशाली महाजनपद बन गया आधुनिक इतिहासकार इसके पीछे कई कारण बताते हैं। एक यह कि मगध क्षेत्र में खेती की उपज खास तौर पर अच्छी होती थी। दूसरा यह कि लोहे की खदानें भी आसानी से उपलब्ध थी ,जिससे उपकरण और हथियार बनाना सरल होता था। जंगली क्षेत्र में हाथी उपलब्ध थे जो सेना के महत्वपूर्ण अंग में थे, साथ ही गंगा और इसकी उप नदियों से आवागमन सस्ता व सुलभ होता था। किंतु कुछ लेखकों के अनुसार बिंबिसार अजातशत्रु और महापद्मनंद जैसे प्रसिद्ध राजा अत्यंत महत्वाकांक्षी शासक थे और इन्हीं के कारण मगध साम्राज्य का उत्थान हुआ था। प्रारंभ में राजगृह मगध की राजधानी थी जिसका अर्थ होता है राजाओं का घर पार्टियों के बीच बसा राजगृह एक किले बंद सेट था बाद में चौथी शताब्दी ईसा पूर्व में पाटलिपुत्र को राजधानी बनाया गया।
किंतु इस साम्राज्य में एक वंश ऐसा भी था जिसे पितृहंता वंश(पिता की हत्या करने वाला ) कहा जाता है। इस वंश का नाम था हर्यक वंश।
हर्यक वंश का संस्थापक सामंत भट्टीय था। इसके बाद बिम्बिसार शासक बना। बिंबिसार एक महत्वकांक्षी राजा था जिसने वैवाहिक संबंधों, संधियों और विजयों के द्वारा मगध के मान और यश को बढ़ाया था।
बिंबिसार एक कुशल राजनीतिज्ञ था। अपने राज्य को सुदृढ़ व संगठित करने तथा कौशल वत्स और अवंती जैसे विस्तार वादी राज्यों से मगध की रक्षा करने के लिए उसने वैवाहिक संबंधों का सहारा लिया। उसने कौशल की राजा प्रसनजीत की बहन कौशल देवी से विवाह कर कौशल राज्य की मित्रता प्राप्त की। विवाह में उसे काशी ग्राम मिला वैशाली के लक्ष्मी राजा चेतक की पुत्री चलना तथा मध्य उत्तरी पंजाब देश की राजकुमारी खेमा से भी उसने विभाग किया। इसके अतिरिक्त उसने कुछ अन्य राजवंशों से भी विवाह संबंध स्थापित किए इन विवाह संबंधों से उसने ने काफी लाभ उठाया और अपनी सीमाओं को सुरक्षित कर लिया। ग्रंथ महाबग्गा के अनुसार बिंबिसार अपने जीवन काल में लगभग 500 विवाह किए। इसके बाद भारतीय इतिहास का प्रथम पितृहंता अजातशत्रु बिंबिसार की हत्या कर 491 ईशा पूर्व में शासक बना। अजातशत्रु ने अपना पहला युद्ध कौशल साम्राज्य से किया क्योंकि बिंबिसार और रानी कौशल देवी की मृत्यु के बाद कौशल नरेश ने काशी ग्राम जो बिंबिसार को दहेज में मिला था वापस ले लिया इसके बाद कौशल नरेश प्रश्न जनित ने आजाद शत्रु के साथ संधि कर ली और अपनी पुत्री वजीरा का विवाह उससे कर दिया और उसे वापस दहेज में काशी ग्राम लौटा दिया।
अजातशत्रु का दूसरा युद्ध वैशाली के लक्ष्यों से हुआ यह बहुत शक्तिशाली गणराज्य था जिसकी मित्रता प्राप्त करने के लिए बिंबिसार ने उससे वैवाहिक संबंध स्थापित कीजिए किंतु अजात शत्रु ने वैशालीनगर पर भी आक्रमण कर दिया ।कई ग्रंथों के अनुसार गंगा के तट पर हीरो के खानों पर लिच्छवीयों ने अधिकार कर लिया तो अजातशत्रु ने लिच्छवियों को दंडित करने का निश्चय किया। ऐसा कहा जाता है कि यह युद्ध 16 वर्ष तक चला और अंत में मगध के महामंत्री सरकार ने कूटनीति का सहारा लेकर वज्जी संघ में फूट डलवा दी जब अजातशत्रु ने लिच्छवियों पर आक्रमण किया तो वे सम्मिलित होकर युद्ध न कर सके और परास्त हो गए।
इसके बाद इस साम्राज्य का द्वितीय पितृहंता था अजातशत्रु का बेटा उदाई मगध की गद्दी पर बैठा इसके बाद उदाई ने पितृहंता से बचने के लिए किसी एक पुत्र को शासक ना बनाते हुए अपने तीनों पुत्रों अनिरुद्ध मुंड और नाग दास तीनों को शासक बनाया।