Rakt bhare aanshu - 2 in Hindi Adventure Stories by Parveen Negi books and stories PDF | रक्त भरें आँशु - 2

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रक्त भरें आँशु - 2

यह कहानी का भाग 2

अर्जुन अगले दिन, जल्दी ही तैयार होकर ,अपने बाइक सर्विस सेंटर की तरफ निकल जाता है,

और सड़क के एक नुक्कड़ पर , चाय की दुकान पर बैठा शख्स उसे देख लेता है,

अर्जुन,, अर्जुन,, ओ अर्जुन ,,इधर अा,," वह शख्स ऊंची आवाज में उसे चिल्लाकर पुकारता है।

अर्जुन , उसकी आवाज सुन लेता है, और उसे उसका ऐसे चिल्लाना, अच्छा नहीं लगता , वह अपनी बाइक उसके पास रोक लेता है।

अर्जुन , " विकास चौधरी ऐसे चिल्ला कर मुझे, बुलाने का क्या मतलब है तुम्हारा" और अपने तीखे तेवर दिखाता है.

विकास , " अरे यार इधर तो आ, चल एक कप चाय पी, मेरे साथ"

अर्जुन , " मैं तुम्हारे साथ चाय पीने नहीं, तुम्हें यह बताने आया हूं ,आज के बाद मुझे कभी ऐसे पुकारने की जरूरत नहीं, मेरा तुम जैसे लोगों के साथ कोई वास्ता नहीं रहा है अब , समझे,,,,"

विकास , मुस्कुराते हुए , "हमारे जैसों के साथ कोई वास्ता नहीं ,,,,अबे साले,, कुछ साल पहले तक तो तू हमारे इस काम में एक्सपर्ट था , तुझे तो सिर्फ पैसा चाहिए था , और आज हम बुरे हो गए"

अर्जुन, " पहले और अब में बहुत अंतर आ चुका है, मैंने अपनी जिंदगी का रास्ता बदल लिया है, आज 4 साल से मैं तुम्हारे इन धंधों से बहुत दूर हूं , समझा मेरी बात"

विकास चौधरी , "उसे तिरछी नजरों से घूरते हुए, " एक कप चाय तो पी सकता है ना"

अर्जुन , कोई जवाब नहीं देता, और चलने को होता है

विकास , " बहुत जल्दी है जाने की , पर फिक्र मत कर, चाय तो तुझे मेरे साथ, यहां बैठकर पीनी हीं पड़ेगी " और जाने कौन सा इशारा ,अपनी बातों से करता है.

अर्जुन , विकास चौधरी की आंखों में देखता है, विकास चौधरी मुस्कुरा उठता है, और फिर अर्जुन अपने रास्ते निकल जाता है।

विकास लड़कियों का दलाल, छोटा-मोटा नशे का काम भी करने वाला,,

विकास चौधरी, " कब तक भागेगा हमारी जिंदगी से, तुझे तो मैं वापस घसीट कर लाऊंगा" और अपने रास्ते निकल पड़ता है,

अर्जुन गैराज में अपने दो हेल्परो के साथ काम करने में व्यस्त है , आज काम भी बहुत ज्यादा है।

हेल्पर , " उस्ताद,, आज शाम को कुछ पैसे दे देना"

अर्जुन , " नहीं आज कुछ नहीं मिलेगा , कल मुझे मकान की किश्त भरनी है ,, हां परसों तुम्हें मैं जरूर पैसे दे दूंगा"

हेल्पर, " ठीक है उस्ताद जी"

अर्जुन , " अच्छा तुम दोनों, दुकान देखो, मैं अभी आ रहा हूं" और अर्जुन अपने दोस्त अजय से मिलने निकल जाता है।

अजय , " आओ अर्जुन , मुझे तुम्हारा ही इंतजार था"

अर्जुन, " कैसे हो अजय, और पैसों का इंतजाम हो गया"

अजय , अपनी जेब से ₹10000 निकाल कर अर्जुन को पकड़ा देता हैं," हां क्यों ,,नहीं ले लो"

अर्जुन , "अच्छा अब मैं चलता हूं"

अजय ,, " अरे यार, रुको भी सही , आए और भाग रहे हो, एक कप चाय तो पीते जाओ"

अर्जुन , " दुकान पर काम बहुत है, मुझे जल्दी है, फिर कभी चाय पी लूंगा"

अजय,, " अरे यार रुको भी, तुमसे एक काम था"

अर्जुन ," हां बोल जल्दी , क्या काम है"

अजय , अपनी बातों में चापलूसी और मिठास डालता है, और धीरे से , "यार कोई आइटम का बंदोबस्त हो जाएगा , तेरी भाभी आज कल मायके गई है , सोच रहा हूं थोड़ा टाइम पास कर लूं, तेरी तो बहुत जान पहचान है ना, तो मेरा यह जुगाड़ कर दे"

अर्जुन ,, " देखो अजय मैंने यह सब काम धंधे बंद कर दिए हैं, यह बात तुम भी अच्छी तरह से जानते हो , 4 साल हो गए हैं , बुरे धंधों से दूर हुए , इसलिए मुझे तो माफ करो, और तुम्हारे लिए एक नसीहत, ऐसे कामों से दूर ही रहो"

अजय, " अरे यार छोड़ उपदेश देना , तू यह बता , काम हो पाएगा या नहीं"

अर्जुन बाइक स्टार्ट करते हुए , " दोबारा मुझसे इस बारे में कभी बात भी मत करना , वरना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा" और निकल जाता हैं.

अजय ,, " साला घटिया इंसान, बड़ा शरीफ बना फिरता है, अपने घर में तो आधा दर्जन लड़कियां रखी हुई हैं , " और अपना गुस्सा गालियां देकर निकालता है.

अर्जुन का दिल आज काफी दुखी हो उठा था , पहले सुबह विकास चौधरी और अब यह अजय , दोनों ने उसे उसकी वह जिंदगी याद दिलाने की कोशिश कर डाली थी , जिससे वह निकल आया था,,

अर्जुन घर आ जाता है , " माई, कहां हो"

उजला माई , " आ रही हूं रुको,,,हा बोलो अब

अर्जुन ,," यह लो आपके पैसे " और उसे 10 हजार रुपए पकड़ा देता है.

अर्जुन , " अच्छा माई घर में सब समान है ना खाने पीने का"

उजला, " हां"

अर्जुन , " अच्छा मैं गैराज में जा रहा हूं , बच्चे स्कूल से आ जाएं तो ध्यान रखना" और अर्जुन जाने को होता है।

उजला माई , " रुको अर्जुन , मुझे कुछ बताना है" , उसकी आवाज थोड़ी सी घबराई हुई थी,,

अर्जुन , "हां बोलो माई क्या कहना है "" और उसके चेहरे को ध्यान से देखता है..

उजला ,"वह जो रास्ते में नुक्कड़ पर चाय की दुकान है, वहां एक दाढ़ी वाला आदमी खड़ा रहता है , मैं नहीं जानती वह कौन है , घर आते जाते वक्त मैंने उसे देखा है , आजकल वह हमारे इस घर के चक्कर बहुत लगा रहा है ,, मैंने कई बार उसे खिड़की से देखा है , उसका ध्यान हमारे घर के अंदर ही रहता है"

अर्जुन , उजाला माई की बात सुनकर और दाढ़ी वाले आदमी की बात जानकर ,, आज सुबह मिले विकास चौधरी की तस्वीर उसकी आंखों के सामने आ जाती है,,,

अर्जुन, " मैं जानता हूं वह कौन है , तुम बच्चों का ध्यान रखना ,, मैं उसे समझा दूंगा, आइंदा इस तरफ ना आए"

अर्जुन , के चेहरे पर गुस्से की लकीरे आ चुकी थी, और वह उसी चाय की दुकान पर जाता है पर उसे वहां विकास चौधरी नहीं मिलता ,, और वह कुछ सोच कर , अपने गैराज की तरफ निकल जाता है..

विकास चौधरी ,, अपने दो चमचों के साथ एक बार में बैठा हुआ था"

विकास , " उस साले अर्जुन को तो सबक सिखाना ही है, और मैं जानता हूं , मुझे क्या करना है"

चमचा , " जी सरकार आप जो करने की ठान लेते हैं ,उसे पूरा करके ही रहते हैं, अब आपसे उस अर्जुन को कोई नहीं बचा सकता"

और तभी,,,

वहां एक सेठ टाइप आदमी आता है,,,

सेठ ,, " विकास चौधरी कैसे हो"

विकास चौधरी, " बस सेठ जी ,सब आपकी कृपा है, आजकल तो आपने दर्शन देना ही बंद कर दिया, क्या कोई नाराजगी हो गई है हमसे"

सेठ , अरे नहीं, दरअसल मैं अभी तक विदेश में था, कल ही वापस आया हूं"

विकास ," तो आप कहें कुछ पेश करूं आपके सामने"

सेठ ,, " हां ,,हां ,,,क्यों नहीं ,, पर इस बार मुझे बिल्कुल नाजुक कली चाहिए , कर पाओगे बंदोबस्त"

विकास , कुछ सोचते हुए ," बंदोबस्त हो जाएगा सेठ जी पर पैसे एक लाख लगेंगे"

सेठ , " अरे तुम पैसों की फिक्र मत करो , बस तुम बंदोबस्त करो"

विकास , के चेहरे पर मक्कारी और घटियापन उभर आता है

" समझो सेठ ,,,इंतजाम हो गया"

क्रमशः
विकास क्या षड्यंत्र रचने वाला है और उसके क्या परिणाम निकलेंगे जानने के लिए बने रहें