Hame tumse pyar kitna... - 3 in Hindi Fiction Stories by Poonam Sharma books and stories PDF | हमे तुमसे प्यार कितना... - 3 - जन्मदिन की बधाई

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हमे तुमसे प्यार कितना... - 3 - जन्मदिन की बधाई

सुभा के 7 बज रहे थे एक 45 साल उम्र की औरत हाथ में गरम पानी का ग्लास लिए एक कमरे में दाखिल हुई। पहले उसने ग्लास को टेबल पे रखा फिर उसी कमरे की बड़ी सी खिड़की पे लगे परदे हटा दिए। सुभा सुभा की हल्की धूप खिड़की से छनती हुई कमरे में आने लगी। जब धूप की रोशनी बिस्तर पर सोती हुई उस लड़की पे पड़ी तो उस लड़की ने ओढ़ी हुई चादर सिर तक तान ली। तभी उस औरत की आवाज़ आई कब तक सोएगी आज तो जल्दी उठना चाहिए तुझे आज तेरा जन्मदिन है। वैसे जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई।

पहले मेरा गिफ्ट दो.....ऐसे रूखा सूखा बधाई नही...चादर के अंदर से ही उस लड़की ने कहा।

मिल जायेगा तुझे थोड़ा सब्र रख...पहले उठ नहा के पूजा कर उसके बाद बात करना...

डैट्स नॉट फेयर मम्मी....🥺😔

कुछ सीख मायरा से देख उठ भी गई और नहाने भी चली गई....और एक तू है जो अभी भी मुझसे बहस कर रही है.....मेघना जी ने झूठी नाराज़गी से कहा।

बस रहने दो मम्मी....सुभा सुभा लैक्चर नही....आज मेरा बर्थडे है आज तो अपने मन का करने दो....

वैसे कब तू अपने मन का नही करती है....मेघना जी ने फाइनली कायरा के चहरे से चादर हटा दी थी।
और कायरा को अब उठ के बैठना पड़ा था।

चल जल्दी से गरम पानी पी ले ठंडा हुआ तो में दुबारा गरम नही करूंगी.....बोलते हुए मेघना जी कमरे से बाहर निकल गई।

बाहर आके वोह हॉल की तरफ बढ़ गई जहां शेखर जी चाय की चुस्की लेते हुए अखबार पढ़ रहे थे।

शेखर जी तिरछी निगाहों से मेघना जी की तरफ देखा और बड़े प्यार से कहा अजी सुनिए....

जी कहिए....मेघना जी ने भी उसी अंदाज़ में जवाब दिया।

यहां आइए....

मुझे काम है....

बाद में कर लीजिएगा...

देर हो जायेगी....

कुछ कहना है आपसे....

जी बोलिए...में सुन रही हूं....

पहले यहां आइए....और मेरे पास बैठिए...

मेघना जी बिना कुछ बोले शेखर जी के पास आ कर सोफे पे बैठ गई थी....

आप चुप क्यों हैं....

बोलना तो आप को था...आपने मुझे अपने पास बुलाया है....

में तो बस यह कह रहा था की....

की...क्या बोलिए

बहुत बहुत बधाई हो आपको बच्चियों की जन्मदिन की...

आपको भी....वैसे बधाई तो बच्चों को मिलनी चाहिए मुझे क्यों....

वोह इसलिए क्योंकि ये खूबसूरत तोहफे आपने ही तो मुझे दिए थे....इतना दर्द सेहके ये दो अनमोल तोहफे आपने ही मुझे दिए थे....और उसके बाद भी मुस्कुरा रही थी....दूसरा जन्म तो आपका भी हुआ था...पहले सिर्फ पत्नी थी और अब मां भी बन गई थी.....शेखर जी ने मेघना जी के दोनो हाथों को अपने हाथों में थाम लिया था और बारी बारी उनके दोनो हाथों को चूम लिया था।❤️🥰😘

बच्चे देख लेंगे....

देख लेने दीजिए....

कुछ तो शर्म कीजिए....

जिसने करी शर्म उसके फूटे कर्म...

आप भी ना....मेघना जी शर्म से नीचे देखे जा रही थी...

हाय आज भी आप वैसे ही शर्माती जैसे नई नई शादी होने के बाद शर्माती थी....❤️

उहूँ उहूँ....अगर आप लोगों का रोमांस हो गया हो तो हम अंदर आ जाए.... किंशू (मेघना जी और शेखर जी की तीसरी संतान उनका इकलौता बेटा) ने हॉल के बाहर लॉबी में अपनी दोनो बहनों के साथ खड़े हुए शरारत से कहा....

ये सुनते ही मेघना जी वहां से फुर्र हो गई....
और शेखर जी उनकी फुर्ती देख के मुस्कुराके रह गए...

बदमाशों ज्यादा मस्ती करने लगे हो आज कल...शेखर जी ने झूठी नाराज़गी से कहा और अपने तीनो बच्चों को आने का इशारा किया।

अब हमें क्या पता था आप सुभा सुभा हॉल में ही रोमांस शुरू कर देंगे...कायरा ने शरारती अंदाज़ में कहा।

और नही तोह क्या कब से इंतजार कर रहे थे कब आपका रोमांस खतम हो और हम अंदर आएं....हम नही टोकते तो....मायरा ने भी कायरा के अंदाज़ में ही कहा।

बस करो बहुत शरारती हो गए हो तीनो....मेघना जी हाथ में 5 कप चाय☕ ट्रे में रख कर हॉल में आ गई थी।

आज के दिन तो मत डांटीये मेरे बच्चों को....शेखर जी ने चाय का कप लेते हुए कहा।

बहुत बहुत मुबारक हो कायरा और मायरा....कहते हुए शेखर जी ने अपनी दोनो शरारती बेटियों को गले लगा लिया था।
एक एक करके सबने उन्हे बर्थडे विश किया फिर नहा कर पूजा करके सब नाश्ते के लिए डाइनिंग टेबल पर आ कर बैठ गए थे। (मतलब चेयर पे टेबल पे तो खाना रखा हुआ था😜)

शेखर जी भी तैयार हो कर ऑफिस जाने के लिए रेडी थे।
मेघना जी सब को खाना परोस रही थी।

तो आज का क्या प्लान है... शेखर जी ने पूछा।

पापा आज फ्रेंड्स के साथ बाहर घूमने जायेंगे और शाम को जैसा आप चाहे वैसे सेलिब्रेट 🥳 करेंगे...मायरा ने बड़े आराम से कहा।

हां पापा हम दोनो के फ्रेंड्स तो एक ही हैं तो हम दोनो साथ में ही जायेंगे....शाम को वक्त पर घर आ जायेंगे....कायरा ने जल्दी जल्दी नाश्ता करते हुए कहा।

क्या दीदी पहले ठीक से खा तोह लो... किंशू बोला।

ठीक है फिर शाम को जब में ऑफिस से आऊं तो तैयार रहना हम सब बाहर डिनर पे चलेंगे...महेश जी अपना नाश्ता खतम करते ही बोले।
फिर सब को बाय कह कर ऑफिस के लिए निकल गए।

उनके जाते ही मेघना जी का बोलना शुरू हो गया...
फोन फुल चार्ज करलो अपना....
रास्ते में ऑफ नही होना चाहिए...
जब फोन करू उठा लेना...
दोनो एक साथ रहना....
एक दूसरे का ख्याल रखना...
ज्यादा देर मत करना....
किसी अजनबी से ज्यादा बात मत करना...
कोई काम हो तो ही किसी अजनबी से बात करना...
आलतू फालतू चीज़े ज्यादा मत खाना....
कोई भी प्रॉब्लम हो मुझे या अपने पापा को तुरंत फोन करना...
और खूब एन्जॉय करना.....🥰🥰🥰🥰

मां.....शब्द को थोड़ा खीच के मायरा और कायरा दोनो ही बोल पड़े।

ऐसे मत देखो मुझे हम लोग नए शहर में हैं...सहारनपुर की बात अलग थी वहां की गलियां गलियां देखी हुई थी...लेकिन यहां सब नया है ये दिल्ली है यहां क्राइम रेट कितना ज्यादा है...अगर तुम्हारे पापा का ट्रांसफर नहीं हुआ होता तो हम कभी नही आते...मुझे फिक्र होती है तुम दोनो की....मेघना जी दोनो को डांटते हुए बोली।

ठीक है मां हम समझ गए....मायरा ने अपनी मां को साइड हग कर लिया था....तो कायरा पीछे कैसे रहती उसने भी दूसरी साइड से अपनी मां को साइड हग कर लिया था।

दोनो बच्चियां तैयार होक घर से निकल गई थी...

अरे किंशू तूने सभी कॉलेज के फॉर्म भरे है ना जिन जिन के पापा ने कहा था....

हां माँ सभी के भरे है...अभी रिज़ल्ट आना बाकी है...

शाम को सभी लोग बाहर डिनर पे गए और खूब मस्ती की...

महेश का भी फोन आ चुका था बच्चियों को विश करने के लिए रूपाली ने भी सबसे बात की थी।

महेश और शेखर तो अक्सर आपस में बात कर लिया करते थे लेकिन उनके बच्चों एक दो बार से ज्यादा बात नहीं हुई थी....अब बच्चे तो बच्चे हैं बिना जान पहचान कैसे दोस्ती करते....जब कोई रिश्तेदार आ जाता था घर तब तो बच्चे थोड़ी देर बात करके अंदर कमरे में ही रहते थे पर ये तो इतनी दूर हैं, ना उन्हे कभी देखा तो कैसे दोस्ती होती और बचपन की तो धुंधली यादें थी पांचों बच्चों के ज़हन में....इसलिए बच्चों में तो दोस्ती नही थी लेकिन महेश और शेखर की दोस्ती वैसे ही थी...रूपाली और मेघना भी अक्सर आपस में बात कर लिया करते थे।


_______________

ऑस्ट्रेलिया

महेश का घर


रात के 11 बज रहे थे महेश जी अपनी पत्नी के साथ अपने बड़े से घर में घुस रहे थे। वह लोग एक पार्टी से आए थे। घर को देख के साफ पता चल रहा था की मिस्टर महेश शेखावत ने यहां अपना अच्छा खासा बिजनेस जमा लिया था....और घर की सजावट में पैसा पानी की तरह बहाया गया था। एक आलीशान महल जैसा बंगला। महेश जी अपना कोर्ट उतारकर वही हॉल में रखे हुए सोफे पे बैठ गए थे। रूपाली जी ने डाइनिंग टेबल पे रखे हुए खाने की तरफ देखा और घर के नौकर से पूछा क्या विराज अभी तक नही आया है....

जी नहीं मैम....

मां ने खाना खाया....

जी मैम....

दवाइयां दे थी उन्हे....

जी मैम....जैसा आपने कहा था....

कोयल आ गई....

जी मैम....

कितने बजे आई थी....

10 बजे के करीब....

उसने खाना खाया....

नही मैम...

क्यों....तुमने पूछा नही

पूछा था पर वो बाहर से ही खा के आईं थी....

हम्म्म...! जाओ अब तुम

अरे भई अगर आपके सवाल खतम हो गाएं हो तो यहां आके शांति से बैठिए। बच्चे बड़े हो गाएं हैं अब तो उनकी फिक्र करना छोड़िए। वोह दोनो खुद का ख्याल रख सकते हैं। आप बेवजह परेशान हो रहीं हैं।

अच्छा! ये आपको बेवजह लगता है। बेटी आपकी घर में कम बाहर ही ज्यादा रहती है...अभी तो 12th पास किया है ना जाने कॉलेज में आएगी तो कितना उड़ेगी।
और आपका लाडला अभी तक ऑफिस से आया नही है...पता नही सुभा से कुछ खाया भी होगा या नहीं...कोई घर में उसका इंतजार कर रहा है या नही किस को फिक्र है मेरी।

पर आप तो अभी आईं हैं मेरे साथ पार्टी से...आप कब इंतजार कर रही थी...

मुझे बातों में ना फसाइए...सब समझती हूं...पार्टी में तो आज ही गई थी सिर्फ आपकी वजह से बाकी दिन भी वोह लेट आता है... रोज़ उसका इंतजार करती हूं खाने पे लेकिन मजाल है कभी जल्दी आया हो।

जब आपको पता है की वोह लेट आता है तो क्यों इंतजार करती है...नौकर को बोल दिया कीजिए वोह खाना लगा के विराज को देदिया करेगा।

क्योंकि माँ हूं में उसकी....आपको नही है अपने बच्चे की फिक्र तो मत कीजिए लेकिन मुझे मत रोकिए...रूपाली जी ने गुस्से से कहा।

अरे रे आप तो गुस्सा हो गई में तो मज़ाक कर रहा था...महेश जी तपाक से बोले।

आप तो बात ही मत कीजिए इतना काम क्यों कराते हैं मेरे बेटे से....

में कहां कराता हूं वोह खुद ही करता है...एक साल से मेरा हाथ बटा रहा है काम...मुझे जल्दी घर भेज देता है और खुद देर तक काम करता रहता है।

आने दो उसको आज में उसकी खूब खबर लूंगी...बड़ा हो गया है तो अपनी मां को ऐसे सताएगा।

भई में मां बेटे के बीच में क्या ही बोलूं। में चुप ही रहता हूं।

आप थके हुए हैं रात भी काफी हो गई है आप सो जाइए। रूपाली ने घड़ी पर नज़र डालते हुए कहा।

में कैसे सोने चला जाऊं पहले मुझे घर से थोड़ी निकलना है इसी घर में रहना है....पहले सोने चला गया तो फिर मुझे ताना मिलेगा की बेटे की तो कोई फिक्र ही नही है मुझे....

सही कहा आपने...फिक्र होती तो इतना काम नही कराते मेरे बेटे से।

तभी गाड़ी के हॉर्न की आवाज़ सुनाई दी....गाड़ी घर के गेट के आगे पोर्च एरिया में आके रुकी। ड्राइवर ने उतर कर पीछे की सीट का दरवाज़ा खोला उसमे से 22 साल का टॉल, हैंडसम, बड़ी आंखे क्लीन शेव, बाल हमेशा की तरह सेट, हल्के गेहुए रंग का लड़का, चेहरे पे कोई भाव नही....अंदर आता है और अपनी मॉम और डैड को सोफे पे बैठा देख के उसी तरफ बढ़ जाता है।

आ गया तू.... इतनी देर लगा दी.... रूपाली जी ने अपने बेटे विराज को देखते ही कहा....

मॉम....! आप क्यों समय पे सोती नही हैं आपकी तबियत खराब हो जायेगी....विराज ने सोफे पर अपनी मॉम के पास बैठते ही कहा और फिर उन्हें गले लगा लिया।

तेरा बाप भी इंतजार कर रहा है.....एक नज़र मेरे ऊपर भी डाल ले। महेश जी ने झूठी नाराज़गी से कहा।

विराज उनकी तरफ देख के मुस्कुराया और बोला पहली बार कर रहें हैं....

तो क्या हुआ बाप की फीलिंग्स की कोई वैल्यू नही....महेश जी ने फिर उसी अंदाज़ में कहा।

अरे डैड सॉरी में तो मज़ाक कर रहा था....विराज ने अपने डैड के गले लगते हुए कहा।

में भी मज़ाक कर रहा था....

दोनो हस पड़े।
तब तक रूपाली जी ने खाना गरम करा दिया था....और वो प्लेट में विराज के लिए खाना सर्व कर रहीं थी। विराज भी हाथ धो कर खाने बैठ गया था। महेश जी थकावट के कारण ज्यादा देर नहीं बैठ पाए थे तो अपने कमरे में सोने चले गए थे। दिन में ऑफिस शाम को ऑफिशियल पार्टी और ऊपर से बढ़ती उम्र थकावट तो होनी ही थी।

विराज अपने कमरे में आ चुका था सोने से पहले उसे नहाने की आदत थी। नहाने के बाद उसने लोअर और टीशर्ट डाल ली लेकिन उसे नींद नहीं आ रही थी... तो वो अपने कमरे से जुड़ी बड़ी सी बालकनी में आ गया। वहां एक झूला लगा हुआ था जिसपर बैठना विराज को बहुत पसंद था। कुछ देर झूले पे बैठ के वोह अल्पक आसमान की तरफ देखता रहा।

उधर दिल्ली में मायरा भी अपनी कमरे की खिड़की से आसमान में चांद को निहार रही थी। और कायरा वोह तो अपने कमरे में घोड़े बेच के सो रही थी।






कहानी अभी जारी है....


धन्यवाद 🙏