Kaun hai khalnayak - Part 4 in Hindi Love Stories by Ratna Pandey books and stories PDF | कौन है ख़लनायक - भाग ४

Featured Books
  • નિતુ - પ્રકરણ 52

    નિતુ : ૫૨ (ધ ગેમ ઇજ ઓન)નિતુ અને કરુણા બંને મળેલા છે કે નહિ એ...

  • ભીતરમન - 57

    પૂજાની વાત સાંભળીને ત્યાં ઉપસ્થિત બધા જ લોકોએ તાળીઓના ગગડાટથ...

  • વિશ્વની ઉત્તમ પ્રેતકથાઓ

    બ્રિટનના એક ગ્રાઉન્ડમાં પ્રતિવર્ષ મૃત સૈનિકો પ્રેત રૂપે પ્રક...

  • ઈર્ષા

    ईर्ष्यी   घृणि  न  संतुष्टः  क्रोधिनो  नित्यशङ्कितः  | परभाग...

  • સિટાડેલ : હની બની

    સિટાડેલ : હની બની- રાકેશ ઠક્કર         નિર્દેશક રાજ એન્ડ ડિક...

Categories
Share

कौन है ख़लनायक - भाग ४

अजय ने कहा, "रुपाली नाराज़ी कैसी? मेरे जीवन का हर पल, हर लम्हा तुम्हारे लिए है। तुम्हें जीवन में कभी भी, किसी भी वक़्त, जीवन के किसी भी मोड़ पर यदि ऐसा लगे कि मैं तुम्हारे काम आ सकता हूँ; तुम सिर्फ़ एक आवाज़ दोगी ना तो मैं दौड़ा चला आऊँगा। तुम्हें सिर्फ़ इतना कहना चाहता हूँ कि तुम अपना ख़्याल रखना। किसी पर भी इतना विश्वास मत करना कि वह तुम्हारे लिए दुःख का कारण बन जाए।"

"अजय तुम यह क्या कह रहे हो? क्यों कह रहे हो?"

अजय बिना कुछ बोले, अपना टूटा हुआ दिल लेकर वहां से चला गया। रुपाली उसे जाता हुआ देखती रही।

इसके बाद अजय ने प्रियांशु पर नज़र रखना शुरू कर दिया। वह जानना चाहता था कि प्रियांशु कैसा लड़का है। प्रियांशु के साथ रुपाली की बढ़ती दोस्ती देखकर अजय मन ही मन कुढ़ता रहता था। उसके मन में यह बात आ गई थी कि रुपाली अब उसे कभी नहीं मिलेगी और इसकी वज़ह सिर्फ़ वह प्रियांशु है। वह मन ही मन प्रियांशु से चिढ़ने लगा था।

रुपाली और प्रियांशु का अब साथ में घूमना फिरना भी शुरू हो गया था। फ़िल्म देखने भी वे दोनों अकेले ही जाने लगे थे। अजय की नज़र उन पर हमेशा ही रहती थी। इसी तरह लगभग सात-आठ माह गुजर गए थे।

अजय का प्यार और भी अधिक बढ़ता ही जा रहा था। जब कोई चीज मिलते-मिलते छूट जाती है तो उसे पाने की चाह कई गुना और अधिक बढ़ जाती है। अजय के साथ भी ऐसा ही हो रहा था। उसे अब हर हाल में, हर क़ीमत में रुपाली चाहिए थी। वह अपनी इस हार को बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था।

एक दिन अचानक अजय ने रुपाली को मिलने बुलाया। रुपाली और अजय पास के बगीचे में बात करने पहुँचे। तब अजय ने कहा, "रुपाली मैं तुम्हें जो बताने जा रहा हूँ उसे ध्यान से सुनना। मेरे ऊपर विश्वास है ना तुम्हें?"

"अजय पहेलियां मत बुझाओ प्लीज़, "चेहरे पर आई बालों की लट को रुपाली ने पीछे करते हुए कहा।"

"रुपाली मैं जो भी कह रहा हूँ अपने ख़ुद के कानों से सुन कर आ रहा हूँ। क्या विश्वास करोगी मुझ पर?"

"तुम पर विश्वास क्यों नहीं करूंगी पर तुम कहाँ से क्या सुनकर आ रहे हो? किस के विषय में बताना चाह रहे हो, बताओ ना?"

"रुपाली जब से मुझे पता चला कि तुम प्रियांशु से प्यार करती हो, तभी से मैंने उस पर नज़र रखी हुई थी। दूसरे शहर से आया एक अनजान लड़का आख़िर अभी हम उसे जानते ही कितना हैं?"

"तो क्या हुआ अजय, अरेंज मैरिज में भी तो हम बिना जाने ही शादी कर लेते हैं फिर भी प्रियांशु को तो मैं पिछले नौ महीने से जानती हूँ।"

"मैंने उसे बात करते हुए सुना है रुपाली।"

"क्या सुना है अजय तुमने?"

"रुपाली तुम पहले अपने आप को संभालो क्योंकि मैं जो बताने जा रहा हूँ वह सुनकर तुम्हें पता नहीं…"

"अजय साफ़-साफ़ बताओ तुमने क्या सुना है?"

"प्रियांशु का खास दोस्त सुधीर उससे पूछ रहा था कि कॉलेज के कुछ ही दिन बाकी हैं, अब तू क्या करेगा? क्या रुपाली को प्रपोज करेगा? तब जानती हो प्रियांशु ने क्या कहा?"

"क्या कहा अजय उसने?"

"उसने कहा छोड़ ना यार पढ़ाई ख़त्म, कॉलेज ख़त्म, सब ख़त्म।"

"यह क्या बोल रहे हो अजय? तुम होश में तो हो?"

"मैं तो होश में ही हूँ रुपाली, होश में तुम्हें लाने की कोशिश कर रहा हूँ। आगे सुनो तब सुधीर ने पूछा तो क्या तू उसे ऐसे ही छोड़ देगा? तूने उसके साथ सब…प्रियांशु ने कहा नहीं यार इतना आगे उसने बढ़ने ही नहीं दिया।"

"अजय यह बिल्कुल झूठ है, प्रियांशु सच में मुझसे बहुत प्यार करता है। तुम झूठ बोल रहे हो ताकि मैं उसे छोड़ कर तुम्हारे पास आ जाऊँ, क्योंकि तुम भी मुझसे प्यार करते हो। मैं जानती हूँ अब तुम्हें मुझे पाने का यह अच्छा सस्ता रास्ता मिल गया है। तुम प्रियांशु को मेरे जीवन से हटाना चाहते हो।"

"मैं जानता था रुपाली तुम्हारे मन में यही बात आएगी। मैं तुम्हें बताना नहीं चाहता था लेकिन तुम मेरी सबसे अच्छी दोस्त हो। हाँ यह सच है कि मैं प्यार भी करता हूँ तुमसे बस, इसीलिए तुम्हें यह बताना ज़रूरी समझा।"

"यह सब मैं तुम्हें इसलिए नहीं बता रहा हूँ रुपाली कि तुम मुझसे रिश्ता जोड़ लो। मैं तो इसलिए बता रहा हूँ कि तुम ख़ुद को संभाल सको।"

यह सब सुनकर रुपाली की आँखों से तो आँसुओं की झड़ी लग गई। लगातार आँसू उसकी आँखों से बह-बह कर गालों पर फिसलते हुए नीचे गिर रहे थे।

अजय ने कहा, "रुपाली रोने से कुछ नहीं होगा यह मौका है तुम्हें सही निर्णय लेने का। सही वक़्त पर सब कुछ पता चल जाना बहुत ही अच्छी बात है। यदि मैंने यह सब नहीं सुन लिया होता तो? रुपाली मैं जा रहा हूँ," जाते-जाते उसने पलट कर कहा, "देखो मैंने पहले भी तुमसे कहा था कि अपना ख़्याल रखना और आज फिर से वही बात दोहराना चाहता हूँ।"

रुपाली निढाल सी वहीं बैठ गई। उसका मन यह सब मानने के लिए कतई तैयार नहीं था। प्रियांशु के साथ बिताए हुए सारे पल उसे याद आ रहे थे कि उनके बीच कब-कब क्या- क्या घटा था। वह सोच रही थी कि प्रियांशु ने कभी भी उसके साथ इस तरह की कोई हरकत तो की ही नहीं है। वह ख़ुद भी हमेशा अजय की कही बात याद रखती थी कि रुपाली अपना ख़्याल रखना। छोटी मोटी किस और हाथ पकड़ना, कभी-कभी अपनी तरफ खींच लेना बस इससे ज्यादा तो कभी प्रियांशु ने कुछ किया ही नहीं। तो क्या अजय झूठ बोल रहा है? यह प्रश्न उसके दिलो-दिमाग में तूफ़ान मचाए हुए था।

रत्ना पांडे वडोदरा गुजरात

स्वरचित और मौलिक

क्रमशः