fifteen years later in Hindi Short Stories by रामानुज दरिया books and stories PDF | पन्द्रह साल बाद

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पन्द्रह साल बाद

रात के 11 बज रहे थे और गर्मी अपने चरम पर थी ओ भी उमस वाली गर्मी जो सबको उबलता हुआ देखना चाहती थी। वैसे तो थी हल्की चांदनी रात मगर अंधेरा चांद को अपनी आगोश में ले लेना चाहता था,और तड़पता हुआ चाँद सिमटता जा रहा था।
अरुन अपने कमरे में लेटा था जिसमे एक पंखा ऊपर वाला चल रहा था जो सिर्फ चल ही रह था मगर कूलर अपने ac होने का परिचय दे रहा था जो कमरे के तापमान बनाये रखने में महती भूमिका अदा कर रहा था। तभी fb मैसेंजर से एक मैसेज टुन से मोबाइल पर आता है ,hello...................
अरुन तुरंत रिप्लाई देता है hii उसके बाद प्रोफाइल चेक करता है तो अंजलि के नाम से, ओ देख ही रहा होता है कि तब तक दूसरा मैसेज आ जाता है कि पहचाना।
अरुन ने नही का जवाव देते हुए सोंचने लगा अखिर अंजलि कौन है तब तक अगला मैसेज टुन से फिर आता है , अरे पहचाना नहीं बिल्कुल भी मैं अमित शुक्ला की भांजी।
अरे अंजली जी आप,यकीन ही नहीं हो रहा कि आपसे बात कर रहा हूँ। मैंने तो कभी अपने जीवन में भी नहीं सोंचा था कि आपसे बात हो पाएगी लेकिन इस इंटरनेट के जमाने में कुछ भी असंभव नहीं और ये कहते हुये खो गया अरुन अतीत की यादों में और चला गया 15 साल पीछे 2006 की सुलगती यादों में।
ये उन दिनों की बात है जब अरुन अपने दूर के रिश्तेदार के यहां रह के पढ़ाई करता था और अंजलि पूरी फैमिली के साथ आई थी गर्मी की छुटियाँ मनाने गोण्डा की पावन जमीन पर क्योंकि वहीं कुछ दूरी पर उनका पैतृक निवास भी है। अंजलि की फैमिली में उसके मम्मी पापा और दो भाई भी हैं जो कि एक छोटा और एक बड़ा है।
अरुन याद करता है उस समय को जब ओ मिली थी पहली बार और अरुन की नजरें टिक गई थी किसी कोने में जहाँ अंजलि बैठी अपने बालों को कंघी कर रही थी ।
अरुन निहार रहा था उस चेहरे को जिसके आगे उसे चांद भी बौना नजर आ रहा था, ओ खोता जा रहा था उन जुल्फों में जो लंबाई के साथ लंबे समय तक प्रेम को जीवित रखने की छमता का संकेत दे रहा था। प्रेम की गहरायी में उतरने को लालायित करती उसकी आंखें और पंजाब के खेतों के बीच बहने वाली नहर के समान उसके गुलाबी होंठ खुले मन से अरुन को दावत दे रहे थे और बीच - बीच में उसकी प्यारी सी मुस्कान एक मनोरम दृश्य की तरह था। सब कोई तैयार हो रहा था क्योंकि शादी पार्टी में जाना था अरुन भी फटा - फट तैयार हो गया।
घर से सब लोग साथ मे निकलते हैं और धीरे - धीरे मैरिज हाल की तरफ बढ़ रहे थे। बीच - बीच मे दोनों की नजरें एक दूसरे पर टिक जाती थी लेकिन अरुन ज्यादा तर चोरी छिपे उसको देखा करता था, सोंचता बहुत था कि कह दे ओ अपने दिल की बात मगर उसमे कभी इतनी हिम्मत न हुई , जैसे जैसे कदम हॉल की तरफ बढ़ रहे थे वैसे वैसे अंजलि अपनी जगह अरुन के दिल मे बनाती जा रही थी। सब पहुंच कर खूब इंजॉय करते हैं शादी पार्टी की , डांस करते हैं उस दौर में सीजनल गाना आया था "काला कौआ काट खायेगा" जिसपे सबके पैर थिरक रहे थे। और ओ दोनों एक दूसरे में खोते चले जाते हैं।
हालांकि दोनों में कोई ऐसी बात नहीं होती है मगर चुपके चुपके मोहब्बत का फूल खिलने लगा था और फिर कुछ ही दिन में अंजलि वापस अपने शहर चली जाती है उसके बाद फिर कभी न तो कोई बात हुई और न ही मुलाकात। अंजलि के जाने के बाद अरुन ने बहुत कोसिस की लेकिन न तो ओ कभी उसके शहर गया और न ही कभी बात हो पाई। अरुन के पास इकलौती उसकी निसानी थी जो जाने के बाद अंजलि भिजवायी थी गुलाब का फूल।
अरुन उसी गुलाब के सहारे अपने दिन गुजारने लगा उसे यकीन था कि एक न एक दिन ओ आएगी और उसको समझेगी । अंजलि समझती तो थी पर आने का उसके पास कोई ऑप्शन नहीं था। दोनों न तो एक दूसरे से अपने दिल की बात कह पाये और न ही इस टॉपिक पर बात कर पाये। गुलाब को देखते ही अरुन को अपने गुलाब की याद आने लगती। अरुन ने गुलाब उठा कर रख दिया अपनी उस डॉयरी में जहां वो खुद से मिलता था और लिखता था अपने जज्बात और समेट लेता था अपनी यादों को उस गुलाब और डॉयरी के साथ।
आज पंद्रह साल बाद जब उसका मैसेज आया तो शिहर उठा पूरा बदन, लालायित हो उठी उसकी यादें, और खोजने लगी आंखें अपने उस प्यार को जो पन्द्रह साल पहले बिछड़ गया था। दोनों में आज भी वही फीलिंग्स है किसी भी तरफ से कम नहीं हुई। दोनों की लाइफ अलग अलग सेट हो गयी। अंजलि सिंगिंग में अपना कैरियर बना रही थी तो वहीं अरुन राइटिंग में।दोनों अपने सपनों को पंख देने में लगे हैं। अंजलि ने अपनी शादी कर ली और उसके दो बच्चे और एक अच्छा सा पति भी है जो उसे बहुत प्यार करता है, यही हाल अरुन का भी है।