तो हमने देखा के हम वहासे हिल हाउस देख के निकले और कैसा माहौल था।
अब आगे देखते हे,
जैसे हि हम वाहा से निकले थोड़ी दूरी पर जाते हि गाड़ी फिरसे बंध पड़ गई ।
मुझे अजीब लगा क्यू की गाड़ी इतनी पुरानी भी नहीं थी।पर अच्छा हुआ के गेराज और्
चाय की टपरी पास मे हि दिखी तो हमने वहा पर ले ली ।सोचा एक बार दिखा दे गेराज मे तब तक चय का मजा लिया जाय।
हम उतरे और ड्राइवर गेराज वाले को दिखा ने गया और मे और दलाल टापरी पे गए।
कहा भैया 3 चाय बना दीजिये अच्छी सी। आप हि सोचिए ऐसा खुशनुमा माहौल ।माहौल मे जंगल की स्वच्छ हवा की भीनि मन मोह लेंने वाली खुसबू। और ऐसे माहौल मे चय तो मनो स्वर्ग से दिया गया एक तोहफा । खुशनुमा माहौल और गरम
चाय की प्याली हाथ मे लेके मे मजे ले रहा था की तभी चाय वाले ने चुप्पी तोड़ी । उनका नाम रमेश था...।
रमेश -बाबू जी कैसी लगी चाई?
मै- बहोत बढ़िया बनाई हे रमेश जी।कितने समय से यहा टपरी चला रहे हे आप.?
रमेश- बाबूजी काफी समय हो गया पहले हमारे बाबा चलाते थे। काफी समय से हम रहे हे। बाबूजी आप यहा के लग नहीं रहे ..!
मै- जी हा मे यहा एक प्रॉपर्टी के सिलसिले मे आया था।वो कुछ दूरी मे जंगल के पास पहाड़ी पर जो हवेली जैसा बंगला हे वाहा.।
मेरी बात सुनके वो बन्दे के हवभाव ऐसे जैसे काटो तो खुन ना निकले।मनो जैसे उसने कुछ डरावना देख लिया हो ।उसके चेहरे के हावभाव स्पस्ट दिख रहे थे जैसे वो कोई गहरी सोच मे डूब गया हो ...
मैने चुप्पी तोड़ते हुए कहा -कहा खो गए आप जानते हे उस् के बारे मे। भाई काफी आलीशान हे।और वाहा से नहरा तो मनो जन्नत।
रमेश- बाबूजी बुरा ना मनो तो बत कहु ... उस बंगल ए के बारे मे काफी चर्चा ये हे उसके बारे मे कोई बात भी नहीं करता ।
मै-अरे ऐसा क्या हे वाहा?
रमेश- कुछ अजीब सा हे जिससे यहा के स्थानिक लोग वाहा जाते नहीं शाम के बाद।हमे तो पहले से हि बाबू जी ने वाहा जाने से मना कर रखा था।
मुझे थोड़ा अजीब लगा पर ड्राइवर भी गाड़ी रिपेयर करा लाया था।तो मेने पैसे दे के चलना ठीक समझा क्यू की देर काफी हो चुकी थी मेने कहा चलता हु रमेश जी फिर मिलेंगे।
और हम चल दिये ।मेने रास्ते मे दलाल से पूछा वो रमेश जी क्या बता रहे थे उस बंगल ए के बारे मे ! तो उसने बात टालते हुए कहा यहा पहाड़ी के अनपढ़ लोक होते हि अंध विह्वासी हे ।आप छोड़िये ज्यादा मत सोचिये ।येतो ऐसी प्राइम लोकेशन वाली प्रॉपर्टी के दम गिरा ने के लिए ये सब बाते लोग फैलाते हे।
मेने भी सोचा के हो सकता हे प्रॉपर्टी के प्राइस गिराने के लिए असा कर रहा हो और मेने ध्यान नहीं दिया और घर पहोंचा....।
मै ने कहा उनसे की 2-3 दिन मे घर वालों को दिखा के हम डील फाइनल करते हे एडवांस मे आपको कल दे देता हु।
उन्होंने भी जैसे काफी खुस हुए हो वैसे कहा जैसा आप ठीक समझे ।
आगे कहानी जारी रहे गी की कैसा रहा हमारा फॅमिली का वाहा देखना और बहोत कुछ पढ़ते रहिये...।