Wo Ankahi Baate - 4 in Hindi Fiction Stories by RACHNA ROY books and stories PDF | वो अनकही बातें - भाग - 4

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वो अनकही बातें - भाग - 4


शालू का घर आ जाता है और फिर वो लिफ्ट तक जाते हुए सोचती है क्या सोमू को फोन करूं?

फिर अपने विरान से फ्लैट का दरवाज़ा खोलती हैं।

अकेलापन उसे काटने को दौड़ता हो।पर हर रोज तो ऐसे ही रहता है मेरा पर आज ऐसा क्यों लग रहा है।एक उदासी के साथ सोचते हुए बैग रख कर फे्श होने जाती है।
एक बार फिर उस सूट को देखती है। और आईने में अपने उलझे हुए बालों को संवारती है और सोचती है क्या मैंने सोमू को सच छुप कर सही किया?

फिर शालू बेड पर लेट कर मोबाइल देखती है। और एकाएक अपना बैग टटोलने लगती है

डॉ समीर का कार्ड निकाल कर नंबर देख कर कॉल करती है।

उधर से जैसे ही हेलो का आवाज़ सुनाई देता है तभी फोन काट देती है। और खुद से ही पुछती है शालू ये क्या कर दिया मैंने एक यौवन रस में डुबी युवती की तरह , फोन काट दिया ।सोमू क्या सोच रहा होगा। तभी मोबाइल बजा। शालू समझ गई कि समीर का फोन है।वो रिसीव कर लेती है।

समीर बोला मुझे पता था कि तुम ने ही फोन करके काट दिया पहले भी ये सब करती थी।

शालू बोली नहीं ऐसी बात नहीं।

समीर बोला तुम तो लाल हो रही हो शर्म से।

शालू बोली देखो मैं तुम्हें कुछ बताना।

समीर हां बाबा बोलो।

शालू बोली वो मेरी साड़ी ।

समीर हां पता है मुझे ,तुमने जान कर नहीं छोड़ा है।

शालू बोली नहीं ऐसी बात नहीं है।

समीर बोला मैं मजाक कर रहा हूं। वैसे भी तुम आने से रही पर देखो तो तुम्हारी साड़ी ने ही आने का रास्ता दिखा दिया।

शालू बोली देखो ऐसी बात नहीं है।

समीर बोला इस रविवार को क्या कर रही हों? आ जाती यहां तो कुछ नये पुराने अनसुलझे सवाल को पूरा करने की कोशिश करते हम।

शालू बोली ठीक मैं कोशिश करूंगी।
समीर बोला मुझे इन्तजार रहेगा।

शालू बोली ठीक है मैं रखती हुं। समीर बोला कुछ पुछना नहीं है ?

शालू बोली फोन पर कुछ भी नहीं पुछ सकती हुं क्या पता तुम झूठ बोल दिए तो?

समीर हंस कर कहा शालू तुमको मैं झूठ नहीं बोलता हुं ये तुम जानती हो। चलो अब फोन रखता हूं।हो सके तो मेरा नंबर सेव कर लेना।

रात के खाने में शालू ने चाईनीज ऑडर किया। खाना भी ठीक से नहीं खा पाई।रात भर जगाती रहती शालू बस सोमू के बारे मैं सोच रही है क्या सचमुच समीर ने शादी कर ली या फिर मेरी तरह बेबस है। शालू सपनों की दुनिया में खो गई।


फिर सुबह बेल कि घंटी से शालू की नींद खुली और जल्दी से दरवाजा खोला तो देखा शांता थी।

शान्ता बोली अरे आज आफिस नहीं है।

शालू बोली नहीं ताई आज मिटिग है बाहर ही खाना है।
शान्ता बोली अरे नाश्ता तो करोगी ।

शालू बोली हां ताई । पहले अदरक वाली चाय।

शांता बोली हां अभी देती हुं।

शांता किचन में चली गई। और जल्दी-जल्दी बर्तन धोने लगी ।
शालू रोज की तरह योगा करने लगी और फिर शांता ताई के साथ चाय पीने लगी।
तभी शालू ने फोन चेक किया तो समीर का गुड मॉर्निंग मेसेज आया। शालू मन में मुस्कुरा कर एक मेसेज कर दिया।
फिर समीर का मेसेज आया शालू आज आफिस नहीं है?
शालू ने लिखा नहीं आज मिटिग के लिए दादर जाना होगा मेंन बांच ।
समीर का जवाब -अरे वाह क्या बात है आज मुझे भी दादर जाना है क्या हम मिल सकते हैं?

शालू ने मेसेज दिया- शायद।।

समीर ने लिखा -बस ना मत करना।

शालू -बाई लिख कर मोबाइल को बन्द कर दिया।

शान्ता बोली अरे नाश्ता में क्या बनाऊं?

शालू बोली ताई कुछ हल्का सा बना दो ।

शालू फिर नहाने चली गई और जब नहा कर सोचने लगी कि क्या पहनु? फिर सारे कपड़े अलमारी से निकल कर बेड पर फेंकने लगीं और सोचने लगी कि क्या सोमू को पहन कर दिखाऊ मैं? क्या ये रंग सोमू को पसन्द आयेगा या फिर ये।

कुछ मिनट में ही पुरा बेडरूम फैल गया।

शांता आई और बोली हाय शालू बेबी ये क्या।

शालू बोली ओह माई गॉड मुझे नहीं पता कि क्या पहनु मैं।

शांता ताई बोली पर बेबी पहले तो कभी ऐसा नही किया था। क्या बात है कुछ तो है ना।।

शालू बोली ऐसा कुछ भी नहीं है ताई।

शांता अच्छा मै सब समेट लेती हुं।

शालू मन में मुस्कुरा कर बोली ओह सोमू ।। और फिर शालू ने अपना मोबाइल उठाया और चेक किया तो समीर का मेसेज आया था ये देख कर शालू के गाल लाल हो गए।

फिर मेसेज पढ़ने लगीं समीर ने लिखा था आज मैं तुम्हें लाल रंग में देखना चाहता हूं। शालू मेसेज पढ़ते ही बोली अरे समीर को कैसे पता चला? कि मैं यहां ये सोच रही थी और समीर समझ गया कैसे?

फिर शालू नाश्ता करने लगी और फिर शांता ताई बोली मैं चलती हूं।

फिर शालू जल्दी-जल्दी से तैयार होने लगी।

शीशे में खुद को निहारने लगी और फिर अपने बालों को संवारती हुए खुला छोड़ दिया और लाल रंग की साड़ी पहनी और उसके मेचिंग बिंदी लगाकर अपने होंठ को भी लाल रंग से सजा दिया। और फिर परफ्युम से अपने बदन को महका दिया।अलमारी से लाल रंग का बैग लेकर उसमें सारा सामान डाल दिया और फिर डाईंग रूम आकर सब लाइट बन्द कर दिया ।मेंन दरवाजा को ताला लगाकर लिफ्ट से नीचे आ गई और बाहर आ कर एक ओला बुक किया और कुछ देर बाद गाड़ी में बैठ कर चली गई।

शालू ने एक मेसेज दिया समीर को मैं अभी निकली हुं।

कुछ देर बाद समीर का फोन आया और शालू ने फोन उठाया और बोली हाय समीर।

उधर से समीर बोला शालू तुम लाल रंग में अच्छी लग रही हो।

शालू घबरा कर इधर-उधर देखने लगी और बोली समीर तुम कहां हो?

समीर मैं तुमसे मिटिग के बाद मिलता हुं। शालू बोली ओ के।
क्रमशः